बेकार पड़ी चीज़ों से किचन गार्डन (Kitchen Garden) बनाकर पौष्टिक सब्ज़ियां उगा रहीं बरेली की सुनीता सिंह

किचन गार्डन बनाने से सुनीता सिंह के महीने की सब्जियां खरीदने का खर्च तो कम हुआ ही, साथ ही तरोताज़ा सब्जियां भी खाने को मिलती हैं।

किचन गार्डन (Kitchen Garden)

शहरों में जगह की कमी के कारण लोग चाहकर भी बागवानी नहीं कर पाते हैं और उन्हें केमिकल युक्त फल व सब्ज़ियों का सेवन करना पड़ता है, लेकिन कुछ ऐसे क्रिएटिव लोग भी हैं जो कम संसाधनों में भी स्वस्थ रहने का तरीका ढूंढ़ लेते हैं। किचन गार्डन इसी कड़ी में कारगर साबित हो रहा है। ऐसी ही एक महिला है बरेली की सुनीता सिंह, जो अपनी छत पर गमलों और पुराने प्लास्टिक के ड्रम/डिब्बों में सब्ज़ियां फल उगाकर लोगों के लिए मिसाल पेश कर रही हैं। 

कम लागत में मिल रही ताज़ी सब्ज़ियां

बाज़ार से खरीदी गई अधिकांश फल-सब्ज़ियों को उगाने में केमिकल का प्रयोग किया जाता है, जिससे उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसलिए बरेली की रहने वाली सुनीता सिंह ने अपने घर की छत पर ही सब्ज़ियां व फल उगाना शुरू कर दिया। इससे उनके परिवार को ताज़ी, शुद्ध और जैविक सब्ज़ियां मिलने लगीं। इससे सब्ज़ियां खरीदने पर होने वाला खर्च भी कम हो गया। इस किचन गार्डन में वो कई तरह की सब्जियां उगाती हैं।

किचन गार्डन
किचन गार्डन (तस्वीर साभार: ICAR)

कबाड़ी से खरीदा किचन गार्डन बनाने के लिए ड्रम

सुनीता ने 2020 में कबाड़ी वाले से बड़े ड्रम खरीदकर उसमें लौकी, तुरई, करेला, कुंदरू, सेम, पपीता, नींबू, आम, अमरूद आदि उगाना शुरू कर दिया। प्लास्टिक के ड्रम लंबे समय तक नहीं टिक सकते, इसलिए उन्होंने इसे रखने के लिए लोहे के स्टैंड बनाए। धीरे-धीरे इन्होंने अपने किचन गार्डन का आकार बढ़ाया। इसके लिए ग्रो बैग, गमले, पुराने प्लास्टिक के डिब्बे, कट्टे आदि में सब्ज़ियां उगानी लगीं। ये छत के सीधे संपर्क में न आए, इसलिए उन्होंने सबके लिए स्टैंड बनवाया।

किचन गार्डन (Kitchen Garden)
किचन गार्डन – तस्वीर साभार: ICAR

बेकार पड़ी चीज़ों से किचन गार्डन (Kitchen Garden) बनाकर पौष्टिक सब्ज़ियां उगा रहीं बरेली की सुनीता सिंह

उगा रही ये सब्ज़ियां

सुनीता अपनी छत पर सरसों, पालक, मेथी, चौलाई, चना, सोया, खीरा, तुरई, लौकी, करेला, कुंदरू, भिंडी, करेला, मिर्ची, बैंगन, मूली, ब्रोकोली, ग्वार, धनिया, मटर, शलजम, गोभी जैसी सब्ज़ियां उगा रही हैं। इससे उन्हें सालभर सब्ज़ियां मिलती रहती हैं। इसके अलावा, वह नींबू, पपीता, आम, अनार, अमरूद जैसे फल भी उगा रही हैं।

इतनी हो रही बचत

कबाड़ी से ड्रम खरीदने पर करीब 6 हज़ार रुपये खर्च हुए, जबकि लोहे के स्टैंड आदि बनवाने में करीब 12,200 रुपये का खर्च आया। अब हर महीने सब्ज़ियों पर होने वाले खर्च में करीब 1650 रुपये की बचत होने लगी।

ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल

सुनीता सब्ज़ियां उगाने के लिए कीटनाशक से लेकर खाद तक सब कुछ जैविक ही उपयोग करती हैं। शुरुआत में उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र बरेली से केंचुआ खाद खरीदी, लेकिन अब खुद ही किचन के कचरे से खाद बना रही हैं। फल, सब्ज़ियों व अंडे के छिलको को सूखे पत्ते व गोबर आदि के साथ एक ड्रम में 70-80 दिनों तक रखकर खाद तैयार की जाती है। खाद बनाने की यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है, जिससे नियमित रूप से खाद मिलता रहती है।

किचन गार्डन
किचन गार्डन (Kitchen Garden) तस्वीर साभार: ICAR

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प्रकृति के करीब होने का एहसास

सुनीता का कहना है कि अपने छत पर बागवानी करने से उनका समय कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता और इससे उन्हें प्रकृति के करीब होने का एहसास होता है। छत पर बने गार्डन में तितलियां, चिड़िया व मधुमक्खियां आती रहती हैं, जो पौधों के विकास के लिए अच्छा माना जाता है। सुनीता ने अपने किचन गार्डन से कोरोना काल के दौरान बहुत से पड़ोसियों को सब्ज़ियां देकर उनकी मदद भी की।

उनसे प्रेरित होकर आसपास की कई महिलाएं छत पर सब्ज़ियां उगाने के लिए उनसे सलाह लेने आती हैं। आप भी अपनी छत, बालकनी या घर के आगे खाली जगह में गमले, प्लास्टिक के डिब्बे, बोरे आदि में सब्ज़ियां उगाकर ताज़ा खान प्राप्त कर सकते हैं।

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