पशु आधारित जैविक खेती करते हैं आंध्र प्रदेश के सतीश बाबू, जानिए कैसे तैयार किया कम लागत वाला खेती का मॉडल

आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी ज़िले के सीथमपेटा गाँव के रहने वाले सतीश कॉमर्स में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। नौकरी के पीछे न जाते हुए उन्होंने अपनी पारंपरिक खेती को आगे बढ़ाने का फैसला किया और पशु आधारित जैविक खेती को चुना।

पशु आधारित जैविक खेती cattle based organic farming

आज के समय में खेती की लागत बढ़ने और मुनाफा कम होने के कारण बहुत से किसान खेती छोड़ अन्य काम करने लगे हैं। लेकिन बहुत से किसान ऐसे भी हैं जो न सिर्फ़ खेती कर रहे हैं, बल्कि उसे बेहतर बनाने के लिए केमिकल छोड़ ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) अपना चुके हैं। ऐसे ही एक किसान हैं आंध्र प्रदेश के गड्डे सतीश बाबू, जो पशुओं पर आधारित ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। पशु आधारित जैविक खेती का यह हुनर उन्होंने अपने पिता से सीखा और अब इलाके के लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं।

कौन हैं सतीश बाबू?

आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी ज़िले के सीथमपेटा गाँव के रहने वाले सतीश कॉमर्स में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। नौकरी के पीछे न जाते हुए उन्होंने अपनी पारंपरिक खेती को आगे बढ़ाने का फैसला किया। सतीश 16 एकड़ में नारियल, 19 एकड़ में धान और 20 एकड़ में मक्के की खेती करते हैं। उनके पास 37 भैंसें भी हैं। उन्होंने पशु आधारित खेती का गुण अपने पिता से सीखा और वह मानते हैं कि यही खेती का बेहतरीन तरीका है, साथ ही पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। इसे जुड़े जोखिम और अनिश्चितता के बावजूद उन्होंने खेती के इस तरीके को जारी रखा, क्योंकि 1990 से उन्होंने अपने परिवार को सफलतापूर्वक जैविक खेती करते देखा है।

पशु आधारित जैविक खेती करते हैं आंध्र प्रदेश के सतीश बाबू, जानिए कैसे तैयार किया कम लागत वाला खेती का मॉडल
तस्वीर साभार: agriculturepost (सांकेतिक तस्वीर)

पशु आधारित जैविक खेती करते हैं आंध्र प्रदेश के सतीश बाबू, जानिए कैसे तैयार किया कम लागत वाला खेती का मॉडलजैविक खेती के लाभ

सतीश मानते हैं कि पशु आधारित जैविक खेती कई तरह से फ़ायदेमंद है। इसके इस्तेमाल से महंगे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता खत्म हो जाती है, जिससे उत्पादन लागत में कमी आती है और लाभ बढ़ जाता है। साथ ही ऊर्जा की बचत करती है और लंबे समय में पर्यावरण की भी रक्षा होती है। सतीश का मानना है कि पशु आधारित जैविक खेती से बाहरी चीज़ों पर निर्भरता कम होती है और श्रम की भी बचत होती है। आज के समय में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से बचने के लिए ऑर्गेनिक चीज़ों की मांग भी बढ़ रही है। इसके अलावा, खेती के इस तरीके से फसलों पर कीटों और बीमारियों का प्रभाव भी कम पड़ता है।

खुले में चरने से पशुओं को फ़ायदा

सतीश दिन के समय पशुओं को चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं और रात के समय लंबी रस्सी से बांध देते हैं। रस्सी लंबी रखी जाती है ताकि पशु अपनी सुविधानुसार बैठ सकें। साथ ही इससे पशुओं का गोबर और मूत्र मिट्टी में अवशोषित होता रहता है। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और खरपतवार की समस्या कम होती है। खुले में चराने के अलावा जब हरे चारे की कमी होती है तो वह उन्हें धान की भूसी भी खिलाते हैं। सतीश का कहना है कि श्रम की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है और इस समस्या से निपटने के लिए वह नारियल के बागों में सिंचाई की बेसिन पद्धति का उपयोग करते हैं। खुले में चरने के साथ-साथ वह पशुओं को चारे की कमी वाले सीज़न के दौरान धान की भूसी खिलाते हैं। उनका कहना है कि पशुओं के खुले में चरने और कुदरती चारा खाने के कारण उन्हें फर्टिलिटी या प्रजनन संबंधी किसी तरह की समस्या नहीं आती है।

पशु आधारित जैविक खेती cattle based organic farming
तस्वीर साभार: pinterest

जैविक धान की अच्छी कीमत

बिना किसी केमिकल के पूरी तरह से जैविक खेती के ज़रिए बेहतरीन गुणवत्ता वाली धान की उपज की उन्हें अच्छी कीमत मिलती है। उनके मुताबिक, धान 80 से 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। वह 19 एकड़ में बिना किसी केमिकल के धान की खेती करते हैं। मिट्टी को पोषित करने के लिए धान के अवशेषों का इस्तेमाल करते हैं। उनका मानना है कि जैविक तरीके से धान की खेती करने से बेहतरीन गुणवत्ता और स्वाद वाले चावल प्राप्त होते हैं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ पशु आधारित जैविक खेती के लिए अवॉर्ड भी मिल चुका है।

पशु आधारित जैविक खेती cattle based organic farming
तस्वीर साभार: tnau

ऑर्गेनिक खेती की अच्छी समझ रखने वाले सतीश एक प्रगतिशील किसान हैं जो अपने अनुभव दूसरे किसानों से बेझिझक साझा करके उन्हें भी जैविक खेती के लिए प्रेरित करते हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

मंडी भाव की जानकारी

ये भी पढ़ें:

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top