“सभी किसान भाइयों को मेरा नमस्कार”, आपने कई राजनीतिक रैलियों और कई मंचों से ये लाइन सुनी होगी। जब भी किसानों को किसी रैली से संबोधित किया जाता है तो किसान भाई कहकर ही पुकारा जाता है। किसान भाई ही क्यों? क्योंकि खेती-बाड़ी को अक्सर पुरुष समाज से ही जोड़कर देखा जाता रहा है। खेती में महिलाओं के योगदान को लेकर इतनी चर्चा नहीं होती थी, पर अब स्थिति कुछ बदली है। अब खेती में कई महिलाएं प्रेरणा बनकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय ग्रुप OXFAM की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में खेतों में जो पूरा दिन काम करते हैं, उनमें 75 प्रतिशत अकेले महिलाएं ही हैं।इसीलिए ‘किसान भाई’ नहीं, ‘किसान साथी’ कहना शायद सही होगा। इस लेख में आज हम आपको ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने खेती को अपनाने के लिए सरकारी नौकरी तक छोड़ दी।
खेती के लिए 2010 में छोड़ी सरकारी नौकरी, अपनाई जैविक खेती
असम के जोरहाट जिले की रहने वाली नबनीता दास एक किसान परिवार से आती हैं। शुरू से ही उनका भी लगाव खेती-किसानी से रहा। एक सरकारी अस्पताल में बतौर सहायक नर्स काम करने वाली नबनीता दास जब भी ड्यूटी पर जाती थीं, चारों तरफ़ के खेती-खलियान उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते थे। कुछ साल नौकरी करने के बाद उन्होंने खेती करने का मन बना लिया। और सबके मना करने के बावजूद वो कर डाला जो भारत में कोई सपने में भी नहीं सोचता। नबनीता दास ने 2010 में सरकारी नौकरी ही छोड़ दी।
कृषि विभाग ने दिया पूरा सहयोग
नबनीता को खेती-किसानी की बारीकियों की जानकारी नहीं थी। इसके लिए नबनीता ने बाकायदा ट्रेनिंग ली। 2014 में असम कृषि विभाग द्वारा आयोजित बागवानी की ट्रेनिंग में उन्होंने भाग लिया। इसके अलावा उन्होंने कई और ट्रेनिंग कैंपों में भी हिस्सा लिया। इन ट्रेनिंग्स की बदौलत नबनीता धीरे-धीरे पारंपरिक खेती करने के साथ ही, मछली पालन और पशुपालन में भी हाथ आजमाने लगीं। इसमें भी उन्हें कामयाबी मिली।
फ़ार्म बन चुका है ‘कृषि केंद्र’
नबनीता की मेहनत ऐसी रंग लाई कि आज वो अपने क्षेत्र की एक जानी-मानी किसान हैं। उनका खेत एक छोटा कृषि केंद्र बन चुका है। वो ‘नबनीता ऑर्गेनिक फ़ार्म’ भी चलाती हैं। यहां वो पारंपरिक फसलों के साथ साथ फल-फूल, सब्जी, दलहन और तिलहन की फसलों की खेती करती हैं। फ़ार्म में ही उन्होंने अलग-अलग नस्ल की मुर्गियां पाली हुई हैं। इन मुर्गियों में मशहूर नस्ल कड़कनाथ भी है। इसके अलावा उन्होंने कबूतर और बतख की देसी-विदेशी नस्लों को भी पाला हुआ है।
नबनीता ने अपने फ़ार्म के हर कोने को इस्तेमाल किया है। वो वर्टिकल फ़ार्मिंग भी करती हैं, जिसमें रस्सी, बांस की लकड़ी के सहारे सब्जियों को उगाया जाता है। फार्म में ही एक वर्मीकम्पोस्ट यूनिट भी है।
नबनीता कई खुशबूदार चावलों जैसे टेकी जोहा, कुनकुनी जोहा, कोला जोहा की खेती भी करती हैं। इसके अलावा वो मणिपुर के मशहूर काले चावल की खेती भी करती हैं, जिसका इस्तेमाल कई प्रॉडक्ट्स को बनाने में किया जाता है।
बाज़ार मिलने में नहीं आती दिक्कत, खुद खरीदार करते हैं संपर्क
सेहत को लेकर जागरूकता बढ़ने के कारण लोग बड़े पैमाने पर जैविक उत्पादों (Organic products) का उपयोग करने लगे हैं। इस कारण बाज़ार में जैविक उत्पादों की मांग रहती है और कीमत भी अच्छी मिलती है। जैविक खेती (Organic farming) अपनाने को लेकर नबनीता कहती हैं कि इसमें लागत कम आती है। जैविक खेती में गुणवत्ता वाली उपज के साथ-साथ स्वाद भी अच्छा होता है। केमिकल फ़्री होने की वजह से बाज़ार में इसका दाम भी अच्छा मिलता है। उनको बाज़ार मिलने में भी दिक्कत नहीं आती। क्षेत्र के साथ ही कई राज्यों के खरीदार उनसे सीधा संपर्क करते हैं। नबनीता कहती हैं कि जैविक खेती उनकी स्थिर आमदनी का जरिया बना है। इससे उन्हें आर्थिक सुरक्षा (Financial security) मिली है।
साल दर साल बढ़ता गया मुनाफ़ा
2014 से पहले नबनीता की करीबन चार हज़ार की कमाई होती थी। खेती-किसानी के गूरों को सीखने के बाद पहले साल में उन्हें 30 हज़ार का मुनाफ़ा हुआ। 2015 में 56 हज़ार, 2016 में 96 हज़ार, 2017 में एक लाख दस हजार और 2019 आते-आते 1,25,000 का सीधा मुनाफ़ा उन्होंने कमाया।
ये भी पढ़ें: Rooftop Organic Farming: छतों पर सब्जियों की जैविक खेती करने के हैं फ़ायदे ही फ़ायदे
कई पुरस्कारों से किया गया है सम्मानित
कृषि के क्षेत्र में योगदान के लिए नबनीता दास को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। 2018 में एक कार्यक्रम के दौरान भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया। 2018 में ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने इनोवेटिव राइस फ़ार्मर अवॉर्ड से नवाज़ा। 2018 में महिला किसान दिवस के मौके पर ‘प्रगतिशील महिला किसान पुरस्कार’ भी दिया गया। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार ने कई बार उन्हें सम्मानित किया है।
आज नबनीता के ऑर्गेनिक फ़ार्म को देखने के लिए कई युवा किसान आते हैं। खेती-किसानी से जुड़ी कई जानकारियां वो उनसे लेते हैं। क्षेत्र के कई युवा उनसे ही प्रेरित होकर किसानी से जुड़े हैं।
ये भी पढ़ें: अगर आप जैविक खेती (Organic Farming) करते हैं तो ये ऑनलाइन पोर्टल आपके लिए ही बना है
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- Rose Gardening Tips: घर की बगिया में ऐसे उगाएं गुलाब, हमेशा महकती रहेगी ताजा खुशबूGulab ki Kheti – आइए जानते हैं गुलाब का पौधा लगाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि घर की बगिया में पूरे साल गुलाब के फूल खिलते रहे और उसकी खुशबू से आपका घर महकता रहे।
- Potato Varieties: आलू की 10 बेहतरीन किस्में, जिन्हें उगाने से बढ़ सकती है कमाईये आलू की खुदाई का मौसम है। वैसे हमारे देश के कई इलाकों में तो पूरे साल आलू की पैदावार होती है। यदि आप भी आलू की खेती कर रहे हैं और इससे अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, तो आलू की कुछ खास किस्मों की खेती करें जिसमें पैदावर अधिक होती है।
- Fish Farming RAS Technique: मछली पालन की RAS तकनीक कैसे काम करती है? 30 गुना बढ़ सकता है उत्पादन!Fish Farming RAS Technique: बड़े स्तर पर अगर कोई मछली पालन करने की सोच रहा है तो मछली पालन की RAS तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। बशर्ते इसकी पूरी जानकारी हो। जानिए RAS तकनीक में कितना खर्चा लगता है और क्या हैं इससे जुड़े अहम फ़ैक्टर्स।
- Lady Finger Varieties: भिंडी की 10 उन्नत किस्में, जिसे लगाकर किसान कर सकते हैं लाखों की कमाईभिंडी की खेती हर मिट्टी और मौसम में होती है लेकिन दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6 से 6.8 हो, और गर्म जलवायु हो तो सबसे अच्छी पैदावार होती है।
- Greenhouse Farming Techniques: ग्रीनहाउस खेती क्या है? सब्सिडी से लेकर प्रशिक्षण तक जानें सब कुछइतिहास की किताबों के अनुसार, रोमन किंग टाइबेरियस ककड़ी जैसी दिखने वाली सब्जी रोज़ खाते थे, रोमन किसान सालभर इसे उगाते थे, जिससे वो सब्जी उनकी खाने की प्लेट में हमेशा रहे। ये सब्जी ग्रीनहाउस तकनीक के ज़रिये ही उगाई जाती थी।
- Modern Farming Methods: खेती की आधुनिक तकनीकें जिसे अपनाकर किसान कर सकते हैं सफ़ल खेतीआज के इस मॉर्डन युग में तकनीक का इस्तेमाल हर क्षेत्र में बढ़ा है, ऐसे में भला कृषि कैसे इससे पीछे रह सकती है। आधुनिक तकनीकों से लेकर उपकरणों तक के इस्तेमाल ने किसानों के लिए खेती को न सिर्फ आसान बना दिया है, बल्कि इसे अधिक मुनाफे का सौदा बना दिया है।
- Rice Bran Oil vs Sunflower Oil: जानिए राइस ब्रान ऑयल-सनफ्लॉवर ऑयल में अंतर और ख़ूबियों के साथ इसका बाज़ारराइस ब्रान ऑयल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार नेफेड के फोर्टिफाइड ब्रैन राइस ऑयल को ई-लॉन्च किया है।राइस ब्रैन ऑयल की मार्केटिंग सभी नेफेड स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हो रही है।वहीं साल 2024-2032 के दौरान इंडियन सनफ्लावर ऑयल मार्केट 7 फीसदी की CAGR प्रदर्शित करेगा।
- Lemongrass: जानिए लेमनग्रास की खेती में जुड़ी अहम बातें प्रोफ़ेसर डॉ. पंकज लवानिया से, उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग तकबुंदेलखंड जैसे इलाके में जहां पानी की समस्या है और बड़ी मात्रा में ज़मीन बंजर पड़ी रहती है, लेमनग्रास की खेती यहां के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसकी खेती कम पानी में भी आसानी से की जा सकती है।
- Eucalyptus Farming: सफेदा की क्लोनल किस्मों से किसान कर सकते हैं बढ़िया कमाई, जानिए खेती की तकनीकसफेदा की खेती लकड़ी के लिए की जाती है। इसकी लकड़ी का उपयोग बड़े सामान की लदाई करने वाली पेटियां बनाने के साथ ही ईंधन, फर्नीचर, हार्डबोर्ड और पार्टिकल बोर्ड बनाने में किया जाता है। इसकी मांग हमेशा ही रहती है।
- कैसे औषधीय पौधों की खेती पर किसानों की मदद करता है ये कृषि विश्वविद्यालय, प्रोफ़ेसर विनोद कुमार से बातचीतबुंदेलखंड के किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित करने के मकसद से झांसी के रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय में औषधीय पौधों का उद्यान बनाया गया है।
- Aeroponic Technique से बंद कमरे में केसर की खेती, हिमाचल के गौरव ने इंटरनेट से सीख कर शुरू किया केसर उत्पादनगौरव Aeroponic Technique से केसर की खेती करते हैं। इस तकनीक में बंद कमरे में केसर को उगाते हैं। बंद कमरे में कश्मीर के वातावरण को बनाने की कोशिश करते हैं। ये तकनीक मिट्टी रहित होती है।
- Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि नींव मज़बूत होगी, तभी तो मज़ूबत इमारत बनेगी। ठीक इसी तरह मिट्टी की सेहत अच्छी रहेगी, तभी तो अधिक उपज प्राप्त होगी। रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति लगातार घट रही है, ऐसे में इसकी सेहत बनाए रखने के लिए मृदा प्रबंधन बहुत ज़रूरी… Read more: Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?
- Crop Rotation Strategies: खेती में फसल चक्र की कितनी अहम भूमिका? डॉ. राजीव कुमार सिंह ने दिया IFS Model का उदाहरणखेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों को इसकी कुछ बुनियादी नियमों के बारे में पता होना चाहिए। जैसे कि फसल चक्र। ये मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ज़रूरी है, मगर बहुत से किसान इस नियम को भूलकर लगातार एक ही फसल उगा रहे हैं जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- क्या हैं Urban Farming Trends? कैसे शहरी खेती बन रही कमाई का ज़रिया?जब शहरों में लोग अपने शौक से थोड़ा आगे बढ़कर घर की छत, बालकनी, कम्यूनिटी गार्डन और घर के नीचे की जगह या घर के अंदर की खाली जगह में वर्टिकल गार्डन बनाकर खेती करने लगते हैं, तो इसे ही शहरी खेती कहा जाता है।
- Integrated Pest Management: क्यों एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM तकनीक) फसलों के लिए है ज़रूरी? जानिए विशेषज्ञ सेखेती की लागत को कम करने और इसे ज़्यादा लाभदायक बनाने के लिए प्रमाणित व उपचारित बीजों का इस्तेमाल, सही मात्रा में उर्वरकों के उपयोग और सिंचाई की उचित व्यवस्था के साथ ही एकीकृत कीट प्रबंधन यानि Integrated Pest Management भी ज़रूरी है।
- Agriculture Equipment : Bed Maker Machine किसानों के लिए है कितनी उपयोगी और मिलेगी कितनी Subsidy?मल्टी पर्पस Bed Maker Machine किसानों के समय की बचत करने के साथ-साथ उनकी आमदनी बढ़ाने में मदद करती है।
- Fish Farming Business: मछली पालन व्यवसाय से जुड़ी अहम जानकारी, जानिए क्या है विशेषज्ञों और अनुभवी मछली पालकों की राय?मछली पालन उद्योग का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। देश के मछुआरों और मछली पालन उद्योग एक बड़े सेक्टर के रूप में उभर कर आया है। भारतीय मत्स्य पालन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1980 के दशक में जो मछली उत्पादन 36 फ़ीसदी था, वो बढ़कर आज के वक्त में 70 फ़ीसदी पर पहुंच गया है। जानिए मछली पालन से जुड़े अहम बिंदुओं के बारे में।
- Ragi Crop: रागी की फसल से क्या-क्या तैयार किया जा सकता है? रागी की खेती से जुड़ी अहम जानकारीरागी की फसल (Ragi Crop) मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज़्यादा खेती होती है। केरल, कर्नाटक राज्यों में इसे मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है।
- Sindoor Plant: सिंदूर की खेती कैसे होती है? सिंदूर के पौधे से क्या-क्या बनता है और कहां से लें ट्रेनिंग?आपने अभी तक कई चीज़ों की खेती के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या कभी सिंदूर की खेती के बारे में सुना है? कम ही लोग जानते हैं कि सिंदूर का पौधा भी होता है, जिससे ऑर्गेनिक लाल रंग का सिंदूर बनता है। साथ ही और कई उत्पाद बनाए जाते हैं। जानिए सिंदूर का पौधा कैसे उगाया जाता है और सिंदूर की खेती से जुड़ी अहम जानकारियां सीधा एक्सपर्ट से।
- Agriculture Drone क्या है? कृषि ड्रोन में सब्सिडी के लिए कौन सी योजनाएं चलाई जा रही हैं?Agriculture Drone की खरीद के लिए महिला समूह को ड्रोन की कीमत का 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 लाख रुपये तक की मदद दी जा रही है। योजना के तहत SC-ST, छोटे व सीमांत, महिलाओं और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को ड्रोन का 50 प्रतिशत या अधिकतम 5 लाख रुपये अनुदान दिया जा रहा है।