बैकयार्ड मुर्गी पालन में कैरी निर्भीक नस्ल की क्या है ख़ासियत? क्यों बन रही मुर्गीपालकों की पसंद?
जानिए बैकयार्ड मुर्गीपालन में कैरी निर्भीक नस्ल का पालन कैसे करें
ग्रामीण इलाकों में रोज़गार और आमदनी बढ़ाने का एक बेहतरीन ज़रिया है घर के पिछवाड़े यानी बैकयार्ड में मुर्गी पालन करना। बैकयार्ड मुर्गी पालन से मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए, वैज्ञानिक मुर्गियों की उन्नत नस्ल विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। ऐसी ही एक नस्ल है कैरी निर्भीक।
मुर्गीपालन (Poultry Farming): छोटे किसानों और ग्रामीण युवाओं की आमदनी बढ़ाने के साथ ही उनकी पोषण की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बैकयार्ड मुर्गी पालन (Backyard Poultry Farming) एक अच्छा विकल्प है। साथ ही देश में अंडे और चिकन की बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी मुर्गी पालन को बढ़ावा देना ज़रूरी है। इसलिए वैज्ञानिक लगातार इसकी उन्नत नस्ल विकसित करते रहते हैं।
ऐसी ही एक नस्ल है कैरी निर्भीक जिसे केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (CARI) ने विकसित किया है। बैकयार्ड मुर्गीपालन करने वाले किसानों के लिए ये नस्ल बहुत ही बेहतरीन है, क्योंकि ये उनकी कई समस्याओं का समाधान करके मुनाफ़ा बढ़ाने में मदद करती है।
बैकयार्ड के लिए बेस्ट
कैरी निर्भीक रंगीन और दोहरे प्रकार का देसी चिकन है, जिसका उत्पादन ख़ासतौर पर अंडे और मांस के लिए किया जाता है। इस नस्ल की ख़ासियत ये है कि ये बैकयार्ड मुर्गी पालन में आने वाली सभी समस्याओं को दूर करते है जैसे- शिकार की समस्या, प्रतिकूल जलवायु, खराब पोषण और उत्पादकता। दरअसल, ये पक्षी कठोर प्रकृति का है, इसका पंख रंगीन, शरीर हल्का, प्रतिरक्षा बेहतर और विकास दर अच्छी होने की वजह ये सभी समस्याओं से निपटने में सक्षम है। इसकी अंडे देने की क्षमता भी ज़्यादा है।

कैरी निर्भीक की अहम विशेषताएं
पक्षियों की ये नस्ल अपने उग्र और लड़ाकू स्वभाव के लिए जानी जाती है। इनका चलने का तरीका भी दूसरी मुर्गी से अलग होता है। ये शुद्ध देसी मुर्गी है। इनका रंग लाला और पीला होता है, गर्दन लंबी और टांगे मज़बूत होती हैं। सालाना ये मुर्गी 170 से 190 अंडे देती है। इसे घर के पीछे की थोड़ी सी जगह में भी पाला जा सकता है। जिन किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, वो भी कम खर्च में मुर्गी पालन की शुरुआत कर सकते हैं।

मज़बूत और बड़ी होती हैं
इस नस्ल की मुर्गी का मांस प्रोटीन से भरपूर होता है। कैरी निर्भीक मुर्गियां तेज़ तर्रार होने के साथ ही आकार में बड़ी और मज़बूत भी होती हैं। इस नस्ल के नर पक्षी का वज़न 20 हफ़्ते के अंदर 1850 ग्राम और मादा का वज़न तकरीबन 1350 ग्राम के आसपास हो जाता है। ये मुर्गियां 170-180 दिनों में 170 से 200 अंडें तक देती हैं।
मुर्गी पालन से जुड़ी कुछ अहम बातें
अगर आप बैकयार्ड में कैरी निर्भीक को पालने की सोच रहे हैं, तो उपलब्ध स्थान के अनुसार 5 से 25 पक्षियों के साथ शुरुआत कर सकते हैं। पक्षियों को पूरे दिन खुला छोड़ देना चाहिए, मगर रात में उनकी सुरक्षा के लिए साफ और हवादार आवास होना ज़रूरी है। इसे आप उपलब्ध स्थानीय समाग्री से तैयार कर सकते हैं। पक्षियों को लाने के बाद पहले दो-तीन दिन पर्याप्त भोजन दिया जाना चाहिए, जिसमें अनाज का मिश्रण शामिल है। आजकल कई किसान बड़े पैमाने पर इसका पालन कर रहे हैं और 2000 से 5000 पक्षियों को एकसाथ स्टॉल फीडिंग के साथ सीमित शेड में रखते हैं।

बैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए कैरी निर्भीक नस्ल
बैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए कैरी निर्भीक किसानों की पसंदीदा नस्ल है। इसलिए देश के लगभग 16 राज्यों के किसान इसे पाल रहे हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में आम के किसानों ने बगीचे में विभिन्न कीटों से छुटकारा पाने के लिए आम की खेती के साथ मुर्गी पालन भी शुरू किया। इस तरह से उन्हें आमदनी बढ़ाने में मदद मिली। आम के साथ ही वो चिकन अंडे और मांस की बिक्री के लाभ अर्जित करने के साथ कीटनाशकों पर होने वाले खर्च की भी बचत कर रहे हैं।
कई ICAR संस्थानों की फार्मर्स फर्स्ट, मेरा गांव मेरा गौरव, RKVY, NLM, TSP, SCSP आदि परियोजनाओं के तहत किसानों ने कैरी-निर्भीक जर्मप्लाज़्मा का उपयोग करके बैकयार्ड मुर्गी पालन को अपनाया, जिससे न सिर्फ उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो रही है, बल्कि पोषण संबंधी ज़रूरत भी पूरी हो रही है।
स्टोरी साभार: ICAR
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