ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती: इस किसान ने पानी की समस्या को दूर करने के लिए अपनाया ये फ़ॉर्मूला

पिछले करीबन 12 साल से ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती कर रहे बिसरोट्टी ने फसल की उपज को अच्छा करने के लिए कई प्रयोग किए। आइए जानते हैं उनके प्रयोगों के बारे में।

ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती zero budget natural farming

कर्नाटक के धारवाड़ ज़िले के रहने वाले मल्लेशप्पा गुलप्पा बिसरोट्टी पिछले करीबन 12 साल से ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती (Zero Budget Natural Farming) कर रहे हैं। 2019 के बाद से धारवाड़ ज़िले में बारिश पड़नी कम हो गई है। पीने का पानी लाने के लिए भी एक लंबा सफर तय करना पड़ता है। वहीं, किसानों को कृषि कार्यों के लिए पानी की कमी जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है। इन कठिन परिस्थितियों में बिसरोट्टी ने फसल उत्पादन के वैकल्पिक तरीके के रूप में ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती को अपनाया।

कैसे की ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती की शुरुआत?

बिसरोट्टी ने अपने क्षेत्र में पानी की समस्या को देखते हुए ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती को चुना। शुरुआत में उन्होंने फ़ार्म यार्ड खाद (FYM) मेथड, कंपोस्ट और वर्मी-कम्पोस्ट के इस्तेमाल से खेती शुरू की। फ़ार्म यार्ड खाद को मवेशियों के गोबर, मूत्र, व्यर्थ चारे और अन्य डेयरी कचरे का उपयोग करके तैयार किया जाता है। पौधों को इस मिश्रण द्वारा संतुलित पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं। लगातार चार साल के उपयोग में उन्होंने देखा कि उनकी फसलें बेहतर हो रही हैं। इस तरह से उन्होंने ज़ीरो बजट खेती से जुड़ी हर चीज़ को अपनी खेती में आज़माया। 

उन्होंने सबसे पहले तरल जीवामृत का इस्तेमाल किया, लेकिन इसको तैयार करने में पानी की मात्रा ज़्यादा लगती है। पानी की कमी को देखते हुए वो तरल जीवामृत की जगह घन जीवामृत (Solid Jeevamrutha) को बनाने के प्रयोग में लग गए। इसमें उन्हें सफलता मिली। आज वो पिछले 8 साल से घन जीवामृत के इस्तेमाल से फसलें उगा रहे हैं। 

ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती zero budget natural farming
सांकेतिक तस्वीर (तस्वीर साभार: exportersindia)

घन जीवामृत बनाने के लिए आवश्यक सामग्री:

  • 10 किलो देसी गाय या बैल का गोबर
  • 250 ग्राम दाल का आटा (कोई भी दाल)
  • 250 ग्राम गुड़ 
  • 1.5 से 2.0 लीटर गौमूत्र
  • 500 ग्राम उपजाऊ मिट्टी 

कैसे तैयार किया जाता है घन जीवामृत?

10 किलो गोबर को एक जगह इकट्ठा कर लें। फिर 500 ग्राम उपजाऊ मिट्टी, 250 ग्राम दाल का आटा और 250 ग्राम गुड़ को अच्छी तरह गौमूत्र में मिला लें। फिर इस मिश्रण को गोबर में अच्छे से मिला दें। अब इस जीवामृत को 24 घंटे के लिए किसी छायादार स्थान पर फैलाकर किसी कपड़े, बोरे या पॉलीथिन से ढक दें।

अगले दिन, बोरी को हटा दें और 25 से 30 दिनों के लिए इसे छाया में सुखाने के लिए छोड़ दें। सूखने के बाद घन जीवामृत को छोटे-छोटे टुकड़ो में तोड़ लें। किसी बैग में या बोरी में भर कर रख लें। इसे 6 महीने तक किसान उपयोग में ला सकते हैं। 

ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती zero budget natural farming
तस्वीर साभार: manage

ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती: इस किसान ने पानी की समस्या को दूर करने के लिए अपनाया ये फ़ॉर्मूलाघन जीवामृत का कैसे करें इस्तेमाल? 

इसे खेत की बुवाई के समय डाल सकते हैं। इसको जब भी डालें तब खेत में नमी होनी चाहिए। मशीन से बुवाई करते समय एक पाइप में बीज और एक पाइप में घन जीवामृत दे सकते हैं। मशीन में दोनों को मिक्स करके भी ड़ालकर बुवाई कर सकते है। घन जीवामृत में करोड़ों जीवाणु सूक्ष्म अवस्था में होते हैं। खेत में डालने के बाद ये जीवाणु फैलने लगते हैं, जो फसल को ज़रूरी पोषक तत्व प्रदान करते हैं। 

इसके अलावा, बिसरोट्टी ने भारी संख्या में केंचुओं के विकास पर भी ध्यान दिया। तीन दिनों के लिए 20 किलो घन जीवामृत में 2.5 लीटर पानी डालकर रख दिया। 45 दिनों बाद उन्हें एक ट्रे में लगभग 1,000 केंचुए मिले। 

बारिश के पानी पर निर्भरता को किया खत्म

उन्हें प्रत्येक ट्रे से 20 किलो वर्मी-कम्पोस्ट प्राप्त होता है। इस वर्मी-कम्पोस्ट को खाद और घन जीवामृत के साथ मिलाकर फसलों में इस्तेमाल किया जाता है। घन जीवामृतऔर वर्मी-कम्पोस्ट तैयार करने की इस नई विधि की मदद से वो हर साल 10 मीट्रिक टन वर्मी-कम्पोस्ट और 5 हज़ार किलो घन जीवामृत का उत्पादन करते हैं। इसके अलावा, नीम के पेड़ों से एकत्रित बीजों से 200 किलो नीम की खली भी तैयार करते हैं। वर्मी-कम्पोस्ट उत्पादन के लिए नीम के पत्तों का उपयोग करते हैं। उनका कहना है कि इन जैविक उत्पादों के इस्तेमाल से उनकी फसल अजैविक खेती से उपजी फसल के मुकाबले बेहतर है। 

बिसरोट्टी का मानना है कि ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती में गुणवत्ता तो बेहतर मिलती ही है, साथ ही उसकी शेल्फ लाइफ़ भी अच्छी रहती है। बिसरोट्टी का कहना है कि अगर किसान उनके द्वारा अपनाई गई पद्धति से खेती करते हैं तो इससे किसान बारिश के पानी पर निर्भर नहीं रहेंगे। 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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