कुंदरू की सब्ज़ी अन्य सब्ज़ियों की तरह बहुत लोकप्रिय भले ही न हो, लेकिन अब कई जगहों पर किसान इसकी व्यवसायिक खेती कर रहे हैं। चूंकि यह लता वाला पौधा है तो इसे किसी सहारे के साथ ऊपर चढ़ाना पड़ता है। पंडाल पद्धित से कुंदरू की अच्छी खेती की जा सकती है। मुलकालुरु गांव के एक किसान दंपत्ति ने भी यही तकनीक अपनाकर कुंदरू की सफल खेती करके मिसाल पेश की है।
3.3 एकड़ में कुंदरू की खेती
आंध्रप्रदेश के नरसारावपेट मंडल के गांव मुलकालुरु के रहने वाले किसान दंपत्ति सुशीला और चींथा आदिनारायण रेड्डी 30 साल से सब्ज़ियों की खेती कर रहे हैं। इन्हें नई-नई सब्ज़ियां उगाने का बहुत शौक है और खेती में प्रयोग करते रहना पसंद है। अपनी 3 एकड़ ज़मीन अलग-अलग तरह की सब्ज़ियों की खेती करते हैं। 3.3 एकड़ में कुंदरू, 1 एकड़ में तुरई और 1.3 एकड़ में करेले की खेती कर रहे हैं। सुशीला रेड्डी का कहना है कि वह आमतौर पर 6 घंटे खेत में काम करती है, लेकिन फसल की कटाई के समय 10 घंटों तक काम करती हैं और प्रतिदिन करीब 10 महिलाओं को रोज़गार देती हैं।
तकनीक बदलकर बढ़ाया उत्पादन
मेहनती और प्रगतिशील किसान दंपत्ति सुशीला और चींथा आदिनारायण रेड्डी पहले ज़मीन पर ही सब्ज़ियों की खेती करते थें। फिर इन्होंने निवेश घटाने के लिए छोटे बांस के खंबों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उन्हें एहसास हुआ कि छोटे बांस के खंबों की वजह से मज़दूरों के लिए फसल काटना मुश्किल हो जाता है। ख़ासतौर पर बरसात के मौसम में दिक्कत ज़्यादा आती थी।
किसान दंपत्ति ने उत्पादकता, गुणवत्ता बढ़ाने और श्रम की समस्या दूर करने के लिए 2 लाख रुपये का लोने लेकर स्थायी पंडाल बनवाए। एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान उन्हें अर्ध-स्थाई पंडाल प्रणाली (बांस के खंभों से बने पंडाल) की तकनीक के बारे में पता चला। वो पहले से ही 2 लाख पंडाल बनाने में खर्च कर चुके थे। इसलिए उन्होंने विश्व बैंक परियोजना (AP जल क्षेत्र सुधार परियोजना) के तहत मिलने वाली सब्सिडी का लाभ उठाया। 30,000 रुपये की मदद से अर्ध-स्थाई पंडाल का निर्माण करवाया।
उत्पादकता और गुणवत्ता में दिखा ज़बर्दस्त बदलाव
इस किसान दंपत्ति ने आधे एकड़ में कुंदरू लगाया और उत्पादकता में ज़बर्दस्त बदलाव देखने को मिला। सामान्य पद्धति से खेती करने पर जहां प्रति एकड़ 20 टन उत्पादन होता था, वहीं अर्ध-स्थायी पंडाल प्रणाली की बदौलत उत्पादन दोगुना यानी 40 टन हो गया। इतना ही नहीं, सब्ज़ियों की गुणवत्ता भी बेहतरीन थी।
आमदनी में हुआ इज़ाफ़ा
प्रति एकड़ कुंदरू की खेती में उन्हें कुल लागत करीबन 2,20,000 रुपये आई। 40 टन कुंदरू से करीब 3,20,000 रुपये की आमदनी हुई। इस तरह से उन्हें प्रति एकड़ तकरीबन एक लाख रुपये का मुनाफ़ा हुआ।
बेस्ट महिला किसान
सुशीला रेड्डी को 2010 में जिला कलेक्टर, गुंटूर द्वारा सर्वश्रेष्ठ महिला किसान का पुरस्कार मिल चुका है। यह किसान दंपत्ति अन्य किसानों को भी अर्द-स्थायी पंडाल पद्धित अपनाने की सलाह देते हैं, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है। हालांकि, इसमें बांस के खंभों को हर 2 साल में बदलने की ज़रूरत होती है। सुशीला और उनके पति की सफलता ने इलाके के अन्य किसानों को भी इस तकनीक का इस्तेमाल करके सब्ज़ियां उगाने के लिए प्रेरित किया है।
कुंदरू की खेती
कुंदरू एक लतावाली सब्ज़ी है, जो आमतौर पर पूरे साल उगाई जा सकती है। हालांकि, ठंडी जगहों पर यह पूरे साल फल नहीं देती है। इसकी अच्छी फसल के लिए गर्म और नमी वाली जलवायु उपयुक्त होती है। जहां तक मिट्टी का सवाल है तो यह वैसे तो सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है, लेकिन कार्बनिक युक्त बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। साथ ही जल-निकासी की उचित व्यवस्था ज़रूरी है। इसके पौधों को बढ़ने के लिए सहारा देना ज़रूरी है। इसकी बुवाई आमतौर पर कटिंग से की जाती है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- Mung Ki Kheti: मूंग की खेती में उन्नत बुवाई और प्रबंधन का तरीका, जानिए विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. शर्मा सेMung Ki Kheti | देश के कई हिस्सों में मूंग दाल की बुवाई हो चुकी है। मूंग दाल दलहनीय फसलों में मुख्य फसल है। मूंग की जायद के सीज़न में बुवाई की जाती है। किसानों के मन में मूंग दाल की खेती को लेकर कई तरह के सवाल उठते हैं। मूंग की कौन सी किस्म… Read more: Mung Ki Kheti: मूंग की खेती में उन्नत बुवाई और प्रबंधन का तरीका, जानिए विशेषज्ञ डॉ. आर.पी. शर्मा से
- Rose Gardening Tips: घर की बगिया में ऐसे उगाएं गुलाब, हमेशा महकती रहेगी ताजा खुशबूGulab ki Kheti – आइए जानते हैं गुलाब का पौधा लगाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि घर की बगिया में पूरे साल गुलाब के फूल खिलते रहे और उसकी खुशबू से आपका घर महकता रहे।
- Potato Varieties: आलू की 10 बेहतरीन किस्में, जिन्हें उगाने से बढ़ सकती है कमाईये आलू की खुदाई का मौसम है। वैसे हमारे देश के कई इलाकों में तो पूरे साल आलू की पैदावार होती है। यदि आप भी आलू की खेती कर रहे हैं और इससे अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, तो आलू की कुछ खास किस्मों की खेती करें जिसमें पैदावर अधिक होती है।
- Fish Farming RAS Technique: मछली पालन की RAS तकनीक कैसे काम करती है? 30 गुना बढ़ सकता है उत्पादन!Fish Farming RAS Technique: बड़े स्तर पर अगर कोई मछली पालन करने की सोच रहा है तो मछली पालन की RAS तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। बशर्ते इसकी पूरी जानकारी हो। जानिए RAS तकनीक में कितना खर्चा लगता है और क्या हैं इससे जुड़े अहम फ़ैक्टर्स।
- Lady Finger Varieties: भिंडी की 10 उन्नत किस्में, जिसे लगाकर किसान कर सकते हैं लाखों की कमाईभिंडी की खेती हर मिट्टी और मौसम में होती है लेकिन दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 6.8 हो, और गर्म जलवायु हो तो सबसे अच्छी पैदावार होती है।
- Greenhouse Farming Techniques: ग्रीनहाउस खेती क्या है? सब्सिडी से लेकर प्रशिक्षण तक जानें सब कुछइतिहास की किताबों के अनुसार, रोमन किंग टाइबेरियस ककड़ी जैसी दिखने वाली सब्जी रोज़ खाते थे, रोमन किसान सालभर इसे उगाते थे, जिससे वो सब्जी उनकी खाने की प्लेट में हमेशा रहे। ये सब्जी ग्रीनहाउस तकनीक के ज़रिये ही उगाई जाती थी।
- Modern Farming Methods: खेती की आधुनिक तकनीकें जिसे अपनाकर किसान कर सकते हैं सफ़ल खेतीआज के इस मॉर्डन युग में तकनीक का इस्तेमाल हर क्षेत्र में बढ़ा है, ऐसे में भला कृषि कैसे इससे पीछे रह सकती है। आधुनिक तकनीकों से लेकर उपकरणों तक के इस्तेमाल ने किसानों के लिए खेती को न सिर्फ आसान बना दिया है, बल्कि इसे अधिक मुनाफे का सौदा बना दिया है।
- Rice Bran Oil vs Sunflower Oil: जानिए राइस ब्रान ऑयल-सनफ्लॉवर ऑयल में अंतर और ख़ूबियों के साथ इसका बाज़ारराइस ब्रान ऑयल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार नेफेड के फोर्टिफाइड ब्रैन राइस ऑयल को ई-लॉन्च किया है।राइस ब्रैन ऑयल की मार्केटिंग सभी नेफेड स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हो रही है।वहीं साल 2024-2032 के दौरान इंडियन सनफ्लावर ऑयल मार्केट 7 फीसदी की CAGR प्रदर्शित करेगा।
- Lemongrass: जानिए लेमनग्रास की खेती में जुड़ी अहम बातें प्रोफ़ेसर डॉ. पंकज लवानिया से, उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग तकबुंदेलखंड जैसे इलाके में जहां पानी की समस्या है और बड़ी मात्रा में ज़मीन बंजर पड़ी रहती है, लेमनग्रास की खेती यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसकी खेती कम पानी में भी आसानी से की जा सकती है।
- Eucalyptus Farming: सफेदा की क्लोनल किस्मों से किसान कर सकते हैं बढ़िया कमाई, जानिए खेती की तकनीकसफेदा की खेती लकड़ी के लिए की जाती है। इसकी लकड़ी का उपयोग बड़े सामान की लदाई करने वाली पेटियां बनाने के साथ ही ईंधन, फर्नीचर, हार्डबोर्ड और पार्टिकल बोर्ड बनाने में किया जाता है। इसकी मांग हमेशा ही रहती है।
- कैसे औषधीय पौधों की खेती पर किसानों की मदद करता है ये कृषि विश्वविद्यालय, प्रोफ़ेसर विनोद कुमार से बातचीतबुंदेलखंड के किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित करने के मकसद से झांसी के रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय में औषधीय पौधों का उद्यान बनाया गया है।
- Aeroponic Technique से बंद कमरे में केसर की खेती, हिमाचल के गौरव ने इंटरनेट से सीख कर शुरू किया केसर उत्पादनगौरव Aeroponic Technique से केसर की खेती करते हैं। इस तकनीक में बंद कमरे में केसर को उगाते हैं। बंद कमरे में कश्मीर के वातावरण को बनाने की कोशिश करते हैं। ये तकनीक मिट्टी रहित होती है।
- Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि नींव मज़बूत होगी, तभी तो मज़ूबत इमारत बनेगी। ठीक इसी तरह मिट्टी की सेहत अच्छी रहेगी, तभी तो अधिक उपज प्राप्त होगी। रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति लगातार घट रही है, ऐसे में इसकी सेहत बनाए रखने के लिए मृदा प्रबंधन बहुत ज़रूरी… Read more: Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?
- Crop Rotation Strategies: खेती में फसल चक्र की कितनी अहम भूमिका? डॉ. राजीव कुमार सिंह ने दिया IFS Model का उदाहरणखेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों को इसकी कुछ बुनियादी नियमों के बारे में पता होना चाहिए। जैसे कि फसल चक्र। ये मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ज़रूरी है, मगर बहुत से किसान इस नियम को भूलकर लगातार एक ही फसल उगा रहे हैं जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- क्या हैं Urban Farming Trends? कैसे शहरी खेती बन रही कमाई का ज़रिया?जब शहरों में लोग अपने शौक से थोड़ा आगे बढ़कर घर की छत, बालकनी, कम्यूनिटी गार्डन और घर के नीचे की जगह या घर के अंदर की खाली जगह में वर्टिकल गार्डन बनाकर खेती करने लगते हैं, तो इसे ही शहरी खेती कहा जाता है।
- Integrated Pest Management: क्यों एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM तकनीक) फसलों के लिए है ज़रूरी? जानिए विशेषज्ञ सेखेती की लागत को कम करने और इसे ज़्यादा लाभदायक बनाने के लिए प्रमाणित व उपचारित बीजों का इस्तेमाल, सही मात्रा में उर्वरकों के उपयोग और सिंचाई की उचित व्यवस्था के साथ ही एकीकृत कीट प्रबंधन यानि Integrated Pest Management भी ज़रूरी है।
- Agriculture Equipment : Bed Maker Machine किसानों के लिए है कितनी उपयोगी और मिलेगी कितनी Subsidy?मल्टी पर्पस Bed Maker Machine किसानों के समय की बचत करने के साथ-साथ उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद करती है।
- Fish Farming Business: मछली पालन व्यवसाय से जुड़ी अहम जानकारी, जानिए क्या है विशेषज्ञों और अनुभवी मछली पालकों की राय?मछली पालन उद्योग का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। देश के मछुआरों और मछली पालन उद्योग एक बड़े सेक्टर के रूप में उभर कर आया है। भारतीय मत्स्य पालन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 के दशक में जो मछली उत्पादन 36 फ़ीसदी था, वो बढ़कर आज के वक्त में 70 फ़ीसदी पर पहुंच गया है। जानिए मछली पालन से जुड़े अहम बिंदुओं के बारे में।
- Ragi Crop: रागी की फसल से क्या-क्या तैयार किया जा सकता है? रागी की खेती से जुड़ी अहम जानकारीरागी की फसल (Ragi Crop) मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज़्यादा खेती होती है। केरल, कर्नाटक राज्यों में इसे मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है।
- Sindoor Plant: सिंदूर की खेती कैसे होती है? सिंदूर के पौधे से क्या-क्या बनता है और कहां से लें ट्रेनिंग?आपने अभी तक कई चीज़ों की खेती के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या कभी सिंदूर की खेती के बारे में सुना है? कम ही लोग जानते हैं कि सिंदूर का पौधा भी होता है, जिससे ऑर्गेनिक लाल रंग का सिंदूर बनता है। साथ ही और कई उत्पाद बनाए जाते हैं। जानिए सिंदूर का पौधा कैसे उगाया जाता है और सिंदूर की खेती से जुड़ी अहम जानकारियां सीधा एक्सपर्ट से।