पहाड़ी इलाकों के लिए मटर की उन्नत किस्म विकसित, जानिए क्या हैं विशेषताएं और क्यों है बेहतर

मटर की खेती आमतौर पर नम और ठंडे मौसम में अच्छी तरह से की जाती है। अधिक गर्म मौसम में इसके बीज अंकुरित नहीं होते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा हरी मटर की कई उन्नत किस्में विकसित की गई है, जिसमें से एक है ‘वी.एल. सब्जी मटर-15’। मटर की उन्नत किस्म वी.एल. सब्जी मटर-15 ख़ासतौर पर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के लिए विकसित की गई है।

मटर की उन्नत किस्म pea farming pea varieties

मटर की खेती ठंड के मौसम में की जाती है। यह आतमौर पर पूरे देश में उगाया जाता है। बारिश खत्म होने के बाद अक्टूबर-नवंबर में इसकी बुवाई की जाती है। मटर की कई उन्नत किस्में विकसित की जा चुकी हैं। एक ऐसी ही नयी मटर की उन्नत किस्म है ‘वी.एल. सब्जी मटर-15’।

कितने दिनों में तैयार? 

मटर की उन्नत किस्म वी.एल. सब्जी मटर-15 उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी इलाकों के लिए उपयुक्त मानी गई है। अधिक उपज देने वाली ये किस्म 128 से 132 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसतन उपज क्षमता 11 से 13 टन प्रति हेक्टेयर है।

मटर की उन्नत किस्म pea farming pea varieties
नैनीताल के नरोत्तमपुर गांव में वी.एल. सब्जी मटर-15 का फ़ील्ड प्रदर्शन (तस्वीर साभार: ICAR VPKAS)

मटर की उन्नत किस्म की क्या है ख़ासियत?

‘वी.एल. सब्ज़ी मटर-15’ मुख्य सब्ज़ी फसल है, जिसे पहाड़ी इलाकों में किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है। इसकी फलियां हरे रंग की व आकर्षक होती हैं। फरवरी 2019 में इस किस्म को जारी किया गया और उत्तराखंड में इस किस्म की अधिक उत्पादकता को देखते इसे राज्य के लिए बेहतरीन किस्म माना गया। किसानों को इसकी खेती की सलाह दी गई।

यह किस्म चूर्णिल आसिता, म्लानि, सफेद संड़ाध और पर्ण-झुलसा रोगों के लिए प्रतिरोधी है। इस वजह से इसकी उत्पादकता भी अधिक है। इस किस्म के पौधों की उंचाई कम होती है।  पत्तियां बिल्कुल हरी होती हैं। पौधों की ऊंचाई करीब 60 से 70 सेंटीमीटर होती हैं। इसकी फलियां गहरे हरे रंग की और घुमावदार होती हैं। एक पौधे में 10-18 फलियां लगती हैं और फली की लम्बाई 8.5 से 10 सेंटीमीटर तक होती हैं। इस किस्म की बुवाई के 80 से 90 दिन बाद ही 50 फ़ीसदी फूल आ जाते हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में फसल  पहली तुड़ाई के लिए 128-132 दिन बाद तोड़ने के लिए तैयार हो जाती है।

मटर की उन्नत किस्म pea farming pea varieties
तस्वीर साभार- icar

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कैसी चाहिए जलवायु?

मटर की उन्नत किस्म

मटर की उन्नत किस्म ‘वी.एल. सब्ज़ी मटर-15’ ठंडी जलवायु में अच्छी उपज देती है। इसके लिए 13-18 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित होता है। 29-30 डिग्री तापमान होने पर इसकी फसल नहीं बढ़ती है। दरअसल, गर्म और शुष्क मौसम में परागकण व बीज नहीं बनते हैं। इस किस्म के बीज 5 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी अंकुरित हो जाते हैं, लेकिन अंकुरण के लिए आदर्श तापमान 22 डिग्री सेल्सियस होता है।

कैसी हो मिट्टी?

मटर की यह किस्म हल्की रेतीली दोमट से लेकर चिकनी मिट्टी तक में उगाई जा सकती है।  हालांकि, बेहतर उपज के लिए अच्छी जल-निकासी वाली भुरभुरी दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7 के बीच होना चाहिए। अगर यह 6 से कम है, तो मिट्टी में चूना मिलाएं।

खेत कैसे करें तैयार? 

‘वी.एल. सब्ज़ी मटर-15’ की उन्नत खेती के लिए खेत तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की खाद, 20 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश मिलाना चाहिए। फॉस्फोरस डालने से इसकी वृद्धि अच्छी होती है।

मटर की उन्नत किस्म pea farming pea varieties
तस्वीर साभार- agrifarming

पहाड़ी इलाकों के लिए मटर की उन्नत किस्म विकसित, जानिए क्या हैं विशेषताएं और क्यों है बेहतर

कैसे करें बुवाई?

इसकी बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 75 किलो बीज की ज़रूरत होगी। बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए। बुआई हमेशा पंक्ति में करें। पहाड़ी इलाकों में इसकी बुवाई के लिए उपयुक्त समय मध्य नवंबर है।

मटर की खेती सब्ज़ी और दलहनी फसल के रूप में भी की जाती है। हरी मटर को सब्ज़ी के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जबकि इसे सुखाकर लंबे समय के लिए स्टोर करके बेचा जा सकता है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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