बकरी पालन: नहीं थी नौकरी, वैज्ञानिकों के सुझावों को अपनाकर विशाल रंजन बने सफल बकरी पालक

बकरी पालन ग्रामीण इलाकों के युवाओं के लिए आमदनी का एक अच्छा ज़रिया हो सकता है। इसमें कम जगह और खर्च से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। बस कुछ बातों का ध्यान रखने की ज़रूरत है जैसा कि बेगूसराय के युवा विशाल रंजन ने किया और आज वह सफल बकरी पालक बन गए हैं।

बकरी पालन goat farming in india

बकरी पालन लाभदायक व्यवसाय है। बकरी पालन में दूध व मांस बेचकर अच्छी कमाई की जा सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 18 बकरी से औसतन 2,16,000 रुपये प्रति माह कमाई हो सकती है, जबकि 18 बकरे से औसतन 1,98,000 रुपये की आमदनी प्राप्त की जा सकती है। बस आपको सही नस्ल का चुनाव करना होगा और उनकी अच्छी देखभाल करनी होगी। बिहार के बेगूसराय के रहने वाले विशाल रंजन के पास कोई नौकरी नहीं थी। उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री ली हुई है, लेकिन जॉब का अभाव रहा। कैसे बकरी पालन ने न उन्हें सिर्फ़ स्वरोज़गार दिया, बल्कि अच्छी आमदनी का ज़रिया भी प्रदान किया।

वैज्ञानिकों की सलाह ने बदली ज़िंदगी

विशाल रंजन ने 2014 में कृषि विज्ञान केंद्र, खोडावंदपुर, बेगूसराय की ओर से बकरी पालन पर आयोजित एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लिया था। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने उन्हें गाँव में ही बकरी पालन करने की सलाह दी। विशाल ने बकरियों के लिए एक फ़ार्म बनाया और उन्हें KVK द्वारा 40 बकरियां दी गई। इन बकरियों को आधा चराई और आधा स्टाल-फेड सिस्टम के तहत पाला गया। शुरुआत में विशाल को व्यवसाय की उच्च लागत, बकरियों की अधिक मृत्यु दर और उनकी कम कीमत मिलना जैसी कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा।

बकरी पालन: नहीं थी नौकरी, वैज्ञानिकों के सुझावों को अपनाकर विशाल रंजन बने सफल बकरी पालक
तस्वीर साभार- agric4profits

बकरी पालन: नहीं थी नौकरी, वैज्ञानिकों के सुझावों को अपनाकर विशाल रंजन बने सफल बकरी पालक

नस्ल बदलने से हुआ फ़ायदा

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने भारत में बकरी पालन और बकरियों के विपणन के व्यावसायीकरण पर एक परियोजना के तहत उनके खेत का दौरा किया। वैज्ञानिकों ने उन्हें बकरियों की नस्ल बदलने का सुझाव दिया। वैज्ञानिकों ने उन्हें शुद्ध नस्ल के जानवरों को प्रजनन स्टॉक के रूप में तैयार करने और प्रभावी मार्केटिंग रणनीति अपनाने और लिंक बढ़ाने के लिए अन्य किसानों के साथ मजबूत संबंध बनाने का सुझाव दिया।

उन्हें बकरियों के स्वास्थ्य प्रबंधन पर KVK की ओर से तकनीकी सहायता भी प्रदान की गई। बकरी पालन परियोजना के तहत बकरी पालन प्रणाली में बदलाव करके विशाल रंजन सफल रहे और लाभ कमाने लगे। वह लगातार KVK के वैज्ञानिकों के संपर्क में रहें और सेमिनार में जाकर बकरी पालन से जुड़ी नई जानकारियां प्राप्त करते रहें। अब बकरियों की मृत्यु दर भी घटकर 3 से 8 प्रतिशत सालाना रह गई।

40 बकरियों से की शुरुआत अब हैं 100 बकरियां

उन्होंने सिर्फ़ 40 बकरियों से बकरी पालन व्यवसाय की शुरुआत की थी, लेकिन अब उनके पास 100 से अधिक बकरिया हैं। किसानों को बेचने के लिए वह शुद्ध नस्ल की बकरियों का प्रजनन करते हैं। वर्तमान में उन्हें बकरी पालन से 4 से 5 लाख की सालाना आमदनी हो रही है, जबकि खर्च 1.5 से 2 लाख रुपये आता है। इस तरह उन्हें 2-3 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हो रहा है।

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विशाल रंजन अब सरकारी विभाग, एनजीओ और किसानों के बीच सफल व्यावसायिक बकरी पालक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। स्थानीय एनजीओ द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में उन्हें बकरी पालन के सफल उदाहरण और प्रेरणा स्रोत के रूप में बुलाया जाता है। वह नस्ल में सुधार और संगठित मार्केटिंग के लिए अपने इलाके के छोट व पारंपरिक बकरी पालकों के साथ संबंधों को और मज़बूत बना रहे हैं।

बकरी पालन से मुनाफ़ा कमाने के लिए बकरियों की अच्छी नस्ल के साथ ही उनकी उचित देखभाल, आवास, भोजन की सही व्यवसथा ज़रूरी है।

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