ICAR Recruitment 2022: सीनियर रिसर्च फेलो के लिए मांगे गए आवेदन, जानिए इंटरव्यू की तारीख
इन पदों के लिए आवेदक की उम्र कम से कम 18 साल और अधिकतम 35 वर्ष होनी चाहिए
इंटरव्यू की तारीख 25 जुलाई 2022 निर्धारित की गई है। डिवीज़न ऑफ़ साइंस एंड एग्रीकल्चर केमिस्ट्री, IARI, नई दिल्ली में इंटरव्यू आयोजित किए जाएंगे। जानिए ICAR Recruitment 2022 के बारे में पूरी जानकारी।
ICAR Recruitment 2022 | भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने विभिन्न विभागों में सीनियर रिसर्च फेलो पद के लिए भर्तियां निकाली हैं। इसके लिए वॉक इन इंटरव्यू रखा गया है। इन पदों के लिए आवेदक की उम्र कम से कम 18 साल और अधिकतम 35 वर्ष होनी चाहिए। इस पद के लिए सैलरी 31 हज़ार से 35 हज़ार रुपये तक निर्धारित की गई है। साथ ही HRA का भुगतान भी किया जाएगा।
इस पद के लिए इंटरव्यू की तारीख 25 जुलाई 2022 निर्धारित की गई है। डिवीज़न ऑफ़ साइंस एंड एग्रीकल्चर केमिस्ट्री, IARI, नई दिल्ली में इंटरव्यू आयोजित किए जाएंगे। ये भर्तियां पूरी तरह कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर होगी।
ICAR Recruitment 2022 के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
1. सीनियर रिसर्च फेलो (Senior Research fellow, SRF)
ज़िम्मेदारी: उत्तर भारत के बासमती उत्पादक क्षेत्रों में जल-मृदा-पौधे की निरंतरता में धातुओं और मेटलॉयड्स के जोखिम का मूल्यांकन करना। ये प्रोजेक्ट आईसीएआर द्वारा फंडेड है।
शैक्षिक योग्यता: अनिवार्य योग्यता में कृषि विज्ञान/बुनियादी विज्ञान/भूविज्ञान/भूगोल/रिमोट सेंसिंग/भू-सूचना विज्ञान में मास्टर डिग्री होनी चाहिए।
डिजायरेबल- जीआईएस और रिमोट सेंसिंग आधारित सॉफ्टवेयर में स्थानिक रेखापुंज और वेक्टर डेटाबेस हैंडलिंग, प्रबंधन और विश्लेषण में कम से कम 2 साल का ज्ञान और कार्य अनुभव। जीआईएस सॉफ्टवेयर में स्थानिक प्रक्षेप तकनीकों और मेपिंग की जानकारी।
वेतन: इस पद के लिए वेतन 31 हज़ार रुपये प्रति माह प्लस HRA दिया जाएगा।
2. सीनियर रिसर्च फेलो (Senior Research fellow, SRF)
ज़िम्मेदारी: इस परियोजना में भारत की प्रमुख मिट्टियों की फास्फोरस और पोटेशियम आपूर्ति क्षमता में सुधार और उर्वरक आवश्यकताओं को कम करने के लिए रासायनिक और जैविक रिसर्च फेलो का कार्य क्षेत्र रहेगा।
शैक्षिक योग्यता: मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विज्ञान/ कृषि रसायन विज्ञान और मृदा विज्ञान मृदा विज्ञान/कृषि रसायन विज्ञान/पर्यावरण विज्ञान/ रसायन विज्ञान में 4 साल/5 साल की स्नातक की डिग्री के साथ मास्टर डिग्री।
3 साल की बैचलर डिग्री और 2 साल की मास्टर डिग्री के साथ बेसिक साइंसेज में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री रखने वाले उम्मीदवारों के पास नेट योग्यता होनी चाहिए।
डिग्री प्रोग्राम के अलावा उम्मीदवार को संबंधित क्षेत्र में न्यूनतम 2 साल का शोध अनुभव होना चाहिए।
डिजायरेबल- उम्मीदवार को फास्फोरस,पोटेशियम और कंप्यूटर हैंडलिंग के लिए मिट्टी, पानी और पौधों को लेकर अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
वेतन: इस प्रोजेक्ट में भी उम्मीदवार को वेतन 35000 रुपए प्रति माह प्लस HRA दिया जाएगा।
ICAR Recruitment 2022 के लिए आवेदन कैसे करें
योग्य उम्मीदवारों के इंटरव्यू दिनांक 25.07.2022 को सुबह 10.30 बजे से डिविज़न ऑफ़ साइंस एंड एग्रीकल्चर केमिस्ट्री, IARI, नई दिल्ली में होंगे।
पदों से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप यहाँ क्लिक करें: ICAR Recruitment 2022
ये भी पढ़ें:
जानिए मिट्टी की जांच के लिए कैसे भेजें मिट्टी का सैंपल, कृषि वैज्ञानिक डॉ. नीरज रजवाल ने बताया सही तरीका
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- पॉलीहाउस में फूलों की खेती कर सालाना करीब 35 लाख का टर्नओवर, ये हैं हिमाचल के रवि शर्मारवि शर्मा ने अपने गांव आने के बाद फूलों की खेती को चुना। इसमें उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाया हुआ है। वो पॉलीहाउस में फूलों की खेती करते हैं।
- Bio-Fertilizers: जीवाणु या जैविक खाद बनाने का घरेलू नुस्खाजैविक खाद के कुटीर उत्पादन की तकनीक बेहद आसान और फ़ायदेमन्द है। इससे हरेक किस्म की जैविक खाद का उत्पादन हो सकता है। इसे अपनाकर किसान ख़ुद भी जैविक खाद के कुटीर और व्यावसायिक उत्पादन से जुड़ सकते हैं।
- Saffron Farming: नोएडा के एक छोटे कमरे में केसर की खेती, किसानों को दे रहे हैं ट्रेनिंगरमेश गेरा ने अपनी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई 1980 में NIT कुरुक्षेत्र से की। इसके साथ ही रमेश ने कई मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब भी की। नौकरी के दौरान बाहर के देशों में उन्हें कृषि के नए-नए तरीके देखने को मिले। वहां से तकनीक देखकर भारत में केसर की खेती चालू की।
- Goat Farming: बकरी पालन से जुड़ी क्या हैं उन्नत तकनीकें और मार्केटिंग का तरीका? कैसे किसानों ने पाई सफलता?भारत में बकरी पालन में नवाचारों का उद्देश्य किसानों की आजीविका को बढ़ाना, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बकरी उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करना है।
- पाले की समस्या से कैसे पाएं निजात? सर्दियों की शुरुआत भारत में खेती को कैसे प्रभावित करती है?किसान सर्दियों की इन चुनौतियों से पार पाने के लिए रणनीतियां अपनाते हैं, और सरकार टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और सिंचाई सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सहायता देती है।
- कैसे Startup India के तहत शुरू की मिलेट बेकरी? छत्तीसगढ़ की हेमलता ने Millets के दम पर खड़ा किया स्टार्टअपमिलेट से बने व्यंजनों की वैरायटी लिस्ट काफ़ी लंबी है। छत्तीसगढ़ की रहने वाली हेमलता ने Startup India के तहत मिलेट बेकरी (Millet Bakery) की शुरुआत की।
- Makhana Farming: मखाने की खेती में छत्तीसगढ़ के किसान गजेंद्र चंद्राकर ने अपनाई उन्नत तकनीकइस विधि द्वारा मखाने की खेती 1 फ़ीट तक पानी से भरी कृषि भूमि में की जाती है। किसान अब मखाने की खेती कर, धान से ज़्यादा मुनाफ़ा कमा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के किसान इस सुपर फ़ूड मखाने की खेती को लेकर काफ़ी जागरूक हो गए हैं।
- Pearl Farming: मोती की खेती के साथ मछली पालन, ‘पर्ल क्वीन’ के नाम से जानी जाती हैं पूजा विश्वकर्मापूजा विश्वकर्मा ने 6 साल पहले 40 हज़ार रुपये की लागत से मोती की खेती का व्यवसाय शुरु किया। लगातार 2 साल तक संघर्ष करने के बाद उन्हें सफलता मिली।
- कृषि-वोल्टीय प्रणाली (सौर खेती): बिजली और फसल उत्पादन साथ-साथ, क्या है तरीका?ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरत को पूरा करने के लिए सोलर एनर्जी यानी सौर ऊर्जा सबसे अच्छा विकल्प है। वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक ईज़ाद की है, जिसमें बिजली और फसल उत्पादन साथ-साथ होगा। इस तकनीक का नाम है कृषि-वोल्टीय प्रणाली (सौर खेती)।
- Biofertilizer Rhizobium: जैव उर्वरक राइज़ोबियम कल्चर दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने का जैविक तरीकादलहन भारत की प्रमुख फसलों में से एक है और पूरी दुनिया में दलहन का सबसे अधिक उत्पादन भारत में ही होता है। किसानों के लिए भी इसकी खेती फ़ायदेमंद है। इसलिए दलहनी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। अगर किसान दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं, तो राइज़ोबियम कल्चर उनके लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है।
- Seed Production: कैसे बीज उत्पादन व्यवसाय इन किसानों की आय का अच्छा स्रोत बन रहा है?बीज खेती का आधार है, तभी तो कहते हैं कि हर बीज एक अनाज है, लेकिन हर अनाज एक बीज नहीं हो सकता क्योंकि सभी अनाज में एक समान अंकुरण क्षमता नहीं होती। बीज उत्पादन के लिए किसानों को बीज के प्रकार और उत्पादन का सही तरीका पता होना चाहिए।
- Berseem Farming: बरसीम की खेती से जुड़ी अहम बातें, जानिए कीट-रोगों से कैसे बचाएं बरसीम की फसलबरसीम एक महत्वपूर्ण दलहनी चारा फसल है जो न सिर्फ़ पशुओं के लिए बेहतरीन है, बल्कि ये मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में भी सहायक है। इसका इस्तेमाल हरी खाद के रूप में किया जा सकता है। पशुओं के लिए ये चारा बहुत पौष्टिक होता है, वैसे तो बरसीम की फसल पर रोगों का बहुत गंभीर परिणाम नहीं होता है, लेकिन कुछ रोग व कीट है जिनसे बचाव करना ज़रूरी है।
- डेयरी उद्योग (Dairy Farming): क्यों दूध उत्पादन क्षेत्र में फ़ार्म रिकॉर्ड रखना ज़रूरी है?जिस तरह से ऑफ़िस या घर में काम या डॉक्यूमेंट्स का रिकॉर्ड रखा जाता है, वैसे ही डेयरी उद्योग में पशुओं का रिकॉर्ड रखना बहुत ज़रूरी है।
- Green Manure Crops: हरी खाद वाली फसलें कौन सी हैं और कितने प्रकार की होती हैं?खेती में हरी खाद का मतलब उन सहायक फसलों से है, जिन्हें खेत के पोषक तत्वों को बढ़ाने के मकसद से उगाया जाता है। ये मिट्टी की साथ-साथ फसलों को भी कई लाभ देती हैं।
- जैविक विधि से खरपतवार नियंत्रण: पर्यावरण और सेहत दोनों के लिए फ़ायदेमंदबढ़ते पर्यावरण प्रदूषण और इसके मानव स्वास्थ्य पर पड़ते हानिकारक प्रभाव को देखते हुए खेती में जैविक विधि के इस्तेमाल को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। ऐसे में अब बहुत से किसान खरपतवार नियंत्रण के लिए भी प्राकृतिक उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
- Crop Residue Management: क्यों ज़रूरी है फसल अवशेष प्रबंधन? इससे जुड़े ये आंकड़ें जानते हैं आप?फसल अवशेष जलाने से हमारी ज़मीन में उपलब्ध पोषक तत्वों को हानि होती है। धीरे-धीरे ज़मीन की उर्वरक शक्ति कम होती चली जाती है। साथ ही वायु प्रदूषण बढ़ने जैसी कई घटनाएं हम देख भी चुके हैं।
- जानिए कैसे कंद वर्गीय फसल अरारोट की खेती से किसान ले सकते हैं लाभ, क्या हैं इसके फ़ायदे?अरारोट की खेती के लिए रेतिली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। पौधों के विकास के लिए तापमान 25-30 डिग्री सेंटीग्रेट होना चाहिए।
- Red Rice: विलुप्त होते लाल चावल को मिल रहा जीवनदान, दोबारा शुरु हुई खेतीसेहत और किसानों के लिए फ़ायदेमंद लाल चावल की खेती हिमाचल में फिर से बड़े पैमाने पर की जा रही है। जानिए लाल चावल से जुड़ी अहम बातों के बारे में।
- Carp Fish: नर्सरी तालाब में कार्प मछली उत्पादन कैसे करें? किन बातों का रखें ध्यान?मछली पालन में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर आता है। पहले स्थान पर चीन है। हमारे देश में मछली उत्पादन में सबसे अधिक हिस्सेदारी कार्प मछलियों की है। कार्प मछली उत्पादन में मछली पालकों को इसके बीजों की गुणवत्ता पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत होती है।
- पशु उपचार में कारगर औषधीय पौधे? किन रोगों से मवेशियों को मिल सकता है आराम?खेती के साथ ही ज़्यादातर किसान पशुपालन भी करते हैं, क्योंकि इससे उन्हें कई फ़ायदे होते हैं। दूध, दही, घी के साथ ही खेती के लिए जैविक खाद मिलती है। लेकिन पशुओं के बीमार होने पर पशुपालकों को दवाओं पर काफ़ी खर्च करना पड़ जाता है, जिससे लाभ कम हो जाता है। ऐसे में औषधीय पौधे बहुत मददगार साबित हो सकते हैं।