प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक (Plastic mulching): हमारे देश में शिमला मिर्च की खपत बढ़ी है, मगर आज भी सब जगहों पर इसकी खेती नहीं की जाती है। इसकी व्यवसायिक खेती हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू और उत्तरप्रदेश के कुछ इलाकों में की जाती है। शिमला मिर्च की खेती किसानों के लिए फ़ायदेमंद होती है, क्योंकि ये अन्य सब्ज़ियों से महंगी मिलती है।
शिमला मिर्च को पॉलीहाउस में उगाने पर फसल अच्छी होती है, इसलिए बहुत से किसान लाखों रुपए लगाकर पॉलीहाउस (Polyhouse Farming) तैयार करते हैं और फिर उसमें अलग-अलग तरह की सब्ज़ियां सालभर उगाते हैं।
ऐसे ही एक किसान हैं मध्यप्रदेश के नेपाल सिंह परिहार (Nepal Singh Parihar), जो पॉलीहाउस में खीरा और शिमला मिर्च उगा रहे हैं। शिमला मिर्च की खेती (Capsicum Farming) वो किस तरह से कर रहे हैं और पॉलीहाउस (Polyhouse) में इसकी खेती के समय किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है, जैसी कुछ बहुत ही अहम बातों पर उन्होंने चर्चा की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता अक्षय दुबे से।

हाइब्रिड बीज और प्लास्टिक मल्चिंग का इस्तेमाल
नेपाल सिंह बताते हैं कि पिछले साल उन्होंने अपने एक एकड़ के पॉलीहाउस में खीरे की फसल लगाई थी और इस बार शिमला मिर्च लगी है। पौधों की रोपाई से पहले उन्होंने मिट्टी तैयार करने के लिए उसमें गोबर की खाद और फर्टिलाइज़र मिलाया। वो आगे बताते हैं कि पौधों को खरपतवार से बचाने के लिए उन्होंने प्लास्टिक मल्चिंग का इस्तेमाल किया है। इससे निराई-गुड़ाई ज़रूरत नहीं पड़ती है। पौधों का विकास अच्छी तरह होता है। एक एकड़ में मल्चिंग लगाने पर करीब 9000 रुपये का खर्च आता है।
सावधानीपूर्वक उपयोग करने पर इसे 3 साल तक इस्तेमाल में लाया जा सकता है। नेपाल सिंह खेती में हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल करते हैं। एक बीज की कीमत 8 रुपए पड़ती है। इन बीजों की ख़ासियत है कि पौधों की रोपाई के 40-45 दिनों में ही फल लगने लगते हैं।

पौध तैयार करना
शिमला मिर्च के बीजों को सीधे खेत में नहीं लगाया जाता है। नेपाल सिंह बताते हैं कि पहले नर्सरी में इसकी पौध तैयार की जाती है। पौध तैयार करने में एक से सवा लाख रुपये की लागत आती है। पौध तैयार होने के बाद इसे खेतों में मेड़ बनाकर रोपाई की जाती है। पौधों के बीच 40 सेन्टीमीटर की दूरी रखी जाती है ताकि उनको बढ़ने के लिए जगह मिले। पानी की वजह से फल और पत्तियां खराब न हो, इसके लिए नेपाल सिंह ने सभी पौधों को तार की सहायता से बांधा हुआ है ताकि फल के वजन से टहनियां न टूटें और फलों का अच्छी तरह से विकास हो सकें।

किन बातों का ध्यान रखें?
पॉलीहाउस (Polyhouse) में फसल के हिसाब से तापमान को नियंत्रित करने की सुविधा होती है। वैसे तो पॉलीहाउस चारों तरफ से बंद रहता है, जिससे कीट आदि का प्रकोप नहीं होता, मगर पॉलीहाउस के अंदर अगर ज़्यादा लोग आने-जाने लगे तो कीट आ सकते हैं। इसलिए पॉलीहाउस में ज़्यादा लोगों को आने नहीं देते हैं और जो अंदर आते हैं उनके ऊपर एक ख़ास स्प्रे मारा जाता है।
इसके बावजूद पौधों में इल्ली लग सकती है, जो फसल को बर्बाद कर देती है। इससे बचाव के लिए दवा का छिड़काव किया जाता है। नेपाल सिंह कहते हैं कि अच्छी फसल के लिए पॉलीहाउस के अंदर का तापमान 27-28 डिग्री रहना चाहिए।

कितनी होती है फसल?
नेपाल सिंह कहते हैं कि एक सीजन में उन्हें 24-25 टन तक फसल प्राप्त हो जाती है। पिछले साल उन्होंने इसी पॉलीहाउस से 22 टन खीरा निकाला था। बाज़ार की समस्या के बारे में उनका कहना है कि वो अपनी फसल को नज़दीकी दतियां मंडी के साथ ही ग्वालियर, झांसी भी ले जाते हैं। जहां उन्हें फसल की अच्छी कीमत मिलती है, वो वहां फसल बेचते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- Rabi Abhiyan 2025: ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ के संकल्प के साथ तैयार होगा New Action Planदिल्ली में 2 दिवसीय ‘राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-रबी अभियान 2025’ (Two-day ‘National Agriculture Conference – Rabi Abhiyan 2025’) का आगाज़ हो गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में हो रहे इस सम्मेलन का उद्देश्य न सिर्फ आगामी रबी सीज़न 2025-26 के उत्पादन लक्ष्यों को तय करना है, बल्कि Integrated Strategy के ज़रिए देश के किसानों की आमदनी बढ़ाना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए स्ट्रैटजी बनानी है।
- खुशबू और सफलता की नई कहानी: सीमैप की ‘Kharif Mint Technology’ ने बदल दी मेंथा की खेती का नक्शाCentral Institute of Medicinal and Aromatic Plants (सीमैप – CIMAP), लखनऊ के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी डेवलप की है जो मेंथा की खेती के पुराने नियमों को ही बदल देती है।
- AI-Based Weather Forecasting: AI की बदौलत बारिश की हर बूंद का अंदाजा! अब नहीं होगी मेहनत बेकार, मिलेगा अगले 4 हफ्ते का पूरा प्लानभारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रोग्राम शुरू किया है- एआई-आधारित मौसम पूर्वानुमान (AI-based weather forecasting)। ये सिर्फ एक टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों की जिंदगी बदलने का एक ज़रिया है।
- रजीना देवी की सफलता की कहानी प्राकृतिक खेती से मिली नई राहरजीना देवी की प्रेरणादायक सफलता कहानी, जहां प्राकृतिक खेती ने कम लागत और अधिक लाभ से उन्हें नई पहचान दिलाई।
- European Union ने भारतीय मत्स्य निर्यात के लिए खोले नए द्वार, 102 और फर्मों को मिली मंज़ूरीयूरोपीय संघ (European Union) दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सख्त मानकों वाले आयात बाजारों में से एक है। उसके खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता के मानक (Food safety and quality standards) काफी हाई हैं। ऐसे में, 102 नई यूनिट्स का मंजूरी पाना इस बात का प्रमाण है कि India’s export control mechanism (एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल – EIC) कितना मजबूत और भरोसेमंद है।
- Mushroom Production Training से सहरसा की महिलाएं लिख रहीं आत्मनिर्भरता की कहानी, दे रहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूतीबिहार के सहरसा ज़िले (Saharsa district of Bihar) अगवानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) में आयोजित चार दिवसीय मशरूम प्रोडक्शन ट्रेनिंग (Mushroom production training) ने न सिर्फ महिलाओं को एक नई राह दिखाई है, बल्कि उन्हें ‘आत्मनिर्भर भारत’ की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया है।
- हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए विकसित की गेहूं की नई क़िस्म WH 1309गेहूं की नई क़िस्म WH 1309 पछेती बिजाई के लिए वरदान है, अधिक पैदावार और रोगरोधी गुणों के साथ किसानों को देगा स्थिर लाभ।
- Role of Technology in Agriculture: कृषि में प्रौद्योगिकी की भूमिका से बदल रहा है भारतीय खेती का भविष्यकृषि में प्रौद्योगिकी की भूमिका किसानों की आय, पैदावार और आत्मनिर्भरता बढ़ा रही है। जिससे भारत में खेती-किसानी की तस्वीर बदल रही है।
- Rangeen Machhli App: ICAR का ‘रंगीन मछली’ ऐप जो दे रहा सजावटी मत्स्य पालन और आजीविका के अवसरों को बढ़ावाRangeen Machhli App सिर्फ एक साधारण जानकारी देने वाला टूल नहीं है, बल्कि ये मछली पालन के शौकीनों (hobbyists), किसानों और बिजनेसमैन के लिए एक पूरी गाइड है। आइए जानते हैं इसकी ख़ास बातें।
- सफ़ेद चादर-सा काशी फूल: झारखंड की संस्कृति और जीवन से जुड़ी अनोखी पहचानझारखंड की संस्कृति और जीवन से जुड़ा काशी फूल शरद ऋतु का प्रतीक है। यह फूल आजीविका और धार्मिक महत्व दोनों में अहम भूमिका निभाता है।
- National Gopal Ratna Award 2025: देश के डेयरी किसानों और तकनीशियनों का सर्वोच्च सम्मान, जानिए कैसे करें अप्लाईराष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2025 (National Gopal Ratna Award 2025) देश के डेयरी किसानों, सहकारी समितियों और तकनीशियनों (Dairy farmers, co-operatives and technicians) के लिए एक शानदार अवसर है। ये न केवल एक Prestigious honors और Financial Aid प्रदान करता है, बल्कि देश के Dairy Sector में वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीकों को अपनाने के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन भी है।
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के 5 साल, क्या कहते हैं मछली पालन से जुड़े ताज़ा आंकड़े?प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: ब्लू इकोनॉमी की ताकत, तकनीक और रोजगार से बदल रहा है भारत का मत्स्य क्षेत्र।
- सरस आजीविका मेला 2025: Vocal for Local और ग्रामीण आजीविका का संगम 22 सितंबर तक22 सितंबर तक दिल्ली में आयोजित सरस आजीविका मेला 2025, लखपति दीदियों और ग्रामीण महिलाओं के उत्पाद, संस्कृति, वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत का उत्सव है।
- गोबर से कागज़ और राखियां बनाकर जयपुर के भीमराज शर्मा ने शुरू किया अनोखा एग्री बिज़नेसगोबर से कागज़ और राखियां बनाकर एग्री बिज़नेस में जयपुर के भीमराज शर्मा ने पर्यावरण हितैषी नवाचार से नई पहचान बनाई।
- जामताड़ा ज़िले में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना से पशुपालकों को आत्मनिर्भरता की राहमुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना से जामताड़ा के किसानों को मिला चूज़ा वितरण का लाभ, पशुपालन से आत्मनिर्भरता की नई राह।
- अडबंधा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम से किसानों की आमदनी बढ़ी, मछली पालन बना आजीविका का नया साधनमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम से अडबंधा में बने कृषि तालाब से सिंचाई और मछली पालन से किसानों की आय बढ़ी।
- कुलवंत राज की प्राकृतिक खेती की राह ने उन्हें बना दिया कृषि कर्मण पुरस्कार विजेताकुलवंत राज और उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी ने प्राकृतिक खेती से आय बढ़ाई, स्वस्थ फ़सलें उगाईं और कई किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।
- Agri Equipments Subsidy: रबी फसल की बुवाई से पहले किसानों को कृषि यंत्र अनुदानरबी फसल की बुवाई से पहले इस राज्य के किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों पर अनुदान मिल रहा है। इसमें हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, बेलर और कई अन्य यंत्र शामिल हैं।
- Pantnagar University के वैज्ञानिकों ने बनाया जीवाणुरोधी प्लास्टिक, अनाज और सब्ज़ियों की पैकिंग अब होगी और सुरक्षितGB Pant University Research: 10 साल की मेहनत से वैज्ञानिकों ने एंटीबैक्टीरियल प्लास्टिक विकसित किया, जो स्वास्थ्य व खाद्य क्षेत्र के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।
- Natural Farming: प्राकृतिक खेती से मिली रेणू बाला को पहचान बनी क्षेत्र की मिसालमहिला किसान रेणू बाला ने प्राकृतिक खेती से कम लागत और अधिक मुनाफ़ा पाया उनकी कहानी किसानों के लिए प्रेरणा बनी।