कृषि उपकरणों से की जाने वाली खेती-बाड़ी में डीज़ल की खपत का लागत और मुनाफ़े से सीधा नाता है। इसीलिए खेती को ज़्यादा से ज़्यादा लाभकारी बनाने के लिए किसानों का पर्याप्त ज़ोर ईंधन या पेट्रोल-डीज़ल के खर्च को कम से कम रखने पर ज़रूर होना चाहिए। इसीलिए, कृषि विशेषज्ञों ने ऐसे नुस्ख़े बताएँ हैं जिन्हें अमल में लाना किसानों के लिए बेहद उपयोगी और फ़ायदेमन्द साबित होता है। ईंधन के लगातार बढ़ रहे दामों को देखते हुए ऐसे नुस्ख़ों को फ़ौरन प्राथमिकता देनी चाहिए।

- हरेक ट्रैक्टर या कृषि यंत्र निर्माता कम्पनी की ओर से अपनी मशीन के साथ एक निर्देश पुस्तिका भी अवश्य दी जाती है। इसे विशेषज्ञों की ओर से अनुभव के आधार पर तैयार किया जाता है। इसीलिए इसकी हिदायतों को बेहद सावधानी से और ज़रूर पढ़ना चाहिए, क्योंकि इसमें मशीन के इस्तेमाल तथा देखरेख का सही तरीका बताया जाता है। कृषि उपकरणों से कम से कम खर्च में ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाने के लिए निर्देश पुस्तिका में दी गयी हिदायतों को पूरी तरह से अमल में लाना चाहिए।
- कृषि यंत्र के ईंधन की टंकी और इसके फ़्यूल पाइप के किसी भी हिस्से से कोई लीकेज़ नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यदि प्रति सेकेंड एक बूँद भी टपकी तो महीने भर में 50 लीटर तेल से ज़्यादा तेल बर्बाद हो जाएगा। लिहाज़ा, तेल को किसी भी हालत में टपकने नहीं दें। इस समस्या का निदान फ़ौरन करने के लिए यदि मकैनिक के पास जाना ज़रूरी हो तो उसमें क़तई कोताही नहीं करें।
- इंजन चालू या स्टार्ट करने पर यदि उससे टैपिट की आवाज़ सुनाई पड़े तो इसका मतलब है कि इंजन में ईंधन के जलने के लिए ज़रूरी हवा की मात्रा ज़रूरत से कम पहुँच रही है। ऐसा होने से डीज़ल की ख़पत बढ़ती है और काला धुँआ निकलता है। टैपिट से आवाज़ आने पर इंजन को सुधरवाने या बँधवाने की ज़रूरत पड़ सकती है। लिहाज़ा, इसका काम जल्दी से जल्दी करवाना चाहिए। इसमें जितनी देरी होगी, उतना ही लागत बढ़ती जाएगी।
- इंजन से काला धुआँ निकलने का सीधा सा मतलब है कि वो ज़रूरत से ज़्यादा ज़्यादा डीज़ल खा रहा है और जितना डीज़ल ले रहा है उसे ठीक से जलाकर ऊर्जा भी पैदा नहीं कर पा रहा है। आंशिक रूप से जला हुआ डीज़ल ही काले धुएँ के रूप में नज़र आता है। ऐसा इंजेक्टर या इंजेक्शन पम्प की ख़राबी की वजह से भी हो सकता है। छोटे इंजन में 150 घंटे और ट्रैक्टर में 600 घंटे प्रयोग के बाद इंजेक्टर की जाँच ज़रूर करवानी चाहिए।
- इंजन स्टार्ट करने के बाद कम से कम 30 सेकेंड तक उसे गर्म होने देना चाहिए। इसके बाद ही उस पर लोड डालना चाहिए। क्योंकि इंजन के कम गर्म रहने या ठंडा रहने के वक़्त अचानक लोड डाने जाने से उसके पुर्ज़ों का घिसाव ज़्यादा होता है तथा डीज़ल भी अधिक खर्च होता है।
- यदि कृषि उपकरण से काम लेते वक़्त ऐसा लगे कि गति बढ़ाने या एक्सीलेटर देने पर भी उसकी ताक़त ठीक ढंग से बढ़ नहीं रही तो समझ लेना चाहिए कि उसके इंजन का पिस्टन और रिंग जैसे पुर्जे घिस गये हैं। ऐसी दशा से इंजन में तेल का खर्च बढ़ने लगता है। लिहाज़ा, इंजन की जल्द से जल्द मरम्मत करवाना चाहिए।
- इंजन को बग़ैर काम के चालू नहीं रखें। इससे प्रति घंटा कम से कम एक लीटर डीज़ल बर्बाद होता है। इंजन में लगे सेल्फ स्टार्टर और बैटरी वग़ैरह को भी अच्छी हालत में रखें ताकि ज़रूरत पड़ने पर उसे आसानी से चालू किया जा सके और डीज़ल की बर्बादी नहीं हो।
- इंजन में हवा के साथ धूल के सूक्ष्म कणों के पहुँचने से भीतरी पुर्ज़ों में घिसावट ज़्यादा होती है। इससे न सिर्फ़ ज़्यादा तेल खर्च होने लगता है, बल्कि देखरेख का लागत भी बढ़ती है। इसलिए बिल्कुल साफ़ हवा ही इंजन में जानी चाहिए। इसके लिए वायुशोधक या एयर फिल्टर को नियमित रूप से बदला जाना चाहिए। यदि इंजन में दो फिल्टर लगे हों तो इन्हें कभी भी एक साथ नहीं बदलें, बल्कि आगे-पीछे और नियत घंटों के इस्तेमाल के बाद ही बदलें।
- ट्रैक्टर का प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि ब्रेक लगे हुए नहीं हों, क्योंकि यदि ब्रेक लगे होंगे तो डीज़ल की ख़पत अत्यधिक बढ़ जाएगी। टैक्टर या किसी भी उपकरण का उपयोग करते वक़्त काम के बोझ को देखते हुए ही सही गीयर का चुनाव करें। सही गीयर के साथ तीन चौथाई एक्सीलेटर के प्रयोग तक इंजन का धुआँ काला नहीं होता। लेकिन यदि काला धुआँ निकलने लगे तो ट्रैक्टर में निचले गीयर का इस्तेमाल करके डीज़ल को ज़रूर बचाएँ।
- टैक्टर के टायर घिसे होंगे तो काम के वक़्त फिसलेंगे और डीज़ल का खर्च बढ़ाएँगे। लिहाज़ा, टायरों को सही समय पर बदलते रहे।
- ट्रैक्टर के पहियों में हवा कम होने से डीज़ल की खपत बढ़ती है। इसलिए निर्देश पुस्तिका की हिदायतों के अनुसार ही टायरों में हवा का सही दबाव बनाये रखें। यदि बिना घिसा टायर हवा का सही प्रेशर होने के बावजूद काम के वक़्त फिसलने लगे तो ऐसी दशा में पहियों पर अतिरिक्त बोझ लगाकर या टायर में हवा के स्थान पर पानी भरकर उसे फिसलने से रोका जा सकता है। इससे डीज़ल के खर्च में बचत होगी।
- खेत में बिना काम खाली ट्रैक्टर घुमाने से भी डीज़ल का खर्च बढ़ता है। इसलिए ट्रैक्टर को ऐसे चलाएँ जिससे उसे किनारों पर घूमने में कम समय लगे और खेत में ज़्यादा काम हो सके। खेत में चौड़ाई के बजाय लम्बाई की दिशा में ट्रैक्टर चलाने से खाली घूमने के मौके घटेंगे और कम डीज़ल की खपत से काम हो सकता है।
- पम्पिंग सेट या थ्रेशर वग़ैरह चलाने के लिए डीज़ल इंजन को उतने चक्करों पर ही चलाएँ जिससे मशीन को पर्याप्त चक्कर मिल सकें। ज़्यादा चक्करों पर चलाने से डीज़ल का खर्च तो बढ़ता ही है, टूट-फूट की आशंका भी बढ़ जाती है।
- पम्पिंग सेट में बड़े या छोटे पम्प या इंजन का इस्तेमाल करने से भी डीज़ल की बर्बादी होती है तथा पानी कम मिलता है। इसीलिए सही क्षमता वाले इंजन और पम्प का चुनाव करें, जो कम खर्च में अधिकतम पानी दे।
- ज़्यादा दूरी से पानी खींचने की दशा में भी पम्पिंग सेट में ज़्यादा डीज़ल की ख़पत होती है। इसीलिए पम्पिंग सेट को पानी की सतह के ज़्यादा से ज़्यादा नज़दीक रखने से डीज़ल की बचत होती है।
- पम्प को चलाने वाले पट्टे के फिसलने से भी डीज़ल का खर्च बढ़ता है। इसीलिए पट्टे को सही तरह से कसकर रखना बहुत ज़रूरी है। पट्टे में जोड़ भी कम से कम हों तथा उसकी घिरनियों को परस्पर सीध में ही होना चाहिए। इससे पट्टा फिसलेगा नहीं और डीज़ल की बचत होगी।
- पम्प सेट में बड़े व्यास के नल और बड़े सुराखों का फुट वाल्व प्रयोग करने से भी कम डीज़ल का खर्च होता है। फुट वाल्व चुनते समय ध्यान रखें कि उसके सुराखों का क्षेत्रफल, नल के क्षेत्रफल से ढाई गुना बड़ा अवश्य हो।
- पम्प सेट के नल में ज़्यादा मोड़ होने पर डीज़ल की खर्च ज़्यादा होता है। इसलिए नल को अधिकतम सीधा रखें और ज़रूरत पड़ने पर अधिक घुमाव वाले मोड़ का कम से कम प्रयोग करें।
- पम्प सेट से पानी बाहर फेंकने वाले नल को जितना ज़्यादा ऊँचा उठाया जाएगा, उतना ज़्यादा डीज़ल की खर्च होगा। इसीलिए इसे ज़रूरत से ज़्यादा नहीं उठाएँ।
- इंजन का मोबिल ऑयल ज़्यादा पुराना होने पर भी उसकी शक्ति घटने लगती है और डीज़ल ज़्यादा खर्च होता है। इसलिए निश्चित समय पर इंजन के मोबिल ऑयल और फिल्टर को ज़रूर बदलें। इन दिनों उच्च गुणवत्ता का मल्टीग्रेड मोबिल ऑयल बाज़ार में मिलता है, जो ज़्यादा दिनों तक काम करता है। इससे मोबिल ऑयल बदलने की अवधि बढ़ जाती है और लागत घटती है।
ये भी पढ़ें: ऐसे करें अपने ट्रैक्टर का रख रखाव, माइलेज बढ़ेगी, खर्चा भी कम होगा
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- What is Precision Farming: स्मार्ट तकनीक से Agriculture Revolution! क्यों ये है भविष्य की खेती? पढ़ें डीटेल मेंप्रिसिजन फार्मिंग (Precision Farming) एक ऐसी आधुनिक तकनीक जो GPS, सेंसर, ड्रोन और AI का इस्तेमाल करके खेती को ‘इंच-इंच सटीक’ बना देती है।
- गुरेज़ घाटी में खेती और बागवानी को मिली नई पहचान, MIDP और HADP Schemes से आई हरियाली की बहारगुरेज़ घाटी में MIDP और HADP Schemes से खेती में आई क्रांति, किसान अब उगा रहे हैं सेब, चेरी और सर्दियों की सब्ज़ियां।
- 10 Years Of Digital India : e-NAM के ज़रीये किसानों की बदल रही जिंदगी, नई टेक्नोलॉजी से आई डिजिटल क्रांतिडिजिटल क्रांति (10 Years Of Digital India) ने किसानों की जिंदगी को कैसे बदला है? ई-नाम (e-NAM) एक ऐसी ही क्रांतिकारी पहल है, जिसने कृषि व्यापार (Agricultural Business) को बिचौलियों के चंगुल से मुक्त करके किसानों को सीधा बाजार से जोड़ दिया है।
- ‘Ek Bagiya Maa Ke Naam’ Project: मध्य प्रदेश सरकार की मदद से महिलाओं को मिलेगी आर्थिक आज़ादी‘एक बगिया मां के नाम’ (‘Ek Bagiya Maa Ke Naam’ Project) नाम की इस योजना के तहत मध्य प्रदेश की हज़ारों महिलाओं को अपनी ज़मीन पर फलदार पौधे लगाने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और प्रदेश हरा-भरा बनेगा।
- VIV ASIA Poultry Expo 2026: भारत में पहली बार होने जा रहा है लाइव स्टॉक एक्सपो का महाकुंभ!दुनिया के सबसे बड़े लाइव स्टॉक और पोल्ट्री एक्सपो (The world’s largest livestock and poultry expo) में से एक, VIV ASIA, (VIV ASIA Poultry Expo 2026) अब भारत में होने जा रहा है। ये पहली बार है जब ये प्रतिष्ठित एक्सपो थाईलैंड और यूरोप से निकलकर भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
- हेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा नया सहाराहेम्प वेस्ट से बन रही बायो-प्लास्टिक (Bio-plastic being made from hemp waste) दे रही पर्यावरण को राहत और गांवों को रोज़गार, संभल में शुरू हुआ हरित नवाचार।
- 200 Years of Assam Tea: स्वाद, विरासत और इनोवेशन संग न्यूयॉर्क में जश्न, धूमधाम से मना असम चाय का द्विशताब्दी समारोहन्यूयॉर्क में समर फैंसी फूड शो 2025 (Summer Fancy Food Show 2025) में असम चाय के 200 साल पूरे (200 Years of Assam Tea) होने का भव्य उत्सव मनाया।
- National Turmeric Board Inaugurated: किसानों को मिली बिचौलियों से मुक्ति, अब दुनियाभर में धाक जमाएगी ‘निज़ामाबाद की हल्दी’केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Cooperation Minister Amit Shah) ने ‘राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड’ (National Turmeric Board) का उद्घाटन किया। ये कदम दशकों से हल्दी किसानों की मांग को पूरा करने वाला साबित होगा।
- गुना का गुलाब अब महकेगा पेरिस और लंदन तक – गुलाब की खेती से किसानों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय बाज़ारगुलाब की खेती से गुना के किसान अब पेरिस और लंदन में गुलाब भेजने को तैयार हैं। गुना का गुलाब देगा अंतरराष्ट्रीय पहचान।
- Obesity in India: पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में की ‘कम तेल,अच्छी सेहत’ की अपील, FSSAI ने दिये मोटापा कम करने के ज़बरदस्त टिप्स!मोटापे की बढ़ती समस्या (Obesity in India) पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी मुहिम शुरू करने का आग्रह किया है। यह सिर्फ एक सुझाव नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय मिशन है, जिसमें हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है। साथ ही, FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) और AIIMS की विशेषज्ञ डॉ. स्वप्ना चतुर्वेदी ने स्वस्थ खानपान के ऐसे ऑप्शन सुझाए हैं, जो न सिर्फ आसान हैं बल्कि सेहत के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।
- डोंडुबाई हन्नू चव्हाण जिन्होंने अपनाई एकीकृत कृषि प्रणाली और बदल दी ज़िंदगीएकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर डोंडुबाई चव्हाण ने खेती की तस्वीर बदली, कम ज़मीन में हासिल की लाखों की कमाई और सम्मान।
- Agri Infra Fund (AIF): किसानों और उद्यमियों के सपनों को कृषि इंफ्रा फंड दे रहा नई उड़ान, जानिए कैसे करें अप्लाईकृषि अवसंचना कोष (Agri Infra Fund – AIF) के जरिए सरकार किसानों, एग्री-उद्यमियों, FPOs (किसान उत्पादक संगठनों) और कृषि व्यवसायियों को वित्तीय सहायता देकर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में मदद कर रही है।
- DialogueNEXT 2025: विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन, CIMMYT और बोरलॉग संस्थान के साथ किसानों से होगा संवाद, बढ़ेगी विज्ञान की रफ्तार!DialogueNEXT 2025 का आयोजन ICAR, विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन (World Food Prize Foundation), CIMMYT और बोरलॉग इंस्टीट्यूट (Borlaug Institute) के साथ मिलकर 8-9 सितंबर 2025 में किया जा रहा है।
- Agri Stack: ‘किसान पहचान पत्र’ से लेकर किसानों का नया डिजिटल साथी Multilingual AI Chatbot के बारें में अहम बातेंएग्री स्टैक (Agri Stack) भारत सरकार की एक डिजिटल पहल है, जिसका उद्देश्य किसानों को तकनीक के जरिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। भारत सरकार की ‘एग्री स्टैक’ (‘Agri Stack’) पहल के तहत एक मल्टीलिंगुअल AI चैटबॉट लॉन्च (Multilingual AI chatbot) किया गया है, जो किसानों को उनकी भाषा में सलाह देता है।
- प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना सप्ताह 1 जुलाई से आरंभ, इस ख़रीफ़ सीजन में अपनाएं PMFBY का सुरक्षा कवचख़रीफ़ 2025 के लिए फ़सल बीमा पंजीकरण शुरू हो रहा है। प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना से फ़सल और किसान दोनों होंगे सुरक्षित।
- बुरहानपुर में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत कृषि सखियां बनीं गांव की नई कृषि मार्गदर्शकराष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से जुड़कर कृषि सखियां गांवों में प्राकृतिक खेती का ज्ञान फैला रही हैं और महिला किसानों को सशक्त बना रही हैं।
- Cloud Farming: क्लाउड फ़ार्मिंग आसमान से फ़सलों को पानी देने का एक नया तरीकाक्लाउड फ़ार्मिंग (Cloud Farming) एक तकनीक है जिससे कोहरे, धुंध और ओस जैसे अदृश्य जल स्रोतों को इकट्ठा कर सूखे क्षेत्रों में पानी जुटाया जाता है।
- Red Flour Beetle: अनाज का दुश्मन नंबर-1 ‘लाल आटा बीटल’ से बचाव के लिए IARI ने टेस्ट डेवलप किया‘लाल आटा बीटल’ (Red Flour Beetle) भंडारित अनाज को अंदर से खोखला कर देते हैं। ये कीट न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में किसानों और अनाज भंडारकर्ताओं (grain storekeepers) के लिए एक बड़ी समस्या बने हुए हैं।
- Improved Varieties Of Soybean: जीनोम एडिटिंग से तैयार की जाएंगी सोयाबीन की उन्नत किस्में, कृषि मंत्री का ऐलानभारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (Indian Soybean Research Institute) में आयोजित बैठक की। अब जीनोम एडिटिंग (Genome Editing) के ज़रीये से सोयाबीन की उन्नत किस्मों (Improved Varieties of Soybean) को उगाया जाएगा।
- समुद्र का रंग-बिरंगा जादूगर Clownfish: CMFRI ने क्लाउनफिश के Captive Breeding में सफलता पाईभारत के केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (Central Marine Fisheries Research Institute) यानि CMFRI ने हाल ही में क्लाउनफिश (Clownfish) के बंदी प्रजनन (Captive breeding) में सफलता हासिल की है। इससे न सिर्फ़ समुद्री सजावटी मछलियों (marine ornamental fishes) के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी कम होगा।