नारियल की खेती में Mixed-Cropping तकनीक हो रही है हिट, फैशन डिज़ाइनिंग छोड़ खेती को अपनाया

लीनिशावास की दिलचस्पी फैशन डिज़ाइनिंग में थी, लेकिन खेती के प्रति उनका जुड़ाव ऐसा हुआ कि उन्होंने ट्रेनिंग लेने के बाद खेती में ही अपना करियर बनाने का फैसला किया। आज वो Mixed-Cropping तकनीक के लिए जानी जाती हैं।

Mixed-Cropping

जब आप अपना मनपसंद काम करते हैं, तो उसे पूरी शिद्दत से करते हैं और जिस काम को शिद्दत से किया जाए उसमें सफलता ज़रूर मिलती है। केरल के कालीकट ज़िले की रहने वाली लीनिशावास की पहली पसंद भले ही खेती नहीं थी, लेकिन जब उनकी रूची जगी तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज वो अपने क्षेत्र में नये-नये प्रयोगों के लिए जानी जाती है।  Mixed-Cropping तकनीक अपनाकर उन्होंने खेती से अपनी जीवनशैली को सुगम बनाया है। 

कैसे की खेती की शुरुआत?

लीनिशावास की दिलचस्पी फैशन डिज़ाइनिंग में थी, लेकिन फेसबुक पर एक एग्रीकल्चर ग्रुप से वह जुड़ी हुई थीं और बस वहीं से उनका मन फैशन डिज़ाइनिंग छोड़ खेती में रम गया। दरअसल, इस फेसबुक ग्रुप पर मिले सहयोग और प्रोत्साहन ने ही उन्हें खेती में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। वह इस ग्रुप की सक्रिय सदस्य थीं। शुरुआत में उन्होंने 50 बैग में सब्ज़ियां उगानी शुरू की और अब 300 से अधिक बैग में पत्तागोभी, फूलगोभी, गाजर, चुकंदर, मोरिंगा, शिमला मिर्च, बैंगन, अमरनाथ, मिर्च, टमाटर, भिंडी जैसी कई तरह की सब्ज़ियां उगा रही हैं। वह नारियल के साथ मिश्रित खेती (Mixed-Cropping) भी कर रही हैं। नारियल के पेड़ के नीचे जिमीकंद (Elephant Foot Yam), टैपिओका/कसावा (Tapioca), केला, ड्रैगन फ्रूट जैसे फलों का उत्पादन इंटरक्रॉप के रूप में करती हैं।

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तस्वीर साभार: ICAR-Central Plantation Crops Research Institute (सांकेतिक तस्वीर)

कई तरह की गतिविधियों में हैं शामिल

वह नारियल में मिश्रित खेती (Mixed-Cropping) के साथ ही मुर्गीपालन, खरगोश पालन, सजावटी मछलियों का पालन भी कर रही हैं। इसके अलावा, वह कई तरह के इनडोर और सजावटी पौधें भी उगाती हैं।  

ट्रेनिंग से मिली कुशलता

लीनिशावास ने दिसंबर 2020 में नर्सरी मैनेजमेंट से जुड़े ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पाइस रिसर्च, कोझीकोड द्वारा ATMA के ज़रिए ग्रामीण युवाओं के लिए आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में मिले प्रशिक्षण का इस्तेमाल करके उन्होंने अपनी फ़ार्म गतिविधियों में सुधार किया। Mixed-Cropping अपनाई और दूसरे किसानों के लिए मिसाल पेश की।

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तस्वीर साभार: agricoop

नारियल की खेती में Mixed-Cropping तकनीक हो रही है हिट, फैशन डिज़ाइनिंग छोड़ खेती को अपनायाकेक बनाने का भी करती हैं काम

लीनिशावास दूसरे किसानों को ऑर्गेनिक रूप से उगाई सब्ज़ियों की सप्लाई करने के साथ हीं सब्ज़ियों के बीज भी उन्हें सप्लाई करती हैं। इसके अलावा, वह देसी चूज़ों को भी ज़रूरतमंदों को देती हैं। कई स्कूली छात्र और किसान उनके खेत का दौरा करते हैं। वह उन्हें फ़ार्म की कई गतिविधियों के बारे में शिक्षित करने और प्रेरित करने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। फ़ार्म गतिविधियों के साथ ही वह केक बनाने का काम भी करती हैं। इसके लिए उन्होंने एक इकाई भी बनाई हुई है। वह अपनी मुर्गियों के अंडे से ही हेल्दी और टेस्टी केक भी बनाती हैं, जिसे किफ़ायती दाम पर बेचती हैं। उनकी केक इकाई को FSSAI का लाइसेंस भी प्राप्त है।

मिल चुके हैं कई अवॉर्डस 

2019 में कृषि अधिकारी द्वारा फेसबुक ग्रुप के माध्यम से उन्हें बेस्ट किचन गार्डन (ग्रो बैग खेती) का पुरस्कार मिल चुका है। राज्य के कृषि मंत्री द्वारा 2019 में फेसबुक ग्रुप के ज़रिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ नारियल आधारित अंतरफसल खेती (Intercropping) के लिए भी पुरस्कार मिल चुका है।

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तस्वीर साभार: agricoop

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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