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मोटे अनाज की खेती (Millet Farming): जानिए कैसे ‘मिलेट मैन’ वीर शेट्टी ने रोज़गार से लेकर बाज़ार की व्यवस्था पर किया काम

विदेशों में सप्लाई कर रहें मिलेट से बने उत्पाद

ज्वार, बाजरा जैसे पौष्टिक पारंपरिक अनाज की मांग धीरे-धीरे कम होने लगी थी। इससे किसानों और आम लोग दोनों का ही नुकसान हुआ। इसलिए तेलंगाना के वीर शेट्टी बिरादर ने न सिर्फ़ मोटे अनाज की खेती बड़े पैमाने पर की, बल्कि इसके मूल्य संवर्धन उत्पाद बनाकर इसे लोकप्रिय भी बना दिया।

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ज्वार और बाजरा जैसे अनाज जिन्हें मोटा अनाज भी कहा जाता है, बहुत पौष्टिक होता है, मगर आजकल लोग इसे खाना पसंद नहीं करते हैं। इसके स्वास्थ्य लाभ के बारे में जागरुकता की भी कमी है। ऐसे में तेलंगाना के किसान वीर शेट्टी बिरादर ने अपने यूनीक आइडिया से पारंपरिक मिलेट को लोकप्रिय बना दिया है। वो न सिर्फ़ खुद मोटे अनाज की खेती करते हैं, बल्कि दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। लोगों ने उन्हें ‘मिलेट मैन’ का खिताब दिया है। वीर शेट्टी ड्राइवर से मिलेट मैन कैसे बनें, आइए, जानते हैं।

मोटे अनाज की खेती millets farming
तस्वीर साभार: Millet Man Veer Shetty\Twitter

मुश्किल रही राह

तेलंगाना में संगारेड्डी ज़िले के गंगापुर गांव के रहने वाले 44 वर्षीय किसान वीर शेट्टी आज अपने इलाके के लोगों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं है। मगर ड्राइवर से ‘मिलेट मैन’ बनने का उनका सफर आसान नहीं था। 3 भाइयों में वो सबसे बड़े हैं। ऐसे में 10वीं कक्षा की पढ़ाई के बाद ही उनके ऊपर घर चलाने की ज़िम्मेदारी आ गई। परिवार चलाने के लिए उन्होंने कुछ दिन ड्राइवर का काम भी किया। मगर आखिरकार वो अपने पारंपरिक पेशे यानी खेती से जुड़ गए। उनके पास 13 एकड़ सूखी और 5 एकड़ सींचित भूमि हैं। इसमें वो चना, लाल चना, ज्वार, बाजरा, फॉक्सटेल बाजरा और फिंगर बाजरा की खेती करते हैं।

भूख के एहसास से मिली प्रेरणा

वीर शेट्टी एक बार किसी काम से महाराष्ट्र गए थे और वहां उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं मिला और वो पूरा दिन भूखे रहें। तब उन्हें भूख की असली तड़प का एहसास हुआ। महाराष्ट्र से घर लौटने के बाद ही उन्होंने तय कर लिया की वो कुछ ऐसा काम करेंगे जिससे लोगों को पेट भरने के साथ ही पौष्टिकता भी मिले।

कब शुरू की मोटे अनाज की खेती? 

वो 2005 से ज्वार की खेती करने लगे। इसके अलावा वो ज्वार और बाजरा से मूल्य संवर्धित उत्पाद भी बनाने लगे। ऐसा करने के पीछे उनका मकसद युवाओं को जंक फूड से दूर रखना और शहरी आबादी में बढ़ती जीवनशैली की बीमारी को कम करना था।

 

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बनाई खुद की कंपनी

2009 में वीर शेट्टी ने हैदराबाद के चंदननगर के हुडा कॉलोनी में एसएस भवानी फूड्स प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की। उनकी कंपनी सोरघम, बाजरा, फॉक्सटेल बाजरा और फिंगर बाजरा जैसी 60 से भी ज़्यादा मूल्य वर्धित चीज़ें बनाती है। वीर शेट्टी की खास बात ये है कि वो न सिर्फ खुद आगे बढ़ रहे हैं, बल्कि युवाओं को रोजगार देकर और किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत दिलाकर उन्हें भी आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

किसानों की बेहतरी के लिए काम

वीर शेट्टी ने 2016 में किसानों के साथ काम करने के लिए स्वयं शक्ति एग्री फाउंडेशन की शुरुआत की। जिसकी मदद से किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिलने के साथ ही अन्य तरह की मदद भी मिलने लगी। उनकी कंपनी संगारेड्डी जिले के आठ गांवों के लगभग 1000 किसानों से जुड़ी है। पहले जिले के किसानों को एक किलो बीज खरीदने के लिए भी शहर जाना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें अच्छे बीज, उचित दाम पर घर पर ही मिल जाते हैं और ये संभव हुआ वीर शेट्टी की कोशिशों से। साथ ही उनकी संस्था किसानों को अच्छी फसल उगाने की तकनीक भी सिखाती है।

 

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मिलेट है सुपरफ़ूड

वीर शेट्टी का मानना है कि मिलेट सुपरफूड है जो किसानों के साथ ही उन लोगों के लिए भी फ़ायदेमंद है, जो इसका सेवन करते हैं। मिलेट के Value Added Products से उन्हें हर महीने 1 लाख की कमाई हो रही है, इसके अलावा खेती से सालाना 3-4 लाख रुपये की कमाई हो जाती है।

बेस्ट फ़ार्मर अवॉर्ड

वीर शेट्टी को खेती में उनके अमूल्य योगदान के लिए 2017 में एमएस स्वामिनाथन रिसर्च फाउंडेशन द्वारा बेस्ट फार्मर अवॉर्ड दिया गया। उसी साल उन्हें डॉ. एम वी राव मेमोरियल अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। हैदराबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च की तरफ से उन्हें बेस्ट मिलेट मिशारय्या सम्मान मिल चुका है।

तस्वीर साभार- twitter

ज्वार, बाजरा जैसे अनाज पौष्टिकता से भरपूर होते हैं। बस जागरुकता की कमी के कारण इनका बाजार बहुत बड़ा नहीं है। वीर शेट्टी जैसे लोग भारत के पारंपरिक अनाज के प्रति जागरुकता फैलाकर और इससे अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थ बनाकर लोगों की सेहत और किसानों की आमदनी दोनों को बेहतर बनाने का काम कर रहे हैं।

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