Table of Contents
लम्पी त्वचा रोग (Lumpy skin disease) का संक्रमण देश के कई राज्यों में गायों और भैंसों में देखने को मिल रहा है। इस रोग की चपेट में आने की वजह से गुजरात, राजस्थान, पंजाब सहित कई राज्यों में मवेशियों की मौत हो चुकी है। लम्पी त्वचा रोग के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए गुजरात, राजस्थान के बाद अब पंजाब में लम्पी संक्रमण को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है।
केंद्रीय पशुपालन मंत्री पुरूषोतम रूपाला ने कहा है कि मवेशियों में फैल रहे लम्पी त्वचा रोग (Lumpy Skin Disease In Cattles) की रोकथाम के लिए केंद्र व राज्य सरकार मिलकर काम कर रही हैं। जल्द इसे नियंत्रित करने में सफल होंगे।
जिस तरह दुनिया के इंसानों पर 2019 से कोरोना वायरस का प्रकोप क़ायम है, उसी तरह से दुनिया भर के पशुधन पर भी ‘जीनस कैप्रिपोक्स’ वायरस से फैलने वाले लम्पी त्वचा रोग या Lumpy skin disease (LSD) का खतरा मँडरा रहा है। इस बीमारी से पशुओं के पूरे शरीर में त्वचा पर बड़ी-बड़ी गाँठें बन जाती हैं। इसके दर्द से पशु बेहाल रहते हैं। दुधारू पशुओं का दूध घट जाता है। श्रमिक पशुओं की उत्पादकता घट जाती है। LSD के प्रकोप से पशुपालकों को भारी आर्थिक नुकसान होता है।
देश के 53.6 करोड़ पशुधन को ख़तरा
विश्व पशु-स्वास्थ्य संगठन यानी World Organisation for Animal Health (OIE) की 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर के पशुओं के लिए LSD को एक बेहद ख़तरनाक संक्रामक महामारी बताया है क्योंकि कोरोना की तरह इसके वायरस में भी सारी दुनिया के पशुधन तक फैलने की क्षमता है। भारत के लिए ये चेतावनी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि LSD का ख़तरा देश के 53.6 करोड़ पशुधन को है। यही पशुधन देश के करोड़ों किसानों की आजीविका हैं।
LSD का आर्थिक प्रभाव
ग़रीब और छोटे दूध उत्पादक किसान को LSD के प्रकोप से भारी नुकसान होता है। इससे दुधारू पशुओं की दुग्ध ग्रन्थियों और थन के सूखने यानी स्तनदाह के अलावा गर्भपात, कमजोरी और प्रजनन सम्बन्धी समस्याएँ पैदा होती हैं। पीड़ित पशुओं के इलाज़ और उनकी उत्पादकता घट जाने या फिर पशु की मौत से पशुपालकों को भारी नुकसान होता है। दूसरी ओर, LSD का प्रकोप फैलने पर केन्द्र तथा राज्य सरकारों को निगरानी, नियंत्रण, प्रयोगशाला परीक्षण, टीकाकरण, मुआवज़े और जागरूकता अभियान रूप में भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है।
2020 में कई राज्यों में था LSD
LSD को वैसे तो सबसे पहले 1929 में अफ्रीकी देश जाम्बिया में पहचाना गया, लेकिन साल 2013 से इसके प्रसार में ख़ासी तेज़ी दिखायी दी। अब तक इसने मध्य अफ्रीका, मध्य पूर्व, यूरोप और एशिया के देशों तक अपना प्रसार कर लिया है। भारत के अलावा बाँग्लादेश, चीन, नेपाल, भूटान और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों से पहली बार 2019 में LSD के प्रकोप की ख़बरें आयीं। इसके अगले साल यानी 2020 में भी देश के कई राज्यों ने LSD को एक बड़ी महामारी के रुप में रिपोर्ट किया। इसे देखते हुए ही ICAR- NIVEDI ने देश भर के पशुपालक किसानों को बेहद सतर्क रहने की सलाह दी है।
ये भी पढ़ें: मुँहपका-खुरपका रोग: ऐसी बातें जो पशुपालक भी शायद नहीं जानते
क्या हैं LSD के लक्षण?
LSD से संक्रमित पशुओं में 4 से लेकर 14 दिनों के बीच 40 डिग्री सेल्सियस या 104 डिग्री फ़ॉरेनहाइट जैसा तेज़ बुखार होता है। उनके नाक और आँख से स्राव (discharge) निकलता रहता है। त्वचा पर घाव या गाँठें बनने लगती हैं। दूध उत्पादन में भारी कमी होने लगती है। आमतौर पर बुखार की शुरुआत के 48 घंटों के भीतर त्वचा की गाँठें सिर, गर्दन, पीठ, पेट, थन और जननांग पर उभरने लगती हैं। पशु चिकित्सकों को सबस्कैपुलर और प्री-फेमोरल लिम्फोड्स भी बढ़े हुए नज़र आते हैं।
गम्भीर मामलों में त्वचा के घावों से पूरा शरीर ढक जाता है। कई बार पशुओं पर निमोनिया का हमला भी हो जाता है तो कभी-कभार एक या दोनों आँख की कॉर्निया (पुतली) में भी अल्सर (घाव) का सफ़ेद धब्बा भी बन जाता है, जो कई बार संक्रमित पशु को पूरी तरह से या आंशिक तौर पर अन्धा बना देता है। किसी इलाके में LSD के पहले मामले का पता लगने से लेकर इस पर काबू पाने तक 5 से लेकर 45 प्रतिशत तक पशु बीमार हो जाते हैं। इस बीमारी की चपेट में आने वाले पशुओं की मृत्यु दर 10% से ज़्यादा हो सकती है।
कैसे फैलता है LSD का संक्रमण?
LSD से संक्रमित पशु के सीधे सम्पर्क से; उसे काटने वाले मच्छर और मक्खी (जैसे स्टोमोक्सिस, ग्लोसिना, क्युलिक्वाईडीस प्रजाति) जैसे वाहकों के सम्पर्क से: उसके लार, नाक और आँखों से निकलने वाले स्राव (discharge) के सम्पर्क से और उसके वीर्य तथा भ्रूण से। संक्रमण और बीमारी का प्रकोप 2 से 3 सप्ताह और कई बार इससे भी ज़्यादा लम्बा खिंच सकता है। पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता, उसकी आयु, नस्ल पर भी रोग की संवेदनशीलता निर्भर करती है। LSD के गम्भीर मामले त्वचा के लक्षणों के कारण पहचानने या निदान करने में आसान होते हैं। हालाँकि, शुरुआती दौर में हल्के संक्रमण को पहचानना अनुभवी पशु चिकित्सकों के लिए भी मुश्किल होता है, क्योंकि LSD के अलावा हर्पीस (Herpes) वायरस के संक्रमण से भी त्वचा पर गाँठें बनने लगती हैं।

कैसे होता है LSD का निदान?
देसी नस्ल के मवेशियों की तुलना में संकर नस्ल के मवेशी LSD के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होते हैं। LSD का निदान सेल कल्चर विधि से विषाणु को अलग करके किया जाता है। त्वरित निदान के लिए RT-PCR (रियल टाइम पोलीमरेज चेन रिएक्शन) जाँच की जाती है। एंटी-LSDV यानी रोग प्रतिरोधकता का पता लगाने के लिए वायरस न्यूट्रलाइजेशन टेस्ट और इनडायरेक्ट फ्लोरोसेंट एंटीबॉडी टेस्ट का उपयोग किया जाता है। पशुओं की त्वचा के घावों, पपड़ी या अन्य ऊतकों (tissues) की प्रयोगशाला में जाँच करके वायरस के डीएनए का पता लगा सकते हैं।
LSD का पुख़्ता इलाज़ नहीं है
LSD से संक्रमित पशुओं से आसपास के अन्य पशुओं में ये बीमारी बहुत तेज़ी से फैलती है। कोरोना की ही तरह लम्पी त्वचा रोग का भी कोई पुख़्ता इलाज़ मौजूद नहीं है। इससे पीड़ित पशुओं और उनके घावों के उचित देखभाल ही इसका उपचार है। हालाँकि, घावों की देखभाल के लिए एंटीसेप्टिक्स और एंटीबायोटिक्स दवाईयाँ उपयोगी होते हैं। एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAID) का उपयोग लक्षणों को कम करने में प्रभावी हैं। LSD का पता चलने के शुरुआती दौर में ही विषाणु-रोधी टीके का इस्तेमाल करना चाहिए।
भारत में बकरी पॉक्स वैक्सीन को मंज़ूरी
अफ्रीका में मवेशियों के लिए लाइव LSD वैक्सीन उपलब्ध है। इससे क़रीब तीन सप्ताह में पीड़ित पशुओं में पर्याप्त रोग प्रतिरोधकता विकसित होती है। भारत में फ़िलहाल LSDV की कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, बैंगलुरु स्थित ICAR- NIVEDI यानी National Institute of Veterinary Epidemiology and Disease Informatics या राष्ट्रीय पशुरोग जानपदिक एवं सूचना विज्ञान संस्थान के मुताबिक, देश में LSD के प्रकोप वाले इलाकों में बकरी पॉक्स वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंज़ूरी प्राप्त है। इसी संस्थान के वैज्ञानिकों ने LSD की जाँच के लिए एक ख़ास RT-PCR किट भी विकसित की है।
कैसे करें LSD से बचाव?
संक्रमित पशुओं को बाड़ों में रखकर उनका सही उपचार करके और उनके सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति तथा वाहनों का कीटाणु-शोधन (sanitisation) करके इसे बीमारी को महामारी बनने से बचाया जा सकता है। जिस इलाके में LSD का प्रकोप नज़र आये वहाँ स्वस्थ पशुओं को मक्खी-मच्छर से बचाने के लिए मच्छरदानी या कीट रिपेलेंट्स का इस्तेमाल, पशुओं के बाड़ों के आसपास कीटनाशक का छिड़काव और फ़ॉगिंग का इस्तेमाल करना चाहिए। LSD की वजह से मरने वाले पशुओं को गहरे गड्ढे में दफ़नाना चाहिए। पशुपालकों को उन इलाकों के चारागाहों से सख़्त परहेज़ करना चाहिए जहाँ LSD का प्रकोप दिखायी दे।
नये पशुओं को LSDV मुक्त इलाकों से ही खरीदना चाहिए। नये पशुओं को कम से कम 28 दिन तक अलग बाड़े में रखने के बाद ही उन्हें अन्य पशुओं से मेल-मिलाप करने देना चाहिए। LSD के वायरस धूप और डिटर्जेंट युक्त लिपिड सॉल्वैंट्स के प्रति अति संवेदनशील हैं। लिहाज़ा, संक्रमित पशुओं को धूप से राहत मिलती है। इसके अलावा फिनाइल (2%), सोडियम हाइपोक्लोराइट (2-3%), आयोडीन यौगिक (1:33 तनुता), विरकानो (2%), क्वारेंटरी अमोनियम यौगिक (0.5%) जैसे पदार्थों के घोल से गाँठों और घावों की सफ़ाई करने से वायरस निष्क्रिय होने लगते हैं। कोई भी उपचार पशु चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए।
LSD का महामारी (जानपदिक) विज्ञान
लम्पी त्वचा रोग के वायरस (LSDV) का सम्बन्ध विषाणुओं के पॉक्सविर्डी परिवार के ‘जीनस कैप्रिपोक्स’ वायरस से है। इनका आकार ईंटनुमा होता है। अभी तक इसके सिर्फ़ एक ही सीरोटाइप का पता चला है। इसकी भेड़ पॉक्स वायरस (STPV) और बकरी पॉक्स वायरस (GTPV) से निकटता ज़रूर है, लेकिन वंशानुगत गुण अलग-अलग हैं। इसीलिए पहले वायरस के प्रति बनी रोग प्रतिरोधकता दूसरे वायरस के साथ विपरीत प्रतिक्रियाएँ (cross reactions) देती हैं।
आमतौर पर LSD का प्रकोप विभिन्न वर्षों के अन्तराल पर महामारी का रूप धारण करता है। लेकिन यह किसी भी समय उभर सकता है। कई बार सही उपचार से संक्रमण पूरी तरह ख़त्म भी हो जाता है, लेकिन बुज़ुर्ग मवेशियों के लिए अक्सर ये जानलेवा साबित होता है। मवेशियों के अलावा LSD का प्रकोप एशियाई जलीय भैंसों और अफ्रीकी हिरन की प्रजातियों में भी पाया गया है। देसी नस्लों की तुलना में विदेशी नस्लों के मवेशी LSD के संक्रमण के प्रति ज़्यादा संवेदनशील पाये गये हैं। LSD की विभिन्न अवस्थाओँ में एक ही नस्ल में भिन्न-भिन्न लक्षण मिल सकते हैं।
इंसानों में नहीं फैलता LSD का वायरस
वातावरण में इस विषाणु को जीवित रखने वाली ‘कैरियर’ पशु के बारे में अभी जानकारी नहीं है, लेकिन भेड़-बकरियों और दुधारू मवेशियों के बीच इस वायरस का सह-अस्तित्व पाया गया है। हालाँकि इनकी भूमिकाएँ भी अभी अज्ञात हैं। इसीलिए विश्व पशु-स्वास्थ्य संगठन (OIE) के साल 2018 की अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि महामारी विज्ञान (epidemiology) और वन्यजीवों पर LSDV के असर को लेकर गहन शोध की आवश्यकता है। अलबत्ता, मनुष्यों में LSD होने की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरह OIE भी एक अन्तर-सरकारी संगठन है। ये दुनिया भर में पशु स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए उत्तरदायी है। भारत समेत 182 देश इसके सदस्य हैं। इसका मुख्यालय पेरिस में है।
ये भी पढ़ें: दुधारू पशुओं को होने वाले प्रमुख रोगों की ऐसे करें पहचान, जानिये क्या हैं उपचार
अगर हमारे किसान साथी खेती-किसानी से जुड़ी कोई भी खबर या अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो इस नंबर 9599273766 या [email protected] ईमेल आईडी पर हमें रिकॉर्ड करके या लिखकर भेज सकते हैं। हम आपकी आवाज़ बन आपकी बात किसान ऑफ़ इंडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाएंगे क्योंकि हमारा मानना है कि देश का किसान उन्नत तो देश उन्नत।

ये भी पढ़ें:
- Fake And Substandard Fertilizers : नकली और घटिया खाद के धोखे को रोकने के लिए केंद्र सरकार का बड़ा कदम, अब होगी सख्त कार्रवाईकेंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Agriculture and Farmers Welfare Minister Shivraj Singh Chouhan) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर नकली और घटिया गुणवत्ता वाली खाद (Fake and poor quality fertilizers) की बिक्री पर तुरंत सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
- The Poultry Expo 2025 का इंडिया एक्सपो मार्ट, ग्रेटर नोएडा में 21 से 23 अगस्त तक होने जा रहा है आयोजनThe Poultry Expo 2025 ग्रेटर नोएडा में होगा भारत का सबसे बड़ा पोल्ट्री एक्सपो, जहां इनोवेशन, नेटवर्किंग और मार्केट की अपार संभावनाएं मिलेंगी।
- World Youth Skills Day: देश के युवा आधुनिक कृषि तकनीक, जैविक खेती के साथ कृषि क्रांति में भर रहे नई उड़ान15 जुलाई, विश्व युवा कौशल दिवस (World Youth Skills Day) के अवसर पर आइए जानते हैं कि कैसे देश के युवा आधुनिक कृषि तकनीक, जैविक खेती, कृषि-उद्यमिता (Agripreneurship) और फूड प्रोसेसिंग (Food Processing सुनहरा भविष्य बना रहे हैं।
- Ornamental Fish Rearing: सजावटी मछली पालन है फायदेमंद शौक के साथ शानदार बिज़नेस भीसजावटी मछली पालन (Ornamental Fish Rearing) न सिर्फ एक अच्छा शौक है, बल्कि एक फ़ायदेमंद बिज़नेस (Fish Farming) भी बन सकता है। अगर आपको मछलियों से प्यार है और आप कुछ अलग करना चाहते हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए ही है।
- Bio Mustard farming: सरसों की जैविक खेती को अपनाकर चुनें सालों-साल ज़्यादा उपज पाने का रास्तासरसों की जैविक खेती (Bio mustard farming) से कम लागत में अधिक मुनाफ़ा संभव है। नए शोध से साबित हुआ है कि जैविक तरीक़े से उपज को साल दर साल बढ़ाया जा सकता है।
- Google’s AI Revolution: भारतीय किसानों के लिए खुशख़बरी, AMED API नया डिजिटल साथीGoogle ने भारत के कृषि क्षेत्र को बदलने के लिए एक बड़ी पहल की है। इसके तहत AMED API (Agricultural Monitoring and Event Detection) और भारतीय भाषाओं व संस्कृति को समझने वाले एआई मॉडल्स (AI Models) लॉन्च किए गए हैं। यह न सिर्फ किसानों के लिए वरदान साबित होगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाएगा।
- भोपाल में रोज़गार मेला: शिवराज सिंह चौहान ने सौंपी युवाओं को नियुक्ति पत्र, बोले – विकसित भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदमभोपाल में शिवराज सिंह चौहान ने रोज़गार मेला में 51,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपे।
- CM योगी का ‘Green Gold’ विजन: Carbon Credits से उत्तर प्रदेश बनेगा अमीर,अयोध्या बनेगा ‘ग्रीन सिटी’योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को देश का पहला ‘कार्बन क्रेडिट हब’ (Carbon Credits Hub) बनाने की ओर बड़ा कदम बढ़ाया है।
- बिहार का ‘मखाना’ अब Global Star: सुपरफूड मखाना बिहार के किसानों की आय में लगाएगा पंख, जानें कैसे HS कोड ने बदला गेममखाना और इससे बने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अलग-अलग HS Code (Harmonized System Code) मिल गया है। ये निर्णय बिहार के किसानों, उद्यमियों और निर्यातकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
- गन्ने की प्राकृतिक खेती के साथ ही प्रोसेसिंग से अच्छी कमाई कर रहे हैं प्रगतिशील किसान योगश कुमार, जानिए उनका सक्सेस मंत्रगन्ने की प्राकृतिक खेती के साथ ही प्रोसेसिंग कर इनोवेटिव किसान योगेश कुमार बना रहे हैं नए उत्पाद और कमा रहे हैं बेहतर मुनाफ़ा।
- महाराष्ट्र सरकार का ऐतिहासिक कदम: पशुपालन को कृषि का दर्जा मिला, लाखों पशुपालकों को मिलेगा सीधा लाभमहाराष्ट्र में पशुपालन को कृषि का दर्जा मिलने से पशुपालकों को कृषि दर पर बिजली, ऋण व सब्सिडी सहित कई लाभ मिलेंगे।
- Revolution In Cotton Farming: कृषि मंत्री ने एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम’ का दिया नारा, कहा- किसानों के साथ मिलकर बढ़ाएंगे उत्पादकतादेशभर से आए कपास उत्पादक किसानों, वैज्ञानिकों और हरियाणा के कृषि मंत्री राणा सिंह के साथ मिलकर कपास की खेती (Revolution In Cotton Farming) को बेहतर बनाने पर चर्चा की। इस बैठक का मकसद था – ‘कपास की पैदावार बढ़ाना, लागत कम करना और नई तकनीकों को खेतों तक पहुंचाना।’
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से किसानों की आय में वृद्धि, बदलाव की राह पर जांजगीर-चांपा के किसानराष्ट्रीय कृषि विकास योजना से किसान अपना रहे परिवर्तन खेती का मॉडल, कम लागत में अधिक मुनाफ़ा और बन रहे आत्मनिर्भर।
- किसानों के लिए बड़ी खुशख़बरी: अब e-NAM पर इन 7 नई फसलों की भी होगी ऑनलाइन बिक्री, मिलेगा बेहतर दामअब ई-नाम (e-NAM) पोर्टल पर 238 कृषि उत्पादों की सूची में 7 नई फसलों को शामिल (7 new crops included in the list of 238 agricultural products) किया गया है।
- Big Initiative Of Bihar Government: अब आपदा में मरे मवेशियों पर मिलेगी मोटी रकम, जानें कैसे उठाएं लाभबिहार सरकार ने (Big Initiative Of Bihar Government) एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाया है। अब राज्य में बाढ़ या किसी अन्य आपदा के दौरान मरे हुए या लापता मवेशियों के बदले पशुपालकों को आर्थिक मदद (Financial help to cattle owners in lieu of dead or missing cattle) मिलेगी।
- National Conference On Cotton :11 जुलाई को कोयम्बटूर में कपास क्रांति की तैयारी, किसान भी भेज सकते हैं सरकार को अपने सुझाव11 जुलाई 2025 को कोयम्बटूर में कपास पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन (National Conference on Cotton) आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में देशभर के किसानों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के साथ मिलकर कपास उत्पादन बढ़ाने, जलवायु अनुकूल बीज विकसित करने और किसानों की आय दोगुनी करने पर मंथन किया जाएगा।
- शेखावाटी के किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़ अपनाई पॉलीहाउस में खेती की तकनीकपॉलीहाउस में खेती से किसान कमा रहे लाखों, सरकार दे रही अनुदान और ड्रिप सिस्टम से हो रही जल बचत, जानिए पूरी कहानी।
- National Fish Farmers Day 2025: भारत मना रहा नीली क्रांति का जश्न, मछली पालन में 10 साल में दोगुना हुआ उत्पादन10 जुलाई, 2025 को राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस (National Fish Farmers Day 2025) के मौके पर नए मत्स्य क्लस्टर्स (Fisheries Clusters), प्रशिक्षण कार्यक्रम (Training Programs) और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (Infrastructure Projects) की घोषणा होने जा रही है, जो इस क्षेत्र को और आगे बढ़ाएगी।
- राजस्थान के बाड़मेर जिले में खजूर की खेती बनी हरियाली और आमदनी का ज़रियाबाड़मेर में खजूर की खेती से किसानों की आमदनी में हुआ ज़बरदस्त इज़ाफ़ा, मेडजूल जैसी क़िस्मों से बदली रेगिस्तान की क़िस्मत।
- HETHA Dairy: एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने देसी गायों के एथिकल गौपालन से खड़ा किया करोड़ों का उद्योग, जानिए कैसे?HETHA Dairy देसी गौपालन का बड़ा उदाहरण है, जहां असीम रावत ने एथिकल तरीके से 1100 गायों के साथ करोड़ों का व्यवसाय खड़ा किया।