कमरख की खेती (Carambola farming): यदि चाहिए पूरे साल कमाई तो करें इस ख़ूबसूरत फल की बाग़वानी
यदि पूरे साल भरपूर धूप मिले तो हमेशा मिलती रहती है कमरख की उपज
कमरख का पेड़ बहुवर्षीय होता है। इसकी ऊँचाई 5 से 10 मीटर तक होती है। भारत में कमरख की खेती उड़ीसा, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश आदि राज्यों में की जाती है।
कमरख या अमरख या Carambola एक बेजोड़ औषधीय फल है। इसकी आकृति तारों की तरह पंचकोणीय होती है, इसीलिए इसे स्टार फ्रूट (Star Fruit) भी कहते हैं। कमरख को यदि पूरे साल भरपूर धूप या गर्मी मिले तो इसमें हमेशा फल और फूल उगते रहते हैं। इससे कमरख की खेती करने वाले किसानों को सारे साल आमदनी मिल सकती है। मौसमी प्रभाव की वजह से दक्षिण भारत में जहाँ जनवरी और सितम्बर-अक्टूबर के महीनों में फल आते हैं तो उत्तर भारत में नवम्बर से मार्च के दौरान कमरख की बढ़िया उपज प्राप्त होती है।
कमरख का पेड़ बहुवर्षीय होता है। इसकी ऊँचाई 5 से 10 मीटर तक होती है। कमरख की शाखाएँ घनी और सुन्दर होती हैं तथा पत्ते साल भर हरे रहते हैं। कच्चा फल हरे रंग का होता है और पकने पर पीला हो जाता है। कमरख का फल 7.5 से 10 सेटीमीटर लम्बा होता है। कमरख के परिपक्व पेड़ से सालाना 100 किलोग्राम तक फल प्राप्त होते हैं। कमरख के फल ख़ुशबूदार, गूदेदार और रसीले होते हैं। इसका स्वाद खट्टा और मीठा, दोनों तरह का होता है। दोनों किस्मों का इस्तेमाल दवाईयाँ बनाने में भी होता है। कमरख से चटनी, अचार, जूस और जेम वग़ैरह बनाये जाते हैं।

कमरख के फलों में मानव स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी सभी तरह के अमीनों अम्ल पाये जाते हैं। इसीलिए इससे अनेक बीमारियों की दवाईयाँ बनायी जाती हैं। कमरख में विटामिन ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ के साथ ही फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम और आयरन की अच्छी मात्रा होती है। इसमें कमरख के फल में एंटीऑक्सीडेनिक और पॉलीफेनोलिक यौगिक जैसे- क्वार्सेटिन और गैलिक एसिड, एलानिन, लाइसिन और सरीन की उच्च मात्रा पायी जाती है।
कमरख के फल में पोषक तत्व | ||
क्रमांक | पोषक तत्व | 100 ग्राम में मात्रा |
1 | फाइबर | 10 ग्राम |
2 | कार्बोहाइड्रेट | 9.5 ग्राम |
3 | रेशा | 2.8 ग्राम |
4 | प्रोटीन | 1.04 ग्राम |
5 | विटामिन ‘ई’ | 0.15 मि.ग्रा. |
6 | लौह | 0.08 मि.ग्रा. |
7 | जिंक | 0.12 मि.ग्रा. |
8 | शर्करा | 3.98 ग्राम |
9 | कैल्शियम | 3 मि.ग्रा. |
10 | पोटेशियम | 133 मि.ग्रा. |
11 | विटामिन बी-6 | 0.017 मि.ग्रा. |
12 | वसा | 0.33 ग्राम |
भारत में कमरख की खेती उड़ीसा, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश आदि राज्यों में की जाती है। भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, पेरू, कोलम्बिया, त्रिनिदाद, इक्वेडोर, गुयाना, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका में भी कमरख की खेती होती है। कमरख का जैम और जैली, विदेशों में काफ़ी प्रचलित है। भारत में इसे ज़्यादातर कच्चा ही खाते हैं। इसके सब्जी भी ख़ूब पसन्द की जाती है। शकरकन्द की चाट के साथ तो इसका ज़ायक़ा ग़जब का होता है। देसी और विदेशी बाज़ार में इसकी ख़ूब माँग है, इसीलिए बाज़ार में दाम भी बढ़िया मिलता है।
कमरख की खेती की विशेषताएँ
कमरख की उन्नत किस्में: कमरख का पेड़ इस मायने में अनोखा है कि इसकी कोई ख़ास प्रजाति या किस्म नहीं होती। इसकी किस्मों की पहचान इसके खट्टे और मीठे स्वाद के आधार पर की जाती है। इस तरह कमरख की सिर्फ़ दो किस्में होती हैं- खट्टी और मीठी।
मिट्टी और जलवायु: कमरख की खेती के लिए गर्म जलवायु बेहतरीन होती है। इसके लिए मिट्टी का pH मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। कमरख की अच्छी पैदावार के लिए पोषक तत्वों से भरपूर जलोढ़ मिट्टी उपयुक्त होती है। इसके बाग़ीचे में जल निकास का उचित प्रबन्ध होना चाहिए। कमरख का पेड़ समुद्र तल से 1200 मीटर की ऊँचाई तक के इलाकों में आसानी से उगाया जा सकता है। लेकिन पाला गिरने वाले इलाकों में इसकी पैदावार प्रभावित होती है।
कैसे बनाएँ कमरख की पौध? कमरख के पौधों की रोपाई से पहले उन्हें नर्सरी में तैयार करना पड़ता है। इन्हें लगभग सभी प्रचलित विधियों से तैयार किया जा सकता है। जैसे भेंट कलम, दाब लगाना, ढाल चश्मा, फोरकर्ट चश्मा और बगली कलग आदि। दाब और चश्मा विधियों के लिए जनवरी का वक़्त सबसे बढ़िया होता है।
खेत की तैयारी और रोपाई: कमरख के पौधे लगाने से पहले खेत की दो से तीन बार अच्छी प्रकार जुताई कर लेनी चाहिए। खेत को खरपतवार से मुक्त करके पाटा लगाकर मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए। बरसात से महीना भर पहले खेत में पौधों की रोपाई के लिए इस तरह से गड्ढे खोदने चाहिए जिससे उनके बीच की दूरी 8×8 मीटर की दूरी रहे। रोपाई के वक़्त 5 किलोग्राम खाद और मिट्टी के मिश्रण बनाकर इससे गड्ढों को भरना चाहिए और लगे हाथ पेड़ का थाला भी बनाना चाहिए। इन थालों की नियमित सफ़ाई और निराई-गुड़ाई करना चाहिए। इससे पौधे की बढ़वार अच्छी होती है।
कमरख के पौधों की सिंचाई: रोपाई के बाद कमरख की हल्की सिंचाई करनी चाहिए। बारिश के दिनों में सिंचाई की ज़रूरत नहीं पड़ती। लेकिन पेड़ों को जलभराव की दशा से बचाना ज़रूरी है। इसके बाद गर्मीं के दिनों में 15 दिन पर और जाड़ों में महीने के अन्तर पर या आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए।
खाद और उर्वरक: चूँकि कमरख का पेड़ बहुवर्षीय होता है और पूरे साल फल देता रहता है इसीलिए इसे पूरे साल पोषक तत्वों की भी ज़रूरत पड़ती रहती है। इसीलिए कमरख के हरेक पेड़ के बेहतर पैदावार के लिए साल भर में 100 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद देना ज़रूरी है। यदि सिर्फ़ इतना कर लिया जाए तो कमरख के पेड़ को किसी रासायनिक खाद की ज़रुरत नहीं पड़ती। अलबत्ता, मिट्टी की जाँच रिपोर्ट के अनुसार रासायनिक खाद का प्रयोग कर सकते हैं।
कमरख की फल तोड़ाई: कमरख के फल का रंग पकने पर हरे से बदलकर पीले रंग का हो जाता है। इसके पके हुए फलों को ही सावधानी से तोड़ना चाहिए। ताकि उसे नुकसान नहीं पहुँचे। तोड़ाई के बाद कमरख को अच्छी तरह से पानी से धोकर और साफ़ करके बाज़ार में भेजना चाहिए। इससे दाम अच्छे मिलते हैं।

सेहत के लिए बेजोड़ है कमरख का सेवन
ICAR- IARI (भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान), नयी दिल्ली के खाद्य विज्ञान एवं फसलोत्तर प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञों के अनुसार, कमरख से मिलने वाले खनिज और विटामिन सेहत के लिए बेहद ज़रूरी और उपयोगी होते हैं। ये हमें लम्बी आयु, ऊर्जा और ख़ूबसूरती देते हैं। इससे सेवन से मूत्राशय और गुर्दे की समस्याएँ, बुखार से मुक्ति, पित्त और पाचन सम्बन्धी समस्याएँ, पेट फूलने और दस्त आदि रोगों में फ़ायदा होता है। कमरख के सेवन से विटामिन ‘बी’ कॉम्प्लेक्स की भरपूर मात्रा मिलती है। इससे महिलाओं के बाल मज़बूत और चमकदार बनते हैं।
कमरख में पाये जानेवाले रोगाणुरोधी तत्वों से एक्जिमा के उपचार में फ़ायदा होता है। कमरख के सेवन से वजन घटाने में भी मदद मिलती है। कमरख का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इससे महिलाओं में प्रसव के बाद दूध बढ़ाता है तथा मासिक धर्म के फिर से शुरू होने में देरी होती है। मधुमेह की रोकथाम में भी कमरख का सेवन बहुत लाभदायक होता है। कमरख में ताँबा भी पाया जाता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके दिल की सेहत को बेहतर बनाता है। इससे दिल का दौरा पड़ने या कोरोनरी हृदय रोग की आशंका घटती है और रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) सन्तुलित रहता है।
सुबह-सुबह कमरख के एक गिलास जूस में चीनी मिलाकर सेवन करने भूख नहीं लगने की तकलीफ़ दूर होती है। धूम्रपान करने वालों में होने वाली क़फ़, पित्त और रक्त विकार की समस्या के निवारण में भी कमरख बहुत लाभदायक होता है। इसके उपचार के लिए कमरख को पीसकर उसे धीमी आँच पर एक-चौथाई होने तक पकाएँ। फिर ठंडा होने के बाद उसमें स्वाद अनुसार सेंधा नमक और भुनी धनिया तथा जीरा आदि मिला लें। इसका सुबह-शाम 7 से 10 ग्राम की मात्रा का सेवन करने से थकान भी मिटती है और ऊर्जावान होने का अहसास होता है। कमरख का सेवन हड्डियों का घनत्व बढ़ाता है और ऑस्टियोपोरोसिस से बचने में मदद करता है।
सावधानी: कमरख में कैरमबॉक्सिन और ऑक्सालिक एसिड भी पाये जाते हैं जो गुर्दे या किडनी से सम्बन्धित बीमारियों वाले लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। ऐसे मरीज़ों में हिचकी, उल्टी, मतली, मानसिक भ्रम वग़ैरह की शिकायत मिल सकती है।
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