प्याज की खेती: प्याज की किस्म अर्का कल्याण से 46 फ़ीसदी बढ़ा उत्पादन, जानिए क्यों किसानों को भा रही ये किस्म

प्याज़ एक प्रमुख व्यवसायिक फसल है, जो किसानों की आजीविका में सुधार ला सकती हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में प्याज की खेती की जाती है। मगर कुछ जगहों पर इसकी उन्नत किस्म की जानकारी के अभाव में किसानों को अच्छा मुनाफा नहीं हो पाता। प्याज की एक उन्नत किस्म अर्का कल्याण से कैसे किसानों की आमदनी में इज़ाफ़ा हुआ, जानिए इस लेख में।

प्याज की खेती onion variety arka kalyan

प्याज हमारे भोजन और किसानों की आजीविका का मुख्य साधन है। देश में खपत के साथ ही इसका बड़े पैमाने पर निर्यात भी किया जाता है। प्याज की खेती के लिए क्षेत्र के हिसाब से मिट्टी आदि का चुनाव किया जाता है। कर्नाटक में भी बड़े पैमाने पर प्याज का उत्पादन होता है, लेकिन राज्य के तुमकूर ज़िले के किसान प्याज की कम उपज और कीट की समस्या से परेशान थे, जिसका हल प्याज की किस्म अर्का कल्याण के रूप में निकला। प्याज़ की यह किस्म अधिक उपज देने के साथ ही, बैंगनी धब्बा रोग प्रतिरोधी भी है यानी इसकी खेती से किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।

प्याज की खेती onion variety arka kalyan
तस्वीर साभार: ICAR- Indian Institute of Horticultural Research, Bengaluru

तुमकूर ज़िले के किसानों की समस्या

कर्नाटक में बड़े पैमाने पर प्याज की खेती की जाती है। यहां मुख्य रूप से लाल प्याज उगाया जाता है। प्याज उत्पादन में राज्य का औसत 180 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, लेकिन राज्य के तुमकूर ज़िले के किसान प्याज की कम उपज से परेशान हैं। यहां बेल्लारी लाल किस्म का प्याज करीब 650 हेक्टेयर में उगाया जाता है, लेकिन इसकी उत्पादकता सिर्फ़ 130-140 क्विंटल/हेक्टेयर है। किसानों को इस किस्म की खेती से  85 हज़ार से लेकर एक लाख रुपये तक की औसत आमदनी होती है। दरअसल, अधिकांश वर्षा आधारित खेती,मॉनसून में देरी, खरीफ़ मौसम में अधिक उपज वाली किस्म का चुनाव नहीं करना जैसे कई कारक कम उत्पादन की वजह हैं। इसके अलावा, प्याज की यह किस्म बहुत जल्दी खराब भी हो जाती है, जिससे किसानों को इसे औने-पौने दाम पर बेचना पड़ता है।

अर्का कल्याण से हुआ फ़ायदा

तुमकूर ज़िले के किसानों की समस्या दूर करने के लिए 2004 में ICAR- भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान प्याज की उन्नत किस्म अर्का कल्याण किसानों के लिए लेकर आई। ये किस्म खरीफ़ मौसम के लिए सबसे उपयुक्त है। इतना ही नहीं, इस किस्म पर  बैंगनी धब्बा रोग का प्रभाव नहीं होता। ICAR-IIHR के तहत ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को इस किस्म की उत्पादकता दिखाने के लिए कई फ्रंट लाइन प्रदर्शन (Front Line demonstration, FLD) किए। तुमकूर ज़िले के होसाकेरे और बुक्कापटना गाँव के किसानों के खेतों में प्याज की अर्का कल्याण किस्म लगाई गई। साथ ही किसानों को प्याज़ की उन्नत किस्म अर्का कल्याण के पौषक तत्वों, पौधों की सुरक्षा, प्याज़ में एकीकृत फसल प्रबंधन अपनाने जैसी कई ज़रूरी जानकारियां दी गईं।

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तस्वीर साभार: Ministry of Rural Development (right)

प्याज की खेती: प्याज की किस्म अर्का कल्याण से 46 फ़ीसदी बढ़ा उत्पादन, जानिए क्यों किसानों को भा रही ये किस्म

कितना बढ़ा उत्पादन?

पुरानी किस्म के मुकाबले अर्का कल्याण किस्म से उत्पादन में करीबन 46 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ। जहां पुरानी किस्म से पहले करीब 177 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है, अर्का कल्याण से ये उत्पादन बढ़कर 253.4 प्रति हेक्टेयर पहुंच गया। यानी कि 76 क्विंटल का अतिरिक्त उत्पादन मिला। इस तरह से 80 हज़ार रुपये की अतिरिक्त आमदनी भी हुई।

प्याज की किस्म अर्का कल्याण के कंद गहरे गुलाबी रंग के होते हैं। इनका औसतन वजन 100 से 190 ग्राम होता है। यह किस्म उत्तरी भारत के मैदानों, मध्य प्रदेश, बिहार, उडि़सा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक तथा तमिलनाडु में उगाने के लिए उपयुक्त बताई गई है।

प्याज की खेती: प्याज की किस्म अर्का कल्याण से 46 फ़ीसदी बढ़ा उत्पादन, जानिए क्यों किसानों को भा रही ये किस्म
तस्वीर साभारः ICAR-IIHR

प्याज की खेती के लिए अर्का कल्याण का चुनाव क्यों बेहतर? 

अगर यह तकनीक कुल 650 हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की खेती के लिए अपनाई जाती है तो इससे अनुमान के मुताबिक 42 प्रतिशत अधिक उत्पादन होगा। प्रति हेक्टेयर  76,000 हज़ार रुपये आय अतिरिक्त बढ़ेगी। इस किस्म की एक ख़ासियत यह भी है कि यह कई महीनों तक खराब नहीं होती। इससे कीमत में गिरावट होने पर किसान इसे कुछ महीनों के लिए स्टोर कर सकते हैं और मांग बढ़ने पर अच्छे दाम पर बेचकर मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

किसानों को अपनी आय दोगुनी करने के लिए खेती में सही प्रबंधन के साथ ही उन्नत किस्म और तकनीक का चुनाव करना होगा, तभी उन्हें आज के दौर में खेती में सफलता मिल सकती है। अर्का कल्याण ने तुमकूर ज़िले के किसानों की उत्पादकता और आमदनी दोनों बढ़ाकर उनकी ज़िंदगी संवार दी।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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