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Kisan Diwas Special: सिंघाड़े की खेती- तालाब के बजाय खेत में उगा डाला सिंघाड़ा, जानिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित सेठपाल सिंह के प्रयोगों के बारे में

नए प्रयोग और अलग-अलग फसलों की खेती को अपनाया

पद्मश्री से सम्मानित सेठपाल सिंह ने खेती में ऐसे नये-नये प्रयोग किये हैं कि जिन्हें जानकर कृषि जानकार भी हैरत में पड़ गए। क्या हैं उनके अभिनव प्रयोग। जानिए इस लेख में।

Kisan Diwas Special | उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले के प्रगतिशील किसान सेठपाल सिंह उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें इसी साल मार्च में देश के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सेठपाल सिंह कृषि में नए-नए प्रयोग कर किसानों के बीच प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। वो कहते हैं कि जब तक आप खेती में रिस्क यानी जोखिम नहीं उठाओगे, खेती में नये-नये प्रयोग नहीं करोगे, तब तक खेती में छिपी हुई अपार संभावनाओं से कैसे वाकिफ़ होंगे। उन्होंने खुद खेती में ऐसे-ऐसे प्रयोगों को अपनाया है, जिसे जानकर खेती के जानकार भी सोच में पड़ गए। किसान ऑफ़ इंडिया की टीम उनके अभिनव प्रयोगों के बारे में जानने के लिए उनके गाँव नंदी फिरोजपुर पहुंची और उनसे ख़ास मुलाकात की।

नये-नये प्रयोग के प्रति लगाव ने बनाया सम्पन्न किसान

सेठपाल सिंह को खेती विरासत में मिली है। सेठपाल सिंह 1995 से पहले पारंपरिक खेती किया करता थे। कृषि विज्ञान केंद्र के सम्पर्क में आने के बाद उन्होंने पारंपरिक फसलों के साथ-साथ फल-फूल और सब्जियों की खेती करना भी शुरू किया। सेठपाल सिंह खेती के क्षेत्र में कई तरह के प्रयोग कर एक साथ कई फसलें उगाते हैं। खेती में हमेशा कुछ अलग करने की ललक ने उन्हें प्रगतिशील किसान बनाया है। वो गौ-आधारित प्राकृतिक खेती करते हैं। गन्ना, धान, गेहूं, दलहन-तिलहन फसलें और कई तरह की फल-सब्जियों और कमल की खेती करते हैं। 

सिंघाड़े की खेती singhare ki kheti sethpal singh padmashri

खेत में ही कर डाली सिंघाड़े की खेती 

अमूमन कहा जाता है कि सिंघाड़े की खेती सिर्फ़ तालाब में ही की जा सकती है, लेकिन सेठपाल सिंह ने इस मिथक को भी तोड़ने का काम किया। उन्होंने अपने खेत में सिंघाड़े की खेती कर डाली। इससे उन्होंने कम लागत में अच्छा मुनाफ़ा कमाया। 

वो पूरी तरह से समतल खेत में सिंघाड़े की खेती करते हैं। बस खेत में एक फ़ीट तक ही पानी भरा होता है। खेत के मेड़ को थोड़ा ऊंचा कर देते हैं। जून के दूसरे सप्ताह में सिंघाड़े की रोपाई की जाती है। सितम्बर के आखिरी हफ़्ते तक फल आने लगते हैं। वो कहते हैं कि खेत में सिंघाड़े की खेती करने से अच्छा सिंघाड़ा उगता है। इसकी वजह है कि वो ट्यूबवेल के पानी का इस्तेमाल करते हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले सिंघाड़े को बाज़ार में अच्छा दाम भी मिलता है। 

सिंघाड़े की खेती singhare ki kheti sethpal singh padmashri

गौ-आधारित प्राकृतिक खेती अपनाई

सेठपाल सिंह ने खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी न हो, इसके लिए फसल अवशेष प्रबंधन की व्यवस्था की हुई है। वर्मीकम्पोस्टिंग यूनिट लगाई हुई है। वो गौ-आधारित प्राकृतिक खेती करते हैं और अपने साथी किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। 

सिंघाड़े की खेती singhare ki kheti sethpal singh padmashri

कई अवॉर्डस से सम्मानित

सेठपाल सिंह को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। 2012 में आईसीएआर से अभिनव किसान पुरस्कार, जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार मिल चुका है। 2020 में भी आईसीएआर और फेलो से वर्ष 2014 में पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

 

सिंघाड़े की खेती singhare ki kheti sethpal singh padmashri
तस्वीर साभार: President of India (Tiwtter)

खेती नहीं घाटे का सौदा

सेठपाल सिंह का मानना है कि किसान को किसी एक फसल पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। वो कृषि विविधीकरण यानी अलग-अलग तरह की फसलों और सब्ज़ियों की खेती को बढ़ावा खुद भी देते हैं और उसका प्रसार भी करते हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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