Goat Farming: इस महिला ने अच्छी नौकरी के बजाय बकरी पालन को चुना, आज हैं प्रगतिशील किसानों में शुमार

बरनाली ने जब बकरी पालन के क्षेत्र में कदम रखा तो उन्हें इसकी ज़्यादा जानकारी नहीं थी। इसके लिए उन्होंने कई संस्थानों से ट्रेनिंग ली। आज वो अपने क्षेत्र के किसानों को बकरी पालन से जुडने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

बकरी पालन

भारत बकरी पालन के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देश है। बकरी पालन को ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत पसंद किया जाता है। लोगों के बीच बकरी पालन प्रचलित होने की एक बड़ी वजह है बकरियों का किसी भी मौसम के मुताबिक आसानी से ढल जाना।

वैसे तो पशुपालन और खेती-किसानी में प्रगतिशील किसानों की बात हो तो आपने ज़्यादातर पुरुषों के नाम ही सुने होंगे, क्योंकि महिलाओं से ऐसी उम्मीद की जाती है कि वो एक अच्छी नौकरी करें ना कि खेती या पशुपालन का काम बतौर करियर के रूप में चुने। ग्रामीण भारत में महिलाओं की एक बड़ी आबादी कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में कार्यरत है, लेकिन इनमें से अपने दम पर कुछ अलग कर दिखाने वाली प्रगतिशील महिलाएं काफ़ी कम हैं। इस लेख में हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं। असम के सिबसागर ज़िले के गांव चरिंग दुआरापारा में रहने वाली बरनाली बरुच द्वारह ने ऐसा क्या अलग किया, जिसने उनकी पहचान बदल दी, इस बारे में आप आगे पढ़ेंगे।

बकरी पालन goat farming in india
तस्वीर साभार: apnikheti

 

Goat Farming: इस महिला ने अच्छी नौकरी के बजाय बकरी पालन को चुना, आज हैं प्रगतिशील किसानों में शुमार

82 बकरियों का कर रही हैं पालन-पोषण

बरनाली बरुच को लोग एक प्रगतिशील महिला किसान के तौर पर जानते हैं। उन्होंने मास्टर्स भी की हुई है। आमतौर पर मास्टर्स करने के बाद लोग एक अच्छी नौकरी की तलाश के लिए निकल पड़ते हैं, लेकिन बरनाली ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने पशुपालन को एक व्यवसाय के रूप में चुना, बकरी पालन में हाथ आज़माया और आज वो 82 बकरियों का पालन-पोषण कर रही हैं।

कई संस्थानों से ली ट्रेनिंग

बरनाली ने जब पशुपालन के क्षेत्र में कदम रखा तो उन्हें इसकी ज़्यादा जानकारी नहीं थी।

इसके लिए उन्होंने कई अलग-अलग संस्थानों जैसे ATMA  शिवसागर, पशु चिकित्सा विभाग और असम कृषि विश्वविद्यालय से बाकायदा ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग लेने के बाद ही उन्होंने बकरी पालन की शुरुआत की और पूरी लगन और मेहनत से इसमें जुट गईं।

बकरी पालन goat farming in india
तस्वीर साभार: Department of Agriculture and Farmers Welfare

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बकरी की कई नस्लों को है पाला

असम की जलवायु के अनुकूल परिस्थितियों में किस तरह की नस्लों की बकरियां पाली जा सकती हैं, इसका पता किया और फिर अलग-अलग नस्लों की बकरियों को पालना शुरू किया। उन्होंने असमिया पहाड़ी बकरी, पंजाब से बीटल, राजस्थान से सिरोही बकरी और उत्तर प्रदेश से जमुनापारी बकरी नस्ल को पाला।

बकरी पालन goat farming in india
तस्वीर साभार: Department of Agriculture and Farmers Welfare

कई अन्य किसानों को भी कर रही हैं प्रेरित

जैसे-जैसे बरनाली का अनुभव बढ़ता गया, उनका काम भी बढ़ता गया। उन्होंने देखा कि उनकी तरह कई दूसरे लोग भी अपनी कमाई बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसके बाद बरनाली ने स्थानीय लोगों के पास जाकर, उनसे बकरी पालन से जुड़े अपने अनुभव साझा करने शुरू किए।

इसके साथ ही उन्होंने एक और पहल की, जिसके तहत बकरियों के लिए प्रोटीन, खनिज और कैल्शियम युक्त संतुलित आहार तैयार करना शुरू कर दिया। साथ ही हरे चारे और आहार के लिए नेपियर, हाइब्रिड नेपियर, दीनानाथ और मक्का की खेती भी शुरू कर दी। इसमें जोरहाट स्थित असम कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र ने उनकी मदद की।

बकरी पालन goat farming in india
तस्वीर साभार: Department of Agriculture and Farmers Welfare

अब बरनाली ने बाज़ार की मांग के मुताबिक, बकरियों के अलावा मुर्गी, बनराजा, ब्रॉयलर, खाकी कैंपबेल और बतख पालन भी करती हैं। मुनाफ़ा बढ़ा तो फिर मछली पालन में भी उतर आईं। वो अपने घर पर लगभग ढाई बीघा में बने तालाब में मछली पालन करती हैं। इसके साथ ही वह बिक्री के लिए बकरी, पक्षियों और अन्य कृषि कचरे से वर्मी कंपोस्ट का भी उत्पादन करती हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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