Solar Dehydrator Machine: सोलर डिहाइड्रेटर मशीन किसानों के लिए कैसे उपयोगी? फसल खराब होने की समस्या का हल
मसालों और सब्जियों को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने का तरीका जानिए
कुछ मसालें और सब्जियां ऐसी होती हैं जिन्हें ज़्यादा दिनों तक स्टोर करके नहीं रखा जा सकता। ऐसे में फसल बर्बाद होने से बचाने की एक तकनीक है सोलर डिहाइड्रेटर मशीन (Solar Dehydrator Machine)। जानिए इसके फ़ायदे।
मसाले और सब्जी की खेती करने वाले किसानों को कई बार अच्छी पैदावार होने के बाद कई बार मार्केट में उचित दाम नहीं मिलने की वजह से घाटा उठाना पड़ता है। अमूमन सब्जियों, और मसाले में नमी ज़्यादा होने के कारण जल्दी खराब होने के डर से किसान कम दाम में उपज को बेच देते हैं। इसमें सबसे ज़्यादा नुकसान मसाला वाली फसलों को होता है। मुख्य रूप से टमाटर, अदरक और हल्दी वाले किसानों के सामने परेशानी ज़्यादा आती हैं। इस समस्या से समाधान के लिए डिहाइड्रेटर मशीन (Dehydrator Machine) बनाई गई है। इसके इस्तेमाल से सब्जियों और मसालों की नमी को सुखाकर अधिक दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। कैसे ये मशीन किसानों की सब्जी और मसाला फसल को खराब से बचाती है, इसपर किसान ऑफ़ इंडिया ने इंडिया फांउडेशन फ़ॉर ह्यूमेनिसिटीक डेवलपमेंट के अमरेली गुजरात के इंटरप्राइजेज डेवलपमेंट मैनेजर कुलदीप दीक्षित से ख़ास बातचीत की।
कैसे ज़्यादा दिनों तक रखें सुरक्षित?
कुलदीप दीक्षित कहते हैं कि मसालों को स्टोर करने से पहले उन्हें सुखाना ज़रूरी है। सही तरीके से स्टोर हो, इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए। दरअसल, बाहर सुखाने पर गंदगी, अचानक बारिश होने, चूहों और कीड़े लगने से खाद्य पदार्थ खराब हो जाते हैं। वहीं पंरपरागत तरीके से इन उत्पादों को सुखाने में समय और श्रम अधिक लगने के साथ कई तरह की समस्याएं भी आती हैं। इस समस्या के समाधान के लिए इलेक्ट्रॉनिक और सोलर डीहाइड्रेटर (Solar Dehydrator) और स्लाइसर मशीन विकसित की गई है। इससे बहुत कम समय में सब्जी और मसाले को सुखाकर ज़्यादा दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
इस मशीन के ज़रिए हल्दी और अदरक सहित 12 तरह के मसालों और सब्जियों को सुखाकर ज़्यादा दिनों तक सुरक्षित रख सकते हैं। इसके ज़रिए ऑफ़ सीजन के लिए भी भंडारण किया जा सकता है। किसान ऑफ़ सीजन में भी इन उत्पादों को बेचकर बेहतर मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
क्या है सोलर डीहाइड्रेटर मशीन तकनीक?
कुलदीप दीक्षित ने बताया कि अदरक, हल्दी, टमाटर, प्याज, करेला, खीरा, सेब, नारियल सहित कई तरह के फल और सब्जियां सुखाकर अधिक दिनों तक सुरक्षित रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि हल्दी और अदरक की खेती करने वाले किसानों के सामने सुखाने की समस्या ज़्यादा आती है, ऐसे में सोलर डीहाइड्रेटर मशीन से ये काम बहुत आसान हो गया।
ये कोई बहुत बड़ी और मंहगी तकनीक नहीं है। ये आसान और सस्ती तकनीक है। सोलर डीहाइड्रेटर 6 फ़ीट लंबा, 3 फ़ीट चौड़ा और 3 फ़ीट ऊंचे लोहे की ऐंगिल से तैयार किया जाता है। ऐंगिल के बाहर प्लास्टिक का कवर चढ़ा होता है। इसमें छोटा सा दरवाजा भी होता है, जिसका इस्तेमाल सब्जियों और मसालों को को अन्दर-बाहर रखने में किया जाता है। इसके ऊपर सोलर की छोटी प्लेट और एक कोने पर अन्दर हवा के लिए पंखा लगा हुआ है। ये पंखा सोलर की पावर से चलता है। ख़ास बात ये है कि सोलर डीहाइड्रेटर मशीन से सुखाने पर फल और सब्जियों का रंग नहीं बदलता और वो साफ़-सुथरी भी रहती हैं। जबकि खुले में फल-सब्जियों को सुखाने से कलर निकल जाता है और तो और धूल, मिट्टी आदि भी उसमें घुलमिल जाती हैं।उन्होंने बताया कि सोलर डीहाइड्रेटर एक दिन में मसालों और सब्जियों को सुखा देता है। वहीं स्लाइसर से हल्दी और अदरक सहित और कई सब्जियों को छोटे छोटे टुकड़े में काटा जाता है क्योंकि इससे सुखाने में आसानी रहती है और जल्दी से सूख जाते हैं।
वैल्यू एडिशन करके दोगुना से तीन गुना
कुलदीप दीक्षित आगे बताते हैं कि उत्पाद को साफ़-सफाई के लिए वॉशर मशीन की ज़रूरत होती है। कटिंग के लिए स्लाइसर, सुखाने के लिए सोलर ड्रायर और अगर उत्पाद को पाउडर बनाना है तो ग्राइंडर और पैकिंग करने के लिए पैकिंग मशीन की ज़रूरत रहती है। इन सबको इलेक्ट्रिकल और सोलर पावर से चलाया जाता है। इस तकनीक से किसान अपने उत्पाद में वैल्यू एडिशन करके दोगुना से तीन गुना तक मुनाफ़ा कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि क्षमता के हिसाब से इस मशीन की कीमत 20 हज़ार से डेढ़ लाख रुपये तक है। दीक्षित ने बताया कि इस तकनीक के इस्तेमाल से मसाले और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को फ़ायदा मिल रहा है।
ये भी पढ़ें: मटकों में ढींगरी मशरूम की खेती: जानिए उन्नत तकनीक के ज़रिये कैसे बढ़ाएँ आमदनी?
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day): महिला किसान ने अपने बलबूते पर खड़ा किया डेयरी फ़ार्म (Dairy Farm), रोज़ाना 1200 लीटर दूध का उत्पादनदूध का उत्पादन, डेयरी व्यवसाय किसानों के लिए किस तरह फ़ायदे का बिज़नेस बन रहा है, इसको लेकर महिला किसान सरनजीत कौर ने किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत की। जानिए डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) से जुड़ी उनकी कई सलाहों के बारे में।
- लाख कीट पालन: अरहर पर लाख कीट पालन है मुनाफ़े का सौदा, जानिए इसका तरीकालाख एक कीट है जिसकी खेती आमतौर पर पालस, कुसुम और बेर के पेड़ों पर की जाती है। अरहर पर लाख कीट पालन अन्य पेड़ों की अपेक्षा आसान है और बिना अधिक मेहनत के किसान इससे अतिरिक्त मुनाफ़ा प्राप्त कर सकते हैं।
- सजावटी झींगा पालन (Ornamental Prawn Cultivation) से आत्मनिर्भर बन रहीं लक्षद्वीप (Lakshadweep) की महिलाएंबिखरे हुए द्वीपों वाले लक्षद्वीप में मछली पालन के अलावा, ख़ास तौर पर महिलाओं के लिए, वैकल्पिक आय का कोई स्रोत नहीं था। अब ICAR-NBFGR ने सजावटी झींगा पालन के रूप में उन्हें आजीविका का नया साधन दिया है।
- Liquid Nanoclay Technology: कैसे लिक्विड नैनोक्ले तकनीक रेतिली ज़मीन को बना रही उपजाऊ?कृषि के क्षेत्र में हर दिन नए प्रयोग हो रहे हैं। इन्हीं प्रयोगों में से एक है नैनोक्ले तकनीक, जिसकी बदौलत रेगिस्तान में भी रसीले फल व सब्ज़ियां उगाई जा सकती हैं। इस तकनीक का सफल प्रयोग यूएई में हो चुका है।
- सरोगेसी यानी भ्रूण स्थानांतरण तकनीक (Embryo transfer technology) से हुआ देश के पहले मारवाड़ी घोड़े का जन्मदेश में घोड़ों की संख्या में पिछले कुछ सालों में बहुत कमी आई है। इसीलिए वैज्ञानिक घोड़ों, खासकर देसी नस्ल के घोड़ों की संख्या बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्हें भ्रूण स्थानांतरण तकनीक से एक बड़ी सफ़लता मिली है।
- रोटरी डिस्क ड्रिल (Rotary Disc Drill) – फ़सल कटाई के बाद पराली और अवशेष प्रबंधन का कारगर और दमदार उपकरणउत्तर भारत में फ़सल अवशेषों या पराली जलाना एक गंभीर समस्या है, जिससे मिट्टी और पर्यावरण दोनों को नुकसान होता है। इस समस्या से निपटने के लिए ICAR ने रोटरी डिस्क ड्रिल (RDD) मशीन बनाई है। इसकी मदद से बिना पराली जलाए, फ़सलों की सीधी बुवाई की जा सकती है।
- Mushroom Processing: कैसे होती है मशरूम की व्यावसायिक प्रोसेसिंग? जानिए घर में मशरूम कैसे होगा तैयार?मशरूम उत्पादक किसान यदि ख़ुद अपनी मशरूम का सेवन करना चाहें तो वो क्या करें? इन किसानों के लिए शहरों से प्रोसेस्ड मशरूम को ख़रीदकर लाना और फिर उसका इस्तेमाल करना व्यावहारिक नहीं होता। इसीलिए, यदि वो अपने घरों में ही मशरूम की प्रोसेसिंग करना सीख लें तो अपनी निजी ज़रूरतों के अलावा वो रिश्तेदारों और मेहमानों वग़ैरह को भी प्रोसेस्ड मशरूम मुहैया करवा सकते हैं।
- जानिए क्यों महाराष्ट्र की इस महिला किसान को लोगों ने दिया ‘लेडी प्लांट डॉक्टर’ का ख़िताब!महाराष्ट्र के अहमद नगर ज़िले की रहने वाली कविता प्रवीण जाधव का शुरू से ही खेती के प्रति लगाव था। उन्होंने किसानों की उत्पादकता को बढ़ाने और उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए कई अहम कदम उठाए। आज उनके साथ कई महिला किसान जुड़ी हुई हैं।
- जानिए, क्यों अनुपम है बायोचार (Biochar) यानी मिट्टी को उपजाऊ बनाने की घरेलू और वैज्ञानिक विधि?बायोचार के इस्तेमाल से मिट्टी के गुणों में सुधार का सीधा असर फसल और उपज में नज़र आता है। इससे किसानों की रासायनिक खाद पर निर्भरता और खेती की लागत घटती है। लिहाज़ा, बायोचार को किसानों की आमदनी बढ़ाने का आसान और अहम ज़रिया माना गया है।
- कपास की खेती में फायदेमंद है स्पॉट फर्टिलाइज़र एप्लीकेटर का इस्तेमालकपास एक महत्वपूर्ण व्यवसायिक फसल है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। कपड़ा उद्योग के लिए तो कपास कच्चा माल प्रदान करता ही है, साथ ही इसके बीज से तेल भी बनाया जाता है। कपास की मांग हमेशा बाज़ार में बनी रही है, ऐसे में किसान स्पॉट फर्टिलाइज़र एप्लीकेटर का इस्तेमाल करके इसका उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
- सब्ज़ी नर्सरी (Vegetable Nursery): असम के किसान जयंती मेधी ने मिट्टी रहित सब्ज़ियों की पौध तैयार कर खड़ा किया सफल नर्सरी उद्योगयदि रोपण सामग्री उच्च गुणवत्ता वाली हो तो सब्ज़ी नर्सरी में सब्ज़ियों की फसल भी अच्छी होती है। अपने इलाके में लोगों को बेहतरीन रोपण सामग्री मुहैया कराने के लिए जयंती मेधी ने एक अनोखा प्रयोग किया और बिना मिट्टी के ही विभिन्न सब्ज़ियों की पौध तैयार कर सफल उद्यम स्थापित कर लिया।
- चौलाई की खेती (Amaranth Cultivation): चौलाई की ये 10 उन्नत किस्में देती हैं अच्छी पैदावार, कई पोषक तत्वों से भरपूरचौलाई को औषधीय पौधा भी माना जाता है। ये इकलौता ऐसा पौधा है जिसमें सोने (gold) का अंश पाया जाता है। इसका जड़, तना, पत्ती और फल सभी उपयोगी हैं। चौलाई की खेती कर रहे किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी कई किस्में ईज़ाद की हैं। आइए आपको बताते हैं उन किस्मों के बारे में।
- Amla Processing: आज आंवले की खेती के ‘मार्केटिंग गुरु’ हैं कैलाश चौधरी, ज़ीरो से शुरू किया था सफ़रकैलाश चौधरी पिछले 6 दशक से खेती कर रहे हैं। आंवले की खेती ने उन्हें देश-दुनिया में पहचान दी है। कैलाश चौधरी कहते हैं खेती से बड़ा और कोई काम नहीं है। इसमें अपार संभावनाएं हैं।
- Vegetable Nursery: सब्जियों की नर्सरी में इनोवेटिव तकनीक का इस्तेमाल, मणिपुर के इस युवा ने ईज़ाद किया तरीकासब्जियों के बीज बहुत नाज़ुक होते हैं और उन्हें अधिक देखभाल की ज़रूरत होती है। इसलिए अधिकांश सब्जियों की पौध पहले नर्सरी में तैयार की जाती है, फिर खेत में उन्हें लगाया जाता है। मणिपुर के एक किसान ने नर्सरी में गुणवत्तापूर्ण सब्जियोंकी पौध तैयार करने के लिए एक नई तकनीक ईज़ाद की है, जिससे उनका मुनाफा बढ़ गया। सब्जियों की नर्सरी में कैसे ये तकनीक कारगर हो सकती है, जानिए इस लेख में।
- Kathiya Wheat Farming: गेहूँ की खेती से चाहिए ज़्यादा कमाई तो अपनाएँ कठिया गेहूँ की किस्मेंसेहत के प्रति जागरूक लोगों के बीच कठिया गेहूँ की माँग तेज़ी से बढ़ रही है, क्योंकि इसमें ‘बीटा कैरोटीन’ पाया जाता है। बाज़ार में भी किसानों को कठिया गेहूँ का उचित दाम मिलता है। इस तरह, कठिया गेहूँ, अपने उत्पादक किसानों को भी आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इसीलिए ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को चाहिए कि यदि वो गेहूँ पैदा करें तो उन्हें कठिया किस्में को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।
- Azolla Cultivation: अजोला की खेती पशुओं के साथ ही धान की फसल के लिए भी है फ़ायदेमंदअजोला पशुओं के लिए बेहतरीन हरा चारा है, जिसे किसान आसानी से उगा सकते हैं। अजोला को उगाना बहुत आसान है। बस इसके लिए पानी की ज़रूरत होती है। इसके अलावा किसी तरह के खाद या उर्वरक की कोई ज़रुरत नहीं होती है। ये अपने आप दोगुना होता रहता है। अजोला की खेती कैसे किसानों के लिए फ़ायदेमंद हो सकती है, देखिए प्लांट प्रोटेक्शन की सब्जेक्ट मैटर स्पेशलिस्ट हिना कौशर से खास बातचीत।
- चौलाई की खेती (Amaranth Cultivation): छोटी जोत वाले किसानों के लिए क्यों है फ़ायदेमंद? जानिए इससे जुड़ी अहम बातेंचौलाई से मिलने वाले साग (सब्ज़ी) और दाना (अनाज) दोनों ही नकदी फसलें हैं। चौलाई के खेती में ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। चौलाई की खेती के लिए प्रति एकड़ करीब 200 ग्राम बीज की ज़रूरत पड़ती है। जानिए चौलाई की खेती से जुड़ी ऐसी कई जानकारियां।
- Kitchen Garden: अतिथि पोपली 25 सालों से किचन गार्डन में उगा रहीं सब्ज़ियां और जड़ी-बूटियांशहर में जगह की कमी के चलते जो लोग अपने बागवानी का शौक पूरा नहीं कर पातें, वो अतिथि पोपली से सीख ले सकते हैं। जो पिछले 25 सालों से गमले और घर के सामने की छोटी सी जगह में सब्ज़ियां और जड़ी-बूटियां उगा रही हैं।
- Sesame Cultivation: गर्मियों में तिल की खेती करना किसानों के लिए क्यों फ़ायदेमंद?आमतौर पर तिल की खेती को मुनाफ़े का सौदा नहीं माना जाता है, क्योंकि इसमें पैदावार कम होती है, लेकिन तिल की खेती यदि उन्नत तरीके से की जाए तो यह किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। उन्नत किस्म के बीजों के साथ गर्मियों के मौसम में तिल की खेती करना अच्छा रहेगा, क्योंकि यह मौसम तिल के लिए उपयुक्त होता है।
- Top 10 Desi Cow Breeds: गौपालन से जुड़े हैं तो जानिए देसी गाय की 10 उन्नत नस्लों कोउन्नत नस्ल की देसी गायों को पालने पर दूध का उत्पादन अन्य देसी गायों के मुक़ाबले अधिक होता है। ज़ाहिर है, इससे आपकी आमदनी भी बढ़ेगी। एक बात का ध्यान ज़रूर रखें। हर क्षेत्र के हिसाब से कौन सी देसी गाय उन्नत नस्ल की है, इसकी पूरी जानकारी लेने के बाद ही उस नस्ल को पालें।