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Colourful Cauliflower: रंगीन फूलगोभी की खेती अपनाएं, सेहत और मुनाफा दोनों बढ़ाए

रंगीन फूलगोभी में होते हैं ज़रूरी खनिज

रंगीन फूलगोभी दिखने में ही नहीं, खाने में और फिर सेहत के लिहाज़ से भी बहुत फ़ायदेमंद है। इसे उगाने के लिए गोभी की क़िस्म, बीज की मात्रा और बुवाई के समय का ख़ास ध्यान रखना होता है।

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जीवन में रंगों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसका असर हमारे जीवन से जुड़े पहलुओं पर भी होता है। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते है कि इन रंगों का असर हमारी सेहत पर भी पड़ता है। ऐसा ही एक उदाहरण है रंगीन फूलगोभी। इसकी खेती फूलगोभी की तरह ही होती है। इसकी खेती करके किसान भाई अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। रंगीन फूलगोभी की खेती के बारे में कृषि विज्ञान केन्द्र समस्तीपुर, बिहार के प्रमुख और सब्ज़ी फसल विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने रंगीन फूलगोभी की खेती की तकनीक और इसके फ़ायदों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह
डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह

सेहतमंद सब्जी है रंगीन फूलगोभी

सब्जी फसल विशेषज्ञ डॉ अभिषेक प्रताप सिंह ने  बताया कि रंगीन फूलगोभी स्वाद में ही नहीं स्वास्थ्य के लिए भी गुणकारी है। इस फूलगोभी में कैरोटीनॉइड, फ्लेविनॉइड, एस्कॉर्बिक एसिड, पोटैशियम, एन्टी-ऑक्सीडेन्ट, विटामिन ‘पी’ और जरुरी खनिज पाए जाते हैं। इसको खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दैनिक आहार में पीली गोभी को शामिल करने से न सिर्फ स्वास्थ्य बेहतर होता है बल्कि त्वचा भी चमकदार बनती है। जिस व्यक्ति की इम्युनिटी कमजोर है उसके लिए ऐसी फूलगोभी का सेवन करना लाभकारी है।

Colourful Cauliflower: रंगीन फूलगोभी

रंगीन फूलगोभी की किस्म, बीज की मात्रा तथा बुवाई का समय 

सब्जी विशेषज्ञ डॉ सिंह ने बताया कि रंगीन फूलगोभी में कैरोटीन (पीला रंग) एवं बैलीटीना (बैंगनी रंग) मुख्य संकर किस्में है। इसकी खेती के लिए सितम्बर -अक्टूबर महीने में नर्सरी तैयार कर लेनी चाहिए। इसके लिए 100-125 ग्राम बीज प्रति एकड़ खेत के लिए पर्याप्त है।डॉ अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि जैसे सामान्य फूल गोभी होती है उसी तरह इसकी खेती के लिए ठंडी एवं आर्द्र जलवायु की जरूरत होती है।  रंगीन फूलगोभी की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। जहां जीवाश्म पदार्थ की मात्रा ज़्यादा हो, जल निकासी की व्यवस्था हो, वहाँ पर इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि मृदा का pH मान 5.5 से 6.6 हो तो खेती के लिए बेहतर होता है । खेत की  तैयारी के लिए 3-4 बार जुताई करने के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए।

Colourful Cauliflower: रंगीन फूलगोभी

रंगीन फूलगोभी की रोपाई का तरीका 

रंगीन फूलगोभी की खेती के लिए जब पौधे 4-5 सप्ताह के हो जाएं तब खेत में 60X 60 से.मी. और 60X45 से.मी. की दूरी पर रोपाई करनी चाहिए। रोपाई  के बाद हल्की सिंचाई करने की जरूरत होती है।

कब और कितना करें खाद एवं उर्वरक का इस्तेमाल 

डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि सब्जी की खेती के लिए गोबर की सड़ी हुई खाद उपलब्ध हो तो 100 क्विंटल खेत में गोबर की खाद और कम्पोस्ट की पूरी मात्रा रोपाई के 15 दिन पहले ही मिला देनी चाहिए। 45 से 50  किलोग्राम नाइट्रोजन, 25  किलोग्राम फॉस्फोरस और 15-16  किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा एंव नाइट्रोजन की आधी मात्रा पौध रोपण के 3 दिन पहले खेत में डालकर अच्छी तरह से मिला लेते हैं। बाकी बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा को दो बराबर भागों में बांटकर रोपाई के 30-35 दिन और 45 से 50 दिनों के अन्तराल पर टॉप ड्रेसिंग के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा अमोनियम मोलिबेट 600 ग्राम और बोरॉन की 5 किलोग्राम मात्रा को प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में निराई- गुड़ाई एवं मिट्टी चढाने के समय देना चाहिए।

Colourful Cauliflower: रंगीन फूलगोभी

सिचांई और खरपतवार नियंत्रण

सब्जी विशेषज्ञ डॉ सिंह ने बताया कि इसकी सफल खेती के लिए पौधा रोपने़ के बाद जरूरत के हिसाब से 10 से 15 दिनों के अन्तराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए। रंगीन फूलगोभी की रोपाई के तीन सप्ताह बाद निराई-गुड़ाई कर मिट्टी चढ़ाने का काम करना चाहिए और ज़रूरत के हिसाब से निकाई-गुड़ाई करते रहना चाहिए।

Colourful Cauliflower: रंगीन फूलगोभी

रंगीन फूलगोभी लगने वाले कीटों और रोग का प्रबंधन 

सब्जी विशेषज्ञ ने बताया कि, रंगीन फूलगोभी में लगने वाले प्रमुख कीट डायमंड बैक मॉथ और  सरसों की मक्खी की रोकथाम के लिए जैविक दवा बैसिलस धूरिंजिएंसिस के घोल का छिड़काव करना चाहिए। व्यस्क कीट को पकड़ने के लिए फेरोमेान ट्रैप का इस्तेमाल करें।

रंगीन फूलगोभी में अर्धगलन के लिए बीज को ट्राइकोडर्मा 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित और भूमि में 20 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से उपयोग कम्पोस्ट में मिलाकर करें। इस रोग के लगने की दशा में पौधशाला में सिंचाई नहीं करनी चाहिए । वहीं दूसरे प्रमुख रोग काला विगलन का जब अटैक हो तो रोग ग्रसित पौधों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए। इस रोग के रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और स्ट्रैप्टोसाइक्लीन 200 पी0 पी0 एम0 का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

Colourful Cauliflower: रंगीन फूलगोभी

लाभ की खेती है रंगीन फूलगोभी

सब्जी फसल विशेषज्ञ अभिषेक ने बताया कि पौध रोपण के 100-110 दिनों बाद रंगीन फूलगोभी की फसल कटाई योग्य तैयार हो जाती है… इससे लगभग 100 से 125 क्विंटल प्रति एकड़ औसत उपज मिलती है। रंगीन फूलगोभी की खेती में आय और खर्च के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर किसान एक एकड़ में फूल गोभी की खेती करता है तो लगभग 50 हजार का खर्च आएगा। ये 25 रुपये किलो के हिसाब से आसानी से बाज़ार में बिक जाता है । इस तरह 100 क्विंटल से लगभग 2.5 लाख रूपये कुल आमदनी होगी। लागत खर्च घटा दिया जाए तो किसान को दो लाख शुद्ध मुनाफ़ा होगा।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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