सदाबहार फल केले की मांग बाज़ार में हमेशा रहती है। डिमांड की वजह से भारत में इसका उत्पादन भी अधिक है। भारत कुल उत्पादन में लगभग 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ केले का दुनिया का प्रमुख उत्पादक है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश देश के केले के उत्पादन में 70 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं। भारत हर साल करीबन 2.75 करोड़ टन केले का उत्पादन करता है। केला उत्पादन के मामले में भारत विश्व में पहले नंबर पर है। दूसरे स्थान पर चीन है, जहां प्रति वर्ष 1.2 करोड़ टन केले का उत्पादन होता है। केले की खेती की तरफ़ किसानों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण है केले की खेती से ज़्यादा मुनाफ़ा।
ऐसे ही एक किसान प्रयागराज के गांजा गांव में रहने वाले रघु सिंह हैं, जो केले की खेती से मुनाफ़ा कमा रहे हैं। रघु सिंह 32 बीघा ज़मीन पर मुख्य तौर पर केले की खेती करते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि केले का एक पौधा औसतन 15 से 20 किलो की उपज दे देता है।
केले की फसल का दाम गुणवत्ता पर निर्भर
केले की खेती बीज से नहीं, बल्कि केले के पौधों से होती है। उन्होंने प्रति बीघा 960 पेड़ लगाए हुए हैं, इससे प्रति बीघे के हिसाब से 70 से 80 हज़ार तक वो मुनाफ़ा अर्जित कर लेते हैं। केले की फसल का दाम उसकी गुणवत्ता पर भी निर्भर करता है। मध्यम गुणवत्ता वाले की बाज़ार में कीमत प्रति बीघा 50 हज़ार रुपये रहती है, जबकि उच्च गुणवत्ता वाले केले पर 70 से 80 हज़ार रुपये का लाभ उन्हें मिलता है। वहीं केले की खेती करते समय कई बातों का ध्यान रखना भी ज़रूरी होता है। 35 से 36 डिग्री तक का तापमान केले की फसल के लिए सही होता है।
पारंपरिक खेती की तुलना में केले की खेती से ज़्यादा मुनाफ़ा
रघु सिंह केले की खेती के साथ मटर और गेहूं की पैदावार भी करते हैं। 14 महीने में बनकर तैयार होने वाली केले की फसल के बाद वो उस ज़मीन पर मटर की खेती करते हैं। रघु सिंह बताते हैं कि केले की खेती के कई फ़ायदे हैं। अगर केले की खेती न हो तो सिर्फ़ धान और गेंहू की खेती से वो अपना घर नहीं चला सकते।
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