सब्जी उत्पादन की उन्नत तकनीक अपनाई, मटर की खेती में प्रति हेक्टेयर कमाया लाख रुपये का मुनाफ़ा

मटर सर्दियों की मुख्य फसल है। इसकी दो उन्नत किस्मों ने उत्तर प्रदेश के एक किसान की ज़िंदगी पूरी तरह से बदल दी। उच्च उपज क्षमता वाली इन दोनों किस्मों की खेती करके किसान सुशील कुमार अब लखपति बन गए हैं और अपने परिवार की ज़रूरतों का अच्छी तरह ध्यान रख पा रहे हैं। मटर की खेती में कितनी आई लागत और कितना हुआ मुनाफ़ा, जानिए इस लेख में।

मटर की खेती vegetable pea farming

हरी मटर की खेती मुख्य रूप से कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार और उड़ीसा में की जाती है। ठंडे इलाकों में इसकी खेती अच्छी तरह होती है। मटर की जल्दी तैयार होने वाली और अधिक उपज वाली दो किस्में हैं, काशी उदय और काशी नंदिनी। इन दोनों ही किस्मों को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी ने विकसित किया है। इन दोनों की प्रति हेक्टेयर उपज क्षमता भी अधिक है। उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर ज़िले के मंडिहान ब्लॉक के बहुती गाँव के रहने वाले किसान सुशील कुमार बिंद ने इन्हीं दो किस्मों की खेती से अपनी आर्थिक स्थिति को संवारा है।

मटर की खेती vegetable pea farming
सुशील कुमार बिंद के खेत में लगी हुई मटर की फसल

कृषि मेले में जाने का फ़ायदा

मटर की खेती से पहले सुशील कुमार बिंद की माली हालत सही नहीं थी। मुश्किल से परिवार की ज़रूरतें पूरी कर पाते थे। उनके पास खेती के लिए एक हेक्टेयर भूमि थी। सुशील कुमार की ज़िंदगी तब बदल गई जब उन्होंने ICAR-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR), वाराणसी द्वारा आयोजित एक कृषि मेले में हिस्सा लिया। यहां उन्हें मटर की जल्दी तैयार होने वाली किस्मों के बारे में पता चला। वैज्ञानिकों से बातचीत करके उन्हें नई जानकारी तो मिली ही, साथ ही पूर्वांचल के वंचित ज़िलों में National Agricultural Innovation Project, |NAIP उप परियोजना- आजीविका सुरक्षा के तहत उन्हें सहायता के रूप में गुणवत्ता वाले बीज और उर्वरक उपलब्ध कराए गए।

मटर की दो उन्नत किस्मों का उत्पादन

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के सब्ज़ी वैज्ञानिकों की निगारानी में सुशील कुमार ने मटर का उत्पादन शुरू किया। वैज्ञानिकों के कहने पर उन्होंने पूरी ज़मीन पर मटर की खेती शुरू की। सबसे पहले उन्होंने खेत की गहरी जुताई करके खरपतवारों और कीटों को नष्ट किया।जैविक उर्वरक के रूप में उन्होंने गोबर खाद का इस्तेमाल किया, जिसका फ़ायदा उन्हें मिला।

भूमि तैयार करने के बाद उन्होंने अक्टूबर के आखिरी हफ़्ते में काशी उदय और काशी नंदिनी मटर की दो उन्नत किस्मों की बुवाई की। बहुत जल्द ही बीज अंकुरित हो गए और सुशील कुमार ने पौधों की अच्छी देखभाल की और खरपतवारों को हटा दिया। बुवाई के एक महीने बाद पौधों में फूल आने शुरू हो गए। दिसंबर महीने में फसल कटाई के लिए तैयार भी हो गई।

मटर की खेती vegetable pea farming
मटर की किस्म काशी नंदिनी (तस्वीर साभार: ICAR-IIVR)

सब्जी उत्पादन की उन्नत तकनीक अपनाई, मटर की खेती में प्रति हेक्टेयर कमाया लाख रुपये का मुनाफ़ा

कितनी प्राप्त हुई फसल?

दिसंबर में उन्होंने 1200 किलो मटर की फलियां बेचीं, जिससे उन्हें 40 हज़ार रुपये की आमदनी हुई। जनवरी में फसल का उत्पादन और अधिक हुआ। उन्होंने करीब 3500 किलो मटर की फलियां तोड़ीं, जिसे बेचकर 57,500 रुपये की आमदनी हुई। फरवरी के महीने में मटर की कीमतों में थोड़ी गिरावट आई तो उन्होंने सिर्फ़ 1500 किलो फलियां बेचीं, जिससे उन्हें 11,250 रुपये की कमाई हुई। बाकी मटर को बीज बनने के लिए छोड़ दिया और उससे 2500 किलो बीज प्राप्त हुए, जिसे बेचकर 15000 रुपये की अतिरिक्त कमाई हुई।

कितना हुआ मुनाफ़ा? 

सुशील कुमार ने मटर की बिक्री से करीब 1,23,750 रुपये की कमाई की। मटर की खेती में सुशील कुमार को करीबन 23 हज़ार रुपये की लागत आई। उन्हें बीज पर 5 हज़ार रुपये, परिवहन पर 10 हज़ार रुपये, सिंचाई पर 1 हज़ार और खेत की तैयारी पर 2 हज़ार और उर्वरक पर 5 हज़ार रुपये का खर्चा आया। उन्हें कम समय में ही एक लाख रुपये का सीधा मुनाफ़ा हुआ। अब वह अपनी पूरी ज़मीन पर मटर की खेती करने की योजना बना रहे हैं और इसके लिए वैज्ञानिकों से लगातार संपर्क में है। वह दूसरे किसानों को भी सब्ज़ियों की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

मटर की खेती vegetable pea farming
मटर की किस्म काशी उदय (तस्वीर साभार: indiamart)

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उन्नत किस्मों की उपज क्षमता

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकसित मटर की किस्में काशी उदय और काशी नंदिनी न सिर्फ़ जल्दी तैयार हो जाती है, बल्कि उपज क्षमता भी अधिक है। काशी उदय करीब 750-900 किलो प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देती है, जबकि काशी नंदिनी की उपज क्षमता तकरीबन 900-110 किलो प्रति हेक्टेयर है। इन किस्मों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है, जिससे किसानों के मुनाफ़े के प्रतिशत में इज़ाफ़ा होता है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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