Table of Contents
लैंगिक वीर्य (Sexed Semen): देश की खेती-किसानी में जैसे-जैसे ट्रैक्टर जैसी मशीनों का इस्तेमाल बढ़ता गया वैसे-वैसे पारम्परिक तौर पर गाय और भैंस की नर सन्तानों यानी बछड़ों की उपयोगिता कम होती चली गयी। इसीलिए ज़्यादातर पशुपालक अब अपनी गाय या भैंस के गर्भवर्ती होने पर सिर्फ़ मादा बछड़ों के जन्म की कामना करते हैं, क्योंकि क़रीब तीन से साढ़े तीन साल की उम्र में ही बछिया जवान होकर या दूध उत्पादन करने लगती है या फिर पशुपालक किसान उसे बेचकर अच्छा दाम पा लेते हैं। प्रजनन विज्ञान ने सिर्फ़ और सिर्फ़ मादा बछड़ों या ज़्यादा से ज़्यादा मादा बछड़ों के जन्म की कामना को सच करके दिखा दिया है।
इस विज्ञान को Sexed Semen या ‘लैंगिक वीर्य’ तकनीक कहते हैं। ‘लैंगिक वीर्य’ तकनीक की अहमियत कितनी ज़्यादा है इसे समझने के लिए ज़रा कल्पना कीजिए कि यदि व्यावसायिक डेयरी के किसी कारोबारी पशुपालक के पास 100 गायें या भैंसे हों और इनमें से आधे ने नर सन्तानों (बछड़ों) को जन्म दिया तो उसके लिए बछड़ों को पालना कितना महँगा होगा और इनसे कमाई करना कितना कठिन हो जाएगा? Sexed Semen तकनीक इन्हीं मुश्किलों को हल करती है।
कैसे तैयार होता है Sexed Semen?
पैथोलॉजी और Molecular biology की विधा में Flow Cytometry (फ्लो साइटोमेट्री) एक प्रचलित तकनीक है। इस तकनीक की मशीनें, लेज़र और कम्प्यूटर की मदद से रक़्त, वीर्य या अन्य स्राव में मौजूद सूक्ष्म कणों को उनके भौतिक और रासायनिक गुणों के आधार पर पहचानने, छाँटने और गिनती करने में माहिर होती हैं।
Flow Cytometry के ज़रिये वीर्य में मौजूद X और Y क्रोमोसोम को इस आधार पर अलग-अलग किया जाता है कि एक्स क्रोमोसोम वाले शुक्राणु का आकार और उसमें मौजूद डीएनए की मात्रा वाई क्रोमोसोम वाले शुक्राणु की तुलना में 3.8% ज़्यादा होती है। यानी, X का आकार Y से बड़ा होता है। इस विधि से शुक्राणु की आकृति में ख़ास बदलाव नहीं होता है। Sexed Semen या ‘लैंगिक वीर्य’ के उत्पादन की यही प्रक्रिया है।
लैंगिक वीर्य के प्रोसेसिंग की दो तकनीकें हैं – पहला है Shorting method, जिसमें वीर्य से ‘X’ और ‘Y’ क्रोमोसोम वाले शुक्राणुओं को अलग-अलग किया जाता है। इसमें से मादा सन्तान पाने के लिए सिर्फ़ ‘X’ क्रोमोसोम वाले वीर्य का इस्तेमाल करते हैं और ‘Y’ क्रोमोसोम वाले हिस्से को या तो नर सन्तान प्राप्त करने के लिए रखते हैं या फिर फेंक देते हैं। दूसरी तकनीक के तहत, वीर्य में मौजूद ‘Y’ क्रोमोसोम को नष्ट किया जाता है।
दोनों तकनीकें अमेरिका ने विकसित की हैं और वहीं की कम्पनियाँ इस क्षेत्र में अग्रणी हैं। दोनों तकनीकें cell sorting के लिए ‘फ्लो साइटोमीटर’ का उपयोग करती हैं, जो क़रीब 25 हज़ार शुक्राणु प्रति सेकेंड की रफ़्तार से छँटाई करती हैं।
भारत में भी उपलब्ध है Sexed Semen
इस तकनीक की खोज़ 1980 के दशक में अमेरिका के कोलोराडो विश्वविद्यालय में हुई। अगले दशक में ऐसी मशीनें विकसित हुई जिससे गर्भाधान करने वाले साँढ़ या भैंसा के वीर्य से नर सन्तानें पैदा करने वाले गुणसूत्र यानी वाई क्रोमोसोम (Y-Chromosome) को अलग करना सम्भव हुआ। इसका पेटेंट विश्वविद्यालय के पास ही है, लेकिन उससे लाइसेंस लेकर साल 2001 से टेक्सास की Sexing Technologies (ST) नामक कम्पनी अमेरिका, यूरोप, कनाडा, मेक्सिको, चीन, जापान आदि देशों में Sexed Semen का उत्पादन और कारोबार कर रही है।
भारत में फ़िलहाल Sexed Semen का प्रचलन बेहद सीमित और मुख्य रूप से आयात पर निर्भर है। हालाँकि, जयपुर स्थित ‘स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसन्धान संस्थान’ के वैज्ञानिकों के मुताबिक, Sexed Semen अब भारत में भी व्यापक रूप से उपलब्ध है और आयातित Sexed Semen से बेहतर बछिया प्राप्त की जा रही हैं। भारत में लैंगिक वीर्य तकनीक की शुरुआत कोलकाता स्थित पश्चिम बंगाल सरकार की गो सम्पदा विकास संस्था के तहत Influx high speed cell sorter के उपयोग से की गयी है।

कोशिकाओं की छँटाई करने में सक्षम इस Cell sorter की उत्पादन क्षमता मादा और नर लिंग के लिए 100 से लेकर 120 लाख शुक्राणुओं को प्रति घंटा अलग-अलग करने की है। इस तरह, वहाँ रोज़ाना 40 से 50 Sexed Semen straw का उत्पादन होता है। स्ट्रा (straw) ही वो उपकरण है जिसके ज़रिये एक बार में 0.25 मिलीलीटर Sexed Semen उस मादा के कृत्रिम गर्भाधान में इस्तेमाल होता है जिससे मनचाहे लिंग यानी नर या मादा की सन्तान की चाहत होती है।
Sexed Semen की इस मात्रा में 20 से लेकर 40 लाख शुक्राणु (Sperm) होते हैं। जबकि कृत्रिम गर्भाधान की सामान्य प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 1 से लेकर 2 करोड़ तक होती है।
क्या है Sexed Semen की सफलता दर?
अब यदि बात Sexed Semen की सफलता दर यानी Success rate की जाए तो इससे 45 से 50% गाय या भैंस गर्भवती हो जाती हैं, जबकि परम्परागत कृत्रिम गर्भाधान के मामले में 60 से 70% तक सफलता मिलती है। और, यदि बात लिंग आधारित गर्भाधान की सफलता की हो तो Sexed Semen का इस्तेमाल करने पर 10 में से 9 बार मनचाहे लिंग की सन्तान की प्राप्ति होती है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि Sexed Semen से भी लाख कोशिशों के बावजूद Y-Chromosome वाले स्पर्म को शत-प्रतिशत अलग कर पाना सम्भव नहीं होता। बता दें कि Sexed Semen तकनीक के ज़रिये भारत में ‘श्रेयस’ नामक पहले बछड़े का जन्म 1 जनवरी 2011 को हुआ था। तब से अब तक उन्नत नस्ल के हज़ारों नर और मादा बछड़ों का जन्म Sexed Semen से हो चुका है।

Sexed Semen तकनीक के लिए हीफर्स हैं सबसे बेहतर
सभी स्तनधारी प्राणियों (mammals) में वयस्क नर में वीर्य में दो प्रकार के शुक्राणु होते हैं – Y-Chromosome धारक शुक्राणु और X-Chromosome धारक शुक्राणु, जबकि मादा के अंडे में सिर्फ़ Y-Chromosome वाले गुण ही पाये जाते हैं। नर सन्तान की प्राप्ति तब होती है जब माँ के Y-Chromosome के साथ पिता के X-Chromosome का निषेचन (fertilization) होता है, जबकि मादा सन्तान के मामले में माँ-बाप दोनों के Y-Chromosomes ही निषेचित होते हैं।
Sexed Semen तकनीक से मनचाही लिंग के बछड़ों को प्राप्त करने के लिए पहली बार गर्भवती होने वाली मादाएँ यानी heifers (हीफर्स) को सबसे बेहतर पाया गया है क्योंकि इनके शीघ्र गर्भधारण की दर काफ़ी ऊँची होती है। लैंगिक वीर्य की इस तकनीक से तीसरे गर्भधारण तक अच्छे नतीज़े मिले हैं।
Sexed Semen का भारत में प्रचलन
पंजाब के 7,000 से ज़्यादा व्यावसायिक डेयरी मालिकों के संगठन Progressive Dairy Farmers Association (PDFA) ने साल 2008 में पहली बार अमेरिका से 25 हज़ार sexed semen straws का आयात किया। हीफर्स के गर्भाधान में Sexed Semen की तकनीक के उत्साहवर्धक नतीज़े मिले। तब से PDFA लगातार आयात कर रहा है। इसका दाम उसे प्रति स्ट्रॉ डेढ़ से दो हज़ार रुपये बैठता है। साल 2011 से पंजाब सरकार ने भी Sexed Semen को आयात करने और इसके दाम पर सब्सिडी देना शुरू किया।
इससे पहले साल 2015 में ICAR-NDRI (National Dairy Research Institute, Karnal) की ओर से प्रस्तावित ‘Semen Sexing in Cattle’ नामक प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दी गयी। 2018 में National Agriculture Science Fund (NASF) के ज़रिये NDRI बैंगलुरू को भी इस प्रोजेक्ट से जोड़ दिया गया। इसके अलावा, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत लैंगिक वीर्य तैयार करने की सुविधा विकसित करने के लिए फरवरी 2022 तक 12 राज्यों में सीमेन स्टेशन बनाने की मंज़ूरी दी गयी तथा ऐसे 10 केन्द्रों की स्थापना के लिए केन्द्र सरकार ने अपनी हिस्सेदारी की रक़म भी जारी कर दी।
ये राज्य हैं – गुजरात, हरियाणा, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश।
क्यों भारत में सीमित है Sexed Semen का प्रचलन?
Sexed Semen को आनुवांशिक रूप से बेहतर और लाभदायक बताया गया है, क्योंकि इसे सिर्फ़ उम्दा नस्ल की चुनिन्दा साँढ़ या भैंसा से हासिल किया जाता है और प्रसव में कठिनाई नहीं होती। Sexed Semen से गर्भाधान का विकल्प पशुपालक किसानों को ख़ासा महँगा पड़ता है। क्योंकि पशु चिकित्सालयों में होने वाले सामान्य कृत्रिम गर्भाधान का दाम जहाँ क़रीब 50 रुपये है, वहीं आयातित Sexed Semen का दाम 1500 से लेकर 4000 रुपये तक बैठता है।
Sexed Semen की बेहतर नतीज़ों के लिए कृत्रिम गर्भाधान में कुशल और अनुभवी टेक्नीशियन को ही इसका इस्तेमाल उस वक़्त करना चाहिए जबकि गाय या भैंस में गर्भाधान के लिए पर्याप्त आतुरता यानी गर्मी के लक्षण दिखायी दें।
अभी व्यावसायिक रूप से सिर्फ़ Holstein Friesians (होल्सटेन फ्रिसियन) और जर्सी जैसी विदेसी संकर नस्लों की गायों के लिए ही देश में Sexed semen की माँग है। संकर नस्लों के बछड़ों को डेयरी मालिक पालना नहीं चाहते और सड़कों पर छोड़ देते हैं। इसीलिए आवारा पशुओं की समस्या तेज़ी से बढ़ रही है। दूसरी ओर, भारतीय नस्लों की गाय और भैंस के लिए लैंगिक वीर्य उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, डेयरी विशेषज्ञों का मानना है कि सहवाल, गीर जैसी लोकप्रिय देसी गायों और मुर्रा जैसी भैंस की ख़ास देसी नस्लों के लिए भी लैंगिक वीर्य तैयार किया जा सकता है।
सामान्य कृत्रिम गर्भाधान करवाने वाले ज़्यादातर सेवा प्रदाताओं (Service Providers) के पास Sexed semen का इन्तज़ाम नहीं है। दरअसल, Sexed semen straw के आयात के लिए केन्द्र या राज्य सरकारों के डेयरी विभाग की अनुमति के पास विदेश व्यापार महानिदेशक से परमिट हासिल करना पड़ता है। इसके अलावा, आयातक के लिए Sexed semen के उपयोग और इससे पैदा हुई सन्तान का भी रिकॉर्ड रखना भी अनिवार्य है।
माना जाता है कि देश में जैसे-जैसे Sexed Semen का प्रचलन बढ़ेगा वैसे-वैसे आवारा पशुओं की समस्या में भी कमी आएगी। पशुपालकों को अवांछित नर बछड़ों की समस्या नहीं झेलनी पड़ेगी। ज़्यादा मादा बछड़े पैदा होंगे तो दूध का उत्पादन और पशुपालकों की आमदनी भी बढ़ेगी।
क्या बछड़ियों से चाहत से वीर्य की किल्लत होगी?
डेयरी विशेषज्ञ की साफ़ राय है कि Sexed Semen तकनीक का प्रचलन बढ़ने के बावजूद साँढ़ और भैंसा की संख्या कभी इतनी कम नहीं होगी कि प्रोसेसिंग के लिए उनका वीर्य ही कम पड़ने लगे। दरअसल, डेयरी सेक्टर को उच्च प्रजनन क्षमता वाले जिस स्तर के नर पशुओं की ज़रूरत पड़ती है उन्हें सीमेन स्टेशन पर पाला जाता है और वहीं उनके वीर्य को प्रशीतित (frozen) करके रखते हैं तथा किसानों को उपलब्ध करवाते हैं।
इस तरह नर पशुओं की आबादी भी नियंत्रित रहेगी और उनका वंश भी बढ़ता रहेगा। वैसे भी Sexed semen के इस्तेमाल में भी 100 में से 90 ही तो मादाएँ पैदा होंगी, बाक़ी 10 प्रतिशत तो नर ही होंगे। और हाँ, ये तो कभी सम्भव होगा ही नहीं कि सारा का सारा गोवंश सिर्फ़ sexed semen ही इस्तेमाल करेगा और बछड़ा पैदा ही नहीं होगा।
ये भी पढ़ें: Lumpy skin disease: कैसे बढ़ रहा है दुधारु पशुओं में LSD महामारी का ख़तरा? पशुपालकों को सतर्क रहने की सलाह
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- VIV ASIA Poultry Expo 2026: भारत में पहली बार होने जा रहा है लाइव स्टॉक एक्सपो का महाकुंभ!दुनिया के सबसे बड़े लाइव स्टॉक और पोल्ट्री एक्सपो (The world’s largest livestock and poultry expo) में से एक, VIV ASIA, (VIV ASIA Poultry Expo 2026) अब भारत में होने जा रहा है। ये पहली बार है जब ये प्रतिष्ठित एक्सपो थाईलैंड और यूरोप से निकलकर भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
- हेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा नया सहाराहेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक (Bio-plastic being made from hemp waste) दे रही पर्यावरण को राहत और गांवों को रोज़गार, संभल में शुरू हुआ हरित नवाचार।
- 200 Years of Assam Tea: स्वाद, विरासत और इनोवेशन संग न्यूयॉर्क में जश्न, धूमधाम से मना असम चाय का द्विशताब्दी समारोहन्यूयॉर्क में समर फैंसी फूड शो 2025 (Summer Fancy Food Show 2025) में असम चाय के 200 साल पूरे (200 Years of Assam Tea) होने का भव्य उत्सव मनाया।
- National Turmeric Board Inaugurated: किसानों को मिली बिचौलियों से मुक्ति, अब दुनियाभर में धाक जमाएगी ‘निज़ामाबाद की हल्दी’केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Cooperation Minister Amit Shah) ने ‘राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड’ (National Turmeric Board) का उद्घाटन किया। ये कदम दशकों से हल्दी किसानों की मांग को पूरा करने वाला साबित होगा।
- गुना का गुलाब अब महकेगा पेरिस और लंदन तक – गुलाब की खेती से किसानों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय बाज़ारगुलाब की खेती से गुना के किसान अब पेरिस और लंदन में गुलाब भेजने को तैयार हैं। गुना का गुलाब देगा अंतरराष्ट्रीय पहचान।
- Obesity in India: पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में की ‘कम तेल,अच्छी सेहत’ की अपील, FSSAI ने दिये मोटापा कम करने के ज़बरदस्त टिप्स!मोटापे की बढ़ती समस्या (Obesity in India) पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी मुहिम शुरू करने का आग्रह किया है। यह सिर्फ एक सुझाव नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय मिशन है, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है। साथ ही, FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) और AIIMS की विशेषज्ञ डॉ. स्वप्ना चतुर्वेदी ने स्वस्थ खानपान के ऐसे ऑप्शन सुझाए हैं, जो न सिर्फ आसान हैं बल्कि सेहत के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।
- डोंडुबाई हन्नू चव्हाण जिन्होंने अपनाई एकीकृत कृषि प्रणाली और बदल दी ज़िंदगीएकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर डोंडुबाई चव्हाण ने खेती की तस्वीर बदली, कम ज़मीन में हासिल की लाखों की कमाई और सम्मान।
- Agri Infra Fund (AIF): किसानों और उद्यमियों के सपनों को कृषि इंफ्रा फंड दे रहा नई उड़ान, जानिए कैसे करें अप्लाईकृषि अवसंचना कोष (Agri Infra Fund – AIF) के जरिए सरकार किसानों, एग्री-उद्यमियों, FPOs (किसान उत्पादक संगठनों) और कृषि व्यवसायियों को वित्तीय सहायता देकर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में मदद कर रही है।
- DialogueNEXT 2025: विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन, CIMMYT और बोरलॉग संस्थान के साथ किसानों से होगा संवाद, बढ़ेगी विज्ञान की रफ्तार!DialogueNEXT 2025 का आयोजन ICAR, विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन (World Food Prize Foundation), CIMMYT और बोरलॉग इंस्टीट्यूट (Borlaug Institute) के साथ मिलकर 8-9 सितंबर 2025 में किया जा रहा है।
- Agri Stack: ‘किसान पहचान पत्र’ से लेकर किसानों का नया डिजिटल साथी Multilingual AI Chatbot के बारें में अहम बातेंएग्री स्टैक (Agri Stack) भारत सरकार की एक डिजिटल पहल है, जिसका उद्देश्य किसानों को तकनीक के जरिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। भारत सरकार की ‘एग्री स्टैक’ (‘Agri Stack’) पहल के तहत एक मल्टीलिंगुअल AI चैटबॉट लॉन्च (Multilingual AI chatbot) किया गया है, जो किसानों को उनकी भाषा में सलाह देता है।
- प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना सप्ताह 1 जुलाई से आरंभ, इस ख़रीफ़ सीजन में अपनाएं PMFBY का सुरक्षा कवचख़रीफ़ 2025 के लिए फ़सल बीमा पंजीकरण शुरू हो रहा है। प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना से फ़सल और किसान दोनों होंगे सुरक्षित।
- बुरहानपुर में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत कृषि सखियां बनीं गांव की नई कृषि मार्गदर्शकराष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से जुड़कर कृषि सखियां गांवों में प्राकृतिक खेती का ज्ञान फैला रही हैं और महिला किसानों को सशक्त बना रही हैं।
- Cloud Farming: क्लाउड फ़ार्मिंग आसमान से फ़सलों को पानी देने का एक नया तरीकाक्लाउड फ़ार्मिंग (Cloud Farming) एक तकनीक है जिससे कोहरे, धुंध और ओस जैसे अदृश्य जल स्रोतों को इकट्ठा कर सूखे क्षेत्रों में पानी जुटाया जाता है।
- Red Flour Beetle: अनाज का दुश्मन नंबर-1 ‘लाल आटा बीटल’ से बचाव के लिए IARI ने टेस्ट डेवलप किया‘लाल आटा बीटल’ (Red Flour Beetle) भंडारित अनाज को अंदर से खोखला कर देते हैं। ये कीट न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में किसानों और अनाज भंडारकर्ताओं (grain storekeepers) के लिए एक बड़ी समस्या बने हुए हैं।
- Improved Varieties Of Soybean: जीनोम एडिटिंग से तैयार की जाएंगी सोयाबीन की उन्नत किस्में, कृषि मंत्री का ऐलानभारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (Indian Soybean Research Institute) में आयोजित बैठक की। अब जीनोम एडिटिंग (Genome Editing) के ज़रीये से सोयाबीन की उन्नत किस्मों (Improved Varieties of Soybean) को उगाया जाएगा।
- समुद्र का रंग-बिरंगा जादूगर Clownfish: CMFRI ने क्लाउनफिश के Captive Breeding में सफलता पाईभारत के केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (Central Marine Fisheries Research Institute) यानि CMFRI ने हाल ही में क्लाउनफिश (Clownfish) के बंदी प्रजनन (Captive breeding) में सफलता हासिल की है। इससे न सिर्फ़ समुद्री सजावटी मछलियों (marine ornamental fishes) के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी कम होगा।
- Permaculture: सिंगापुर से लौटकर अमनिंदर नागरा ने भारत में शुरू की प्राकृतिक खेतीपर्माकल्चर (Permaculture) और टेरेस गार्डनिंग से अमनिंदर नागरा ने अपने खेत को बनाया हरियाली का प्रतीक और गांव को दिया आत्मनिर्भरता का रास्ता।
- मिट्टी की सेहत अब मिनटों में जानिए! ICRISAT की नई तकनीक किसानों के लिए साबित होगी वरदानICRISAT (अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है, जो मिट्टी की सेहत का पता कुछ ही मिनटों में लगा देगी।
- National Fisheries Digital Platform (NFDP): राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मछली पालक करें रजिस्ट्रेशन, पाएं स्वागत प्रोत्साहन राशिराष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म (NFDP) एक ऑनलाइन पोर्टल है, जिसका उद्देश्य मछुआरों और मत्स्य किसानों को औपचारिक बैंकिंग और सरकारी योजनाओं से जोड़ना है। इस प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन करके वे बैंक लोन,, मत्स्य बीमा, प्रदर्शन अनुदान और अन्य वित्तीय सहायता पा सकते हैं।
- International Potato Center To Be Built In Agra: आगरा के किसानों को मिलेगी हाईटेक आलू की किस्में, बढ़ेगा निर्यातआगरा ज़िले के सिंगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना (International Potato Center To Be Built In Agra) को मंज़ूरी दे दी है। ये फैसला भारतीय कृषि के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है