लिलियम की खेती (Lilium): नगालैंड की अमेनला ने अपने शौक को बनाया बिज़नेस, जानिए लिलियम फूल में क्या है ख़ास
बागवानी करने से पहले लैब असिस्टेंट थीं अमनेला
नगालैंड की रहने वाली अमेनला भी अपने घर के पीछे लिलियम की खेती कर रही हैं। अमेनला को बचपन से ही फूलों से लगाव रहा है। फूलों के प्रति इसी प्यार ने उन्हें बागवानी के लिए प्रेरित किया।
अनाज और सब्ज़ियों की खेती के अलावा फूलों की खेती से भी किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। ये ज़रूर है कि फूलों की खेती मौसम पर निर्भर करती है। सभी तरह के फूल हर मौसम में नहीं खिलते, लेकिन फूलों की खेती में मुनाफ़ा अच्छा होता है। नगालैंड की रहने वाली अमेनला भी अपने घर के पीछे खूबसूरत फूल लिलियम की खेती कर रही हैं।

लैब असिस्टेंट से बनीं किसान
नगालैंड के मोकोकचुंग टाउन के पास चुचुयिमपांग गांव की रहने वाली अमेनला को बचपन से ही फूलों से लगाव रहा है। फूलों के प्रति इसी प्यार ने उन्हें बागवानी के लिए प्रेरित किया। बागवानी करने से पहले अमेनला एक कॉलेज में लैब असिस्टेंट की नौकरी किया करती थी।
एक मौके ने बदल दी ज़िंदगी
एक दिन उन्हें बागवानी विभाग की ओर से क्षेत्र में फूलों की खेती को बढ़ावा देने का मौका मिला। इस दौरान ही उन्होंने सोचा क्यों न अपने पैशन और फूलों के प्रति लगाव को ही प्रोफ़ेशन बनाया जाए। ख़ासतौर पर जब बागवानी विभाग इस काम में उनकी मदद के लिए तैयार था। बागवानी विभाग के एक प्रोजेक्ट के तहत अमेनला ने अपने घर के पीछे एक पॉलीहाउस का निर्माण करवाया। इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी के साथ मिलकर लिलियम के फूलों की खेती शुरू कर दी।

मार्केट बनाना सीखा
जब फूल उगने लगे तो उन्होंने इसे अच्छे दाम पर बेचने के लिए भी बागवानी विभाग से मदद ली और खरीददारों की सूची प्राप्त की। धीरे-धीरे फूलों से जुड़े इस व्यापार की बारीकियां वो समझने लगीं। स्थानीय बाज़ार की बजाय सीधे प्राइवेट कंपनियों को फूल बेचने लगीं। हर दो महीने में करीबन 20 हज़ार रुपये तक का मुनाफ़ा होने लगा। अमेनला अपने इस व्यवसाय से खुश हैं, क्योंकि उन्हें घर छोड़कर कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है और उनकी आमदनी भी बढ़ रही है।

कैसे की जाती है लिलियम की खेती?
लिलियम को लिली के नाम से भी जाना जाता है। ये एक विदेशी फूल है। सजावटी फूलों में इसकी काफ़ी अच्छी मांग है। इसकी खेती नेटहाउस या पॉलीहाउस में की जाती है। अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच इसके बल्ब (कंद) लगाए जाते हैं, जिससे पौधे तैयार होते हैं। पहाड़ी इलाकों में इन्हें फरवरी से मार्च के बीच लगाया जाता है।

लगभग 60 से 70 दिनों बाद लिलियम के फूल तैयार हो जाते हैं। लिलियम की खेती कम तापमान वाले इलाके में की जाती है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए दिन का तापमान 25 सेंटीग्रेड से कम और रात का 12 सेंटीग्रेड से कम नहीं होना चाहिए। इसकी खेती के लिए भरपूर बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है। मिट्टी का पीएच 5 से 7 के बीच होना चाहिए। साथ ही बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी कर लें। अगर मिट्टी में बालू कम है तो गोबर की खाद के साथ ही बालू भी मिलाएं, इससे फसल अच्छी होगी। समय-समय पर निराई-गुड़ाई भी करते रहे।

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