Lettuce Farming: सलाद पत्ते की खेती में अपनाएंगे उन्नत तकनीक तो होगा फ़ायदा, जानिए ज़रूरी बातें
ठंडी जगह पर होती है अच्छी उपज
आजकल कई विदेशी फल और सब्ज़ियां भारत में लोकप्रिय हो रही हैं और इनकी मांग बढ़ती जा रही है, जिसे देखते हुए किसान इसे उगाने लगे हैं। ऐसी ही एक सब्ज़ी है Lettuce। जानिए सलाद पत्ते की खेती के बारे में ज़रूरी बातें।
Lettuce Farming (सलाद पत्ते की खेती): आप सब ने बर्गर और सैंडविच तो खाया ही होगा। कभी ध्यान दिया है कि उसमें हरे रंग का एक बड़ा सा पत्ता डाला जाता है, जी हां, जिसे आप सब बड़े चाव से खाते हैं, लेकिन क्या आपको उस पत्ते के बारे में पता है। उसे लेट्यूस (Lettuce) या सलाद का पत्ता कहा जाता है, जो कि विदेशों में बहुत लोकप्रिय है, लेकिन अब देश में भी इसकी मांग बढ़ने लगी है जिसे देखते हुए इसकी व्यवसायिक स्तर पर खेती होने लगी है। लेट्यूस के पत्ते के साथ ही इसकी गांठ का भी सलाद और सूप में इस्तेमाल होता है। बड़े शहरों, होटलों और टूरिस्टों के आने वाली जगहों पर इसकी मांग अधिक है। अगर आप ठंडे प्रदेश में रहते हैं, तो लेट्यूस की खेती से अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं, क्योंकि कम तापमान में इसकी फसल अच्छी होती है।
जलवायु और मिट्टी
लेट्यूस की फसल के लिए ठंडी जलवायु अच्छी होती है। इसलिए पहाड़ी इलाकों में जहां तापमान 13-16 डिग्री सेल्सियस हो वहां, इसकी अच्छी उपज होती है। गर्म इलाकों में इसकी खेती नहीं की जा सकती, क्योंकि अधिक तापमान में बीज के डंठल जल्दी निकल जाते हैं और पत्तियों का स्वाद कड़वा हो जाता है। इसकी फसल के लिए रेतीली दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6.00-6.5 हो, सबसे अच्छी मानी जाती है।
कैसे तैयार करें खेत तैयार?
इसकी फसल लगाने के लिए खेत की गहरी जुताई की ज़रूरत नहीं होती है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद 2 जुताई कल्टीवेटर से करें। हर बार जुताई के बाद पाटा लगाना चाहिए। इसके बाद खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद 15-20 ट्राली प्रति हेक्टेयर डालकर मिट्टी में मिला दें। इसकी खेती में केमिकल उर्वरकों का इस्तेमाल सावधानी से करें।
बुवाई का तरीका?
बुवाई से पहले बीज को उपचारित करना ज़रूरी है। इसे थीरम या एग्रोसिन जी एन 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। प्रति हेक्टेयर 500 ग्राम बीज की ज़रूरत होती है। इसकी कुछ किस्मों की बुवाई नर्सरी में की जाती है और 5-6 हफ़्ते बाद खेत में रोपाई की जाती है, जबकि पत्तों वाली किस्मों को खेत में सीधे बोया जाता है। पहाड़ी इलाकों में इसकी बुवाई फरवरी से जून में की जाती है।
कब करें कटाई?
जब पत्ता पूरी तरह से विकसित हो जाए तब इसे काट लेना चाहिए। नर्म पत्तियों को एक हफ़्ते के अंतराल के बाद काटा जा सकता है। मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत में फसल की कटाई बंद कर देनी चाहिए। अगर आप इसके बीज बनाना चाहते हैं, तो कटाई मई महीने में खत्म कर दें। प्रति एकड़ इसके 50 किलो बीज प्राप्त होते हैं। लेट्यूस की जो सिरे वाली किस्म होती हैं, उनकी कटाई तभी की जानी चाहिए जब सिरे पूरी तरह से विकसित हो जायें फसल की कटाई करें। एक पौधे से 12-14 पत्ते प्राप्त होते हैं। ध्यान रहे इसकी कटाई सुबह के समय करें, इससे पत्ते ताज़े रहते हैं और कटाई हाथ से और मिट्टी की सतह से ऊपर करें।
पहाड़ी इलाकों के किसान लेट्यूस की खेती (सलाद पत्ते की खेती) से अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। इसकी खेती खुले खेत में और पॉलीहाउस में दोनों तरह से की जा सकती है।
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