Best Varieties of Peppermint: मेंथा जिसे पुदीना या पेपरमिंट (Mint or Peppermint) भी कहा जाता है एक औषधीय गुणों वाला पौधा है। भारत में मेंथा की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। वैसे तो पूरे देश के किसान इसे उगाते हैं, लेकिन राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों में इसे बड़े स्तर पर उगाया जाता है।
मेंथा की खेती मुख्य रूप से इसकी सुगंधित पत्तियों और तेल के लिए की जाती है। पूरी दुनिया में मेंथा के तेल की खपत तकरीबन 9500 मीट्रिक टन है। मेंथा तेल उत्पादन मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है। इसका तेल हज़ार रुपये प्रति लीटर से भी महंगा बिकता है। मेंथा की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इससे मेंथा की खेती से किसान तगड़ा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
ज़्यादा कमाई के लिए मेंथा की उन्नत किस्मों के चुनाव के साथ ही सही समय पर बुवाई, मिट्टी, सिंचाई और कीट प्रबंधन की सही जानकारी होना ज़रूरी है।
अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मेंथा की खेती तकरीबन सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है। बस मिट्टी में पर्याप्त जैविक पदार्थ, जल धारण क्षमता अच्छी होनी चाहिए और साथ ही जल निकासी की अच्छी व्यवस्था भी ज़रूरी है।
मिट्टी का पी-एच मान 6.5-7.5 होना चाहिए। मेंथा की खेती (Cultivation of Mentha) बलुई दोमट और मटियारी दोमट मिट्टी में नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि इसमें जड़ें सही तरीके से विकसित नहीं हो पाती। मेंथा की अच्छी फसल के लिए 22-32 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है जबकि इसकी कटाई के समय तेज़ धूप होनी चाहिए।
मेंथा की खेती के लिए खेत की तैयारी
मेंथा की बुवाई के लिए पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करें। इसके लिए मिट्टी पलटने वाले हल से 2 से 3 बार गहरी जुताई करें और बुवाई से पहले 15 से 20 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। फसल को दीमक से बचाने के लिए 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से नीम की खली भी मिट्टी में मिला दें। इसके बाद छोटी-छोटी क्यारियां बनाकर रोपाई करें। इनके बीच 30-40 सेंटीमीटर की दूरी रखें। मेंथा की पौध (Mentha plant) को नर्सरी में तैयार करके फिर खेत में रोपा जाता है।
रोपाई का सही समय
जब सर्दियों का मौसम खत्म होता है और गर्मी की शुरुआत होती है यानी जनवरी मध्य से लेकर फरवरी तक का समय मेंथा की बुआई के लिए सबसे अच्छा होता है।
सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
मेंथा के पौधों की रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। इसकी सिंचाई मौसम और मिट्टी पर निर्भर करती है। आमतौर पर जनवरी-फरवरी में 10-12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जानी चाहिए, जबकि मार्च से फसल की कटाई तक 7-8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की ज़रूरत होती है। इस बात का खास ध्यान रखें कि खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था हो, वरना पौधे सूख जाएंगे। जहां तक खरपतवार नियंत्रण का सवाल है तो रोपाई के 15-20 दिनों बाद पहली गुड़ाई करें और 45 दिन बाद दूसरी। केमिकल का इस्तेमाल करके भी खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है।
मेंथा की उन्नत प्रजातियां
मेंथा से अधिक तेल प्राप्त करने के लिए किसानों को इसकी कुछ उन्नत प्रजातियों के बारे में पता होना चाहिए। इसकी कुछ उन्नत प्रजातिया हैं- सिम कोशी जिससे प्रति हेक्टेयर 140-150 लीटकर तक तेल प्राप्त किया जा सकता है, सिम क्रांति से 170 से 210 लीटर तक तेल निकलता है, कुशल किस्म से भी 177-194 लीटर तक तेल प्राप्त होता है। इन सबके अलावा मेंथा की अन्य उन्नत किस्में हैं- कालका, कोशी, हिमालय, गोमती, सिम सरयू, सक्षम, संभव, डमरु आदि।
कीटों से बचाव
अच्छी उपज के लिए फसल को दीमक, बालदार सूंडी, पत्ती लपेटक कीट, पर्णदाग, जड़ गलन रोग आदि से बचाना ज़रूरी है।
फसल की कटाई
इसकी कटाई दो बार की जाती है। पहली कटाई रोपाई के लगभग 90 दिन बाद। ध्यान रहे फसल की कटाई से एक हफ़्ते पहले ही सिंचाई बंद कर दें। फसल की दूसरी कटाई पहली कटाई के तकरीबन 40-45 दिन बाद करनी चाहिए। कटाई के बाद पौधों को 2 से 3 घंटे तक खुली धूप में सुखाया जाता है और उसके बाद छाया में हल्का सुखाकर आसवन विधि से तेल निकाला जाता है।
कितनी होती है उपज?
एक हेक्टेयर में मेंथा की खेती से 40-50 टन तक फसल मिलती है। इस फसल से 140-160 लीटर तक तेल मिलता है और इसका तेल बाज़ार में 1000 रुपए प्रति लीटर या उससे भी महंगा बिकता है। ऐसे में एक हेक्टेयर में मेंथा की खेती से 80 हज़ार से लेकर एक लाख रुपए तक का शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है।
अगर आप भी मेंथा की खेती से तगड़ा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो पारंपरिक फसलों को छोड़कर मेंथा की खेती शुरू कर दीजिए।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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