उन्नत कृषि तकनीक: आर्थिक तंगी के चलते नहीं कर पाए 12वीं के बाद पढ़ाई, अब 8 लाख रुपये तक की आमदनी
कृषि के साथ ही उससे जुड़ी अन्य गतिविधयों से बढ़ा मुनाफा
ज़्यादा ज़मीन और सारी सुविधाओं के बावजूद भी किसानों को यदि खेती से पर्याप्त आमदनी नहीं हो पाती है, तो इसकी वजह है उन्नत तकनीक की कमी। उन्नत कृषि तकनीक के इस्तेमाल से ही राजस्थान के एक किसान ने सफलता की ऐसी मिसाल पेश की है, कि अब उनकी गिनती अपने इलाके के प्रगतिशील किसानों में होती है।
खेती को मुनाफ़े का बिज़नेस बनाने के लिए किसानों को हर दिन इस क्षेत्र में आने वाली नई-नई तकनीकों की जानकारी होना ज़रूरी है। एक ऐसी ही उन्नत कृषि तकनीक है एकीकृत कृषि प्रणाली। सिर्फ़ खेती करने की बजाय अब किसान एकीकृत कृषि प्रणाली यानी कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधियों जैसे पशुपालन, मुर्गी पालन, वर्मीकम्पोस्ट के उत्पादन जैसी गतिविधियों को भी अपना रहे हैं। इससे उनकी लागत कम और मुनाफ़े में बढ़ोतरी होती है। इस बात की बेहतरीन मिसाल हैं राजस्थान के डुंगरपूर ज़िले के बुजाड़ा गाँव के रहने वाले किसान जीवनराम। कभी मुश्किल से गुज़र बसर करने वाले जीवनराम अब अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
पारंपरिक खेती से नहीं होता था मुनाफ़ा
राजस्थान के डुंगरपूर ज़िले के बुजाड़ा गाँव के रहने वाले किसान जीवनराम मध्यमवर्गीय किसान हैं, जिनके पास 4 हेक्टेयर ज़मीन है और सिंचाई की भी उचित व्यवस्था है। इसके बावजूद खेती से उनके परिवार की आय बहुत ही कम थी।
घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इस कारण वो 12वीं के बाद अपनी आगे की पढ़ाई जारी नहीं कर पाए और काम की तलाश में कुवैत चले गए। वहाँ पर भी कुछ ख़ास काम नहीं मिल पाया। फिर वो अपने गाँव लौटकर पिता के साथ खेती करने लगे।
वह मक्का, चावल, गेहूं, मूंग, उड़द, चना और गन्ने की स्थानीय किस्में उगाते थें, जिससे बहुत अधिक उपज प्राप्त नहीं होती थी। उनके पास 2 भैंसें भी थीं, लेकिन वह बहुत कम दूध देती थी। 5 साल पहले उन्होंने 7 संकर प्रजाति की गायें और 3 मुर्रा प्रजाति की भैंसे नाबार्ड की मदद से लोन लेकर खरीदीं। हालांकि, डेयरी व्यवसाय की अधिक जानकारी न होने के कारण वह इससे मुनाफ़ा कमाने में असफल रहे। जीवनराम अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार और कृषि से मुनाफ़ा कमाने के तरीकों की खोज के लिए लगातार इससे जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रमों का पता लगाने की कोशिश करते रहे।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रशिक्षण ने बदली ज़िंदगी
2013 में जीवनराम को कृषि विज्ञान केन्द्र, डुंगरपूर द्वारा आयोजित एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के बारे में पता चला। वह वहां के वैज्ञानिकों के संपर्क में आएं। उन्होंने सब्ज़ियों की उन्नत किस्में, मूल्य संवर्धन उत्पाद (Value Added Products), पशुपालन की नई तकनीकें, कीट प्रबंधन व मुर्गीपालन पर आयोजित अलग-अलग प्रशिक्षण कार्यक्रमों, सेमीनार, किसान मेला और पशु उपचार शिविरों में भाग लिया। कृषि विज्ञान केन्द्र की सलाह पर उन्होंने फसलों व सब्जियों की उन्नत किस्में उगाना शुरू की और जल्द ही मुनाफ़ा होने लगा।
अन्य गतिविधियां
खेती के अलावा, उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट यूनिट, मुर्गीपालन इकाई बनाई और अजोला की खेती भी शुरू की। इसके साथ ही मक्का, सोयाबीन, मूंग, मिर्ची, भिंडी आदि फसलों का प्रदर्शन अपने खेत में किया। लगातार नई तकनीक की जानकारी प्राप्त करने के लए वह कृषि विज्ञान केन्द्र के संपर्क में रहने लगे। वह कृषि विज्ञान केन्द्र के व्हाट्सऐप ग्रुप के सदस्य भी हैं।
नई तकनीक के इस्तेमाल और अपनी मेहनत व लगन के बल पर वह अपने जीवन स्तर में सुधार करने में सफल रहे और उनकी आय में वृद्धि हुई। फसल उत्पादन, सब्ज़ी उत्पादन, वर्मीकम्पोस्ट इकाई और मुर्गीपालन से वह सालान 8.10 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं। अब वह अपने इलाके के प्रगतिशील किसान बन चुके हैं और आसपास के किसान उनसे उन्नत कृषि प्रणालियों और पशुपालन की नई तकनीक की जानकारी के लिए उनके पास आते हैं। इसके अलावा, वह कृषि विज्ञान केन्द्र में आयोजित किए जाने वाले प्रशिक्षणों में अन्य किसानों को प्रशिक्षण भी देते हैं।
क्र.स. | विवरण | औसतन वार्षिक आय (लाख में) |
---|---|---|
1 | फसल उत्पादन | रू 2.00 |
2 | सब्जी उत्पादन | रू 0.60 |
3 | दुग्ध उत्पादन | रू 3.00 |
4 | मुर्गीपालन | रू 2.00 |
5 | वर्मीकम्पोस्ट | रू 0.50 |
कुल आय | रू 8.10 |
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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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