बायोगैस प्लांट्स के इस्तेमाल से मध्य प्रदेश के एक गाँव की तस्वीर बदली, जानिए कैसे किसान परिवारों की लागत हुई कम

गोबर में ऊर्जा की मात्रा बहुत होती है। इस ऊर्जा को बायोगैस प्लांट में फ़र्मेंटेशन के ज़रिए निकाला जाता है। कैसे बायोगैस प्लांट्स लगाना किसानों के लिए फायदेमंद है? जानिए इस लेख में।

बायोगैस प्लांट्स biogas plants

प्रकृति के बिगड़े हुए संतुलन को फिर से संरक्षित करने में कई पीढ़ियां लग जाती हैं। प्रकृति को कैसे बचाया जाए, कैसे प्राकृतिक संसाधनों का सरंक्षण किया जाए, कैसे उपलब्ध संसाधनों का सही इस्तेमाल हो, इसका उदाहरण है मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले का कांटी गाँव। ये गाँव बड़ी संख्या में पशुधन के लिए जाना जाता है। जैविक खाद बनाने के लिए जिन-जिन चीज़ों की ज़रूरत होती है, वो यहाँ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। हालांकि, एक वक़्त ऐसा था जब इसके सही इस्तेमाल और प्रबंधन के बारे में गाँव वालों को जानकारी नहीं थी।

कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ ने गाँव को लिया गोद

गाँव के 36.67 फ़ीसदी परिवार  उपले बनाने के लिए मवेशियों के गोबर की बिक्री करते थे, बाकी गाँव के लोग गोबर को यूं ही फेंक देते थे। गाँव के केवल 16.67 लोगों को बायोगैस टेक्नोलॉजी के बारे में पता था। पशुधन की उपलब्धता को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ ने 2010 में National Initiative on Climate Resilient Agriculture के तहत कांटी गाँव को गोद लिया।

बायोगैस प्लांट्स biogas plants
तस्वीर साभार: jawaharlal nehru krishi vishwavidyalaya

बायोगैस प्लांट्स के इस्तेमाल से मध्य प्रदेश के एक गाँव की तस्वीर बदली, जानिए कैसे किसान परिवारों की लागत हुई कम

गाँव में लगाए गए 64 बायोगैस प्लांट्स

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की देखरेख और सहयोग से कांटी गाँव में करीबन 64 बायोगैस प्लांट्स लगाए गए। गाँव के लोगों को इसके इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी गई और इसके फ़ायदों के बारे में जागरूक किया गया। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और इफको यूनिट की ओर से बायोगैस प्लांट्स लगाने पर 13500 रुपये की सब्सिडी दी गई।

बायोगैस इस्तेमाल के कई फ़ायदे

गाँव वाले पहले खाना बनाने के लिए लकड़ियों का इस्तेमाल किया करते थे। जंगलों से लकड़ियां काटकर लाते थे। अब बायोगैस प्लांट्स लगने की वजह से जंगलों से लकड़ियों का कटाव कम हुआ है। इस तरह पर्यावरण संरक्षण करने में भी मदद मिली है। साथ ही अब गाँव के 64 किसान परिवार प्रदूषण मुक्त वातावरण में सांस लेते हैं। इसके अलावा, बायोगैस बनने के बाद जो अवशेष बचता है, उसका इस्तेमाल खाद के रूप में करते हैं।

बायोगैस प्लांट्स biogas plants
तस्वीर साभार:bioenergyconsult (left), indiamart (right)

बायोगैस प्लांट से प्राप्त होती है जैविक खाद

प्रति बायोगैस प्लांट से एक दिन में 3 घन मीटर बायोगैस निकलती है। इस तरह 64 बायोगैस प्लांट्स से 192 घन मीटर  बायोगैस का उत्पादन होता है। इसके अलावा, हर बायोगैस प्लांट से एक दिन में 25 किलो जैविक खाद प्राप्त होती है। इस जैविक खाद के इस्तेमाल से उत्पादन में 20 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा देखा गया। ये जैविक खाद रासायनिक उर्वरकों पर लगने वाली लागत को कम करती है। मिट्टी की उर्वरता क्षमता को भी बढ़ाती है। गांव के लोग बायोगैस प्लांट के इस्तेमाल को लेकर जागरूक हो रहे हैं। वो ये जान रहे हैं कि मिट्टी के स्वास्थ्य और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के लिए बायोगैस का उपयोग ज़रूरी है।

ये भी पढ़ें: क्यों पशुपालकों के लिए कमाई बढ़ाने का ज़ोरदार नुस्ख़ा है बायोगैस?

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

मंडी भाव की जानकारी

ये भी पढ़ें:

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top