कृषि व्यवसाय (Agri Business) में इन बातों का ध्यान रखकर तेलंगाना की महिला किसान लक्ष्मी ने पाई सफलता

लक्ष्मी ने कृषि व्यवसाय के ज़रिए अपने परिवार को आर्थिक रूप से संपन्न बनाया और अब दूसरों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं। खेती के कौन से तरीकों को उन्होंने अपनाया है, जानिए इस लेख में।

कृषि व्यवसाय

अब वो ज़माना गया जब किसान सिर्फ़ फसल उगाने तक ही सीमित थे, अब अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए वह पशुपालन से लेकर मुर्गी पालन और फ़ूड प्रोसेसिंग का भी काम कर रहे हैं। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। तेलंगाना के नलगोंडा ज़िले के गुंटीपल्ली गांव की रहने वाली के. लक्ष्मी ने कृषि व्यवसाय के ज़रिए अपने परिवार को आर्थिक रूप से संपन्न बनाया और अब दूसरों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं।

खेती के साथ डेयरी, मुर्गी पालन और बकरी पालन

के. लक्ष्मी एक सफल महिला कृषि उद्यमी हैं, जो धान की खेती के साथ ही नींबू की खेती भी करती है। इसके अलावा, पशुपालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन भी करती हैं। वह जल संचयन के प्रति भी जागरुक हैं। बरसात के पानी को खेत में बने तालाब में एकत्र करती हैं ताकि बाद में इस्तेमाल किया जा सके।

Telangana woman agriculture business कृषि व्यवसाय
तस्वीर साभार: agricoop

इसके साथ ही मिट्टी को स्वस्थ बनाने के लिए पशुओं के गोबर, बकरी और मुर्गियों के मल का खाद के रूप में इस्तेमाल करती हैं। इस महिला किसान का मकसद उत्पादकता बढ़ाकर और जलवायु से जुड़े जोखिमों को कम करके खेती से जुड़े कामों को सुगम और आर्थिक रूप से फ़ायदेमंद बनाना है। 

Telangana woman agriculture business कृषि व्यवसाय
सांकेतिक तस्वीर (तस्वीर साभार: freepik)

 

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मार्गदर्शन से मिली मदद 

लक्ष्मी ATMA से जुड़े अधिकारियों से सलाह लेती हैं। समय-समय पर फसलों का उत्पादन बढ़ाने और पशुपालन को और बेहतर बनाने से जुड़ी जानकारी प्राप्त करती हैं। ATMA ने उन्हें अपने उत्पादों के लिए स्थानीय बाज़ार बनाने और अधिक लाभ अर्जित करने में मदद की है।

परिवार का मिला सहयोग

कोरोना महामारी के दौरान उनके परिवार के सदस्यों ने खेती के साथ ही अन्य काम में उनका सहयोग किया। उनके काम में हाथ बंटाया। इस दौरान डेयरी का सारा दूध वह अधिक मूल्य पर बेचती थीं, क्योंकि लोग पैकेट वाला दूध लेने से कतराते थें। इसलिए डेयरी के दूध की मांग बढ़ गई थी। 

पशुओं के चारे पर भी उन्हें कुछ खर्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती, क्योंकि पशुओं के लिए चारा वह खेत में ही उगाती हैं। कोरोना महामारी के दौरान उन्हें 86 हज़ार रुपये का लाभ अर्जित हुआ। वर्तमान में वह अंडे, मांस, दूध और सब्ज़ियों की बिक्री कर रही हैं। दूसरे साथी किसान और पड़ोसी उनका प्रचार-प्रसार करके बाज़ार बढ़ाने में मदद करते हैं। 

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तस्वीर साभार: agricoop

खुद का स्थानीय बाज़ार खड़ा किया

महामारी के दौरान उन्होंने ब्रॉयलर की बजाय देसी मुर्गियों का पालन किया। मांस और अंडों की ब्रिकी से अधिक लाभ कमाया। देसी मुर्गियों के अंडे और मांस की कीमत अधिक होती है। हर महीने 20 हज़ार रुपये के निवेश पर 35 हज़ार रुपये की आमदनी हुई, यानी 15 हज़ार रुपये का सीधा मुनाफ़ा उन्हें मिला।  नज़दीक इलाकों में अपने उत्पाद बेचकर उन्होंने खुद के दम पर स्थानीय बाज़ार खड़ा कर लिया है। 

खेती और पशुपालन में लक्ष्मी के योगदान के लिए ATMA ने उन्हें विभिन्न मंचों पर सम्मानित किया है।  अन्य महिलाओं के साथ-साथ गांव के अन्य किसानों के सामने उन्हें एक आदर्श के रूप में पेश किया।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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