गुलाबी सूंडी से कपास की फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें ये ज़रूरी बातें

कपास की फसल में आमतौर पर गर्मी और बरसात के समय जो उमस वाला मौसम आता है उस समय कीट व बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में कीटनाशकों का छिड़काव सही तरीके से करना चाहिए। गुलाबी सूंडी कीड़े की वजह से भी फसल को काफी नुकसान होता है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए कदम उठाना ज़रूरी है।

गुलाबी सूंडी

कपास भारत की प्रमुख नकदी फसलों में से एक है और इसकी सबसे ज़्यादा खेती महाराष्ट्र में होती है। कपास की खेती में मेहनत अधिक लगती है और इसकी फसल को ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है। ख़ासतौर पर कीट के हमलों से। गुलाबी सूंडी कीट कपास में लगने वाला प्रमुख कीड़ा है, जो इसकी गुणवत्ता को खराब को कर देता है। इसे पिंक बालवर्म भी कहते हैं और इसका वैज्ञानिक नाम पैक्टीनीफोरा गोंसीपीला है। इसका जीवनचक्र चार अवस्थाओं से गुजरता है। सामान्य रूप से फल में कलियां व फूल आने के बाद ही इस कीट का वास्तविक प्रकोप दिखना शुरू होता है।

गुलाबी सूंडी कपास की फसल gulabi sundi
तस्वीर साभार- tribuneindia

गुलाबी सूंडी का कपास की फसल पर प्रभाव

जब कपास की फसल में गुलाबी सूंडी कीड़ा लग जाता है तो सूंडी 10 दिनों तक फूल डोडी पर हमला करती है, इससे वह टूटकर नीचे गिरने लगती है। सूंडी या लार्वा फूलों की कलियों को खुलने नहीं देते और वह बंद ही रहती हैं, जो दूर से देखने पर गुलाब जैसी दिखती हैं।

गुलाबी सूंडी का लार्वा कपास के हर टिण्डे में घुसकर कपास के बीज को खाता है और बड़ा होने के बाद टिण्डे में गोल छेद बनाकर बाहर आता है। इनके प्रकोप से कपास के अंदर की रुई धब्बेदार हो जाती है और खराब गुणवत्ता वाली रूई प्राप्त होती है।

गुलाबी सूंडी कपास की फसल gulabi sundi
तस्वीर साभार- futurity

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कीटनाशक का छिड़काव करते समय ध्यान रखें ये बातें

गुलाबी सूंडी से फसल को बचाने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है:

  • कीटनाशक का छिड़काव करने वाले पंप में होलो कोन वाली नोज़ल का प्रयोग करें और सभी पौधों में एक बराबर कीटनाशक छिड़कें।
  • कीटनाशक के छिड़काव के लिए प्रति एकड़ 200 लीटर पानी का इस्तेमाल करें।
  • छिड़काव दोपहर 12 बजे से पहले या शाम के समय ही करें।
  • हमेशा अलग-अलग कीटनाशक का छिड़काव करें।
  • कीटनाशक के छिड़काव के बाद यदि 24 घंटों के अंदर बारिश हो जाती है तो दोबारा कीटनाशक का छिड़काव करें।
  • नीम आधारित कीटनाशक का छिड़काव अधिक असरदार रहेगा।
  • खेत में फेरोमेन ट्रैप लगाकर भी काफ़ी हद तक कीड़ों के प्रकोप को कम किया जा सकता है।
गुलाबी सूंडी कपास की फसल gulabi sundi
कपास की अलग-अलग अवस्थाओं में गुलाबी सूंडी के नियंत्रण के लिए कीटनाशक (स्रोत: ICAR)

 

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गुलाबी सूंडी से फसल को बचाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

  • किसी भी कीट का समेकित प्रबंधन करने के लिए उसके जीवनचक्र को समझना ज़रूरी है। गुलाबी सूंडी अपना जीवनचक्र चार अवस्थाओं में पूरा करती है जो इस प्रकार है, लार्वा: 10-14 दिन, अंडाः 4-5 दिन, प्यूपाः 8-13 दिन, प्रौढ़ः 15-20 दिन। ऐसे में गुलाबी सूंडी के जीवनचक्र को तोड़ने के लिए फसलचक्र अपनाएं। 
  • कपास की जो फसल गुलाबी सूंडी से प्रभावित हुई हो, उसे घर या गोदाम में स्टोर नहीं करना चाहिए। कपास मिल व अनाज मंडियों के पास फेरोमेन ट्रैप लगाना चाहिए और इसमें आई पतंगों को मार देना चाहिए।
  • गिनिंग मिल में रखे कपास के बीज को मार्च महीने के अंत तक कपास मिलों से हटा देना चाहिए। जो बीज बच गए हो उन्हें सल्फॉस से उपचारित करके रखें।
  • बुवाई के लिए रखे गए कपास के बीज को मार्च के अंत तक गिनिंग करें। साथ ही इसको सल्फ्यूरिक एसिड से रूईरहित कर लें और 3-4 दिनों तक बीज को पतला फैलाकर तेज़ धूप में सूखने दें।
  • गुलाबी सूंडी के प्रभाव की निगरानी करने के लिए बुवाई के 45 दिनों बाद 5 फेरोमेन ट्रैप प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगाएं और सुबह-शाम खेत का निरीक्षण करें।
  • कीट से प्रभावित टिण्डों, फूल, फूल डोडी जो नीचे गिर गए हों, उन्हें इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
  • जब 20 टिण्डों में से 2 में गुलाबी या सफेद लार्वा दिखाई दे और फेरोमेन ट्रैप में 8 व्यस्क पतंगे प्रति फेरोमेन ट्रैप लगातार 3 दिनों तक मिले तो रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • कपास की लकड़ियों को खेत में एकत्र न करें, बल्कि इसे काटकर मिट्टी में मिला दें।
  • जिन इलाकों के कपास में गुलाबी सूंडी का प्रकोर रहा हो वहां से कपास दूसरे क्षेत्र में नहीं ले जाना चाहिए।
गुलाबी सूंडी कपास की फसल gulabi sundi
तस्वीर साभार- eagri

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