डेयरी व्यवसाय शुरू करने से पहले गीतांजलि ने इन बातों का रखा ख़ास ध्यान, सालाना 9 लाख रुपये का मुनाफ़ा

छोटे किसानों के लिए पशु बहुत कीमती संपत्ति होते हैं, क्योंकि यही मुश्किल समय में उनकी आजीविका का स्रोत बनते हैं। अगर सही तरीके से व अच्छी नस्ल के पशुओं का पालन किया जाए तो किसान इससे बढ़िया आमदनी कमाकर अपने जीवन स्तर में सुधार कर सकते हैं, जैसा कि ओड़ीशा की महिला किसान ने किया है। डेयरी व्यवसाय कैसे गीतांजलि बेहरा की पहचान बन चुका है, जानिए इस लेख में।

डेयरी व्यवसाय woman dairy farmer odisha

ओड़ीशा के जाजपुर ज़िले के खैराबाद गाँव की रहने वाली गीतांजलि बेहरा करीबन पांच साल से पारंपरिक डेयरी व्यवसाय से जुड़ी हैं। उनके पास कुल 4 एकड़ ज़मीन है, जिसमें उनका घर और उसी में गौशाला भी बनी हुई है। डेयरी व्यवसाय से उन्हें अच्छी आमदनी नहीं हो रही थी और आय भी नियमित नहीं थी, क्योंकि गाय पूरे साल दूध नहीं देती थी। ऐसे में गीतांजलि को परिवार चलाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता था। खर्च चलाने के लिए वह बटाईदार खेती भी करती थीं। मगर कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के संपर्क में आने पर उन्हें आगे बढ़ने और अपनी कमाई बढ़ाने का ज़रिया मिला और आज वह सफल डेयरी उद्यमी बन चुकी हैं।

ट्रेनिंग कार्यक्रमों में लिया हिस्सा

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने उन्हें बताया कि 2002 में उनके घर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर दशरथपुर गाँव में OMFED का एक मिल्क चिलिंग प्लांट लगाया गया था। ऐसे में डेयरी व्यवसाय में बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने सबसे पहले उन्हें डेयरी फ़ार्मिंग और दूध के मूल्य संवर्धन (Milk Value Added Products) पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेने की सलाह दी।

गीतांजलि ने ट्रेनिंग में हिस्सा लिया और KVK के पशुधन विभाग के साथ लगातार संपर्क में रहीं। वैज्ञानिक नियमित रूप से उनकी डेयरी इकाई का दौरा करने आते और उन्हें ज़रूरी सलाह और जानकारी देतें। उन्हें दूध उत्पादन बढ़ाने, दूध के मूल्य संवर्धन उत्पाद, डेयरी इकाई का प्रबंधन, चारे की खेती, पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान तकनीक आदि के बारे में प्रशिक्षण दिया गया।

डेयरी व्यवसाय woman dairy farmer odisha

2 से 18 हुई गायों की संख्या

डेयरी यूनिट के लिए शुरुआती निवेश तो उन्होंने अपनी जमापूंजी और परिवार की मदद से ही लगाई। फिर कृषि विज्ञान केन्द्र ने 20 गायों की गौशाला बनाने में उनकी आर्थिक मदद की। प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने कटक ज़िले के सालेपुर से 2 क्रॉस ब्रीड गायें खरीदीं और अपनी देसी गाय बेच दी। अब उनके पास 18 क्रॉस ब्रीड जर्सी और होल्स्टीन गायें हैं। इसके अलावा,  एक एकड़ जमीन पर वो चारे की खेती भी करती हैं।

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डेयरी व्यवसाय से कितनी कमाई?

गीतांजलि बेहरा पहले सिर्फ़ अपने गाँव में दूध की बिक्री करती थीं, लेकिन अब वह बड़े पैमाने रोज़ाना का 120 लीटर से ज़्यादा दूध बेच रही हैं। वह कुआखिया संग्रह केन्द्र में राज्य द्वारा संचालित OMFED को 90 लीटर दूध बेचती हैं, जिससे उन्हें करीब 2 हज़ार रुपये प्रतिदिन की कमाई होती है।

इसके अलावा, स्थानीय बाज़ार में तकरीबन 20 लीटर दूध, 34 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचकर हर दिन 680 रुपये कमाती हैं। रोज़ाना 6-7 किलोग्राम पनीर बेचकर 2500 रुपये की कमाई करती हैं। इस तरह उनकी हर दिन की कमाई 5000 रुपये है और लागत निकाल देने पर उन्हें हर दिन 2500 रुपये का मुनाफ़ा होता है यानी महीने का करीब 75 हज़ार और सालाना 9 लाख का मुनाफ़ा वो कमा रही हैं।

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अन्य महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा  

पहले जहां वह मुश्किल से अपना घर चला पाती थीं, आज लाखों रुपये का लाभ अर्जित करके इलाके की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं और किसान उनकी डेयरी इकाई देखने आते हैं। अन्य डेयरी किसान अब उनके सफल मॉडल को अपनाकर पशुपालन कर रहे हैं। गीतांजलि बेहरा और उनका पूरा परिवार इस सफलता के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र, जाजपुर का आभारी है, क्योंकि यह सब उनकी मदद से ही संभव हो पाया। गीतांजली को डेयरी व्यवसाय में उनके योगदान के लिए कई अवॉर्ड मिल चुके हैं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान का सम्मान भी मिल चुका है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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