Dairy Farming: देसी गिर और साहीवाल गायों का दूध जिन्होंने 13 देशों में किया मशहूर, मिलिए जैविक फ़ार्म के मालिक ओमवीर सिंह से

ओमवीर सिंह ने डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) के व्यवसाय को अपनी मेहनत के बलबूते पर खड़ा किया है। आज दूर-दराज़ से लोग उनसे डेयरी फ़ार्मिंग के गुर सीखने आते हैं।

dairy farming national milk day dr. verghese kurien ( दूध उत्पादन डेयरी फार्मिंग)

26 नवंबर भारत में श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज़ कुरियन का जन्मदिवस है।  उनके शुरू किये हुए मिशन का ही नतीज़ा  है कि आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। दुनियाभर में दुग्ध उत्पादन में 23 फ़ीसदी की हिस्सेदारी अकेले भारत की ही है। अर्थव्यवस्था में भी डेयरी क्षेत्र 5 फ़ीसदी का योगदान देता है। डेयरी सेक्टर (Dairy Sector) को आज इस मुकाम पर पहुंचाने में 80 करोड़ से ज़्यादा किसानों और पशुपालकों का हाथ है। इन्हीं में से एक हैं उत्तर प्रदेश मेरठ ज़िले के भगवानपुर बांगर गाँव के रहने वाले ओमवीर सिंह। ओमवीर सिंह डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) में अपने क्षेत्र का जाना-माना नाम हैं। आज दूर-दराज से लोग उनसे सलाह लेने आते हैं। उन्होंने अपने व्यवसाय को अपनी मेहनत के बलबूते पर खड़ा किया है। किसान ऑफ़ इंडिया (Kisan of India) से बातचीत में ओमवीर सिंह ने डेयरी फ़ार्मिंग से जुड़े अपने अनुभव शेयर किए।

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गिर और साहीवाल नस्ल की 100 से ऊपर देसी गायें

ओमवीर सिंह ने पशुपालन में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री लेने के बाद कृषि-क्लिनिक और कृषि-बिज़नेस सेंटर (AC&ABC) से ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग लेने के बाद AC&ABC स्कीम के तहत ओमवीर सिंह ने भारतीय स्टेट बैंक से 5 लाख रुपये के लोन के साथ डेयरी की नींव रख डाली। उनकी इस डेयरी का नाम जैविक फ़ार्म (Jaivik Farm) है। किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत में ओमवीर सिंह कहते हैं कि दूध एक ऐसा उत्पाद है, जिसकी ज़रूरत हर घर और हर परिवार में होती है। आज अपनी  डेयरी में उन्होंने गिर और साहीवाल नस्ल की 100 से ऊपर देसी गायें पाली हुईं हैं।

ओमवीर सिंह ने बताया कि इन दोनों नस्लों का दूध बहुत ही बढ़िया क्वालिटी का होता है। गिर गाय का दूध औषधीय गुणों से भरपूर होता है। गिर के दूध और मक्खन को बाज़ार में अच्छा दाम मिलता है। गिर गाय का ज़िक्र करते हुए ओमवीर सिंह आगे बताते हैं कि वेदों में इस नस्ल की गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नाड़ी होने की बात कही गई है। इस नाड़ी की  वजह से गिर गाय का दूध सेहत के लिए और ज़्यादा फायदेमंद हो जाता है। सूर्यकेतु नाड़ी का कुछ अंश इनके दूध में आता है। ये दूध शरीर में कैंसर पनपने के खतरे को कम करता है। प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

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गिर और साहीवाल नस्ल हैं सबसे बेहतर

ओमवीर सिंह कहते हैं कि देसी गाय की नस्लों में गिर और साहीवाल गाय सबसे अच्छी हैं। इनका दूध का उत्पादन अच्छा रहता है। इनके रखरखाव में भी ज़्यादा लागत नहीं आती। जैविक फ़ार्म में एक गाय से रोज़ का 12 से 15 लीटर दूध का उत्पादन हो जाता है। इसलिए भी ओमवीर सिंह ने डेयरी फ़ार्मिंग के लिए इन दो नस्लों को चुना। डेयरी फ़ार्मिंग को चुनने के पीछे का उनका एक और उद्देश्य था। उन्होंने कहा कि ये व्यवसाय के नज़रिये से तो अच्छा है ही, साथ ही गौपालन का अवसर भी आपको मिलता है।

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Dairy Farming: देसी गिर और साहीवाल गायों का दूध जिन्होंने 13 देशों में किया मशहूर, मिलिए जैविक फ़ार्म के मालिक ओमवीर सिंह सेदेश ही नहीं, विदेशों में भी दूध की मांग

उन्होंने अपनी इस डेयरी को बुलंदियों तक पहुंचाने के लिए फ़ील्ड पर उतरकर काम किया। देश ही नहीं, विदेशों में भी उनके दूध की मांग बढ़ी। अब तक मलेशिया, सिंगापुर, थायलैंड, कज़ाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान सहित 13 देशों में वो निर्यात कर चुके हैं। इसके लिए उन्होंने एक कंपनी से क़रार किया हुआ है।

 उनके फ़ार्म का दूध देश में 80 से 100 रुपये प्रति लीटर और विदेशों में 300 रुपये प्रति लीटर की दर से बिक जाता है। ओमवीर सिंह ने बताया कि कोरोना ने उनके व्यवसाय को ज़रूर प्रभावित किया, लेकिन अब उनका अगला लक्ष्य इसे और बड़े स्तर पर ले जाने का है।

अभी तक जुड़ चुके हैं तीन हज़ार से ज़्यादा किसान  

ओमवीर सिंह सिर्फ़ डेयरी फ़ार्मिंग ही नहीं, बल्कि जैविक खेती, मशरूम उत्पादन और मुर्गी पालन भी करते हैं। उन्होंने अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी के साथ-साथ कई फसलें उगा रखी हैं। ओमवीर सिंह कहते हैं कि अगर गायों के लिए जैविक चारा उपलब्ध नहीं है, तो आप अपने उत्पाद को जैविक दूध नहीं कह सकते। इसलिए गायों को देने वाला चारा जैसे चना, बाजरा, जौं वो खुद अपने खेत में उगाते हैं। अब तक तीन हज़ार से ऊपर किसान उनसे जुड़ चुके हैं।

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