टमाटर की खेती | टमाटर की आसमान छूती कीमतों ने जहां ग्राहकों की जेब ढीली कर दी है, वहीं किसानों की बल्ले-बल्ले हो रही है। कभी कम कीमत मिलने के कारण टमाटरों को सड़कों पर फेंकने की खबरें आपने भी सुनी होंगी, मगर आज के हालात कुछ और ही है। गृहणियों ने टमाटर के इस्तेमाल में कटौती शुरू कर दी है, क्योंकि इसने उनके महीने का बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है, मगर वहीं दूसरी ओर किसानों के चेहरे पर खुशी दिख रही है, क्योंकि टमाटर उन्हें मालामाल जो कर रहा है।
आंध्र प्रदेश के एक किसान मुरली ने सिर्फ़ 45 दिनों में टमाटर की बिक्री से 4 करोड़ की कमाई की है। पिछले साल का डेढ़ करोड़ का कर्ज और बाकी खर्च निकालकर उन्हें 2 करोड़ का सीधा मुनाफ़ा हुआ है।
टमाटर ने लगाई नैय्या पार
पिछले साल जिस टमाटर ने आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले के करकमंडला गांव के रहने वाले मुरली को करोड़ों के कर्ज में डुबा दिया था, आज उसी टमाटर ने उन्हें मालामाल कर दिया है। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि टमाटर की खेती उनके लिए कुबेर का खज़ाना साबित होगी। दरअसल, 45 दिनों में ही मुरली को टमाटर बेचकर 4 करोड़ रुपए की कमाई हो चुकी है। अभी बेचने के लिए और फसल बाकी है यानी उनका मुनाफ़ा अभी और बढ़ेगा। मुरली की ही तरह इस बार टमाटर ने कई किसानों को मालामाल कर दिया है।
50 हज़ार की कमाई
मुरली का परिवार सालों से खेती कर रहा है। एक इंटरव्यू के दौरान मुरली ने बताया कि उनके पिताजी को टमाटर की खेती से एक बार 50,000 का फ़ायदा हुआ था। उन्होंने उन पैसों को घर की अलमारी में रख दिया था। सभी घरवाले रोज़ इस अलमारी की पूजा किया करते थे, क्योंकि उनके लिए 50,000 रुपये बहुत बड़ी रकम थी, मगर मुरली को क्या पता था एक दिन टमाटर से उन्हें छप्पड़फाड़ आमदनी होगी।
8 साल से उगा रहे टमाटर
मुरली पिछले 8 सालों से टमाटर की खेती कर रहे हैं, मगर उन्हें कभी भी इससे इतनी आमदनी नहीं हुई। पिछले साल तो इन टमाटरों की कम कीमतों के कारण उनपर 1.5 करोड़ का कर्ज हो गया। मगर इस साल हुए मुनाफ़े ने सारा हिसाब बराबर कर दिया। मुरली टमाटर की अच्छी कीमत प्राप्त करने के लिए इसे बेचने के लिए 130 किलोमीटर का सफ़र करते हैं। 45 दिनों में 35 कटाई कर चुके हैं और अभी 15-20 कटाई बाकी हैं। वो 45 दिन में 40 हज़ार बॉक्स टमाटर बेच चुके हैं। हर बॉक्स में 25 किलो टमाटर होते हैं, इस तरह देखें तो वो 10 लाख किलो टमाटर की बिक्री कर चुके हैं।
बागवानी में निवेश का है इरादा
मुरली के पास 12 एकड़ पुश्तैनी ज़मीन है, जबकि कुछ साल पहले ही उन्होंने 10 एकड़ और ज़मीन खरीदी है। इतना ही नहीं, अपनी खेती को बढ़ाने के लिए वो गांव में 20 एकड़ ज़मीन और खरीदना चाहते हैं। वो बागवानी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए भी निवेश करना चाहते हैं। ज़ाहिर सी बात है कि इस बार टमाटर बेचकर वो बहुत खुश हैं और इसकी खेती को बढावा देना चाहते हैं।
मुरली दूसरे किसानों को सलाह देते हैं कि अगर आप खेती में विश्वास रखते हो और इसका सम्मान करते हो, आप कभी हारेंगे नहीं।
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