ऑयस्टर मशरूम (Oyster Mushroom) और नारियल का ये कनेक्शन है बड़ा किफ़ायती, खेती आसान, बड़ा फ़ायदा

अगर आप भी ऑयस्टर मशरूम (Oyster Mushroom) उत्पादन में कम लागत में ज़्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो इस तकनीक का इस्तेमाल अवश्य करें।

ओएस्टर मशरूम

ऑयस्टर मशरूम (Oyster Mushroom) मशरूम्स की एक ऐसी किस्म है जिसे सालभर उगाया जा सकता है। होटल से लेकर घर तक, मशरूम से बने व्यंजन लोगों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। खासतौर पर शहरी इलाके में यह लोगों की पंसदीदा सब्ज़ियों में से एक है। यही वजह है कि धीरे-धीरे मशरूम की मांग बढ़ती जा रही है, जिससे अधिक से अधिक किसान इसे उगाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। वैसे आपको बता दें कि मशरूम को बाकी सब्ज़ियों की तरह खेतों में नहीं उगाया जाता, बल्कि इसके उत्पादन की तकनीक थोड़ी अलग है। मशरूम की कई किस्में होती हैं जिन्हें उगाने के लिए अलग-अलग तापमान और नमी की ज़रूरत पड़ती है।

इसकी एक ख़ास तकनीक का इस्तेमाल करके आप कम लागत में इससे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। ICAR-CPCRI, केरल में जॉर्ज वी थॉमस, अल्का गुप्ता, मुरली गोपाल ने मिलकर नारियल अपशिष्ट से मशरूम की खेती की खास तकनीक इजाद की है।

ओएस्टर मशरूम
तस्वीर साभार: ICAR

ऑयस्टर मशरूम (Oyster Mushroom) और नारियल का ये कनेक्शन है बड़ा किफ़ायती, खेती आसान, बड़ा फ़ायदाक्या है ऑयस्टर मशरूम की ख़ासियत?

इसे सालभर उगाया जा सकता है। ऑयस्टर मशरूम में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है, साथ ही इसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं। ऑयस्टर मशरूम को ढींगरी भी कहा जाता है।

नारियल अपशिष्ट के इस्तेमाल की तकनीक कैसे काम करती है?

इस तकनीक के तहत नारियल के पत्तों के डंठल, पत्रक और गुच्छे के कचरे का इस्तेमाल होता है। नारियल के कचरे को 5-7 सेंटीमीटर लंबे टुकड़ों में काटकर रातभर पानी में भिगोया जाता है। फिर अतिरिक्त पानी निकालकर स्बसट्रेट (कचरे) को डेढ़ घंटे के लिए 1.02 किग्रा प्रति वर्ग सेमी. ( kg/cm² ) दबाव पर ऑटोक्लेव में स्टीम पॉश्चराइज़ेशन से स्टरलाइज़ किया जाता है। फिर स्बसट्रेट को पॉलीबैग में भर दिया जाता है और साथ में स्पॉन (बीज) भी डाले जाते हैं। 3.35 किलो के स्बसट्रेट बैग (कचरा बैग) में करीब 100 ग्राम स्पॉन डाला जाता है। ऑर्गेनिक सप्लीमेंट के रूप में स्टरलाइज़्ड चावल की भूसी मिलाई जाती है। स्पॉन रन के लिएर नारियल के अपशिष्ट वाले बैग को 15-20 दिनों के लिए मशरूम हाउस में रखा जाता है। स्पॉन रन के बाद पॉलीथिन कवर को खोला जाता है और कॉम्पैक्ट सिलेंड्रिक बेड पर दिन में 2-3 बार पानी का छिड़काव किया जाता है। बैग खोलने के 5-10 दिनों के अंदर मशरूम निकलने लगेंगे। इस तकनीक से महिलाओं, स्वंय सहायता समूह और बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार के अवसर मिलेंगे।

ओएस्टर मशरूम
तस्वीर साभार: phys.org

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