आनन्द मिश्रा बताते हैं कि नींबू की खेती में ज़्यादा इनवेस्टमेंट की ज़रूरत नहीं पड़ती। आप छोटे निवेश के साथ इसकी शुरुआत कर सकते हैं।
आजकल देश में किसान लगातार नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। पारंपरिक खेती के अलावा, बागवानी फसलों में भी किसानों का रुझान तेज़ी से बढ़ा है। ऐसे ही प्रगतिशील किसानों की सूची में अगला नाम रायबरेली के ‘लेमन मैन’ नाम से मशहूर आनन्द मिश्रा का है। आनन्द मिश्रा अपने फ़ार्म पर नींबू की खेती करते हैं। अकेले नींबू की खेती से ही उन्हें लाखों में मुनाफ़ा होता है। इसके साथ ही वो किसानों को बागवानी का प्रशिक्षण भी देते हैं। वो अपने फ़ार्म में नींबू के साथ-साथ 17 अन्य फसलों की भी बागवानी करते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया ने आनन्द मिश्रा से ख़ास बातचीत की।
नींबू की खेती कैसे शुरु की?
आनन्द मिश्रा खेती करने से पहले एक फर्नीचर कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर 13 साल तक कार्यरत रहे। नौकरी को छोड़कर उन्होंने खेती की राह चुनी। आनन्द मिश्रा ने बताया कि उन्हें अपने गाँव और मिट्टी से लगाव है। इस कारण नौकरी को छोड़कर खेती करने का मन बनाया। खेती के शुरुआती वर्षों में पारंपरिक खेती की, लेकिन उसमें मुनाफ़ा नहीं हुआ तो बागवानी का रूख किया। बागवानी में सबसे पहले नींबू की खेती से शुरुआत की। आनन्द मिश्रा आगे कहते हैं कि नींबू की खेती में ज़्यादा इनवेस्टमेंट नहीं लगता। इसकी खेती हर कोई कर सकता है।
क्या है आनन्द मिश्रा का ‘लेमन मैन’ फ़ार्मिंग मॉडल?
आनन्द मिश्रा ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि किसान जब परंपरागत खेती करता है तो उसके घर 4 से 5 महीने बाद पैसा आता है। ऐसे में किसान को अपने प्रतिदिन का खर्चा निकालने में कई बार दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। इसके विपरीत, बागवानी में सही प्रबंधन और जानकारी से किसान प्रतिदिन का खर्चा निकाल सकता है। इसको ही आनन्द मिश्रा ने ‘लेमन मैन’ फार्मिंग मॉडल का नाम दिया है।
नींबू के साथ अन्य पौधों की करते हैं बागवानी
आनंद मिश्रा अपने फ़ार्म में नींबू सहित 17 तरीके के पौधों की बागवानी कर रहे हैं। उन्होंने में बागान में नींबू के साथ-साथ अमरूद, कैथा, अमरख, लीची आदि के पौधे लगाए हैं।
नींबू की खेती में कितनी लागत और कमाई?
आनंद मिश्रा नींबू की कई किस्मों की खेती करते हैं। कागजी नींबू, रसभरी नींबू, बालाजी आदि जैसी किस्में इसमें शामिल हैं। उन्होंने बताया कि वो पौधे खुद अपने फ़ार्म में तैयार करते हैं। पौधों की रोपाई गर्मियों को छोड़कर कभी भी की जा सकती है। चार साल बाद नींबू का पौधा फल देने लगता है। 4 साल बाद किसान को एक पौधे से हज़ार रुपये की आमदनी होने लगती है। एक एकड़ में 250 पौधे लगते हैं। इसमें करीब 50 हज़ार की लागत आती है। इस तरह से किसान एक एकड़ से करीबन 2 लाख 50 हज़ार तक कमा सकते हैं। यह वन टाइम इनवेस्टमेंट है और ज़िंदगी भर इससे किसान कमाई कर सकते हैं। एक पौधा 30 साल तक फल देता रहता है।
किसानों को देते हैं ट्रेनिंग
आनन्द मिश्रा आगे कहते हैं कि जानकारी के अभाव में किसान देखा-देखी में काम करते हैं। इससे किसान को नुकसान उठाना पड़ता है। इस वजह से ही उन्होंने किसानों को ट्रेनिंग देना शुरू किया। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब सहित कई राज्यों के किसान उनसे जुड़े हुए हैं। आनन्द मिश्रा उत्तराखंड के किसानों को उनके वहाँ जाकर प्रशिक्षण भी दे चुके हैं।
नींबू की खेती में किन बातों का रखें ध्यान?
पौधों का चयन किसान को विश्वसनीय जगह से करना चाहिए। पौधा लगाने के बाद आधा से एक लीटर पानी डालना चाहिए। खेत में पौधे पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर पंक्ति में लगाने चाहिए। इससे हवा से पौधों को कम नुकसान होता है। पौधे की रोपाई के एक साल बाद 5 किलो खाद डालनी चाहिए। 2 साल के होने पर 10 किलो गोबर की खाद डालनी चाहिए। 3 साल में 15 किलो खाद और चौथे साल में 20 किलो खाद डालनी चाहिए। इन सब बातों का किसानों को ध्यान रखना चाहिए। अगर किसान इन सभी बातों का ध्यान रखते हैं तो उनकी नींबू की खेती सफल होगी।
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