स्वीट कॉर्न की खेती में उन्नत किस्म और तकनीक का इस्तेमाल, पढ़िए मिज़ोरम के इन किसानों की कहानी

मिजोरम के जनजातीय किसान पहले कम उपज देने वाली मक्का की खेती करते थे, जिससे उनका लाभ सीमित रहता था, मगर स्वीट कॉर्न की खेती शुरू करने के बाद उनका मुनाफ़ा कई गुना बढ़ गया और किसानों के जीवनस्तर में सुधार हुआ।

स्वीट कॉर्न की खेती

मिज़ोरम की लुशाई पहाड़ियों में झूम खेती के तहत उगाई जाने वाली फसलों में मक्का प्रमुख फसल है। हालांकि, यहाँ मक्के की अधिकांश किस्में कम उपज वाली हैं, जो देरी से तैयार होती हैं। यहाँ के किसान उच्च उपज देने वाली मक्का की हाइब्रिड किस्मों का लाभ नहीं उठा पा रहे थे। मगर ICAR की एक पहल ने मिज़ोरम के लुशाई के रहने वाले किसानों की ज़िंदगी बदल दी।

2018 में शुरू हुई स्वीट कॉर्न की खेती

पंजाब के लुधियाना स्थित ICAR-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान ने ICAR-अनुसंधान परिसर, उमियाम, मेघालय के सहयोग से ‘पूर्वोत्तर क्षेत्र में मक्का उत्पादन की उन्नत प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना’ नाम से एक परियोजना की शुरुआत की। कार्यक्रम के तहत झूम (वर्षा आधारित) और स्थायी कृषि (रबी मौसम में निचले इलाकों में) दोनों का अभ्यास करने वाले किसानों को स्वीट कॉर्न की खेती के बारे में जानकारी दी गई। किसान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर स्वीट कॉर्न की खेती करने लगे। बड़े पैमाने पर स्वीट कॉर्न की खेती करने से किसानों की सालाना आय में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गई।

स्वीट कॉर्न की खेती में उन्नत किस्म और तकनीक का इस्तेमाल, पढ़िए मिज़ोरम के इन किसानों की कहानी
तस्वीर साभार-icar

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स्वीट कॉर्न की सफल खेती

परियोजना के तहत मिज़ोरम के कोलासिब ज़िले के तुइचहुआहेन गाँव की जोनुनसंगी ने खरीफ पूर्व मौसम के दौरान बिना किसी खाद व कीटनाशकों के इस्तेमाल के ही पहाड़ी ढलानों में स्लैश और बर्न कृषि के तहत स्वीट कॉर्न की खेती सफलतापूर्वक की। उनकी सफलात से प्रेरित होकर गाँव के पास के निचले घाटी क्षेत्रों के किसानों ने भी चावल के परती में रबी स्वीट कॉर्न की खेती करनी शुरू कर दी। 2018 में स्वीट कॉर्न की खेती की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे इसका क्षेत्र बढ़ता ही गया। पिछले दो सालों में इसमें 29.3 प्रतिशत की बढोतरी हुई।

वनलालरुई नाम के किसान ने भी फ्रेंचबीन्स और राजमा छोड़कर स्वीट कॉर्न की खेती शुरू कर दी और अब वह अपने गाँव के सफल स्वीट कॉर्न उत्पादक हैं। वह बड़े पैमाने पर व्यावसायिक स्तर पर इसकी खेती करते हैं।

सब्ज़ी की खेती छोड़ उगाने लगें स्वीट कॉर्न

वनललहरिता ने अपने पारंपरिक रबी फसल सरसों की खेती छोड़ स्वीट कॉर्न की खेती शुरू कर दी और वह अपने खेत में किसी भी तरह के रासायनिक खाद या कीटनाशक का प्रयोग करने से बचते हैं। उन्होंने सितंबर 2019 से जनवरी 2020 तक स्वीट कॉर्न की पांच बुवाई की। स्वीट कॉर्न की खेती के दो मॉडल स्थातिप किए गए। पहला वाणिज्यिक पैमाने पर और दूसरा जैविक स्वीट कॉर्न की खेती छोटे पैमाने पर किसानों के लिए।

वनललहरिता ने स्वीट कॉर्न की खेती के लिए मल्टीपल सोइंग विंडो (multiple sowing windows) का इस्तेमाल किया जिससे उन्हें एकल बुवाई खिड़की का उपयोग करने वाली वनलालरुई से 20.6 प्रतिशत अधिक कमाई हुई।

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तस्वीर साभार- icar

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कितनी बढ़ी किसानों की कमाई

2019-20 के दौरान जोनुनसांगी ने पिछले वर्षों में स्थानीय चिपचिपे मिम्बन लाइन्स की अपनी पारंपरिक खेती की तुलना में स्वीट कॉर्न की खेती से 110.3% अधिक कमाई की।

कोविड लॉकडाउन के दौरान भी मिज़ोरम के स्वीट कॉर्न उत्पादकों को हानि नहीं हुई, बल्कि अच्छी कीमत प्राप्त हुई। इससे यह पता चलता है कि इलाके में स्वीट कॉर्न की खेती की अपार संभावनाए हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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