ICAR Foundation Day 2023: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् का 95वां स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस
16 जुलाई 1929 को हुई थी स्थापना
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के स्थापना दिवस के अवसर पर आईसीएआर और उसके संस्थानों के प्रकाशनों के साथ-साथ वैज्ञानिकों के सहयोग से तैयार उत्पादों का लोकार्पण किया गया। जिसमें बागवानी विभाग द्धारा एवोकाडो की प्रजाति अर्का कुर्ग रवि, आम की प्रजाति पूसा दीपशिखा, भिंडी की प्रजाति काशी लालिमा, आलू की प्रजाति कुफरी फ्राईओम, मशरूम की प्रजाति DMRNBS-559 और फोम मैट विधि द्धारा तैयार सूखे पके केले के पाउडर लोकार्पण किया गया।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) ने इस साल अपने स्थापना के 95 साल पूरे किए हैं। इस मौके पर तीन दिवसीय स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत 16 जुलाई को हुई। इसके मुख्य अतिथि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, अतिथि केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशु पालन एवं डेयरी मंत्री पुरषोत्तम रूपाला और केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी रहे।
साथ ही आईसीएआर और कई संस्थानों के कृषि वैज्ञानिक और कई कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति भी मौजूद रहे। इस अवसर पर ICAR के विभिन्न संस्थानों की ओर से तकनीक प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसका शुभारम्भ केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशु पालन एवं डेयरी मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने किया।
कार्यक्रम का स्वागत सम्बोधन करते हुए आईसीएआर के सचिव संजय गर्ग ने कहा कि आईसीएआर की स्थापना आज़ादी के पहले इम्पीरिकल काउसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च के रूप में की गई थी। स्वतंत्रता के बाद आईसीएआर ने बहुत सी चुनौतियों का सामना किया है। उन्होंने कहां देश ने पिछले 6 वर्षों कृषि अनुसंधानों, कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के सहयोग से 4.6 प्रतिशत की दर से वार्षिक वृद्धि दर्ज की है। और देश की GDP में कृषि का लगभग 18 प्रतिशत का योगदान है साथ लगभग 50 प्रतिशत वर्क फोर्स कृषि क्षेत्र से आता है।
प्रकाशनों और उत्पादों का किया गया लोकार्पण
स्थापना दिवस के अवसर पर आईसीएआर और उसके संस्थानों के प्रकाशनों के साथ-साथ वैज्ञानिकों के सहयोग से तैयार उत्पादों का लोकार्पण किया गया। जिसमें बागवानी विभाग द्धारा एवोकाडो की प्रजाति अर्का कुर्ग रवि, आम की प्रजाति पूसा दीपशिखा, भिंडी की प्रजाति काशी लालिमा, आलू की प्रजाति कुफरी फ्राईओम, मशरूम की प्रजाति DMRNBS-559 और फोम मैट विधि द्धारा तैयार सूखे पके केले के पाउडर लोकार्पण किया गया।
फसल विज्ञान विभाग के द्धारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के विभिन्न संस्थानों द्धारा कुल मिलाकर 8 फसलों की 27 किस्मों का विमोचन किया गया जिसमें धान की 11 किस्में, गन्ना की 8 किस्में, उड़द और मटर की 2-2 किस्में सरसों चने जई दीनानाथ घास की 1-1 किस्में और बौना काला नमक की 2 किस्मों का विमोचन किया गया है।
पशु विज्ञान विभाग द्धारा स्मार्ट सेंसर के माध्यम से पारम्परिक डेयरी उत्पादों की वास्तिविक समय गुणवक्ता का मूल्यांकन करने वाली किट विकशित की गई है जिसे LFA किट और ICAR-CSWRI द्धारा विकशित फैब्रिक ग्रो सैम्पलिंग बैग का भी विमोचन किया गय इसके माध्यम से सिंगल यूज प्लास्टिक की रीपलेसमेंट हो सकती है और प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने में सहायक होगी। ICAR और उसके संस्थानों के वैज्ञानिकों के द्धारा विकशित की गई किस्मों, तकनीकों के लिए कृषि वैज्ञानिकों को संमानित भी किया गया है।
हिमांशु पाठक ने बताया आईसीएआर की उपलब्धियां
आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने ICAR की उपलब्धियों को बताते हुए कहां कि भारत में सम्पूर्ण विश्व की लगभग 2.3 प्रतिशत भूमि पायी जाती है, जहां लगभग 140 मिलियन हैक्टेयर भूमि पर खेती होती है। भारत में 86 प्रतिशत लघु और सीमांत किसान हैं और ऐसे करोड़ो किसान हैं जिनके पास खेती नहीं है, लेकिन दूसरों के खेतों में फसल उत्पादन का कार्य करते हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद 250 से अधिक फसलों पर काम करता है। यही कारण है कि विश्व की 18 प्रतिशत आबादी वाला देश 2020-21 में लगभग US$50 बिलियन का निर्यात कर विश्व के टॉप 5 निर्यातक देशों में शामिल हुआ। साथ ही जनसंख्या और पशुधन के हिसाब से भारत पहले स्थान पर है। इस साल अनाज का उत्पादन 330 मिलियन टन से अधिक है और बागवानी का उत्पादन 347.2 मिलियन टन के आस-पास है।
भारत दूध, दाले, चाय, मसालों, जूट और केला उत्पादन सहित अन्य उत्पादन में सम्पूर्ण विश्व में पहले स्थान पर है वहीं चावल, गेहूं, फलों, सब्जियों और गन्ना उत्पादन के साथ अन्य उत्पादन में भारत पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर है। कृषि क्षेत्र में भारत का पिछले 6 साल में 4.6 प्रतिशत ग्रोथ रेट के साथ खाद्यान्न की उत्पादकता भी बढ़ी है सन् 1970 जो उत्पादकता 0.7 टन प्रति हैक्टेयर था वो सन् 2022 में 2.4 टन हेक्टेयर पहुंच गया है। प्रति व्यक्ति प्रतिदिन फूड की उपलब्धता जो 1950- 51 के आस पास जो 800 ग्राम होता था वह बढ़ कर प्रति व्यक्ति प्रतिेदिन फूड की उपलब्धता 2किलो के पहुंच गई है ।
विश्व में सबसे बड़ा कृषि अनुसंधान केन्द्र है ICAR
17 निजी कंपनियों के साथ एमओयू पर हुए हस्ताक्षर
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी मॉडल) के लिए आईसीएआर ने 17 निजी कंपनियों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया है जो ICAR के सभी केन्द्रों, संस्थानों, कृषि अनुसंधानों, शिक्षा और विस्तार सेवाओं के लिए निजी क्षेत्रों के साथ साझेदारी में काम करेंगे।इसके लिए सारे नियम तैयार बना लिए गए हैं जिन्हें जल्द ही लागू कर दिया जाएगा।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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- सब्जियों की खेती: छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली इन भाजियों के बारे में जानते हैं आप?छत्तीसगढ़ में 36 तरह की अलग-अलग भाजियां पाई जाती हैं, जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी अच्छी हैं। इन सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। राज्य में बस्तर के जंगलों, दुर्ग की बाड़ियों, रायपुर के फ़ार्म्स, कवर्धा की घाटियां, अलग-अलग ज़िलों में अनेक किस्म की भाजियां उगाई जाती हैं।
- पॉलीहाउस में फूलों की खेती कर सालाना करीब 35 लाख का टर्नओवर, ये हैं हिमाचल के रवि शर्मारवि शर्मा ने अपने गांव आने के बाद फूलों की खेती को चुना। इसमें उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाया हुआ है। वो पॉलीहाउस में फूलों की खेती करते हैं।
- Bio-Fertilizers: जीवाणु या जैविक खाद बनाने का घरेलू नुस्खाजैविक खाद के कुटीर उत्पादन की तकनीक बेहद आसान और फ़ायदेमन्द है। इससे हरेक किस्म की जैविक खाद का उत्पादन हो सकता है। इसे अपनाकर किसान ख़ुद भी जैविक खाद के कुटीर और व्यावसायिक उत्पादन से जुड़ सकते हैं।
- Saffron Farming: नोएडा के एक छोटे कमरे में केसर की खेती, किसानों को दे रहे हैं ट्रेनिंगरमेश गेरा ने अपनी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई 1980 में NIT कुरुक्षेत्र से की। इसके साथ ही रमेश ने कई मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब भी की। नौकरी के दौरान बाहर के देशों में उन्हें कृषि के नए-नए तरीके देखने को मिले। वहां से तकनीक देखकर भारत में केसर की खेती चालू की।
- Goat Farming: बकरी पालन से जुड़ी क्या हैं उन्नत तकनीकें और मार्केटिंग का तरीका? कैसे किसानों ने पाई सफलता?भारत में बकरी पालन में नवाचारों का उद्देश्य किसानों की आजीविका को बढ़ाना, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बकरी उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करना है।
- पाले की समस्या से कैसे पाएं निजात? सर्दियों की शुरुआत भारत में खेती को कैसे प्रभावित करती है?किसान सर्दियों की इन चुनौतियों से पार पाने के लिए रणनीतियां अपनाते हैं, और सरकार टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और सिंचाई सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सहायता देती है।
- कैसे Startup India के तहत शुरू की मिलेट बेकरी? छत्तीसगढ़ की हेमलता ने Millets के दम पर खड़ा किया स्टार्टअपमिलेट से बने व्यंजनों की वैरायटी लिस्ट काफ़ी लंबी है। छत्तीसगढ़ की रहने वाली हेमलता ने Startup India के तहत मिलेट बेकरी (Millet Bakery) की शुरुआत की।
- Makhana Farming: मखाने की खेती में छत्तीसगढ़ के किसान गजेंद्र चंद्राकर ने अपनाई उन्नत तकनीकइस विधि द्वारा मखाने की खेती 1 फ़ीट तक पानी से भरी कृषि भूमि में की जाती है। किसान अब मखाने की खेती कर, धान से ज़्यादा मुनाफ़ा कमा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के किसान इस सुपर फ़ूड मखाने की खेती को लेकर काफ़ी जागरूक हो गए हैं।
- Pearl Farming: मोती की खेती के साथ मछली पालन, ‘पर्ल क्वीन’ के नाम से जानी जाती हैं पूजा विश्वकर्मापूजा विश्वकर्मा ने 6 साल पहले 40 हज़ार रुपये की लागत से मोती की खेती का व्यवसाय शुरु किया। लगातार 2 साल तक संघर्ष करने के बाद उन्हें सफलता मिली।
- कृषि-वोल्टीय प्रणाली (सौर खेती): बिजली और फसल उत्पादन साथ-साथ, क्या है तरीका?ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरत को पूरा करने के लिए सोलर एनर्जी यानी सौर ऊर्जा सबसे अच्छा विकल्प है। वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक ईज़ाद की है, जिसमें बिजली और फसल उत्पादन साथ-साथ होगा। इस तकनीक का नाम है कृषि-वोल्टीय प्रणाली (सौर खेती)।
- Biofertilizer Rhizobium: जैव उर्वरक राइज़ोबियम कल्चर दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने का जैविक तरीकादलहन भारत की प्रमुख फसलों में से एक है और पूरी दुनिया में दलहन का सबसे अधिक उत्पादन भारत में ही होता है। किसानों के लिए भी इसकी खेती फ़ायदेमंद है। इसलिए दलहनी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। अगर किसान दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं, तो राइज़ोबियम कल्चर उनके लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है।
- Seed Production: कैसे बीज उत्पादन व्यवसाय इन किसानों की आय का अच्छा स्रोत बन रहा है?बीज खेती का आधार है, तभी तो कहते हैं कि हर बीज एक अनाज है, लेकिन हर अनाज एक बीज नहीं हो सकता क्योंकि सभी अनाज में एक समान अंकुरण क्षमता नहीं होती। बीज उत्पादन के लिए किसानों को बीज के प्रकार और उत्पादन का सही तरीका पता होना चाहिए।
- Berseem Farming: बरसीम की खेती से जुड़ी अहम बातें, जानिए कीट-रोगों से कैसे बचाएं बरसीम की फसलबरसीम एक महत्वपूर्ण दलहनी चारा फसल है जो न सिर्फ़ पशुओं के लिए बेहतरीन है, बल्कि ये मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में भी सहायक है। इसका इस्तेमाल हरी खाद के रूप में किया जा सकता है। पशुओं के लिए ये चारा बहुत पौष्टिक होता है, वैसे तो बरसीम की फसल पर रोगों का बहुत गंभीर परिणाम नहीं होता है, लेकिन कुछ रोग व कीट है जिनसे बचाव करना ज़रूरी है।
- डेयरी उद्योग (Dairy Farming): क्यों दूध उत्पादन क्षेत्र में फ़ार्म रिकॉर्ड रखना ज़रूरी है?जिस तरह से ऑफ़िस या घर में काम या डॉक्यूमेंट्स का रिकॉर्ड रखा जाता है, वैसे ही डेयरी उद्योग में पशुओं का रिकॉर्ड रखना बहुत ज़रूरी है।
- Green Manure Crops: हरी खाद वाली फसलें कौन सी हैं और कितने प्रकार की होती हैं?खेती में हरी खाद का मतलब उन सहायक फसलों से है, जिन्हें खेत के पोषक तत्वों को बढ़ाने के मकसद से उगाया जाता है। ये मिट्टी की साथ-साथ फसलों को भी कई लाभ देती हैं।
- जैविक विधि से खरपतवार नियंत्रण: पर्यावरण और सेहत दोनों के लिए फ़ायदेमंदबढ़ते पर्यावरण प्रदूषण और इसके मानव स्वास्थ्य पर पड़ते हानिकारक प्रभाव को देखते हुए खेती में जैविक विधि के इस्तेमाल को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। ऐसे में अब बहुत से किसान खरपतवार नियंत्रण के लिए भी प्राकृतिक उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
- Crop Residue Management: क्यों ज़रूरी है फसल अवशेष प्रबंधन? इससे जुड़े ये आंकड़ें जानते हैं आप?फसल अवशेष जलाने से हमारी ज़मीन में उपलब्ध पोषक तत्वों को हानि होती है। धीरे-धीरे ज़मीन की उर्वरक शक्ति कम होती चली जाती है। साथ ही वायु प्रदूषण बढ़ने जैसी कई घटनाएं हम देख भी चुके हैं।
- जानिए कैसे कंद वर्गीय फसल अरारोट की खेती से किसान ले सकते हैं लाभ, क्या हैं इसके फ़ायदे?अरारोट की खेती के लिए रेतिली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। पौधों के विकास के लिए तापमान 25-30 डिग्री सेंटीग्रेट होना चाहिए।
- Red Rice: विलुप्त होते लाल चावल को मिल रहा जीवनदान, दोबारा शुरु हुई खेतीसेहत और किसानों के लिए फ़ायदेमंद लाल चावल की खेती हिमाचल में फिर से बड़े पैमाने पर की जा रही है। जानिए लाल चावल से जुड़ी अहम बातों के बारे में।
- Carp Fish: नर्सरी तालाब में कार्प मछली उत्पादन कैसे करें? किन बातों का रखें ध्यान?मछली पालन में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर आता है। पहले स्थान पर चीन है। हमारे देश में मछली उत्पादन में सबसे अधिक हिस्सेदारी कार्प मछलियों की है। कार्प मछली उत्पादन में मछली पालकों को इसके बीजों की गुणवत्ता पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत होती है।