पॉलीहाउस खेती में फसलों को कम या अत्यधिक बारिश या गर्म जलवायु के कारण किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है। आधुनिक तकनीक से पॉलीहाउस के अंदर का तापमान नियंत्रित किया जाता है। इससे फसल का उत्पादन भी अधिक होता है।
खेती का तरीका अब पूरी तरह से बदल चुका है। उपकरण और अन्य तकनीकों के साथ ही अब खुले की बजाय प्लास्टिक शेड के अंदर खेती की जाती है। इसे पॉलीहाउस कहते हैं। इसमें बाहर के प्रतिकूल मौसम का असर नहीं होता। अंदर का तापमान आप अपने हिसाब से मेंटेन कर सकते हैं। साथ ही इसके अंदर कीटों का प्रकोप भी कम होता है। हानिकारक कीटनाशकों का इस्तेमाल किए बिना फसल उगाई जा सकती है। इसका एक फ़ायदा यह भी है कि आप किसी भी मौसम में कोई भी फसल उगा सकते हैं। जयपुर ज़िले के बसेड़ी गांव के किसान भेरु राम ने भी इस तकनीक को अपनाया और उन्हें 10 गुना मुनाफ़ा हुआ। प्रगतिशील किसान भेरु राम ने बात की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता गौरव मनराल से।
कम पानी में हो जाती है खेती
भेरु राम का कहना है कि बसेड़ी गांव में पानी की कमी के कारण किसानों ने पहले सिंचाई के लिए ड्रिप और फव्वारा पद्धित अपनाई। इसके बाद पॉलीहाउस खेती को अपनाया, क्योंकि इसमें पानी कम लगता है और मुनाफ़ा भी अधिक होता है। खुले में खेती करने पर एक एकड़ में मुश्किल से एक लाख रुपये का फ़ायदा होता था, जबकि पॉलीहाउस में एक एकड़ में 10 लाख रुपये का मुनाफ़ा होता है। इसके अलावा, साल में दो फ़सल ले सकते हैं। वह बताते हैं कि इस गाँव के किसान बहुत प्रगतिशील हैं। कोई भी नई तकनीक आने पर उसे तुरंत अपना लेते हैं। यहां सोलर प्लांट भी लगवाया हुआ है और फ़ार्म पॉन्ड भी बनवाया गया है, जिसमें बारिश का पानी इकट्ठा होता है।
पॉलीहाउस से पहले कैसे होती थी खेती?
भेरु राम का कहना है कि पहले पानी की बहुत समस्या नहीं थी, तो मुख्य फसल के रूप में गेहूं, मटर, मूंगफली, ग्वार, बाजरा आदि उगाते थे। फिर पानी की समस्या होने पर खेती का तरीका भी बदल गया। पारंपरिक खेती की जगह पॉलीहाउस में थाइलैंड, नीदरलैंड के खीरे, टमाटर और ऐसी ही अन्य सब्ज़ियाँ उगाई जा रही हैं। इन फसलों से रिटर्न भी अधिक मिलता है। उनका कहना है कि अब सभी फसलों के हायब्रिड बीज आने लगे हैं, जिससे अधिक उपज प्राप्त होती है। प्याज की फसल पहले एक एकड़ में 60-70 क्विंटल निकलती थी, लेकिन हाइब्रिड बीज से 300 क्विंटल तक फसल प्राप्त हो जाती है।
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पॉलीहाउस से सबको फ़ायदा
भेरु राम कहते हैं कि खुले में खेती की तुलना में इसमें 10 गुना अधिकमुनाफ़ा मिल रहा है। ऐसे में यदि हर कोई पॉलीहाउस खेती करने लगे तो बढ़ती जनसंख्या की ज़रूरतों को पूरा किया जा सकेगा। पॉलीहाउस ने उनकी तकदीर बदल दी, क्योंकि ओपन खेती में इतना फ़ायदा होना नामुमकिन था। वो आगे कहते हैं कि पॉलीहाउस लगाकर वो बहुत संतुष्ट और खुश हैं। खुले में खेती करने पर एक एकड़ में 20 हज़ार मिलता है, जबकि पॉलीहाउस में 2.5 लाख रुपए मिलते हैं और इसमें पानी भी बहुत कम लगता है। इसलिए भेरु राम का मानना है कि पॉलीहाउस में खेती ही बेहतरीन तरीका है।
भेरु राम अन्य किसानों को सलाह देते हैं कि पहले वह ड्रिप सिंचाई लगाएं और फिर मुनाफ़ा कमाकर ग्रीन हाउस/पॉलीहाउस लगाएं। उनका मानना है कि इससे किसानों का जीवन बदल जाएगा।
पॉलीहाउस के फ़ायदे
- इसमें पानी, कीटनाशक, केमिकल आदि की कम ज़रूरत पड़ती है।
- किसी भी मौसम में फ़सल उगाई जा सकती है। बाहरी जलवायु से फ़सल प्रभावित नहीं होती है।
- कीट का भी असर कम होता है और फसल की गुणवत्ता अच्छी होती है।
- पैदावार 5 से 10 गुना अधिक होती है।
- सब्ज़ियों, फलों और फूलों की खेती में 90% तक पानी का संरक्षण होता है और उपज की शेल्फ लाइफ भी बढ़ती है।
- खाद की भी ज़रूरत कम पड़ती है।
- सजावटी पौधों को इसमें अच्छी तरह उगाया जा सकता है।
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