पॉलीहाउस में करेले की खेती करने से क्या होगा किसानों को फ़ायदा? जानिए इसका सही तरीका

करेला गर्मियों में मिलने वाली महत्वपूर्ण सब्ज़ी है, मगर इसके औषधिय गुणों के कारण पूरे साल बाज़ार में इसकी मांग बनी रहती है। ऐसे में किसान बिना मौसम के भी पॉलीहाउस में करेले की खेती के ज़रिए अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं।

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स्वाद में कड़वा करेला गुणों का खज़ाना है। सेहत के लिए करेला बहुत फ़ायदेमंद होता है।  ख़ासतौर पर डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए तो यह रामबाण है। करेले का जूस पीने से लेकर, इससे तरह-तरह की सब्जियां व अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं। वैसे तो करेले की खेती गर्मियों में ही की जाती है, लेकिन सरंक्षित खेती यानी पॉलीहाउस में भी इसकी खेती संभव है।

पॉलीहाउस में उचित तापमान और मिट्टी का ध्यान रखकर ठंड के मौसम में भी करेले की अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। पॉलीहाउस में बेमौसमी करेले की सफल खेती के लिए किसानों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आइए जानते हैं।

मैदानी इलाकों में करेले की बेमौसमी खेती

करेले को कारवेल्लक, कारवेल्लिका, करेल, करेली जैसे कई  नामों से भी जाना जाता है, लेकिन इसका लोकप्रिय नाम करेला ही है। आमतौर पर करेले की खेती के लिए गर्म मौसम की ज़रूरत होती है। गर्मी के साथ ही बरसात के मौसम में भी इसे उगाया जा सकता है। करेले की अच्छी फसल के लिए 25 से 35 डिग्री सेंटीग्रेट का तापमान अच्छा माना जाता है। बीजों के अंकुरण के लिए 22 से 25 डिग्री तापमान होना चाहिए। सर्दियों के मौसम में करेले की खेती खुले खेत में नहीं की जा सकती, मगर शहरी इलाके और बाज़ार के नज़दीक के गांव के किसान पॉलीहाउस तकनीक की मदद से करेले की खेती सर्दियों के मौसम में भी कर सकते हैं। करेला जल्दी खराब होने लगता है इसलिए बाज़ार के नज़दीक रहने पर इसे जल्दी बेचकर किसान मुनाफ़ा कमा सकते हैं। मैदानी इलाकों में पॉलीहाउस तकनीक से करेले की खेती के लिए सितंबर में बुवाई की जाती है। इसकी खेती क्यारियां बनाकर की जाती है।

पॉलीहाउस में करेले की खेती करने से क्या होगा किसानों को फ़ायदा? जानिए इसका सही तरीका
तस्वीर साभार- agriplus

पॉलीहाउस में करेले की खेती करने से क्या होगा किसानों को फ़ायदा? जानिए इसका सही तरीका

पॉलीहाउस में खेत की तैयारी

पॉलीहाउस में करेले की खेती के लिए पहले ऊंची और लंबी क्यारियां बनाकर उन्हें समतल किया जाता है। फिर उसमें प्रति वर्ग मीटर में 5 किलो गोबर कंपोस्ट खाद या वर्मीकंपोस्ट खाद मिलाई जाती है। साथ ही प्रति लीटर पानी में 2-4 मिलीलीटर फार्मेल्डिहाइड या दो चम्मच कार्बेन्डाजिम को घोलकर खेत में छिड़ककर खेत में अच्छी तरह मिलाया जाता है, फिर खेत को प्लास्टिक से दो हफ़्ते के लिए ढक दिया जाता है। इससे मिट्टी में कीट व रोगों का खतरा नहीं रहेगा और फसल का उच्छा उत्पादन होगा।

पॉलीहाउस के अंदर का तापमान

करेले की अच्छी उपज के लिए दिन के समय पॉलीहाउस का तापमान 20-30 डिग्री सेंटीग्रेट और रात के समय 16-18 डिग्री सेंटीग्रेट रखना चाहिए। नमी 60-80 के बीच होनी चाहिए।

करेले की बुवाई

करेले के बीजों को आप सीधे पॉलीहाउस में क्यारियां बनाकर बुवाई कर सकते हैं या फिर नर्सरी में पौध तैयार करने के बाद पॉलीहाउस में लगाएं। पौध तैयार करने के लिए प्लास्टिक ट्रे जिसे प्रो ट्रे या नर्सरी ट्रे भी कहते हैं, उसमें बीज लगाकर पौध तैयार कर सकते हैं या फिर पॉलीथीन की छोटी-छोटी थैलियों में भी इसे लगाया जा सकता है।

पॉलीहाउस में करेले की खेती करने से क्या होगा किसानों को फ़ायदा? जानिए इसका सही तरीका
तस्वीर साभार- indianfarmingguide

कटाई-छंटाई है ज़रूरी

पॉलीहाउस में करेले की फसल की 15-20 दिनों बाद नीचे से कटाई-छंटाई ज़रूरी है। शुरुआत में नीचे से एक-दो शाखा काट दें। फिर मुख्य तना या शाखा में रस्सी, सुतली आदि बांधकर ऊपर छत की तरफ बांध दें। करेले लता वाला पौधा है, इसलिए इसे रस्सी के सहारे अच्छी तरह ऊपर लटकाना ज़रूरी है।

कितने दिनों में तैयार होती है फसल

पॉलीहाउस में करेले की फसल बुवाई के 55-60 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। आगे की तुड़ाई 2-3 दिनों के अंतराल पर की जा सकती है, क्योंकि करेले की फसल जल्दी तैयार हो जाती है। तोड़ते समय ध्यान रखें कि फलों को खींचकर न तोड़ें, बल्कि धारदार चाकू या कैंची से काट लें, खींचने से पौधों के टूटने का डर रहता है।

लागत और मुनाफ़ा

पॉलीहाउस में बिना मौसम करेले की खेती करने पर प्रति 1000 वर्गीमीटर में औसतन 100-120 क्विंटल तक उपज प्राप्त होती है, जिसे 3 लाख से 3.6 लाख रुपये तक की आमदनी हो सकती है और लागत निकलाने पर 1.5 लाख से 1.8 लाख तक का शुद्ध लाभ हो सकता है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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