अगर घर में लगाने हों पौधे या बड़ी नर्सरी तो मिलिए बंश गोपाल सिंह से, फ़्री में देते हैं कंसल्टेंसी और जानकारी
बंश गोपाल सिंह की नर्सरी में एक रुपये से लेकर 18 हज़ार तक के पौधे मिलते हैं। वो बताते हैं कि ऐसा कोई पौधा नहीं है, जो उनके वहां नहीं मिलता।
कृषि क्षेत्र में सक्सेस स्टोरीज का संग्रह। आपकी मोटिवेशन बढ़ाने वाली कहानियों को जानें और सफलता की ओर एक कदम बढ़ाएं। किसान ऑफ इंडिया पर हमारे साक्सेस स्टोरीज से प्रेरणा लें।
बंश गोपाल सिंह की नर्सरी में एक रुपये से लेकर 18 हज़ार तक के पौधे मिलते हैं। वो बताते हैं कि ऐसा कोई पौधा नहीं है, जो उनके वहां नहीं मिलता।
नारी साग की खेती (Nari Saag Farming) आमतौर पर जलभराव वाले इलाकों में की जाती है, लेकिन ICAR ने इसका ऐसा वैज्ञानिक खेती का तरीका ढूंढ़ लिया है, जिससे अपलैंड यानी ऊपरी इलाकों में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है और पौधे जल प्रदूषण से भी बचे रहेंगे।
वाराश्री फ़ार्म एंड नर्सरी में करीबन 50 लोग काम करते हैं। नर्सरी बिज़नेस में श्रुति की सफलता के लिए उन्हें महिंद्रा एग्रीकल्चर अवॉर्ड 2016’, ‘उद्यान रत्न अवार्ड 2015’ जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
एशली जॉन की सुबह के तीन बजे से दिनचर्या शुरू हो जाती है। सुबह के करीब सवा तीन बजे वो अपने फ़ार्म पर पहुंच जाती हैं और डेयरी व्यवसाय का सारा कार्यभार देखती हैं।
पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले की रहने वाली तापसी पात्रा जिस क्षेत्र से आती हैं, वहां ज़्यादातार किसानों में खेती की उन्नत तकनीकों के में जानकारी का अभाव था। आज इसी क्षेत्र के कई किसान उड़द दाल की खेती में अच्छी पैदावार ले रहे हैं।
मौसमी सब्जी होने के कारण बाज़ार में कंटोला का अच्छा दाम भी मिल जाता है। अभी कंटोला की खेती ज़्यादातर पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर पूर्वी राज्यों में हो रही है।
आज के समय में देश का युवा खेती-किसानी में अच्छे व्यवसाय के विकल्प तलाश रहा है, जो कि इस क्षेत्र के लिए बहुत अच्छी बात है। एक ऐसी ही महिला हैं कर्नाटक की रहने वाली आशमा। जानिए कैसे उन्होंने अपने क्षेत्र में सुपारी की खेती (areca nut farming) के साथ Integrated Farming मॉडल को अपनाते हुए तरक्की हासिल की।
ओमवीर सिंह ने डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) के व्यवसाय को अपनी मेहनत के बलबूते पर खड़ा किया है। आज दूर-दराज़ से लोग उनसे डेयरी फ़ार्मिंग के गुर सीखने आते हैं।
एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने से पहले उन्हें सालाना सिर्फ़ करीबन 24,680 रुपये का ही लाभ होता था, लेकिन अब न सिर्फ़ उन्होंने आमदनी में बढ़ोतरी की है, बल्कि अपने क्षेत्र के कई युवकों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।
मटर सर्दियों की मुख्य फसल है। इसकी दो उन्नत किस्मों ने उत्तर प्रदेश के एक किसान की ज़िंदगी पूरी तरह से बदल दी। उच्च उपज क्षमता वाली इन दोनों किस्मों की खेती करके किसान सुशील कुमार अब लखपति बन गए हैं और अपने परिवार की ज़रूरतों का अच्छी तरह ध्यान रख पा रहे हैं। मटर की खेती में कितनी आई लागत और कितना हुआ मुनाफ़ा, जानिए इस लेख में।
कर्नाटक के दावणगेरे ज़िले के नित्तूर गांव की रहने वाली सरोज एन. पाटिल ने अपने खेत में Integrated Farming का मॉडल अपनाया हुआ है। उन्होंने बाजरे की खेती से मुनाफ़ा कमाने की दिशा में जो कदम उठाया, उससे उनकी आमदनी में इज़ाफ़ा हुआ।
डेयरी व्यवसाय (Dairy Farming) में मवेशियों के उचित प्रंबधन, रखरखाव, इन्वेस्टमेंट और मार्केटिंग की सही जानकारी होना सबसे ज़रूरी है। राहुल शर्मा ने किसान ऑफ़ इंडिया से इसको लेकर विस्तार से बात की।
Oyster Farming: ऑयस्टर मशरुम की खेती से 2 साल में लागत से तीन गुना ज़्यादा कमाया मुनाफ़ा।
किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत में दीपक पाटीदार कहते हैं कि आज के डिजिटल वर्ल्ड में कई तरह की बातें देखने को मिलती हैं, ऐसे में लोगों को बकरी पालन के साथ-साथ कृषि क्षेत्र से जुड़ी सही और सटीक जानकारी देना ही उनका मकसद है।
2 एकड़ ज़मीन में चार तालाब बने हुए थे। इसमें वो तिलापिया मछलियां पालती थीं। उनके पास 5 बकरियां और 50 देसी मुर्गियां भी थीं। सही प्रबंधन न होने की वजह से आमदनी कुछ ख़ास आमदनी नहीं होती थी। कैसे नारियल आधारित एकीकृत कृषि मॉडल अपनाकर उनकी आमदनी में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ, जानिए इस लेख में।
एक किसान के लिए जितनी महत्वपूर्ण खेती होती है, पशुपालन से भी उसका लगाव उतना ही गहरा होता है। रंजीत सिंह अपने क्षेत्र के किसानों के लिए एक मिसाल तो बने ही, साथ ही अपने किसान साथियों की प्रगति के लिए भी काम कर रहे हैं। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में रंजीत सिंह ने डेयरी सेक्टर (Dairy Farming) से जुड़ी कई दूसरी ज़रूरी जानकारियां भी दीं।
सुंडाराम वर्मा के निरंतर अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि आज राजस्थान और अन्य राज्यों के कई किसान इस तकनीक से खेती कर अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं।
बुंदेलखंड के बांदा ज़िले के रहने वाले जाने- माने किसान प्रेम सिंह को ‘तपते रेगिस्तान’ में तरक्की की फसल उगाने का श्रेय जाता है।
मध्य प्रदेश का एक स्वयं सहायता समूह सफलतापूर्वक मशरूम उत्पादन करके कईयों के लिए प्रेरणा बना है। कैसे इस स्वयं सहायता समूह का गठन हुआ और कैसे इन महिलाओं के लिए स्वरोजगार के रास्ते खुले, जानिए इस लेख में।
झारखंड के रामगढ़ ज़िले की रहने वाली रीता देवी को टमाटर की खेती में महंगे बीजों की वजह से लागत ज़्यादा पड़ती थी, मुनाफ़ा लागत के मुकाबले कम होता था। इसके हल के लिए रीता देवी ने Protected Condition की तकनीक अपनाई।