मूंगफली की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए ज़रूरी है समेकित कीट प्रबंधन
कीटों के कारण फसल को बहुत नुकसान पहुंचता है
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मूंगफली उत्पादक देश है, लेकिन हर साल कीटों की वजह से फसलों को भारी नुकसान पहुंचता है और किसानों का मुनाफ़ा कम हो जाता है। ऐसे में समेकित कीट प्रबंधन से फसलों के नुकसान को रोका जा सकता है।
मूंगफली हमारे देश की मुख्य तिलहनी फसलों में से एक है। गुजरात में सबसे ज़्यादा मूंगफली का उत्पादन होता है। इसके साथ ही आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में भी मूंगफली की खेती होती है। ये महत्वपूर्ण नगदी फसल है। किसान इसकी व्यावसायिक खेती करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं। मगर इसके लिए खरपतवार नियंत्रण के साथ ही समकेति कीट प्रबंधन करना ज़रूरी है, जानिए तरीके।
सफेद सूंडी
इस कीट का सबसे ज़्यादा असर मध्य जुलाई से सितंबर तक देखा गया है। ये कीट शुरुआती अवस्था मे ही पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे पौधे सूखने लगते हैं।
कैसे करें प्रबंधन?
- मानसून से पहले 2-3 गहरी जुताई करें। नकुसान से बचने के लिए समय से पहले बुवाई करें।
- प्रौढ़ कीट से बचाव के लिए प्रकाश जाल प्रति हेक्टेयर 1 ट्रैप के हिसाब से करें।
- प्रति हेक्येटर 33 किलो कार्बोफ्यूरॉन का छिड़काव करें या क्लोरोपायरीफॉस 20 प्रतिशत ई.सी. प्रति हेक्टेयर 1200 मिली. पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
तंबाकू की सूंडी
इसकी सूंडी करीब 4 सेंटीमीटर लंबी और गहरे हरे रंग की होती है। ये पत्तियों को खाती हैं, जिससे उत्पादन कम होता है।
कैसे करें प्रबंधन?
- गर्मियों में जुताई करें और कीट लगे पौधों को निकालकर फेंक दें। इससे ज़मीन में छिपे कीट भी खत्म हो जाएंगे।
- कीटों का प्रकोप कम करने के लिए खेत को खरपतवार से मुक्त रखें।
- सुबह और शाम के समय ब्यूबेरिया बैसियना 2 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से 400 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।
- स्पाइनोसेड 45 मि.ली. का छिड़काव 200-250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से करें.
- इंडोक्साकार्ब14.5 एस.सी 175-200 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें।
दीमक
ये फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले समान्य कीट हैं, जिसका प्रभाव रानी अवस्था में अधिक देखा गया है। ये पौधों के तनों के सहारे सुरंग बनाकर इसकी जड़ों तक पहुंचकर उसे नुकसान पहुंचाते हैं। दीमक लगे पौधे हाथ से खींचने पर आसानी से उखड़ जाते हैं।
कैसे करें प्रबंधन?
- खेत में हमेशा गोबर की सड़ी हुई खाद का इस्तेमाल करें।
- खेत में पहले पानी से अच्छी तरह सिंचाई करें। क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 2 मि.ली. पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल 15 लीटर पानी में 5 मि.ली. मिलाकर छिड़काव करें।
- मानसून से पहले 2-3 गहरी जुताई करें।
- प्रति हेक्येटर 33 किलो कार्बोफ्यूरॉन का छिड़काव करें।
लाल भुंडली
पतंगा गहरे भूरे रंग का होता है और प्रौढ़ लार्वा हल्के भूरे रंग का। इसके पूरे शरीर पर बहुत घने बाल होते हैं। इस कीट की सूंडी पत्तियों के नीचे की सतह पर उन्हें खुरचकर ही नुकसान पहुंचाती है। ये पत्तियों और पौधों की कोमल सतह को रात के समय ज़्यादा नुकसान पहुंचाती है।
फुदका कीट
व्यस्क हल्के भूरे रंग का होता है। ये मुख्य सतह के पास अंडे देता है। लंबे समय तक इस कीट के रहने पर पत्तियों पर ‘V’ आकार का पीलापन आ जाता है, जो धीरे-धीरे फैल सकता है।
रस चूसक कीट
माहू, थ्रिप्स व सफेद मक्खी जैसे रस चूसक कीट भी फसल को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। इनसे बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी या डायमिथोएट 30 ई.सी. 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी के हिसाब से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छि़ड़काव करें। जबकि पत्ती सुरंगक कीट के नियंत्रण के लिए क्यूनॉलफॉस 25 ई.सी. को एक लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पानी में मिलाकर इस्तेमाल करें।
खेत की गहरी जुताई, खरपतवारों का खात्मा और कीटनाश्कों के इस्तेमाल से इन कीटों के प्रकोप से फसल को बचाया जा सकता है।
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