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Radish Farming: मूली की खेती से अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए करें इन उन्नत किस्मों का चयन

कम समय में अधिक उपज देने वाली फसल है मूली

मूली की खेती से अधिक कमाई के लिए इसकी बेहतरीन किस्मों के बारे में जानकारी होना ज़रूरी है। इसके उत्पादन से किसान अपना मुनाफ़ा बढ़ा सकते हैं।

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मूली सदाबहार जड़ वाली सब्ज़ी है, जिसका इस्तेमाल सब्ज़ी, सलाद से लेकर अचार बनाने में किया जाता है। वैसे तो मूली सभी मौसम में उगाई जा सकती है, लेकिन अधिक गर्मी के मौसम में उगने वाली मूली सख्त और स्वाद में कड़वी हो जाती है, जबकि ठंड के मौसम में मिलने वाली मूली खाने में स्वादिष्ट होती है। मूली की खेती मैदानी इलाको में रबी के मौसम में की जाती है। मूली कम समय में अधिक उपज देने वाली सब्ज़ी है। इसलिए इसके उत्पादन से किसान अपना मुनाफ़ा बढ़ा सकते हैं। मूली की खेती से अधिक कमाई के लिए इसकी बेहतरीन किस्मों के बारे में जानकारी होना ज़रूरी है। 

मूली की उन्नत किस्में

जापानी व्हाइट- मूली की यह प्रजाति विदेशी है और पहाड़ी इलाकों में इसे अधिक उगाया जाता है। इसकी ख़ासियत यह है कि बुवाई के दो महीने बाद ही ये किस्म तैयार हो जाती है। इस किस्म की मूली की जड़ें एकदम सफेद होती हैं। जड़ों की लंबाई 1 फ़ीट के लगभग होती है। इस मूली का स्वाद मीठा होता है और प्रति हेक्टेयर  इसकी उत्पादन क्षमता औसतन 25 से 30 टन है।

मूली की खेती radish farming
तस्वीर साभार: vikaspedia

 

पूसा देसी- इस किस्म की खेती रबी के मौसम में की जाती है। इनके पौधों की जड़ों का निचला हिस्सा नुकीला होता है। इसकी जड़ों की लंबाई भी करीब एक फीट तक होती है। पौधों की जड़ें सफेद और थोड़ी मोटी होती हैं। इसका स्वाद कड़वा होता है। इसलिए अचार, सब्ज़ी बनाने में इसका ज़्यादा इस्तेमाल होता है। बुवाई के 40-45 दिन बाद ही फसल तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 30 टन होता है।

मूली की खेती radish farming
तस्वीर साभार: snapdeal

पूसा चेतकी- इस किस्म की जड़ें पूरी तरह से सफेद और नरम होती हैं। गर्मियों में होने वाली मूली की अन्य किस्मों की तुलना में यह कम तीखी होती है। इसकी लंबाई 15-20 सेंटीमीटर तक होती है। इस किस्म की बुवाई अप्रैल से अगस्त के बीच की जाती है और औसतन उपज क्षमता 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

मूली की खेती radish farming
तस्वीर साभार: amazon

 

पूसा रेशमी- इस किस्म की मूली के पौधों की जड़ें एक फ़ीट तक लंबी होती है। इसका रंग सफेद और स्वाद में थोड़ी तीखी होती है। इसकी पत्तियों में हल्के कांटे जैसे दिखते हैं और प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 31 से 35 टन के बीच होता है। बुवाई के करीब 55-60 दिन बाद फसल काटने के लिए तैयार हो जाती है।

मूली की खेती radish farming
तस्वीर साभार: indiamart

काशी हंस- मूली की यह किस्म सर्दियों के मौसम में उगाई जाती है। इस किस्म की फसल बुवाई के 45-60 दिन बाद ही तैयार हो जाती है। इसके पौधों की जड़ें नुकीली होती हैं और स्वाद हल्का मीठा होता है। इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 40-45 टन होता है।

मूली की खेती radish farming
तस्वीर साभार: slidesharecdn

 

काशी लोहित (VRRAD-131-2)

इसकी जड़ें आकर्षक लाल रंग की होती हैं। ये किस्म सलाद के लिए अच्छी मानी जाती है। इस किस्म में सफेद मूली की तुलना में 80 से 100 फ़ीसदी ज़्यादा एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं। विटामिन सी से ये भरपूर होता है। इसमें एंथोसायनिन और फेनोलिक्स जैसे फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं। इसकी बुवाई का सही समय मध्य सितंबर से मध्य दिसंबर के बीच रहता है। इसकी प्रति हेक्टेयर उपज क्षमता 40-45 टन है।

मूली की खेती radish farming
तस्वीर साभार: ICAR-IIVR

मूली की खेती के लिए मौसम और मिट्टी

मूली की अच्छी और गुणवत्ता पूर्ण फसल के लिए ठंडा मौसम ज़रूरी है। 20-25 डिग्री सेल्सियस पर पौधों का तेज़ी से विकास होता है। अच्छी फसल के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। चिकनी मिट्टी मूली की खेती के लिए अच्छी नहीं होती। इसकी बुवाई पंक्तियों में की जाती है। दो पंक्तियों के बीच 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए। चूंकि इसकी फसल जल्दी तैयार हो जाती है, इसलिए निराई-गुड़ाई भी जल्दी की जानी चाहिए। वैसे तो आजकल मूली को सालभर उगाया जाता है, लेकिन इसकी व्यवसायिक खेती ज़्यादातर रबी के मौसम में ही की जाती है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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