Poultry Farming: मुर्गी पालन व्यवसाय में इन उन्नत तकनीकों को अपनाकर मेघालय के युवा ने पाई सफलता

किसानों की अतिरिक्त आमदनी के लिए मुर्गी पालन व्यवसाय एक अच्छा विकल्प है, मगर इससे मुनाफ़ा कमाने के लिए मुर्गी की सही नस्ल और उसके उचित प्रबंधन व देखभाल की ज़रूरत होती है। साथ ही मुर्गीपालन में नई तकनीक अपनाकर भी किसान इससे अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं, जैसा कि मेघालय के युवा यौंद्रफुली सुतंगा ने किया।

मुर्गी पालन व्यवसाय (3)

मुर्गीपालन किसानों के लिए बेहतरीन साइड बिज़नेस हो सकता है, क्योंकि इसे वह अपने घर के आंगन या पिछली जगह में शुरू कर सकते हैं। इसमें लागत भी बहुत कम आती है मुर्गियों को भोजन के रूप में अनाज के टुकड़े आदि दिए जा सकते हैं। खेती की तरह ही अगर मुर्गीपालन में भी नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। मेघालय के 28 साल के युवा यौंद्रफुली सुतंगा ने ‘इनोवेटिव अंडे देने वाला केबिन’ और ‘अजोल की खेती’ जैसी नवीनतम तकनीकों को अपनाकर मुर्गीपालन के क्षेत्र में ज़बरदस्त सफलता पाई है। वह अपने इलाके के अन्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं।

Poultry Farming: मुर्गी पालन व्यवसाय
तस्वीर साभार: mbda

प्रशिक्षण से बदली सुतंगा की ज़िंदगी

खेती के साथ ही सुतंगा अतिरिक्त आमदनी के लिए मुर्गीपालन करते थे। मगर स्वदेशी नस्ल की मुर्गियों और खराब प्रबंधन व देखभाल की वजह से इस व्यवसाय से मुनाफ़ा नहीं कमा पा रहे थे। वह घर के बैकयार्ड में ही मुर्गीपालन करते थें।

उन्होंने 2020 में मेघालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, जंयतिया हिल्स द्वारा Skill Training for Rural youth (STRY) के तहत मुर्गीपालन व प्रबंधन पर आयोजित एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लिया। यह ट्रेनिंग प्रोग्राम मेघालय कृषि प्रबंधन और विस्तार प्रशिक्षण संस्थान (MAMETI), अपर शिलांग, मेघालय के समन्वय के तहत आयोजित किया गया था।

ट्रेनिंग में इन बातों की दी गई जानकारी

ट्रेनिंग में हिस्सा लेने पर सुतंगा को मुर्गीपालन व प्रबंधन से जुड़े विभिन्न कौशल के बारे में जानकारी मिली। सुतंगा को मुर्गी की उन्नत किस्म वनराज के बारे में पता चला।  उन्होंने अलग-अलग तरह के लेआउट हाउस (ब्रूडर, ग्रोअर और लेयर) हीट और कोल्ड स्ट्रेस का प्रबंधन, आहार देने का तरीका, टीकाकरण, स्वच्छता, मुर्गियों के रहने के स्थान की व्यवस्था और उसका प्रबंधन, शेड में मुर्गियों को संभालना, भोजन व पानी देना, उनके स्वास्थ्य की देखभाल, अंडे और मीट का रखरखाव, अंडे देने व मीट काटने के बाद स्थान की स्वच्छता का ध्यान रखना, उद्यमशीलता और विपणन कौशल का विकास, रिकॉर्ड रखने आदि से जुड़ी जानकारी प्राप्त की और इसके लिए ज़रूरी कौशल हासिल किया।

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तस्वीर साभार: manage

Poultry Farming: मुर्गी पालन व्यवसाय में इन उन्नत तकनीकों को अपनाकर मेघालय के युवा ने पाई सफलता

 

मुर्गियों की संख्या बढ़ाने की योजना

प्रशिक्षण से पहले सुतंगा कम उत्पादन वाली स्वदेशी मुर्गियों को पालते थे, जिनकी प्रजनन क्षमता बहुत कम थी। ट्रेनिंग के बाद इस युवा ने अपने मुर्गीपालन व्यवसाय का विस्तार करते हुए 150 वनराज मुर्गियों का पालन शुरू किया। उनकी योजना इसे बढ़ाकर 500 करने की है।

वनराज मुर्गियां अधिक अंडे देती हैं। यह साल में 260 से भी अधिक अंडे देती हैं। सुंतगा इसका मांस बेचने के साथ ही अंडों की भी बिक्री करती है। हाल ही में उन्होंने 200 ब्रॉयलर मुर्गियां भी खरीदीं।

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तस्वीर साभार- indiamart

अपनाई नई तकनीक

मुर्गीपालन के क्षेत्र में उन्होंने नई तकनीक ‘इनोवेटिव अंडे देने वाला केबिन’ और “अजोला खेती” को अपनाया। अंडे देने वाले केबिन की बदौलत अंडों का उत्पादन बढ़ा। साथ ही अजोली की खेती से चारे की समस्या खत्म हो गई।

कितनी कमाई? 

मुर्गी पालन व्यवसाय से सुतंगा को करीबन एक लाख 16 हज़ार की आमदनी होती है। इसमें उन्हें करीब 58500 लागत पड़ती है।

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दूसरे युवाओं को किया आकर्षित

सुतंगा ने अपने गाँव में मुर्गी की उन्नत नस्ल वनराज के बारे में लोगों को जागरूक किया। उनकी सफलता को देखकर दूसरे किसान भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित हुए। इतना ही नहीं, आसपास के गाँव के कई युवाओं का मुर्गीपालन के प्रति नज़रिया भी बदला। जहां पहले मुर्गीपालन को एक पारंपरिक प्रथा के तौर पर देखा जाता था, मुनाफा कमाने वाले व्यवसाय के रूप में नहीं। वहीं अब युवाओं में इसका रुझान बढ़ रहा है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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