देश के 80 करोड़ से ज़्यादा किसान डेयरी क्षेत्र से जुड़े हैं। देश की अर्थव्यवस्था में 5 फ़ीसदी की भागीदारी अकेले डेयरी व्यवसाय की है। इसका श्रेय हर उस पशुपालक को जाता है जो डेयरी क्षेत्र (Dairy Farming) को बढ़ावा दे रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं मध्य प्रदेश के रहने वाले राहुल शर्मा। राहुल पिछले तीन साल से डेयरी व्यवसाय से जुड़े हैं और अपने क्षेत्र में डेयरी बिज़नेस के मॉडल को स्थापित करने का श्रेय उनको जाता है। राहुल शर्मा मध्यप्रदेश की राघोगढ़ तहसील के सोरामपुरा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में डेयरी सेक्टर से जुड़ी कई अहम बातों का ज़िक्र किया। डेयरी व्यवसाय को शुरू करने से पहले पशुपालक यही सोचते हैं कि मवेशियों की संख्या ज़्यादा होगी तो दूध का उत्पादन भी ज़्यादा होगा। लेकिन डेयरी उद्योग में मवेशियों के उचित प्रंबधन, रखरखाव, इन्वेस्टमेंट और मार्केटिंग की सही जानकारी होना सबसे ज़रूरी है। इस तरह से कम मवेशियों में भी ज़्यादा उत्पादन और अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। राहुल शर्मा ने इन सब पहलुओं पर विस्तार से बात की।
डेयरी फ़ार्म खोलकर लोगों को किया जागरूक
राहुल ने अपने श्री महाराज डेयरी फ़ार्म में 10 क्रॉस ब्रीड भैंसें पाली हुई हैं। इन भैंसों से सुबह और शाम, दोनों वक़्त का मिलाकर रोज़ाना करीब 70 लीटर दूध का उत्पादन होता है। एक भैंस 6 से 7 लीटर तक दूध दे देती है। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में राहुल शर्मा ने कहा कि उनकी तहसील राघोगढ़ में आज भी सिर्फ़ उन्हीं का डेयरी फ़ार्म है। उनके क्षेत्र में डेयरी को व्यवसाय के नज़रिये से बहुत कम लोग देखते थे। लेकिन अब शायद स्थितियां बदलें। उन्होंने अपनी तहसील में डेयरी फ़ार्म खोलकर लोगों को बताया कि पशुपालन और डेयरी एक अच्छा उद्योग बन सकता है। राहुल शर्मा कई लोगों, और खासतौर पर युवाओं को डेयरी क्षेत्र (Dairy Farming) से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
प्राइवेट नौकरी छोड़ डेयरी सेक्टर को चुना
राहुल खेती-किसानी परिवार से ही आते हैं। उनका परिवार खेती और पशुपालन से जुड़ा रहा है। इस कारण शुरू से ही उनका लगाव खेती और पशुपालन से रहा। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा होल्डर राहुल ने कुछ साल प्राइवेट सेक्टर में नौकरी भी की, लेकिन अपने गाँव के लिए कुछ करने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने डेयरी क्षेत्र (Dairy Farming) को चुना।
गैरेज को डेयरी फ़ार्म में किया तब्दील
राहुल शर्मा ने 2018 में डेयरी व्यवसाय में कदम रखा। राहुल कहते हैं कि डेयरी व्यवसाय में उतरने के लिए ज़रूरी नहीं है कि बड़े स्तर पर एक साथ पूरा पैसा लगा दिया जाए। उन्होंने फ़ार्म बनाने में पैसे खर्च नहीं किए। गाँव में ही एक पुराना गैरेज था, उसी को ही डेयरी फ़ार्म में तब्दील किया। डेढ़ से 2 लाख के शुरुआती निवेश के साथ डेयरी फ़ार्म खड़ी की। अपनी सेविंग को डेयरी फ़ार्म खोलने में लगाया। 60 से 70 हज़ार में दो क्रॉस ब्रीड भैंसे खरीदीं। गैरेज की ऊंचाई बढ़वाई, और कई दूसरे ज़रूरी बदलाव किए। राहुल ने बताया कि एक क्रॉस ब्रीड भैंस की कीमत 60 से 80 हज़ार रुपये तक रहती है। ये कम से कम दिन का 10 लीटर तक दूध देती है। राहुल बताते हैं कि उनके फ़ार्म में एक भैंस ऐसी भी है, जो दो वक़्त का 14 लीटर तक भी दूध दे देती है।
पलायन कर रहे लोगों को अपने साथ जोड़ा
राहुल शर्मा अपने छोटे भाई के साथ मिलकर इस डेयरी फ़ार्म (Dairy Farm) की बागडोर संभाल रहे हैं। राहुल कहते हैं कि डेयरी फ़ार्म के संचालन में यहां काम करने वाले लोगों की अहम भूमिका है। दूध और इसके बाय-प्रॉडक्ट्स की बिक्री से लेकर, भैंसों के आहार और रखरखाव को लेकर फ़ार्म के लोग कड़ी मेहनत के साथ काम करते हैं। राहुल बताते हैं कि मन में हमेशा से चुभता था कि गाँव के लोग रोज़गार की तलाश में शहरों की तरफ़ पलायन कर रहे हैं। घर से दूर रहकर मज़दूरी से दिन का 300 से 400 रुपये कमा रहे हैं। राहुल ने काम की तलाश में शहरों का रूख कर रहे लोगों को अपने साथ जोड़ा। घर वापस बुलाया।
तहसील के कई किसानों को अपने साथ जोड़ा
राहुल पशुपालकों से सीधा दूध खरीदते हैं। राहुल बताते हैं कि उनके क्षेत्र में दूध की सरकारी खरीद भी होती है। सरकारी खरीद के मुकाबले वो किसानों को दूध का ज़्यादा दाम देते हैं। यही वजह है कि राघोगढ़ तहसील के करीब 250 किसान उनसे जुड़े हुए हैं। अकेले सोरामपुरा गाँव से करीब 125 लीटर दूध उनके फ़ार्म पर आता है। उधर राघोगढ़ तहसील के लगभग 15 से 17 गाँवों के किसानों से भी प्रति दिन करीब 1200 लीटर दूध इकट्ठा हो जाता है। राहुल बताते हैं कि अब उनके क्षेत्र में दुधारू पशुओं की संख्या में इज़ाफ़ा हो रहा है। अब किसान सिर्फ़ अपनी घर की ज़रूरतों के लिए ही नहीं, बल्कि पशुपालन को अतिरिक्त आमदनी के नज़रिये से भी देख रहे हैं।
डेयरी क्षेत्र में उनके प्रयासों को मिली सराहना
50 रुपये प्रति लीटर की दर से उनकी डेयरी फ़ार्म का दूध बाज़ार में बिकता है। फ़ार्म में ही पनीर, छाछ जैसे कई बाय प्रॉडक्ट्स प्रोसेस कर तैयार किए जाते हैं। ऑर्डर पर मावा भी बनाया जाता है। डेयरी क्षेत्र में राहुल शर्मा के प्रयासों से प्रभावित होकर पूर्व कैबिनेट मंत्री और राघोगढ़ से विधायक जयवर्धन सिंह ने भी उनकी सराहना की है।

शुरुआत में बड़े स्तर पर न लगाएं पैसा
डेयरी व्यवसाय में रुचि रखने वाले लोगों को सलाह देते हुए राहुल कहते हैं कि शुरुआत में बड़े स्तर पर इन्वेस्टमेंट न करें। प्रोजेक्ट की लागत का पैसा एक साथ न लगाएं। शेड लगाने में ज़्यादा खर्चा न करें। 50:50 अनुपात के साथ इन्वेस्ट करें यानी बैकअप राशि अपने साथ लेकर चलें। राहुल कहते हैं कि डेयरी व्यवसाय में मुनाफ़ा उत्पादन की क्षमता पर निर्भर करता है। आपने कैसा शेड बनाया है, उससे आपका मुनाफ़ा तय नहीं होता। कच्चे शेड के साथ भी डेयरी व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं।
डेयरी व्यवसाय में पूरी तैयारी के साथ करें इन्वेस्टमेंट
राहुल ने डेयरी व्यवसाय में इन्वेस्टमेंट की गणित को भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि अगर आपके प्रोजेक्ट की लागत 10 लाख रुपये है तो उसे एक बार में न लगाएं। शुरू के 6 से 7 महीने में मवेशी के दूध देने की क्षमता अच्छी रहती है। इससे लगता है कि अच्छा मुनाफ़ा मिल रहा है। लेकिन एक वक़्त के बाद दूध देने की क्षमता घटने लगती है, जिससे दूध का उत्पादन कम होने लगता है। एक वक़्त ऐसा आता है कि दूध पूरी तरह से बंद हो जाता है। फिर नया मवेशी खरीदने के लिए पैसे नहीं होते।
राहुल कहते हैं कि शुरू में 10 लाख की प्रोजेक्ट लागत में से 4 से 5 लाख रुपये डेयरी व्यवसाय पर लगाएं। जैसी ही किसी मवेशी की दूध देने की क्षमता घटने लगे तो आपके पास इतना पैसा होना चाहिए कि आप दूसरा मवेशी खरीद सकें। इससे दूध का प्रतिदिन का उत्पादन सही बना रहेगा। आज की तारीख में राहुल शर्मा को डेयरी व्यवसाय से महीने का लाख से 1.20 लाख रुपये का सीधा मुनाफ़ा हो जाता है।
सही नस्ल चुनने में दें ध्यान
राहुल कहते हैं कि कई डेयरी फ़ार्म तो इसलिए ही बंद हो जाते हैं क्योंकि वो शुरुआत में ही शेड बनवाने में लाखों पैसे खर्च कर देते हैं। राहुल ने बताया कि उन्हें डेयरी फ़ार्म का शेड बनवाने में तकरीबन 50 हज़ार का खर्चा आया। अगर वो शेड अलग से डिज़ाइन करवाते तो 4 से 5 लाख रुपये खर्च हो जाते। इसलिए ज़रूरी है कि कन्स्ट्रक्शन पर ज़्यादा ध्यान न देकर, मवेशी की सही नस्ल चुनें। मवेशी अच्छा होगा तो दूध का उत्पादन बढ़ेगा। इसके लिए मवेशी के रखरखाव पर ध्यान ज़्यादा दें।
मवेशियों के रखरखाव में किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी?
राहुल कहते हैं कि गर्मियों में मवेशियों के रखरखाव पर ज़्यादा देना होता है। गर्मियों में ही दूध का उत्पादन घटने की आशंका रहती है। ज़्यादा गर्मी पड़ने पर दिन में चार बार नहलाएं। उन्होंने अपने फ़ार्म में कूलर लगाए हुए हैं, ताकि तापमान बढ़ने पर भी फ़ार्म के अंदर ठंडक बनी रहे। राहुल कहते हैं कि भैंसों के रखरखाव में सही आहार होना बहुत ज़रूरी है। वो अपनी भैंसों को आहार में खली, मकई, चोकर, गेहूं का चापड़ और दाना खिलाते हैं। मवेशियों को चारे के रूप में दिए जाने वाले अनाज को वो खुद अपने खेत में उगाते हैं। साथ ही फ़ार्म में साफ-सफाई का भी ध्यान रखते हैं। एक आदमी अलग से फ़ार्म की सफाई के लिए लगा रखा है।
दूध निकालते वक़्त साफ-सफाई का रखें ख्याल
दूध निकालते समय दूध की स्वच्छता का भी ध्यान रखना ज़रूरी होता है। राहुल कहते हैं कि उनके फ़ार्म में इसका खास तौर पर ख्याल रखा जाता है। दूध निकालने से पहले हाथ अच्छे से धोए जाते हैं। भैंसों के थन को अच्छे से साफ किया जाता है। तब जाकर दूध निकालने की प्रोसेस शुरू होती है।
एक घंटे के अंदर कस्टमर तक पहुंचाते हैं ताज़ा दूध
दूध निकालने के एक घंटे के अंदर ही ताज़ा दूध कस्टमरों तक पहुंचाया जाता है। यही उनकी यूएसपी यानी सबसे बड़ी ख़ासियत है। इसी कारण उन्होंने अपने कस्टमर बनाए हैं और भरोसा जीता है। राहुल बताते हैं कि आजकल दूध में मिलावट होती है, दूध को पकाया जाता है या ठंडा करा जाता है। फटने से बचाने के लिए केमिकल तक डाले जाते हैं। उनकी डेयरी से कच्चा दूध बिना प्रोसेस हुए सीधा कस्टमरों तक पहुंचता है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- Pashu Sakhi Yojana: पशु सखी योजना गांव की महिलाओं के लिए बन रही आत्मनिर्भरता की नई मिसालपशु सखी योजना से गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। यह योजना ग्रामीण जीवन में आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का नया मार्ग दिखा रही है।
- हिमाचल की पहाड़ियों में प्राकृतिक खेती से रच रहे इतिहास प्रगतिशील किसान सुखजिंदर सिंहप्राकृतिक खेती से हिमाचल प्रदेश के बलदोआ गांव के किसान सुखजिंदर सिंह ने कम लागत में ज़्यादा मुनाफ़ा कमाया और किसानों के लिए प्रेरणा बने।
- कांगो में उगे IRRI के चार नए चावल, भारत के किसानों के लिए क्यों हैं मौके की बात? जानें पूरी डीटेलअंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (International Rice Research Institute) यानि IRRI ने वहां Food Security बढ़ाने और किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए चार नई चावल की किस्में (Four new rice varieties) पेश की हैं। टेंगेटेंगे, किरेरा बाना, मुबुसी और रुटेटे (Tengetenga, Kirera Bana, Mbusi and Rutete)।
- Milestone In Veterinary History: भारत में पशुओं के लिए Blood Donation और Blood Banks पर पहला राष्ट्रीय दिशा-निर्देश जारीदेश में पशु चिकित्सा इतिहास (Veterinary history) में एक ऐतिहासिक और लाइफ सेविंग पहल की शुरुआत हुई है। ‘पशुओं में रक्ताधान और रक्त बैंकों के लिए दिशा-निर्देश और मानक संचालन प्रक्रियाएं यानि SOPs जारी किया है।
- शोधकर्ता आकृति गुप्ता ने खोजा रोहू मछली को बीमारियों से बचाने का नया तरीक़ाशोधार्थी आकृति गुप्ता ने रोहू मछली पालन के लिए बीमारियों से बचाने का नया तरीक़ा खोजा, जिससे मछली पालन और सुरक्षित होगा।
- बलवंत सिंह की मेहनत रंग लाई — जंगल मॉडल बना प्राकृतिक खेती से कमाई का ज़रियाबलवंत सिंह ने प्राकृतिक खेती अपनाकर कम लागत में अधिक लाभ कमाया और आसपास के किसानों को भी इस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया।
- Jute Farming in Jharkhand: जूट की खेती से साहिबगंज के किसान बन रहे संपन्न, लिख रहे आत्मनिर्भरता की सुनहरी कहानीकेन्द्र सरकार की ओर से नकदी फसलों को दिए जा रहे बढ़ावे का सीधा लाभ साहिबगंज ज़िले के किसानों को मिल रहा है, जहां जूट (Jute) की खेती ने स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि के नए दरवाज़े खोल दिए हैं।
- Biofach India 2025: शुरू हुआ जैविक क्रांति का महाकुंभ, नॉर्थ-ईस्ट के किसानों के Organic Products से दुनिया होगी रूबरूBiofach India 2025 के 17वें एडिशन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Union Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) की ओर से North Eastern Region के जैविक उत्पादों की एक wide range प्रदर्शित की जाएगी।
- New World Screwworm: क्या है न्यू वर्ल्ड स्क्रूवॉर्म? जानिए भारत के 30 करोड़ पशुओं पर क्यों है मंडराता संकट!न्यू वर्ल्ड स्क्रूवॉर्म (New World Screwworm) कोई साधारण कीट नहीं, बल्कि एक ख़तरनाक परजीवी है जो जीवित पशुओं के शरीर को अंदर से खा जाता है, उन्हें असहनीय पीड़ा देता है और फिर मौत के घाट उतार देता है। अमेरिकी सरकार और वैज्ञानिक (US government and scientists)इसके प्रसार को रोकने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं
- Gerbera Flower Farming: लोहरदगा के किसान शंभू सिंह की आत्मनिर्भरता की नई कहानी, रोज़गार देकर पलायन रोकने में अहम भूमिकालोहरदगा, झारखंड (Lohardaga, Jharkhand) के किसान अब जरबेरा फूल की खेती (Gerbera Flower Farming) कर न सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति मज़बूत कर रहे हैं, बल्कि गांव के लोगों को रोज़गार देकर पलायन रोकने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
- Nurture.farm किसानों-विक्रेताओं को डिजिटल सपोर्ट देने वाला ऐप, जो बना रहा है खेती को एक स्मार्ट मिशनNurture.farm के रिटेल हेड अंकित लाढ़ा ने बताया कैसे Nurture.retail एग्रीकल्चर को डिजिटल बना कर किसानों को स्मार्ट बना रहा है।
- फ्री बीज से लेकर फसल बीमा तक! योगी सरकार दे रही किसानों को दोहरा लाभ, 31 अगस्त है लास्ट डेटउत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एक साथ दो बड़ी सौगातें दी जा रही हैं। एक ओर जहां किसान फ्री में तिलहन बीज मिनीकिट (Oilseed Seed Minikit) पा सकते हैं। वहीं दूसरी ओर Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (PMFBY) के तहत खरीफ फसलों का बीमा कराकर प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा (Protection from natural calamities) का फायदा उठा सकते हैं।
- WDRA: अब किसानों को नहीं उठाना पड़ेगा भारी नुकसान, उपज का सही दाम दिलाएगी ये डिजिटल पर्चीअब मंडी का ये एकछत्र राज ख़त्म हो रहा है? किसानों के लिए एक ऐसा ऑप्शन मौजूद है जो न सिर्फ उन्हें उचित दाम दिलवाता है, बल्कि उन्हें ‘बेचने’ की जल्दबाजी से भी मुक्ति देता है। ये ऑप्शन है WDRA यानी वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (Warehousing Development and Regulatory Authority)।
- प्राकृतिक खेती से महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं हिमाचल की श्रेष्ठा देवीश्रेष्ठा देवी की सफलता की कहानी बताती है कि प्राकृतिक खेती से ख़र्च घटाकर किसान अधिक मुनाफ़ा और सम्मान पा सकते हैं।
- FCI Grievance Redressal System: चावल मिल मालिकों से लेकर ख़रीददार तक ऐप की मदद से कर सकेंगे शिकायत, होगा Digital EmpowermentFCI ग्रीवेंस रेड्रेसल सिस्टम (FCI Grievance Redressal System) मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है। ये इनोवेशन सरकार के डिजिटल प्रयासों का एक हिस्सा है जो शासन में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही लाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहा है।
- खेती को फ़ायदे का सौदा बनाने की चुनौती: ग्वालियर में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रखी गेहूं और जौ उत्पादन पर ज़ोरदार बातकेंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture and Farmers Welfare Minister Shivraj Singh Chouhan) ने 26 अगस्त 2025 को ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय (Rajmata Vijayaraje Scindia Agricultural University) में आयोजित ’64वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी’ (’64th All India Wheat and Barley Research Workers’ Conference’) में अपने संबोधन में देश में गेहूं उत्पादन में हुई शानदार बढ़ोत्तरी का जिक्र किया।
- Dr.Bhimrao Ambedkar Kamdhenu Scheme: डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना है युवाओं के लिए Dairy Business का गोल्डन चांस, कैसे करें अप्लाई जानिएमध्यप्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर ‘डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना’ (Dr.Bhimrao Ambedkar Kamdhenu Scheme) की शुरुआत की।
- प्राकृतिक खेती अपनाकर सुनील दत्त बने गांव के किसानों की मिसालप्राकृतिक खेती से किसान सुनील दत्त ने खरपतवार पर जीत हासिल की और कम लागत में अधिक मुनाफ़ा पाया जानिए उनकी पूरी कहानी।
- सुभाष पालेकर से मुलाकात ने बदली ज़िदगी, हिमाचल में Natural Farming का शानदार उदाहरण बने किसान सुभाष शादरूसुभाष के सफ़र की शुरुआत साल 2010 में हरिद्वार की एक यात्रा से हुई। वहां उनकी मुलाकात प्रसिद्ध कृषि विशेषज्ञ सुभाष पालेकर (Famous agricultural expert Subhash Palekar) से हुई। इस मुलाकात ने उनकी जिंदगी बदल दी। उन्होंने पालेकर जी के बेटे से नंबर लिया और प्राकृतिक खेती (Natural Farming) पर किताबें मंगवाईं।
- One Fish, One Paddy: ‘एक मछली, एक धान’ मॉडल से बदलेगी किसानों की किस्मत,मछुआरों के लिए सरकार की पायलट स्कीमकिसानों और मछुआरों के लिए केंद्र सरकार ने एक गेम-चेंजिंग पायलट योजना (Game-changing pilot scheme) की घोषणा की है। इस योजना का मूल मंत्र है – ‘एक मछली, एक धान’(One Fish, One Paddy)। ये न सिर्फ आय बढ़ाने का एक मॉडल है, बल्कि टिकाऊ कृषि (Sustainable Agriculture) और इंटिग्रेटेड कृषि (Integrated Farming) की ओर एक बड़ा कदम है।