किसानों की आय दोगुनी करने के लिए नई तकनीक तक उनकी पहुंच आसान करके लागत कम करना ही एकमात्र उपाय है। किसानों को अधिक उत्पादन दिलवाने और लागत में कमी करने के लिए कंपनियां लगातार नए-नए कृषि उपकरण बना रही हैं। Wow Go Green कंपनी ने भी किसानों के फायदे के लिए खास Agriculture drone (कृषि ड्रोन) तैयार किया है।
Agriculture drone यानी खेती में इस्तेमाल होने वाला ड्रोन तकनीक से जुड़ी खेती करने वालों के लिए एक वरदान की तरह है । खेतों में दवा का छिड़काव करने में समय और लागत दोनों अधिक लगते हैं । ड्रोन की मदद से इसमें न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि लागत भी 25 फ़ीसदी तक कम आएगी। ऐसे ही एक एग्रीकल्चर ड्रोन को Wow Go Green कंपनी ने बनाया है । इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. शंकर गोयनका ने किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता अर्पित दुबे से ख़ास बातचीत में बताया कि कैसे यह ड्रोन छोटे व सीमांत किसानों के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है।

ख़ासतौर पर दवा छिड़काव के लिए बनाया Agriculture Drone
Wow Go Green कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. शंकर गोयनका का कहना है कि उनकी कंपनी ने ड्रोन को ख़ासतौर पर फसलों पर छिड़काव के लिए बनाया है। इसमें 10 लीटर पानी और दवा भरिए और यह खेत के ऊपर उड़कर 5 से 7 मिनट में एक एकड़ खेत में छिड़काव कर देता है।
Agriculture Drone के फ़ायदे
डॉ. गोयनका ने ये भी बताया कि कृषि विमान यानी ड्रोन से खेती की लागत में कमी आती है, क्योंकि इसमें सामान्य तरीके के मुक़ाबले 25 फीसदी कम दवा डालनी पड़ती है। इससे किसानों को सीधा फ़ायदा होता है। इसके अलावा इससे पत्ते भी साफ होते हैं, जिससे फोटो सिंथेसिस (Photosynthesis) अच्छा होता है। नतीजा, पौधा सूर्य की रोशनी को अच्छी तरह अवशोषित करता है और पौधों की उत्पादन क्षमता 12 से 15 फ़ीसदी बढ़ जाती है।
किसानों की आय कैसे दोगुनी हो
डॉ. गोयनका कहते हैं कि देश के प्रधानमंत्री भी बार-बार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कहते हैं । अब फसलों के दाम तो दोगुने नहीं होंगे, इसलिए आमदनी बढ़ाने के लिए इनपुट लागत कम करने, आउटपुट यानी उत्पादन बढ़ाने और तकनीक के सही इस्तेमाल ध्यान रखने की ज़रूरत है। उनकी कंपनी ने 200 जगहों पर ड्रोन का डेमोनस्ट्रेशन यानी प्रदर्शन किया है। उनका दावा है कि इसे फूलप्रूफ बनाया गया है, और इसमें सारे रडार (Radar) और फीचर्स हैं।

इसके अलावा, इसमें बहुत बड़ा आंत्रप्रेन्योरशिप (entrepreneurship) यानी स्वरोज़गार का मॉडल भी है। ड्रोन लेकर किसान गांव जाता है, इसकी ट्रेनिंग लेता है और जब अच्छी तरह से सीख कर जब दूसरों के खेतों में इसका छिड़काव करता है तो वो 200 से 500 रुपए तक चार्ज करता है । उनका कहना है कि किसान सालाना अच्छा ख़ासा पैसा भी कमा सकता है। यही वजह है कि खेती में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी कई नयी नयी योजनाएं लाने के साथ साथ सब्सिडी भी दे रही है ।
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ऐग्रिकल्चर ड्रोन में (agriculture drone) नैनो लिक्विड यूरिया (Nano Liquid Urea) का इस्तेमाल होता है। 45 किलो की यूरिया को बोरी को फर्टिलाइज़र बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी IFFCO ने 500 मिली. की बोतल में बदल दिया, जिसका इस्तेमाल किसानों के लिए काफ़ी फायदेमंद है। इससे उनका ट्रांस्पोर्टेशन खर्च बचेगा। आमतौर पर फ़सलों में यूरिया 70 फ़ीसदी पौधों के ऊपर से और 30 फ़ीसदी नीचे से छिड़का जाता है । इसीलिए जब ड्रोन से इसका छिड़काव किया जाता है तो पौधा स्वस्थ होता है, यूरिया की एकदम सही मात्रा मिलती है और उत्पादन अधिक होता है।
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किसानों की सेहत के लिए फ़ायदेमंद
डॉ. गोयनका कहते हैं कि यह तकनीक सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ी हुई है और किसानों के स्वास्थ्य के लिहाज से भी फ़ायदेमंद है। वह बताते हैं कि भारत में हर साल क़रीब 58 हज़ार किसान अकेले सांप के काटने से मर जाते हैं । इसके अलावा सीधे तौर पर केमिकल का छिड़काव करने की वजह से 3.5 से 4 लाख लोग अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से भी ग्रसित रहते हैं। ड्रोन से छिड़काव करने पर वह केमिकल के सीधे संपर्क में नहीं आएंगे। इसके अलावा ड्रोन युवाओं को गांव से जोड़े रखेगा और उन्हें उद्यमी बनने का मौका भी देगा।
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