पॉलीहाउस में खीरे की खेती से लाख के ऊपर पहुंचा किसान का मुनाफ़ा, ‘मिनी इज़राइल’ कहलाता है गांव
इस गाँव के किसानों ने अपनाई हाई-टेक खेती
कमलेश चौधरी पॉलीहाउस में 10 सालों से खीरे की खेती कर रहे हैं। अपने एक एकड़ के पॉलीहाउस में तुर्की और नीदरलैंड की खीरे की किस्म उगा रहे हैं। बीज बोने के 40 दिन बाद ये फसल तैयार हो जाती है।
पॉलीहाउस खेती की एक ऐसी तकनीक है, जिसमें किसान फसल के हिसाब से तापमान सेट कर सकते हैं और ऑफ़ सीज़न में भी सब्ज़ियां, फूल आदि उगाए जा सकते हैं। जयपुर के बसेड़ी गांव के किसान कमलेश चौधरी भी इसी तकनीक का इस्तेमाल करके 10 सालों से खीरे की खेती कर रहे हैं और ज़बर्दस्त मुनाफ़ा कमा रहे हैं। दरअसल, उनके गांव को मिनी इज़राइल कहा जाता है क्योंकि यहां के अधिकांश किसान पॉलीहाउस में खेती कर रहे हैं और संपन्न हैं। कमलेश चौधरी ने पॉलीहाउस की बारीकियों के बारे में बात की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता गौरव मनराल से।
पॉलीहाउस में खीरे की खेती
कमलेश चौधरी बताते हैं कि वह 10 सालों से खीरे की खेती कर रहे हैं। अपने एक एकड़ के पॉलीहाउस में तुर्की और नीदरलैंड की खीरे की किस्म उगा रहे हैं। बीज बोने के 40 दिन बाद ये फसल तैयार हो जाती है। खीरे का पौधा 8 फीट तक ऊंचा होता है। एक पौधा अपने जीवनकाल में 7 से 8 किलो उपज देता है। वह एक एकड़ के ग्रीन हाउस में 8 हज़ार पौधे लगाते हैं। हर पौधे को 2 फ़ीट की दूरी पर लगाते हैं। इसमें 50 से 70 टन फसल हो जाती है। वह 20 से 25 रुपये प्रति किलो की औसत दर से इन खीरों बेचते हैं। कमलेश के मुताबिक, यदि 20 का औसत मान लें तो एक फसल से 10 लाख रुपये की कमाई हो जाती है। इसमें 25 प्रतिशत लेबर, 25 प्रतिशत अन्य खर्च निकाल देने पर 5 लाख रुपये की बचत होती है। हम खेती में 70 प्रतिशत ऑर्गेनिक चीज़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसे 90 प्रतिशत करने की कोशिश कर रहे हैं।
कैसे रखते हैं खीरे की फसल का ध्यान?
पॉलीहाउस के परदे खुले रहने पर बाहरी कीटों का हमला हो सकता है इसके लिए नेट लगाकर रखें। नमी और तापमान का ध्यान रखना भी ज़रूरी है, क्योंकि ज़्यादा गर्मी, ठंड या नमी पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। जैसे हम अपना ध्यान रखते हैं, वैसे ही पौधों का भी ध्यान रखना पड़ता है। कमलेश कहते हैं कि खीरा उगाने का अनुभव तो उन्हें पहले से है, लेकिन तुर्की और नीदरलैंड की किस्म नहीं उगाते थे। यह किस्म बहुत अच्छी है क्योंकि कम समय में पैदावार होने से तुरंत कमाई होने लगती है। वर्तमान में उनके पास 9 पॉलीहाउस हैं। वह अन्य किसान साथियों को सलाह देते हैं कि यदि पॉलीहाउस खेती की शुरुआत करना चाहते हैं, तो खीरे से शुरुआत करना सुरक्षित है और यह 100 फ़ीसदी मुनाफ़ा देगा।
कौन-कौन सी तकनीकों का करते हैं इस्तेमाल?
कमलेश चौधरी का कहना है कि वह माइक्रो इरिगेशन सिस्टम, मल्चिंग, लोटनल, ग्रीनहाउस, सोलर आदि तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिससे फसल अच्छी होती है और मुनाफ़ा भी अधिक होता है।
कैसे करें पॉलीहाउस की शुरुआत?
कमलेश चौधरी सलाह देते हैं कि जो किसान पॉलीहाउस की शुरुआत करना चाहते हैं उन्हें पहले ओपन फील्ड में खेती करनी चाहिए और इसमें ड्रिप सिस्टम और मल्चिंग जैसे तकनीक का इस्तेमाल करें। सरकार की ओर से दोनों के लिए सब्सिडी दी जाती है। जिन जगहों पर अधिक ठंड होती है औरपाले की समस्या है, तो लोटनल तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। उनका कहना है कि यदि किसान सिस्टम से चले और योजनाबद्ध तरीके से खेती करें तो यकीनन सफलता मिलेगी।
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