प्राकृतिक खेती (Natural Farming): पद्मश्री कंवल सिंह चौहान दे रहे हज़ारों किसानों को दाम की गारंटी

निजी अनुभवों से सीखने और चुनौतियों का नया समाधान तलाशने की उनकी आदत ने 1998 के बाद से ऐसा क़माल करना शुरू किया कि आज इनके पास चार प्रोसेसिंग यूनिट्स हैं और ये ख़ुद निर्यातक भी हैं। कंवल सिंह चौहान के बिज़नेस मॉडल की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि ये किसानों को खेती से पहले उनकी उपज ख़रीदने की गारंटी देते हैं।

ये कहानी है कंवल सिंह चौहान की, एक ऐसे प्रगतिशील किसान की जिनकी सूझबूझ ने हरियाणा के सोनीपत ज़िले के अटेरना गाँव और आसपास के दर्ज़नों गाँवों के करीब दस हज़ार किसानों की ज़िन्दगी बदल दी। वैसे तो कंवल सिंह, 1980 में, 18 साल की उम्र में खेती-किसानी में सक्रिय हो गये लेकिन निजी अनुभवों से सीखने और चुनौतियों का नया समाधान तलाशने की उनकी आदत ने 1998 के बाद से ऐसा क़माल करना शुरू किया कि आज इनके पास चार प्रोसेसिंग यूनिट्स हैं और ये ख़ुद निर्यातक भी हैं। कंवल सिंह के बिज़नेस मॉडल की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि ये किसानों को खेती से पहले उनकी उपज ख़रीदने की गारंटी देते हैं।

किसान से बने निर्यातक

अपने इलाके के सामान्य किसानों की तरह कंवल सिंह ने भी बासमती धान की खेती में हाथ आज़माया। लेकिन साल 1985 में फसल में ऐसी बीमारी लगी कि कीटनाशकों, बायोगैस और  जैविक उपचारों से भी काबू में नहीं आयी। इसके बाद कंवल सिंह ने बेहतर आमदनी के लिए बेबी कोर्न, स्वीट कोर्न, मशरूम और टमाटर की खेती का दामन थामा और उपज को दिल्ली ले जाकर बेचने लगे। लेकिन बढ़िया दाम वहाँ भी नहीं मिला तो निर्यातक व्यापारियों से रिश्ता बनाया। ये तरकीब काम कर गयी तो आसपास के किसानों को फसल खरीदने की गारंटी देकर प्रेरित किया।

प्राकृतिक खेती (Natural Farming): पद्मश्री कंवल सिंह चौहान

अब चार प्रोसेसिंग यूनिट्स तक पहुँचा कारवाँ

किसानों को उपज के दाम की गारंटी देने की तरकीब ने चमत्कारी नतीज़े दिये। क्योंकि बहुत जल्द ही कंवल सिंह ने ये सीख लिया कि बेहतर और टिकाऊ आमदनी के लिए खेती का प्रोसेसिंग और बाज़ार से जुड़ना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि असली मार्ज़िन तो इसमें है। 2005 में कंवल सिंह, प्रोसेसिंग की दुनिया में दाख़िल हुए। किसानों को दाम की गारंटी देने की क़ाबलियत की बदौलत उन्हें इतनी अधिक उपज मिलने लगी कि देखते ही देखते उन्हें प्रोसेसिंग यूनिट्स की संख्या को बढ़ाना पड़ा।

प्राकृतिक खेती (Natural Farming): पद्मश्री कंवल सिंह चौहान
गौपालन भी करते हैं कंवल सिंह चौहान

प्राकृतिक खेती (Natural Farming): पद्मश्री कंवल सिंह चौहान दे रहे हज़ारों किसानों को दाम की गारंटी

बदलाव बना मंत्र

कारोबार बढ़ा तो कंवल सिंह की बदौलत तमाम महिलाओं समेत सैकड़ों लोगों को रोज़गार भी मिला। देखते ही देखते उत्पादन के दबाब ने उन्हें निर्यातक बनने के गुर भी सिखा दिये। आज कंवल सिंह की कहानी लाखों लोगों को रास्ता दिखा रही है। इसीलिए इन्हें पद्मश्री समेत दर्ज़नों सम्मान भी मिले हैं। कंवर सिंह का एक ही मंत्र है कि ‘बदलाव के बग़ैर खेती में आमदनी नहीं बढ़ेगी’। उनका कहना है कि यदि सरकार किसानों पर ज़्यादा ब्याज का बोझ नहीं डाले और किसान प्रगतिशील खेती करें तो उनकी आमदनी नहीं बढ़ने का सवाल ही पैदा नहीं होगा।

ये भी पढ़ें- Natural Farming: प्राकृतिक खेती में बहुत मददगार है देसी केंचुआ, जानिए यह अफ्रीकन केंचुए से कितना अलग है?

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

मंडी भाव की जानकारी

ये भी पढ़ें:

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top