खाद्य तेल न सिर्फ़ भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि सेहत को बेहतर रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खाद्य तेलों के सेवन से लिपिड प्रोफाइल और मेटाबोलिक सिंड्रोम प्रभावित होते हैं। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और सूजन भी प्रवृत्ति पर अंकुश लगता है। इसीलिए खाद्य तेलों के सही चयन की बहुत अहमियत है। खाद्य तेलों की किस्मों में ‘धान की भूसी का तेल’ यानी ‘राइस ब्रॉन ऑयल’ अपेक्षाकृत सबसे नया विकल्प है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी इसे ख़ूब पसन्द करते हैं और सेहत के प्रति ज़्यादा जागरूक रहने वाले लोगों को इसके इस्तेमाल की हिदायत देते हैं।
भारत में अभी सालाना क़रीब 250 लाख टन खाद्य तेलों की खपत है। इसमें से हमारा घरेलू उत्पादन क़रीब 80 लाख टन का ही है। बाक़ी दो-तिहाई खपत की भरपाई आयात से होती है। देश की बढ़ती आबादी और खान-पान की आदतों में बदलाव की वजह से खाद्य तेलों की सालाना माँग 7-8 फ़ीसदी की दर से बढ़ रही है। इस साल खाद्य तेलों का आयात 140 लाख टन तक पहुँचने का अनुमान है। देश में पारम्परिक खाद्य तेलों की तुलना में ‘राइस ब्रॉन ऑयल’ की हिस्सेदारी क़रीब 14 फ़ीसदी ही है।
खाने पकाने के काम में ‘राइस ब्रान ऑयल’ की खपत भले ही देश में बहुत कम हो, लेकिन इसका उपयोग कन्फेक्शनरी उत्पादों जैसे ब्रेड, स्नैक्स, कुकीज और बिस्कुट के अलावा पशुओं के चारे, जैविक खाद, औषधीय इस्तेमाल और मोम बनाने में भी किया जाता है। साबुन, सौन्दर्य प्रसाधन, सिंथेटिक फाइबर, प्लास्टिसाइजर, डिटर्जेंट, इमल्सीफायर और फैटी एसिड के निर्माण में भरपूर उपयोग होता है। खुदरा बाज़ार में ‘राइस ब्रान ऑयल’ का दाम 125 रुपये से लेकर 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक होता है।

देश के कुल आयातित तेलों में पॉम ऑयल या पॉमोलीन का हिस्सेदारी क़रीब 80 फ़ीसदी है। पिछले वर्षों में अन्य तेलों के साथ परिष्कृतत पॉमोलीन के मिश्रण की वजह से भी इसकी खपत काफ़ी बढ़ी है। होटल, रेस्टो्रेन्ट् और पैकेज़्ड खाद्य उत्पादों को बनाने में बड़े पैमाने पर इसी तरह के खाद्य तेल का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल, खाद्य तेलों से जुड़ी आधुनिक तकनीकों की वजह से ग़ैर-परम्परागत खाद्य तेलों को फिल्टरिंग, ब्लीाचिंग और डी-ओडराइजेशन करके व्यावहारिक रूप से एक जैसा बना लिया गया है। इससे तेल रंगहीन, गन्धरहित और स्वाद-निरपेक्ष बन गये और रसोई में इनकी आसानी से अदला-बदली होती चली गयी।
‘राइस ब्रान ऑयल’ की ख़ूबियाँ
धान का इतिहास 10 हज़ार साल से भी ज़्यादा पुराना माना गया है। चीन और भारत की सभ्यताओं से फैलता हुआ धान अमेरिका में सन् 1647 में पहुँचा तो ब्राजील में इसकी आमद सन् 1750 में बतायी जाती है। आज 100 से ज़्यादा देशों में धान की करीब 18 हज़ार किस्में पैदा होती हैं। विश्व में पैदा होने वाले कुल अनाज में एक-चौथाई धान है। दुनिया की आधी से ज़्यादा आबादी का मुख्य आहार भी धान से मिलने वाला चावल है। धान की भूसी से निकलने वाले तेल यानी ‘राइस ब्रान ऑयल’ का इस्तेमाल एशिया में 2000 से अधिक वर्षों से किया जा रहा है। भारत, चीन, जापान, थाईलैंड और बाँग्लादेश इसके सबसे सफल उत्पादक हैं।
भारत में ग़ैर-परम्परागत खाद्य तेलों में ‘राइस ब्रॉन ऑयल’ और बिनौला के तेल की ख़ास अहमियत है। ‘राइस ब्रॉन ऑयल’ का उत्पादन कृषि आधारित उद्योगों की श्रेणी में ही है, क्योंकि आम तौर पर किसान अपने धान को या तो मंडियों में बेचता है या फिर सीधे राइस मिलों को। ये राइस मिलें ही हैं जहाँ धान की भूसी का बड़ा भंडार बनता है और यदि राइस मिल के पास ‘राइस ब्रान ऑयल’ और भूसी से बनने वाले अन्य उत्पादों की सुविधा होती है तभी तेल का उत्पादन हो पाता है। इसी वजह से ‘राइस ब्रान ऑयल’ के उत्पादन या दाम से किसान सीधे लाभान्वित नहीं होते हैं।
‘राइस ब्रॉन ऑयल’ में पोषक तत्व और एंटीऑक्सिडेंट पर्याप्त मात्रा में होते हैं। इसमें पॉली-अनसेचुरेटेड वसा (PUFA) और मोनो-अनसैचुरेटेड वसा (MUFA) का अनुपात बराबर होता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), इंडियन काउन्सिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूट्रिशन (NIN) की ओर से भी कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और शूगर लेवल को नियंत्रित रखने के लिए इस खाद्य तेल के इस्तेमाल की सिफ़ारिश की गयी है।
जर्नल ऑफ़ न्यूट्रीशनल बायोकैमिस्ट्री में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ‘राइस ब्रॉन ऑयल’ के सेवन से टाइप-2 मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा में 30 फ़ीसदी की कमी आयी है। इसे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत रखने, असमय बूढ़ा होने से बचाने जैसे अनेक त्वचा सम्बन्धी विकारों और बुढ़ापे से जुड़े न्यूरो-डिजेनेरेटिव रोगों के लक्षण को धीमा करने के लिए भी जाना जाता है। रजोनिवृत्ति सम्बन्धी तकलीफ़ों में भी इस तेल के सेवन से फ़ायदा होता है।

‘राइस ब्रॉन ऑयल’ के औषधीय गुण
‘राइस ब्रॉन ऑयल’ में कैंसर-रोधी एंटीऑक्सिडेंट Tocotrienols पाया जाता है जो स्तन, फेफड़े, अंडाशय, यकृत, मस्तिष्क और अग्न्याशय में कैंसर बनाने वाली कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित रखता है। इसमें आँखों के नीचे बनने वाले काले घेरे को भी दूर करने का भी गुण है। इससे रेडियो एक्टिव विकिरण का दुष्प्रभाव भी कम होता है। मुँह में पनपने वाले हानिकारक बैक्टीरिया को मारने, दाँतों के बीच कैविटी से रोकथाम, मसूड़ों में सूजन और साँस की दुर्गंध को घटाने तथा को मसूड़ों को मज़बूती देने में भी ये खाद्य तेल फ़ायदेमन्द होता है।
भूरे रंग वाले धान की भूसी में राइस ब्रान ऑयल की बहुत पतली परत होती है। ये उसका सबसे पौष्टिक अंश है, क्योंकि इसमें विटामिन-ई और खनिजों की भरमार होती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, फ़ाइबर, शूगर, सोडियम और प्रोटीन नहीं होता। ‘राइस ब्रॉन ऑयल’ में चिपचिपापन कम होता है, इसलिए इसमें पका भोजन कम तैलीय लगता है। इस तेल से त्वचा में नमी को बनाये रखने में मदद मिलती है। इसीलिए इसे मॉइस्चराइजिंग के लिए सौन्दर्य प्रसाधनों में भी इस्तेमाल किया जाता है।
धान की भूसी का तेल उसकी भीतरी दीवारों में मिलता है। ये चावल के लिए रोगाणुओं से बचाव वाले कवच का काम करता है। इसके स्वाद में मूँगफली के तेल या अखरोट के बेहद हल्के स्वाद से मिलता-जुलता सोंधापन होता है। गर्म किये जाने पर ये तेल तक़रीबन स्वाद रहित हो जाता है। इसका रंग भूरा से सुनहरा भूरा के बीच का होता है। इसका स्मोक प्वाइंट यानी इसके ख़ुद जलकर धुँआ बनने का तापमान भी ख़ासा अधिक यानी 232 डिग्री सेल्सियस है। इसीलिए पकवानों को तलते वक़्त इस तेल के ख़ुद जलने का ख़तरा कम होता है। इसी वजह से भारत में सरसों के तेल के कई ब्रॉन्डों में भी ‘राइस ब्रान ऑयल’ मिलाया जाता है।

‘राइस ब्रान ऑयल’ बनाम ऑलिव ऑयल
जैतून के तेल (ऑलिव ऑयल) की तुलना में ‘राइस ब्रान ऑयल’ में विटामिन-ई की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है। ‘राइस ब्रान ऑयल’ में कोलेस्ट्राल और दिल की बीमारियों और सूजन सम्बन्धी तकलीफ़ें घटाने वाला ‘ओरिजनॉल’ प्रचुर मात्रा में होता है जबकि जैतून के तेल में ये नहीं होता। ‘राइस ब्रान ऑयल’ लम्बे वक़्त तक ख़राब नहीं होता, जबकि सभी खाद्य तेलों में से जैतून का तेल ज़्यादा नाज़ुक होता है और जल्दी ख़राब हो जाता है।
कैसे निकालते हैं ‘राइस ब्रॉन ऑयल’?
धान की भूसी से तेल निकालने के लिए chemical solvent process या सीधे धान के भूसे की पेराई करने का तरीका अपनाया जाता है। भूसे की सीधे पेराई से अपेक्षाकृत कम ‘राइस ब्रान ऑयल’ प्राप्त होता है। इसीलिए बड़े पैमाने पर ‘राइस ब्रान ऑयल’ के उत्पादन के लिए chemical solvent वाली गर्म प्रक्रिया को अपनाया जाता है। सीधे पेराई की तुलना में इससे ज़्यादा और शुद्ध खाद्य तेल मिलता है।
धान की भूसी से तेल निकलने की प्रक्रिया तीन चरणों में होती है। सबसे पहले धान की भूसी को छाँटा जाता है। फिर इसे भाप के ज़रिये 100 डिग्री सेल्सियम से अझिक तापमान पर गर्म करते हैं। इससे ‘राइस ब्रान ऑयल’ के अणु नरम पड़कर और धान की छिलके से अलग होकर तेल के रूप में प्राप्त होता है। इसे ‘केमिकल मैथड’ भी कहते हैं, जबकि धान के भूसे की सीधे पेराई करने वाली प्रक्रिया को ‘मेकैनिकल मेथड’ कहा गया है।

‘राइस ब्रान ऑयल’ के लिए सरकारी नीति
‘राइस ब्रान ऑयल’ को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से नेफेड (राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड) के फोर्टिफाइड ब्रैन राइस ऑयल का ई-लॉन्च किया। इसके ज़रिये उच्च गुणवत्ता वाला फोर्टिफाइड राइस ब्रैन ऑयल की मार्केटिंग सभी नेफेड स्टोर्स और विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्म पर की जाएगी। ‘राइस ब्रान ऑयल’ की मार्केटिंग की ज़रूरतों को देखते हुए नेफेड और FCI (भारतीय खाद्य निगम) के बीच समझौता भी हुआ है। इसके तहत FCI से जुड़े राइस मिलों की ओर से उत्पादित ‘राइस ब्रान ऑयल’ को बाज़ार मुहैया करवाने की ज़िम्मेदारी नेफेड उठाएगी।
इसके साथ ही सरकार ने FCI (भारतीय खाद्य निगम) के क्षेत्रीय कार्यालयों को उनसे जुड़े राइस मिल मालिकों के साथ ऐसी कार्यशालाएँ आयोजित करने का निर्देश दिया, जिससे ‘राइस ब्रान ऑयल’ के उत्पादन से समबन्धित उनकी तकनीकी ज़रूरतों का आंकलन करके उसे पूरा करने की रणनीति बनायी जा सके। सरकार ने राइस मिलों की संख्या, उनकी मिलिंग क्षमता, धान के भूसे की मात्रा, मवेशियों के चारे के लिए भेजे जा रहे भूसी की मात्रा और ‘राइस ब्रान ऑयल’ के उत्पादन के लिए भेजी जा रही भूसी की मात्रा का ब्यौरा भी जुटाने का कहा। ताकि ‘राइस ब्रान ऑयल’ के उत्पादन के लिए कितनी क्षमता बढ़ाने की ज़रूरत है, इसका आंकलन हो सके।
भारत में तमाम कोशिशों के बावजूद तिलहन उत्पादन में इतना सुधार नहीं हो पा रहा जिससे खाद्य तेलों की खपत के मामले में हम आत्मनिर्भर बन सकें। हालाँकि भारत, विश्व में तिलहनों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। फिर भी घरेलू माँग को पूरा करने के लिए फिलहाल, हमें सालाना 65 से 70 हज़ार करोड़ रुपये का खाद्य तेल आयात करना पड़ रहा है। इससे भारत, खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक बन गया। सरकार की कोशिश है कि खाद्य तेल के रूप में ताड़ के तेल (पॉम ऑयल) की जगह ‘राइस ब्रान ऑयल’ के इस्तेमाल को ख़ासा बढ़ावा मिले, ताकि पॉम ऑयल के आयात को घटाकर विदेशी मुद्रा की बचत की जा सके। उम्मीद है कि उपरोक्त सरकारी पहल से स्वदेशी तेल उत्पादकों को भी बढ़ावा मिलेगा और आयातित खाद्य तेलों पर देश की निर्भरता घटेगी।
‘राइस ब्रान ऑयल’ का देश में उत्पादन
देश में ‘राइस ब्रान ऑयल’ के उत्पादन में लगातार सुधार हो रहा है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, साल 2014-15 में ये 9.2 लाख टन था तो 2015-16 में 9.9 लाख टन और 2016-17 में 10.31 लाख टन हो गया। केन्द्र सरकार ने ‘राइस ब्रान ऑयल’ की मौजूदा 11 लाख टन उत्पादन क्षमता को जल्द से जल्द बढ़ाकर 18 लाख टन करने के उद्देश्य से प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से अपने क्षेत्रों में मौजूद राइस मिलों की क्षमता बढ़ाने का आग्रह किया है। इस सिलसिले में तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों ने अतिरिक्त ‘राइस ब्रान ऑयल सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्लांट’ स्थापित करने पर सहमति जतायी है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- गन्ने की प्राकृतिक खेती के साथ ही प्रोसेसिंग से अच्छी कमाई कर रहे हैं प्रगतिशील किसान योगश कुमार, जानिए उनका सक्सेस मंत्रगन्ने की प्राकृतिक खेती के साथ ही प्रोसेसिंग कर इनोवेटिव किसान योगेश कुमार बना रहे हैं नए उत्पाद और कमा रहे हैं बेहतर मुनाफ़ा।
- महाराष्ट्र सरकार का ऐतिहासिक कदम: पशुपालन को कृषि का दर्जा मिला, लाखों पशुपालकों को मिलेगा सीधा लाभमहाराष्ट्र में पशुपालन को कृषि का दर्जा मिलने से पशुपालकों को कृषि दर पर बिजली, ऋण व सब्सिडी सहित कई लाभ मिलेंगे।
- Revolution In Cotton Farming: कृषि मंत्री ने एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम’ का दिया नारा, कहा- किसानों के साथ मिलकर बढ़ाएंगे उत्पादकतादेशभर से आए कपास उत्पादक किसानों, वैज्ञानिकों और हरियाणा के कृषि मंत्री राणा सिंह के साथ मिलकर कपास की खेती (Revolution In Cotton Farming) को बेहतर बनाने पर चर्चा की। इस बैठक का मकसद था – ‘कपास की पैदावार बढ़ाना, लागत कम करना और नई तकनीकों को खेतों तक पहुंचाना।’
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से किसानों की आय में वृद्धि, बदलाव की राह पर जांजगीर-चांपा के किसानराष्ट्रीय कृषि विकास योजना से किसान अपना रहे परिवर्तन खेती का मॉडल, कम लागत में अधिक मुनाफ़ा और बन रहे आत्मनिर्भर।
- किसानों के लिए बड़ी खुशख़बरी: अब e-NAM पर इन 7 नई फसलों की भी होगी ऑनलाइन बिक्री, मिलेगा बेहतर दामअब ई-नाम (e-NAM) पोर्टल पर 238 कृषि उत्पादों की सूची में 7 नई फसलों को शामिल (7 new crops included in the list of 238 agricultural products) किया गया है।
- Big Initiative Of Bihar Government: अब आपदा में मरे मवेशियों पर मिलेगी मोटी रकम, जानें कैसे उठाएं लाभबिहार सरकार ने (Big Initiative Of Bihar Government) एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाया है। अब राज्य में बाढ़ या किसी अन्य आपदा के दौरान मरे हुए या लापता मवेशियों के बदले पशुपालकों को आर्थिक मदद (Financial help to cattle owners in lieu of dead or missing cattle) मिलेगी।
- National Conference On Cotton :11 जुलाई को कोयम्बटूर में कपास क्रांति की तैयारी, किसान भी भेज सकते हैं सरकार को अपने सुझाव11 जुलाई 2025 को कोयम्बटूर में कपास पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन (National Conference on Cotton) आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में देशभर के किसानों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के साथ मिलकर कपास उत्पादन बढ़ाने, जलवायु अनुकूल बीज विकसित करने और किसानों की आय दोगुनी करने पर मंथन किया जाएगा।
- शेखावाटी के किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़ अपनाई पॉलीहाउस में खेती की तकनीकपॉलीहाउस में खेती से किसान कमा रहे लाखों, सरकार दे रही अनुदान और ड्रिप सिस्टम से हो रही जल बचत, जानिए पूरी कहानी।
- National Fish Farmers Day 2025: भारत मना रहा नीली क्रांति का जश्न, मछली पालन में 10 साल में दोगुना हुआ उत्पादन10 जुलाई, 2025 को राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस (National Fish Farmers Day 2025) के मौके पर नए मत्स्य क्लस्टर्स (Fisheries Clusters), प्रशिक्षण कार्यक्रम (Training Programs) और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (Infrastructure Projects) की घोषणा होने जा रही है, जो इस क्षेत्र को और आगे बढ़ाएगी।
- राजस्थान के बाड़मेर जिले में खजूर की खेती बनी हरियाली और आमदनी का ज़रियाबाड़मेर में खजूर की खेती से किसानों की आमदनी में हुआ ज़बरदस्त इज़ाफ़ा, मेडजूल जैसी क़िस्मों से बदली रेगिस्तान की क़िस्मत।
- HETHA Dairy: एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने देसी गायों के एथिकल गौपालन से खड़ा किया करोड़ों का उद्योग, जानिए कैसे?HETHA Dairy देसी गौपालन का बड़ा उदाहरण है, जहां असीम रावत ने एथिकल तरीके से 1100 गायों के साथ करोड़ों का व्यवसाय खड़ा किया।
- नागालैंड में Rani Pig के साथ सुअर पालन बना ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मज़बूत आधारRani Pig और वैज्ञानिक तकनीक से नागालैंड के सुअर पालन को मिल रही है नई दिशा, जानिए कैसे किसानों की आय में हो रही है वृद्धि।
- Sardar Patel Co-operative Dairy Federation: देश के डेयरी किसानों के लिए गेम-चेंजर, 5 लाख गांवों को मिलेगा फायदासरदार पटेल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (Sardar Patel Co-operative Dairy Federation) यानि SPCDF की स्थापना की गई है, जो देश के उन लाखों डेयरी किसानों को सशक्त बनाएगी, जो अभी तक सहकारी आंदोलन से जुड़े नहीं हैं।
- उत्तराखंड के किसानों के लिए बड़ी खुशख़बरी, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किये ये बड़े ऐलानमहत्वपूर्ण बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री ने उत्तराखंड के विकास (Agriculture and Rural Development in Uttarakhand) के लिए कई बड़े फैसले लिए। इस दौरान राज्य की मांग के अनुसार कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हरसंभव सहायता देने की बात कही। जानिए क्या मिलेगा राज्य को?
- मिज़ोरम में ब्रोकली की खेती में नया बदलाव – पोषक प्रबंधन और मिनी स्प्रिंकलर तकनीक से आई क्रांतिब्रोकली की खेती में Integrated Nutrient Management और Mini Sprinkler System से मिज़ोरम के किसानों को मिली उन्नत पैदावार और बेहतर आमदनी।
- Pangasius Fish Cluster : उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में डेवलप हो रहा उत्तर भारत का ‘पंगेसियस क्लस्टर’सिद्धार्थनगर (Siddharthnagar) में बनने वाले पंगेसियस क्लस्टर (Pangasius Fish Cluster) में मछली के प्रोडक्शन, प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग), पैकेजिंग और एक्सपोर्ट की सभी सुविधाएं होंगी। इससे स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलेगा और किसानों की आय बढ़ेगी।
- Meri Panchayat App : ‘मेरी पंचायत ऐप’ से पाएं पंचायत की हर जानकारी और मौसम का पूर्वानुमान सिर्फ एक क्लिक पर! केंद्र सरकार की ओर से लॉन्च किया गया ‘मेरी पंचायत’ App (Meri Panchayat App) ग्रामीण भारत को डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ये ऐप न सिर्फ पंचायत से जुड़ी सभी योजनाओं, फंड और विकास के कामों की जानकारी देता है, बल्कि अब इसमें 5 दिन का मौसम पूर्वानुमान (5 day weather forecast) भी शामिल किया गया है।
- Primary Agricultural Credit Society: PACS के ज़रिये से सहकारिता क्रांति, किसानों को मिल रहीं कृषि सेवाएं और सस्ता ऋणगांव में मल्टीपर्पस PACS (primary agricultural credit societies) के तहत डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित की जा रही है। ये योजना किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली है, जिसमें कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन, भंडारण, मार्केटिंग और डिजिटल सेवाओं का विस्तार शामिल है।
- प्राकृतिक खेती अपनाकर सेब की खेती में सफल हुए हिमाचल के प्रगतिशील किसान भगत सिंह राणाप्राकृतिक खेती से सेब की खेती को नया जीवन देने वाले भगत सिंह राणा की कहानी पढ़ें और जानिए खेती में बदलाव की राह।
- कैसे विदेशी सब्ज़ियों की खेती में पुलवामा के किसान ग़ुलाम मोहम्मद मीर ने हासिल की कामयाबीकश्मीर की ज़मीन पर विदेशी सब्ज़ियों की खेती ने दस्तक दी है। शोपियां के ग़ुलाम मोहम्मद मीर ने पुलवामा में ब्रोकली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, चाइनीज़ गोभी और केल की खेती कर मिसाल पेश की है। किसान उनके फ़ार्म को देखने और उनसे सीखने भी आते हैं।