हाल के कुछ साल में कर्नाटक के किसान आम की खेती में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं, बस कुछ किसान ही बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन कर रहे हैं। दरअसल, तेज़ आंधी के कारण मंजर का गिर जाना, जिससे फल नहीं लगते, भारी ओलावृष्टि और अनियमित बरसात, उचित मार्केटिंग चैनल का अभाव जैसे कई कारक आम की कम खेती का कारण हैं।
मगर कर्नाटक के तुमकूर ज़िले के अय्यानहल्ली गाँव के किसान सत्यनारायण रेड्डी 30 एकड़ में आम की खेती कर रहे हैं। हालांकि, वह उत्पादन से खुश नहीं थे। अल्फांज़ो और मल्लिका किस्म की आम उगाने वाल रेड्डी को हर साल सही प्रबंधन का अभाव, मैंगो होपर्स, फ्रूट फ्लाइस जैसे कीटों का हमला और पाउडर फंफूदी रोग और पौधों के मरने के कारण भारी मात्रा में फसल हानि होती थी। कीटों व बीमारियों से बचने के लिए वह दूसरे किसानों की सलाह पर कीटनाशकों का छिड़काव करते थे, मगर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। वह अपने आम के बागानों के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह की तलाश में थें।

कृषि विज्ञान केंद्र की पहल से हुआ फ़ायदा
2018-19 में सत्यनारायण रेड्डी को तुमकूर में स्थित ICAR-कृषि विज्ञान केंद्र, हिरेहल्ली के बारे में पता चला। उन्होंने वहाँ बागवानी सब्जेक्ट मैटर स्पेशलिस्ट से संपर्क किया। विभाग के विशेषज्ञों ने उनके आम के बागान का दौरा किया और उन्हें कुछ सुझाव दिए। ये सुझाव कुछ इस तरह है:
- अर्का माइक्रोबियल कंसोर्टियम 50 किलो प्रति पेड़ के हिसाब से डालने की सलाह से लेकर सिंचाई प्रबंधन की उन्नत तकनीकों के साथ फार्मयार्ड खाद Farmyard manure (FYM) को अपनाना।
- पौधों में अधिक फूल व एक समान आम आने के लिए मैंगो स्पेशल को फॉयलर स्प्रे के रूप में प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम मिलाकर साल में 5 बार स्प्रेयर के रूप में इस्तेमाल करने की सलाह दी।
- फूलों की शुरुआत के दौरान और फूल आने पर हर 8 दिनों के अंतराल पर आम के हॉपर की घटनाओं को कम करने के लिए प्रति लीटर पानी में 7 ग्राम नीम साबुन डालकर इस्तेमाल करने की सलाह दी।
- आम फल मक्खियों की निगरानी के लिए प्रति हेक्टेयर 10-15 की संख्या में मक्खी फेरोमोन ट्रैप और तना बेधक के प्रबंधन के लिए अर्का बोरर अपनाने की भी सलाह दी गई।

कितनी बढ़ी आमदनी
कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह पर अमल करने के बाद 2019-20 में पहली बेयरिंग से 12 हज़ार किलो अल्फांसो और 29,604 किलोग्राम मल्लिका किस्म की उपज प्राप्त हुई। इस तरह पूरे बाग (12 हेक्टेयर) से उन्हें लगभग 4,96,080 रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। 2020-21 के दौरान भी कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह पर अमल करते हुए उन्हें अल्फांसो 13,240 किलोग्राम और मल्लिका की 33,032 किलोग्राम उपज प्राप्त हुई। इस तरह उन्हें 30 एकड़ के बाग से 5,96,040 की शुद्ध आय प्राप्त हुई।

कृषि विज्ञान केंद्र की मदद का असर
कृषि विज्ञान केंद्र के हस्तक्षेप से पहले वह प्रति हेक्टेयर आम के बागान से 21,380 रुपये की ही कमाई कर पता थें, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी हस्तक्षेप के बाद उनकी कमाई दोगुनी से भी अधिक यानी 45,505 रुपये प्रति हेक्टेयर हो गई। कृषि विज्ञान केंद्र ने उन्हें आम के अधिक उत्पादन की तकनीक बताने के साथ ही फसल की तुड़ाई के बाद देखभाल के बारे में भी बताया। नई तकनीक को अपनाने से उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाले आम की फसल मिली, जिसे बाज़ार में अच्छा दाम भी मिला।
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