महाराष्ट्र के जालना ज़िले की रहने वाली संजीवनी जाधव एक भूमिहीन किसान हैं। वो 9वीं तक पढ़ी हैं। उन्होंने अपनी मेहनत के बलबूते पर आंवले की प्रोसेसिंग का काम शुरू किया। उनके पति एक प्राइवेट कंपनी में दिहाड़ी में काम करते थे। पांच सदस्यीय परिवार का खर्च चलाना मुश्किल होता था। आंवले की प्रोसेसिंग शुरू करने से पहले संजीवनी ने घर से ही कालीन और चादरें बेचना शुरू किया, ताकि दो पैसे घर आ सकें। इस बीच उन्होंने अपनी कॉलोनी में 15 महिलाओं के साथ एक स्वयं सहायता समूह बनाया।
10 हज़ार के निवेश से शुरू की आंवले की प्रोसेसिंग
संजीवनी 2010 में जालना स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के संपर्क में आईं। यहां से उन्होंने आंवले की प्रोसेसिंग पर ट्रेनिंग ली। कृषि विज्ञान केंद्र ने संजीवनी की पूरी मदद की। संजीवनी ने केवीके (KVK) द्वारा उत्पादित आंवला उत्पादों की मार्केटिंग से अपने उद्यमी बनने के सफर की शुरुआत की। इसके बाद, संजीवनी ने खुद 10 हज़ार के निवेश के साथ आंवले से उत्पाद बनाने शुरू कर दिए। उनके बनाए गए प्रॉडक्ट्स को अच्छी प्रतिक्रिया मिली। ग्राहकों की डिमांड भी आने लगी।

तैयार करती हैं आंवले से बने कई उत्पाद
मांग बढ़ती हुई देख उन्होंने आंवला उत्पादक किसानों से सीधा उपज लेना शुरू कर दिया। वो आंवला कैंडी, आंवला अचार, आंवला सुपारी, आंवला पाउडर, आंवला मुरब्बा जैसे कई प्रॉडक्ट्स तैयार करती हैं। आज वो आंवले की प्रोसेसिंग के व्यवसाय से 30 से 40 फ़ीसदी मुनाफ़ा कमा रही हैं।

महाराष्ट्र के 100 से अधिक आउटलेट्स में जाते हैं उत्पाद
ये सभी प्रॉडक्ट्स संजीवनी के घर पर तैयार किए जाते हैं। उनके स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बिना किसी मशीन की सहायता के ये प्रॉडक्ट्स बनाती हैं। भविष्य में एक प्रोसेसिंग यूनिट इकाई लगाने की योजना है। 250 क्विंटल से अधिक आंवले के प्रॉडक्ट्स महाराष्ट्र के 100 से अधिक आउटलेट्स में जाते हैं। उनका सालाना टर्नओवर लगभग 25 लाख रुपये है। उन्हें करीबन 6 लाख रुपये का मुनाफ़ा होता है।

मिल चुके हैं कई अवॉर्डस
संजीवनी अपने ज़िले की अन्य महिलाओं और ग्रामीण युवाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं। आंवले की प्रोसेसिंग के कार्यों को लेकर उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 2014 में ‘शारदाताई पवार स्मृति पुरस्कार’, 2017 में ‘समाज भूषण पुरस्कार’ और 2018 में महिला किसान दिवस के मौके पर ICAR द्वारा भी सम्मानित किया गया।
आंवले के प्रॉडक्ट्स के क्या हैं दाम?
आंवला कैंडी के 250 ग्राम पैकेट की कीमत करीबन 300 रुपये, 250 ग्राम आंवले का अचार 250 रुपये, 250 ग्राम आंवला पाउडर करीबन 270 रुपये, आंवले का 250 ग्राम मुरब्बे के पैकेट का दाम 140 के आसपास रहता है।
आंवले की कैंडी की बाज़ार में काफ़ी डिमांड है। जो आंवला कच्चा नहीं खा पाते हैं, वो आंवले की कैंडी खरीदते हैं। बच्चों को डॉक्टर्स अकसर कैंडी खाने से मना करते हैं, लेकिन ये ऐसी कैंडी है, जिसे हर कोई खा सकता है। आंवला कैंडी पाचन शक्ति के लिए भी काफ़ी अच्छी मानी जाती है। आंवले से बने उत्पादों का बाज़ार काफ़ी अच्छा है। किसान अमेज़न जैसी ई-कॉमर्स साइट पर जाकर अपने उत्पादों को बेच सकते हैं। ऐसे कई ब्रांड हैं, जो आंवले के प्रॉडक्ट्स ऑनलाइन साइट्स पर बेचकर अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
इसी तरह से आंवले का मुरब्बा है। आंवले का मुरब्बा खाने में जितना अच्छा लगता है, उससे कहीं ज़्यादा गुणकारी होता है। कोरोना काल में इसकी डिमांड भी काफ़ी बड़ी है। आप नीचे देख सकते हैं कि कैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर ब्रांड अपने उत्पादों को बेच रहे हैं।
आंवले की खेती की मुख्य बातें
देश में सबसे ज़्यादा आंवले का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। उसके बाद मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्य आते हैं। आंवले के उत्पादन में महाराष्ट्र आठवें पायदान पर आता है। आंवले की खेती बलुई मिट्टी से लेकर चिकनी मिट्टी तक में सफलतापूर्वक की जा सकती है। एक हेक्टेयर में करीब 200 पौधे लग सकते हैं। आंवले की रोपाई के बाद उसका पौधा 4 से 5 साल में फल देने लगता है। 8 से 9 साल के बाद एक पेड़ हर साल औसतन एक क्विंटल फल देता है। सही रख-रखाव के साथ एक आंवले का पेड़ करीबन 60 साल तक फल देता है।
आंवले के फ़ायदे
आवंले के इम्यूनिटी बढ़ाने वाले गुणों के कारण कोरोना महामारी के दौरान आंवला उत्पादों की भारी मांग रही। आंवला विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई, एंटीऑक्सीडेंट, कैल्शियम और आयरन से भरपूर होता है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। (आंवले सेवन से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।)
ये भी पढ़ें- Mushroom Processing: कैसे होती है मशरूम की व्यावसायिक प्रोसेसिंग? जानिए, घर में मशरूम कैसे होगी तैयार?
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- Green Revolution In Uttar Pradesh: यूपी सरकार की Natural Farming योजना से बदलेगी किसानों की तकदीरराष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (National Mission on Natural Farming) की रिव्यू मीटिंग में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही (Agriculture Minister Surya Pratap Shahi) ने अधिकारियों को साफ निर्देश दिए कि योजनाओं को बेहतर और ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से उतारना काफी ज़रूरी है।
- बैलों से AI तक: भारतीय कृषि क्रांति की कहानी जो है हल से हार्वेस्टर तक, Agricultural Mechanization का सदियों लंबा सफ़र1960 के दशक में शुरू हुई हरित क्रांति (Green Revolution) ने न केवल भारत को खाद्यान्न (Food grain production) में आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि यही वो दौर था जहां से भारत में कृषि मशीनीकरण (Agricultural Mechanization) की वास्तविक शुरुआत हुई। उच्च उपज वाली किस्मों (HYV) के बीजों ने जहां उत्पादन बढ़ाया, वहीं उनकी कटाई, गहाई और सिंचाई के लिए मशीनों की ज़रूरत महसूस हुई।
- The Story of Golden Fibres: भारत की पश्मीना से लेकर शेख़ावटी ऊन ने दुनिया में बजाया अपना डंका,ऊन उत्पादन में भारत ने मारी बाजी!भारत ने ऊन उत्पादन (Wool Production) एक चमकता हुआ रत्न (The Story of Golden Fibres) है। वर्ष 2023-24 में भारत ने 33.69 मिलियन किलोग्राम (लगभग 3.37 करोड़ किलो) ऊन का उत्पादन करके एक नई उपलब्धि हासिल की है।
- मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के जितेन्द्र कुमार गौतम प्राकृतिक खेती से कमा रहे हैं बेहतर आमदनीप्राकृतिक खेती से सिवनी जिले के किसान जितेन्द्र ने मिट्टी की सेहत सुधारी, लागत घटाई और बेहतर आमदनी का नया रास्ता बनाया।
- भारत ने Egg Production में मारी बाज़ी, लेकिन 4 रुपये वाला अंडा या 30 रुपये वाला कौन सा बेस्ट?अंडे के नाम पर ठग न जाएं, यहां है पूरी गाइडभारत अंडा उत्पादन (Egg production) में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है (India is the third largest egg producer in the world)। चीन पहले नंबर पर है (दुनिया का 38 फीसदी उत्पादन), उसके बाद अमेरिका और फिर भारत का नंबर आता है।
- प्रकृति का सच्चा साथी: विजय सिंह, जिन्होंने YouTube देखकर बदली खेती की तस्वीर, बने Natural Farming के ‘गुरु’!विजय सिंह बताते हैं कि उन्होंने प्राकृतिक खेती (Natural Farming) की शुरुआत यूट्यूब (YouTube) पर वीडियो देखकर की। राजीव दीक्षित के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने इस पर अमल करना शुरू किया और नतीजे हैरान करने वाले थे।
- किसानों की सोयाबीन फसल को ‘ज़हरीली’ दवा ने जलाया,कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने किया औचक निरीक्षण, कंपनी पर भड़केप्रदेश के रायसेन जिले के छीरखेड़ा गांव (Chhirkheda village in Raisen district of Madhya Pradesh) खरपतवारनाशक दवा के नाम पर (Fake pesticides, fertilizers and seeds) कहर टूट पड़ा। खेतों में सोयाबीन की जगह अब सिर्फ जले हुए पौधों के ठूंठ और खरपतवार (plant stumps and weeds) नज़र आ रहे हैं। जहां एक कंपनी की दवा ने सैकड़ों किसानों की उम्मीदों को जड़ से जला दिया।
- हरियाणा के किसानों के लिए बड़ी राहत! भारी बारिश से हुए नुकसान का मुआवज़ा पाने का आख़िरी मौकाभारी बारिश से हुए फसल नुकसान को लेकर 31 अगस्त 2025 तक (Haryana farmers can claim for crop loss as govt-opens e-kshatipurti portal till 31st August 2025) प्रभावित किसान ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल के जरिए अपना मुआवज़ा दावा कर सकते हैं।
- Viksit Krishi Sankalp Abhiyan For Rabi Crop: कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के लिए शुरू किए बड़े अभियान!शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि 15-16 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस होगी, जिसमें रबी फसल (Viksit Krishi Sankalp Abhiyan For Rabi Crop) की तैयारियों पर स्ट्रैटजी बनेगी।
- सत्या देवी ने रसायन खेती छोड़ प्राकृतिक खेती अपनाई, बनी क्षेत्र की मिसालहिमाचल की सत्या देवी ने प्राकृतिक खेती (Natural farming) से ख़र्च घटाकर मुनाफ़ा बढ़ाया और सेहत सुधारी, बन गईं क्षेत्र की प्रेरणा।
- Historic Decision Of Modi government: अब विदेशी कंपनियों का नहीं चलेगा रंग,किसानों ने जमकर किया समर्थनकिसान संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) सरकार के उस ठोस फैसले का स्वागत किया, जिसमें विदेशी कंपनियों को भारतीय कृषि और डेयरी क्षेत्र (Indian Agriculture and Dairy Sector) में घुसपैठ करने से (Historic Decision Of Modi government) रोक दिया गया।
- हिमाचल के किसान मनोज शर्मा ने प्राकृतिक खेती से मिट्टी और फ़सल में लाया सुधारप्राकृतिक खेती से हिमाचल के किसान मनोज शर्मा ने खर्च घटाकर आमदनी बढ़ाई और मिट्टी की सेहत में सुधार किया।
- अनियमित बारिश हो या सूखा-बाढ़ से फसलें तबाह, Digi-Claim से मिनटों में किसान भाई पाएं बीमा राशिपहले बीमा क्लेम (Insurance Claim) लेने का प्रोसेस इतनी कठिन था कि किसानों को महीनों तक चक्कर काटने पड़ते थे। अब इसका समाधान हो गया है, वो है Digi-Claim Digital Platform जिसके ज़रीये ने बीमा क्लेम का प्रोसेस को आसान, तेज और ट्रांसपेरेंट बना दिया है।
- Cow Dung से अब बनेगा Green Gold: गाय के गोबर चलेंगी गाड़ियां, यूपी सरकार का ख़ास प्लानएक्सपर्ट के मुताबिक, एक गाय के गोबर (Cow dung) से सालाना 225 लीटर पेट्रोल के बराबर मीथेन गैस (methane Gas ) बनाई जा सकती है। इसे प्रोसेस करके उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में Compressed Biogas (CBG) में बदला जाएगा, जो गाड़ियो को चलाने के काम आएगा।
- लाहौल के किसान तोग चंद ठाकुर की मेहनत से देश में पहली बार सफल हुई हींग की खेतीलाहौल के किसान तोग चंद ठाकुर ने देश में पहली बार हींग की खेती में सफलता पाई, आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम।
- समुद्री कछुओं को बचाने का बड़ा कदम: अब ट्रॉलरों में अनिवार्य होंगे Turtle Excluder Device, मछुआरों का होगा फायदादेश भर के मछुआरों को अपने ट्रॉलर जहाजों में Turtle Excluder Device (TED) लगाना अनिवार्य होगा। ये डिवाइस न सिर्फ मछलियों के शिकार को आसान बनाएगी, बल्कि गलती से जाल में फंसने वाले लुप्तप्राय समुद्री कछुओं (endangered sea turtles) को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करेगी।
- Testing of irrigation water: क्यों खेती की कमाई बढ़ाने के लिए ज़रूरी है सिंचाई के पानी की जाँच?सिंचाई के पानी की जाँच (Testing of irrigation water) से उसकी तासीर जानकर फ़सल का सही चयन करें, जिससे मिट्टी स्वस्थ रहे और खेती में बेहतर उत्पादन हो।
- Initiative Of Bihar Government: आपदा में पशुओं की जान बचाएगी ‘चारा वितरण योजना’, जानिए इसके बारे में विस्तार सेबिहार सरकार (Initiative of Bihar Government) ने एक ऐसी स्कीम (‘Animal Fodder Distribution Scheme’) शुरू की है जो आपदा (Disaster) के समय पशुओं की जान बचाने में मददगार साबित हो रही है।
- कैसे रिंग पिट विधि ने कौशल मिश्रा की गन्ने की खेती को बना दिया मिसाल जानिएरिंग पिट विधि से गन्ने की खेती में नई क्रांति लाए शाहजहांपुर के किसान कौशल मिश्रा, जानिए उनकी सफलता की पूरी कहानी।
- कोरना काल में ‘प्राकृतिक खेती’ बनी वरदान – हिमाचल के किसान प्रदीप वर्मा की कहानीकोरना काल में हिमाचल के प्रदीप वर्मा ने प्राकृतिक खेती से कम लागत में बेहतर मुनाफ़ा कमाकर किसानों को दी नई दिशा।